Surah सूरा मर्यम - Maryam

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Surah सूरा मर्यम - Maryam - Aya count 98

كۤهیعۤصۤ ﴿١﴾

काफ़, हा, या, ऐन, स़ाद।


Arabic explanations of the Qur’an:

ذِكۡرُ رَحۡمَتِ رَبِّكَ عَبۡدَهُۥ زَكَرِیَّاۤ ﴿٢﴾

(यह) आपके पालनहार की अपने बंदे ज़करिय्या पर दया की चर्चा है।


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إِذۡ نَادَىٰ رَبَّهُۥ نِدَاۤءً خَفِیࣰّا ﴿٣﴾

जब उसने अपने पालनहार को गुप्त स्वर में पुकारा।


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قَالَ رَبِّ إِنِّی وَهَنَ ٱلۡعَظۡمُ مِنِّی وَٱشۡتَعَلَ ٱلرَّأۡسُ شَیۡبࣰا وَلَمۡ أَكُنۢ بِدُعَاۤىِٕكَ رَبِّ شَقِیࣰّا ﴿٤﴾

उसने कहा : ऐ मेरे पालनहार! निश्चय मेरी हड्डियाँ कमज़ोर हो गईं और सिर बुढ़ापे से सफेद[1] हो गया, तथा ऐ मेरे पालनहार! मैं तुझे पुकारकर कभी असफल नहीं हुआ।

1. अर्थात पूरे बाल सफ़ेद हो गए।


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وَإِنِّی خِفۡتُ ٱلۡمَوَ ٰ⁠لِیَ مِن وَرَاۤءِی وَكَانَتِ ٱمۡرَأَتِی عَاقِرࣰا فَهَبۡ لِی مِن لَّدُنكَ وَلِیࣰّا ﴿٥﴾

और निःसंदेह मैं अपने पीछे रिश्तेदारों से डरता हूँ, और मेरी पत्नी आरंभ से बाँझ है, अतः मुझे अपनी ओर से एक उत्तराधिकारी प्रदान कर दे।


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یَرِثُنِی وَیَرِثُ مِنۡ ءَالِ یَعۡقُوبَۖ وَٱجۡعَلۡهُ رَبِّ رَضِیࣰّا ﴿٦﴾

जो मेरा उत्तराधिकारी हो तथा याक़ूब के वंश का उत्तराधिकारी[2] हो और ऐ मेरे पालनहार! उसे पसंदीदा बना दे।

2. अर्थात नबी हो। आदरणीय ज़करिय्या (अलैहिस्सलाम) याक़ूब (अलैहिस्सलाम) के वंश में थे।


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یَـٰزَكَرِیَّاۤ إِنَّا نُبَشِّرُكَ بِغُلَـٰمٍ ٱسۡمُهُۥ یَحۡیَىٰ لَمۡ نَجۡعَل لَّهُۥ مِن قَبۡلُ سَمِیࣰّا ﴿٧﴾

ऐ ज़करिय्या! निःसंदेह हम तुझे एक बालक की शुभ सूचना देते हैं, जिसका नाम यह़्या है। हमने इससे पहले उसका कोई समनाम नहीं बनाया।


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالَ رَبِّ أَنَّىٰ یَكُونُ لِی غُلَـٰمࣱ وَكَانَتِ ٱمۡرَأَتِی عَاقِرࣰا وَقَدۡ بَلَغۡتُ مِنَ ٱلۡكِبَرِ عِتِیࣰّا ﴿٨﴾

उसने कहा : ऐ मेरे पालनहार! मेरे यहाँ बालक कैसे होगा, जबकि मेरी पत्नी शुरू से बाँझ है और मैं बुढ़ापे की अंतिम सीमा को पहुँच गया हूँ।


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قَالَ كَذَ ٰ⁠لِكَ قَالَ رَبُّكَ هُوَ عَلَیَّ هَیِّنࣱ وَقَدۡ خَلَقۡتُكَ مِن قَبۡلُ وَلَمۡ تَكُ شَیۡـࣰٔا ﴿٩﴾

उसने कहा : ऐसा ही है, तेरे पालनहार ने कहा है : यह मेरे लिए सरल है, और निश्चय मैंने तुझे इससे पहले पैदा किया, जबकि तू कुछ भी नहीं था।


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالَ رَبِّ ٱجۡعَل لِّیۤ ءَایَةࣰۖ قَالَ ءَایَتُكَ أَلَّا تُكَلِّمَ ٱلنَّاسَ ثَلَـٰثَ لَیَالࣲ سَوِیࣰّا ﴿١٠﴾

उस (ज़करिय्या) ने कहा : ऐ मेरे पालनहार! मेरे लिए कोई निशानी निर्धारित कर दे। (अल्लाह ने) फरमाया : तेरी निशानी यह है कि तू स्वस्थ होते हुए लोगों से तीन रातों तक बात नहीं करेगा।[3]

3. रात से अभिप्राय दिन तथा रात दोनों ही हैं। अर्थात जब बिना किसी रोग के लोगों से बात नहीं कर सकोगे तो यह शुभ सूचना की निशानी होगी।


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فَخَرَجَ عَلَىٰ قَوۡمِهِۦ مِنَ ٱلۡمِحۡرَابِ فَأَوۡحَىٰۤ إِلَیۡهِمۡ أَن سَبِّحُواْ بُكۡرَةࣰ وَعَشِیࣰّا ﴿١١﴾

फिर वह उपासना-गृह से निकलकर अपनी जाति के पास आया और उन्हें संकेत द्वारा आदेश दिया कि सुबह और शाम (अल्लाह की) पवित्रता का वर्णन करो।


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یَـٰیَحۡیَىٰ خُذِ ٱلۡكِتَـٰبَ بِقُوَّةࣲۖ وَءَاتَیۡنَـٰهُ ٱلۡحُكۡمَ صَبِیࣰّا ﴿١٢﴾

ऐ यह़्या[4]! इस पुस्तक (तौरात) को मज़बूती से थाम लो। और हमने उसे बचपन ही में निर्णय-शक्ति प्रदान की।

4. अर्थात जब यह़्या का जन्म हो गया और कुछ बड़े हुए, तो अल्लाह ने उन्हें तौरात का ज्ञान दिया।


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وَحَنَانࣰا مِّن لَّدُنَّا وَزَكَوٰةࣰۖ وَكَانَ تَقِیࣰّا ﴿١٣﴾

तथा अपनी ओर से दया तथा पवित्रता (प्रदान की) और वह बड़ा संयमी (परहेज़गार) था।


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وَبَرَّۢا بِوَ ٰ⁠لِدَیۡهِ وَلَمۡ یَكُن جَبَّارًا عَصِیࣰّا ﴿١٤﴾

तथा अपने माता-पिता के साथ सुशील था। तथा वह क्रूर और अवज्ञाकारी नहीं था।


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وَسَلَـٰمٌ عَلَیۡهِ یَوۡمَ وُلِدَ وَیَوۡمَ یَمُوتُ وَیَوۡمَ یُبۡعَثُ حَیࣰّا ﴿١٥﴾

और उसपर सलामती हो जिस दिन वह पैदा हुआ और जिस दिन वह मरेगा और जिस दिन वह जीवित करके उठाया जाएगा।


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وَٱذۡكُرۡ فِی ٱلۡكِتَـٰبِ مَرۡیَمَ إِذِ ٱنتَبَذَتۡ مِنۡ أَهۡلِهَا مَكَانࣰا شَرۡقِیࣰّا ﴿١٦﴾

तथा इस किताब में मरयम[5] की चर्चा करें, जब वह अपने घरवालों से एक स्थान पर अलग हो गईं जो (उनसे) पूरब की ओर था।

5. मरयम आदरणीय इमरान की पुत्री, दाऊद अलैहिस्सलाम के वंश से थीं। उनके जन्म के विषय में सूरत आले इमरान देखिए।


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فَٱتَّخَذَتۡ مِن دُونِهِمۡ حِجَابࣰا فَأَرۡسَلۡنَاۤ إِلَیۡهَا رُوحَنَا فَتَمَثَّلَ لَهَا بَشَرࣰا سَوِیࣰّا ﴿١٧﴾

फिर उसने उनकी ओर से एक परदा बना लिया, तो हमने उसकी ओर अपनी रूह़ (विशेष फ़रिश्ता)[6] को भेजा, तो उसने उसके लिए एक पूरे मनुष्य का रूप धारण कर लिया।

6. इससे अभिप्रेत फ़रिश्ता जिबरील (अलैहिस्सलाम) हैं।


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قَالَتۡ إِنِّیۤ أَعُوذُ بِٱلرَّحۡمَـٰنِ مِنكَ إِن كُنتَ تَقِیࣰّا ﴿١٨﴾

उसने कहा : निःसंदेह मैं तुझसे रहमान (परम दयावान्) की शरण माँगती हूँ, यदि तू डर रखने वाला है।


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قَالَ إِنَّمَاۤ أَنَا۠ رَسُولُ رَبِّكِ لِأَهَبَ لَكِ غُلَـٰمࣰا زَكِیࣰّا ﴿١٩﴾

उसने कहा : मैं तेरे पालनहार का भेजा हुआ हूँ, ताकि तुझे एक पवित्र लड़का प्रदान करूँ।


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قَالَتۡ أَنَّىٰ یَكُونُ لِی غُلَـٰمࣱ وَلَمۡ یَمۡسَسۡنِی بَشَرࣱ وَلَمۡ أَكُ بَغِیࣰّا ﴿٢٠﴾

वह बोली : मुझे लड़का कैसे हो सकता है, जबकि किसी पुरुष ने मुझे छुआ तक नहीं है और न मैं कभी व्यभिचारिणी थी।


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قَالَ كَذَ ٰ⁠لِكِ قَالَ رَبُّكِ هُوَ عَلَیَّ هَیِّنࣱۖ وَلِنَجۡعَلَهُۥۤ ءَایَةࣰ لِّلنَّاسِ وَرَحۡمَةࣰ مِّنَّاۚ وَكَانَ أَمۡرࣰا مَّقۡضِیࣰّا ﴿٢١﴾

उसने कहा : ऐसा ही है, तेरे पालनहार ने कहा है कि यह मेरे लिए आसान है और ताकि हम इसे लोगों के लिए एक निशानी[7] और अपनी ओर से रहमत बनाएँ और यह एक पूर्वनियत कार्य है।

7. अर्थात अपने सामर्थ्य की निशानी, कि हम नर-नारी के योग के बिना भी स्त्री के गर्भ से शिशु की उत्पत्ति कर सकते हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

۞ فَحَمَلَتۡهُ فَٱنتَبَذَتۡ بِهِۦ مَكَانࣰا قَصِیࣰّا ﴿٢٢﴾

फिर वह उस (लड़के) के साथ गर्भवती हो गई, तो उसे लेकर एक दूर स्थान पर अलग चली गई।


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فَأَجَاۤءَهَا ٱلۡمَخَاضُ إِلَىٰ جِذۡعِ ٱلنَّخۡلَةِ قَالَتۡ یَـٰلَیۡتَنِی مِتُّ قَبۡلَ هَـٰذَا وَكُنتُ نَسۡیࣰا مَّنسِیࣰّا ﴿٢٣﴾

फिर प्रसव पीड़ा उसे खजूर के एक तने के पास ले लाई, कहने लगी : ऐ काश! मैं इससे पहले मर जाती और भूली-बिसरी होती।


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فَنَادَىٰهَا مِن تَحۡتِهَاۤ أَلَّا تَحۡزَنِی قَدۡ جَعَلَ رَبُّكِ تَحۡتَكِ سَرِیࣰّا ﴿٢٤﴾

तो उसने उसके नीचे से पुकारा[8] कि शोकाकुल न हो, तेरे पालनहार ने तेरे नीचे[9] एक नदी (प्रवाह) कर दी है।

8. अर्थात जिबरील फ़रिश्ते ने घाटी के नीचे से आवाज़ दी। दूसरा कथन है कि ईसा अलैहिस्सलाम ने नीचे से आवाज़ दी। 9. अर्थात मरयम के चरणों के नीचे।


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وَهُزِّیۤ إِلَیۡكِ بِجِذۡعِ ٱلنَّخۡلَةِ تُسَـٰقِطۡ عَلَیۡكِ رُطَبࣰا جَنِیࣰّا ﴿٢٥﴾

और खजूर के तने को अपनी ओर हिला, वह तुझपर ताज़ा पकी हुई खजूरें गिराएगा।[10]

10. अल्लाह ने अस्वाभाविक रूप से आदरणीय मरयम के लिए, खाने-पीने की व्यवस्था कर दी।


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فَكُلِی وَٱشۡرَبِی وَقَرِّی عَیۡنࣰاۖ فَإِمَّا تَرَیِنَّ مِنَ ٱلۡبَشَرِ أَحَدࣰا فَقُولِیۤ إِنِّی نَذَرۡتُ لِلرَّحۡمَـٰنِ صَوۡمࣰا فَلَنۡ أُكَلِّمَ ٱلۡیَوۡمَ إِنسِیࣰّا ﴿٢٦﴾

अतः खा और पी और आँख ठंडी कर। फिर यदि तू किसी आदमी को देखे, तो कह दे : मैंने तो रहमान के लिए रोज़े की मन्नत मानी है। अतः आज मैं कदापि किसी मनुष्य से बात नहीं करूँगी।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَأَتَتۡ بِهِۦ قَوۡمَهَا تَحۡمِلُهُۥۖ قَالُواْ یَـٰمَرۡیَمُ لَقَدۡ جِئۡتِ شَیۡـࣰٔا فَرِیࣰّا ﴿٢٧﴾

फिर वह उसे उठाए हुए अपनी जाति के पास ले आई, उन्होंने कहा : ऐ मरयम! तूने बहुत बुरा काम किया है।


Arabic explanations of the Qur’an:

یَـٰۤأُخۡتَ هَـٰرُونَ مَا كَانَ أَبُوكِ ٱمۡرَأَ سَوۡءࣲ وَمَا كَانَتۡ أُمُّكِ بَغِیࣰّا ﴿٢٨﴾

ऐ हारून की बहन! न तेरा पिता कोई बुरा व्यक्ति था और न तेरी माँ कोई व्यभिचारिणी थी।


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فَأَشَارَتۡ إِلَیۡهِۖ قَالُواْ كَیۡفَ نُكَلِّمُ مَن كَانَ فِی ٱلۡمَهۡدِ صَبِیࣰّا ﴿٢٩﴾

तो उसने उस (शिशु) की ओर संकेत किया। उन्होंने कहा : हम उससे कैसे बात करें, जो अभी तक गोद में बच्चा है?


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قَالَ إِنِّی عَبۡدُ ٱللَّهِ ءَاتَىٰنِیَ ٱلۡكِتَـٰبَ وَجَعَلَنِی نَبِیࣰّا ﴿٣٠﴾

वह (शिशु) बोल पड़ा : निःसंदेह मैं अल्लाह का बंदा हूँ। उसने मुझे पुस्तक (इन्जील) प्रदान की तथा मुझे नबी बनाया है।[11]

11. अर्थात मुझे पुस्तक प्रदान करने और नबी बनाने का निर्णय कर दिया है।


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وَجَعَلَنِی مُبَارَكًا أَیۡنَ مَا كُنتُ وَأَوۡصَـٰنِی بِٱلصَّلَوٰةِ وَٱلزَّكَوٰةِ مَا دُمۡتُ حَیࣰّا ﴿٣١﴾

तथा मुझे बरकत वाला बनाया है, जहाँ भी मैं रहूँ और मुझे नमाज़ तथा ज़कात का आदेश दिया है, जब तक मैं जीवित रहूँ।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَبَرَّۢا بِوَ ٰ⁠لِدَتِی وَلَمۡ یَجۡعَلۡنِی جَبَّارࣰا شَقِیࣰّا ﴿٣٢﴾

तथा आपनी माँ के साथ अच्छा व्यवहार करने वाला (बनाया) और उसने मुझे क्रूर तथा अभागा[12] नहीं बनाया।

12. इसमें यह संकेत है कि माता-पिता के साथ दुर्व्यवहार करना क्रूरता तथा दुर्भाग्य है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلسَّلَـٰمُ عَلَیَّ یَوۡمَ وُلِدتُّ وَیَوۡمَ أَمُوتُ وَیَوۡمَ أُبۡعَثُ حَیࣰّا ﴿٣٣﴾

तथा सलामती है मुझपर, जिस दिन मैं पैदा हुआ और जिस दिन मैं मरूँगा और जिस दिन मैं जीवित करके उठाया जाऊँगा।


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ذَ ٰ⁠لِكَ عِیسَى ٱبۡنُ مَرۡیَمَۖ قَوۡلَ ٱلۡحَقِّ ٱلَّذِی فِیهِ یَمۡتَرُونَ ﴿٣٤﴾

यह है ईसा बिन मरयम। यही सत्य बात है, जिसमें वे संदेह कर रहे हैं।


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مَا كَانَ لِلَّهِ أَن یَتَّخِذَ مِن وَلَدࣲۖ سُبۡحَـٰنَهُۥۤۚ إِذَا قَضَىٰۤ أَمۡرࣰا فَإِنَّمَا یَقُولُ لَهُۥ كُن فَیَكُونُ ﴿٣٥﴾

अल्लाह के योग्य नहीं है कि वह कोई संतान बनाए। वह पवित्र है! जब वह किसी कार्य का निर्णय करता है, तो उससे केवल यह कहता है कि "हो जा", तो वह हो जाता है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَإِنَّ ٱللَّهَ رَبِّی وَرَبُّكُمۡ فَٱعۡبُدُوهُۚ هَـٰذَا صِرَ ٰ⁠طࣱ مُّسۡتَقِیمࣱ ﴿٣٦﴾

और निःसंदेह अल्लाह ही मेरा पालनहार और तुम्हारा पालनहार है, अतः उसी की इबादत करो, यही सीधा रास्ता है।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَٱخۡتَلَفَ ٱلۡأَحۡزَابُ مِنۢ بَیۡنِهِمۡۖ فَوَیۡلࣱ لِّلَّذِینَ كَفَرُواْ مِن مَّشۡهَدِ یَوۡمٍ عَظِیمٍ ﴿٣٧﴾

फिर इन गिरोहों[13] ने आपस में मतभेद कर लिया, तो उन लोगों के लिए जिन्होंने कुफ़्र किया, एक बड़े दिन की उपस्थिति के कारण बड़ा विनाश है।

13. अर्थात अह्ले किताब के गिरोहों ने ईसा अलैहिस्सलाम की वास्तविकता जानने के पश्चात् उनके विषय में मतभेद किया। यहूदियों ने उसे जादूगर तथा वर्णसंकर (व्यभिचार से उत्पन्न व्यक्ति) कहा। और ईसाइयों के एक गिरोह ने कहा कि वह स्वयं अल्लाह है। दूसरे ने कहा : वह अल्लाह का पुत्र है। और उनके तीसरे कैथुलिक गिरोह ने कहा कि वह तीन में का तीसरा है। बड़े दिन से अभिप्राय प्रलय का दिन है।


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أَسۡمِعۡ بِهِمۡ وَأَبۡصِرۡ یَوۡمَ یَأۡتُونَنَاۖ لَـٰكِنِ ٱلظَّـٰلِمُونَ ٱلۡیَوۡمَ فِی ضَلَـٰلࣲ مُّبِینࣲ ﴿٣٨﴾

वे कितने सुनने वाले होंगे और कितने देखने वाले होंगे! जिस दिन वे हमारे पास आएँगे, किंतु अत्याचारी लोग आज खुली गुमराही में हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَأَنذِرۡهُمۡ یَوۡمَ ٱلۡحَسۡرَةِ إِذۡ قُضِیَ ٱلۡأَمۡرُ وَهُمۡ فِی غَفۡلَةࣲ وَهُمۡ لَا یُؤۡمِنُونَ ﴿٣٩﴾

और (ऐ नबी!) आप उन्हें पछतावे के दिन से डराएँ, जब हर काम का फैसला[14] कर दिया जाएगा, और वे पूरी तरह से ग़फ़लत में हैं और वे ईमान नहीं लाते।

14. अर्थात प्रत्येक के कर्मानुसार उसके लिए नरक अथवा स्वर्ग का निर्णय कर दिया जाएगा। फिर मौत को एक भेड़ के रूप में वध कर दिया जाएगा। तथा घोषणा कर दी जाएगी कि ऐ स्वर्गियो! तुम्हें सदा रहना है, और अब मौत नहीं है। और हे नारकियो! तुम्हें सदा नरक में रहना है, अब मौत नहीं है। (सह़ीह़ बुख़ारी, ह़दीस संख्या : 4730)


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّا نَحۡنُ نَرِثُ ٱلۡأَرۡضَ وَمَنۡ عَلَیۡهَا وَإِلَیۡنَا یُرۡجَعُونَ ﴿٤٠﴾

निःसंदेह हम ही धरती के उत्तराधिकारी होंगे और उनके भी जो उसपर हैं और वे हमारी ही ओर लौटाए जाएँगे।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱذۡكُرۡ فِی ٱلۡكِتَـٰبِ إِبۡرَ ٰ⁠هِیمَۚ إِنَّهُۥ كَانَ صِدِّیقࣰا نَّبِیًّا ﴿٤١﴾

तथा इस किताब में इबराहीम की चर्चा करें, निःसंदेह वह बहुत सच्चा (और) नबी था।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِذۡ قَالَ لِأَبِیهِ یَـٰۤأَبَتِ لِمَ تَعۡبُدُ مَا لَا یَسۡمَعُ وَلَا یُبۡصِرُ وَلَا یُغۡنِی عَنكَ شَیۡـࣰٔا ﴿٤٢﴾

जब उसने अपने पिता से कहा : ऐ मेरे पिता! आप उस चीज़ को क्यों पूजते हैं, जो न सुनती है और न देखती है और न आपके किसी काम आती है?


Arabic explanations of the Qur’an:

یَـٰۤأَبَتِ إِنِّی قَدۡ جَاۤءَنِی مِنَ ٱلۡعِلۡمِ مَا لَمۡ یَأۡتِكَ فَٱتَّبِعۡنِیۤ أَهۡدِكَ صِرَ ٰ⁠طࣰا سَوِیࣰّا ﴿٤٣﴾

ऐ मेरे पिता! निःसंदेह मेरे पास वह ज्ञान आया है, जो आपके पास नहीं आया, अतः आप मेरा अनुसरण करें, मैं आपको सीधा मार्ग दिखाऊँगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

یَـٰۤأَبَتِ لَا تَعۡبُدِ ٱلشَّیۡطَـٰنَۖ إِنَّ ٱلشَّیۡطَـٰنَ كَانَ لِلرَّحۡمَـٰنِ عَصِیࣰّا ﴿٤٤﴾

ऐ मेरे पिता! शैतान की पूजा न करें। निःसंदेह शैतान हमेशा से रहमान (परम दयालु अल्लाह) का अवज्ञाकारी है।


Arabic explanations of the Qur’an:

یَـٰۤأَبَتِ إِنِّیۤ أَخَافُ أَن یَمَسَّكَ عَذَابࣱ مِّنَ ٱلرَّحۡمَـٰنِ فَتَكُونَ لِلشَّیۡطَـٰنِ وَلِیࣰّا ﴿٤٥﴾

ऐ मेरे पिता! वास्तव में, मुझे डर है कि आपको रहमान (परम दयालु) की ओर से कोई यातना आ लगे, फिर आप शैतान के मित्र हो जाएँगे।


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قَالَ أَرَاغِبٌ أَنتَ عَنۡ ءَالِهَتِی یَـٰۤإِبۡرَ ٰ⁠هِیمُۖ لَىِٕن لَّمۡ تَنتَهِ لَأَرۡجُمَنَّكَۖ وَٱهۡجُرۡنِی مَلِیࣰّا ﴿٤٦﴾

उसने कहा : क्या तू हमारे पूज्यों से विमुख हो रहा है, ऐ इबराहीम!? निश्चय यदि तू बाज़ न आया, तो मैं अवश्य ही तुझे संगसार कर दूँगा और तू लंबे समय के लिए मुझसे अलग हो जा।


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالَ سَلَـٰمٌ عَلَیۡكَۖ سَأَسۡتَغۡفِرُ لَكَ رَبِّیۤۖ إِنَّهُۥ كَانَ بِی حَفِیࣰّا ﴿٤٧﴾

(इबराहीम ने) कहा : आपपर सलाम हो! मैं अपने पालनहार से आपके लिए अवश्य क्षमा की प्रार्थना करूँगा। निःसंदेह वह हमेशा से मुझपर बहुत दयालु है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَأَعۡتَزِلُكُمۡ وَمَا تَدۡعُونَ مِن دُونِ ٱللَّهِ وَأَدۡعُواْ رَبِّی عَسَىٰۤ أَلَّاۤ أَكُونَ بِدُعَاۤءِ رَبِّی شَقِیࣰّا ﴿٤٨﴾

तथा मैं आप लोगों से और उन चीज़ों से जिन्हें आप लोग अल्लाह के सिवा पुकारते हैं, किनारा करता हूँ और अपने पालनहार को पुकारता हूँ। आशा है कि मैं अपने रब को पुकारकर असफल नहीं रहूँगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَلَمَّا ٱعۡتَزَلَهُمۡ وَمَا یَعۡبُدُونَ مِن دُونِ ٱللَّهِ وَهَبۡنَا لَهُۥۤ إِسۡحَـٰقَ وَیَعۡقُوبَۖ وَكُلࣰّا جَعَلۡنَا نَبِیࣰّا ﴿٤٩﴾

फिर जब वह उनसे और उन चीज़ों से जिनकी वे अल्लाह के सिवा पूजा करते थे, अलग हो गया, तो हमने उसे इसहाक़ और याक़ूब प्रदान किए और हर एक को हमने नबी बनाया।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَوَهَبۡنَا لَهُم مِّن رَّحۡمَتِنَا وَجَعَلۡنَا لَهُمۡ لِسَانَ صِدۡقٍ عَلِیࣰّا ﴿٥٠﴾

तथा हमने उन्हें अपनी रहमत से हिस्सा दिया और उन्हें बहुत ऊँची, सच्ची ख्याति प्रदान की।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱذۡكُرۡ فِی ٱلۡكِتَـٰبِ مُوسَىٰۤۚ إِنَّهُۥ كَانَ مُخۡلَصࣰا وَكَانَ رَسُولࣰا نَّبِیࣰّا ﴿٥١﴾

और आप इस पुस्तक में मूसा की चर्चा करें। निश्चय वह चुना हुआ था तथा रसूल एवं नबी था।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَنَـٰدَیۡنَـٰهُ مِن جَانِبِ ٱلطُّورِ ٱلۡأَیۡمَنِ وَقَرَّبۡنَـٰهُ نَجِیࣰّا ﴿٥٢﴾

और हमने उसे पहाड़ की दाहिनी ओर से पुकारा तथा सरगोशी करते हुए उसे समीप कर लिया।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَوَهَبۡنَا لَهُۥ مِن رَّحۡمَتِنَاۤ أَخَاهُ هَـٰرُونَ نَبِیࣰّا ﴿٥٣﴾

और हमने उसे अपनी दया से उसके भाई हारून को नबी बनाकर प्रदान किया।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱذۡكُرۡ فِی ٱلۡكِتَـٰبِ إِسۡمَـٰعِیلَۚ إِنَّهُۥ كَانَ صَادِقَ ٱلۡوَعۡدِ وَكَانَ رَسُولࣰا نَّبِیࣰّا ﴿٥٤﴾

तथा इस किताब में इसमाईल[15] की चर्चा करें। निश्चय वह वादे का सच्चा तथा रसूल एवं नबी था।

15. आप इबराहीम अलैहिस्सलाम के बड़े पुत्र थे, इन्हीं से अरबों का वंश चला और आप ही के वंश से अंतिम नबी मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) नबी बनाकर भेजे गए।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَكَانَ یَأۡمُرُ أَهۡلَهُۥ بِٱلصَّلَوٰةِ وَٱلزَّكَوٰةِ وَكَانَ عِندَ رَبِّهِۦ مَرۡضِیࣰّا ﴿٥٥﴾

और वह अपने घरवालों को नमाज़ और ज़कात का आदेश देता था और वह अपने पालनहार के निकट पसंदीदा था।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱذۡكُرۡ فِی ٱلۡكِتَـٰبِ إِدۡرِیسَۚ إِنَّهُۥ كَانَ صِدِّیقࣰا نَّبِیࣰّا ﴿٥٦﴾

तथा इस किताब में इदरीस की चर्चा करें। निःसंदेह वह बड़ा सत्यवादी और नबी था।


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وَرَفَعۡنَـٰهُ مَكَانًا عَلِیًّا ﴿٥٧﴾

तथा हमने उसे बहुत ऊँचे स्थान पर उठाया।


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أُوْلَـٰۤىِٕكَ ٱلَّذِینَ أَنۡعَمَ ٱللَّهُ عَلَیۡهِم مِّنَ ٱلنَّبِیِّـۧنَ مِن ذُرِّیَّةِ ءَادَمَ وَمِمَّنۡ حَمَلۡنَا مَعَ نُوحࣲ وَمِن ذُرِّیَّةِ إِبۡرَ ٰ⁠هِیمَ وَإِسۡرَ ٰ⁠ۤءِیلَ وَمِمَّنۡ هَدَیۡنَا وَٱجۡتَبَیۡنَاۤۚ إِذَا تُتۡلَىٰ عَلَیۡهِمۡ ءَایَـٰتُ ٱلرَّحۡمَـٰنِ خَرُّواْ سُجَّدࣰا وَبُكِیࣰّا ۩ ﴿٥٨﴾

ये वे लोग हैं, जिनपर अल्लाह ने अनुग्रह किया नबियों में से, आदम की संतान में से तथा उन लोगों में से जिन्हें हमने नूह़ के साथ सवार किया तथा इबराहीम और इसराईल की संतान में से तथा उन लोगों में से जिन्हें हमने मार्गदर्शन प्रदान किया और चुन लिया। जब उनपर रहमान की आयतें पढ़ी जाती थीं, तो वे सजदा करते और रोते हुए गिर जाते थे।


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۞ فَخَلَفَ مِنۢ بَعۡدِهِمۡ خَلۡفٌ أَضَاعُواْ ٱلصَّلَوٰةَ وَٱتَّبَعُواْ ٱلشَّهَوَ ٰ⁠تِۖ فَسَوۡفَ یَلۡقَوۡنَ غَیًّا ﴿٥٩﴾

फिर उनके बाद उनके स्थान पर ऐसे अयोग्य उत्तराधिकारी आए, जिन्होंने नमाज़ की उपेक्षा की और अपनी इच्छाओं का पालन किया, तो वे जल्द ही पथभ्रष्टता का सामना करेंगे।


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إِلَّا مَن تَابَ وَءَامَنَ وَعَمِلَ صَـٰلِحࣰا فَأُوْلَـٰۤىِٕكَ یَدۡخُلُونَ ٱلۡجَنَّةَ وَلَا یُظۡلَمُونَ شَیۡـࣰٔا ﴿٦٠﴾

परंतु जिसने तौबा कर ली और ईमान लाया और अच्छे कर्म किए, तो ये लोग जन्नत में प्रवेश करेंगे और उनपर कुछ भी अत्याचार नहीं किया जाएगा।


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جَنَّـٰتِ عَدۡنٍ ٱلَّتِی وَعَدَ ٱلرَّحۡمَـٰنُ عِبَادَهُۥ بِٱلۡغَیۡبِۚ إِنَّهُۥ كَانَ وَعۡدُهُۥ مَأۡتِیࣰّا ﴿٦١﴾

सदा निवास के बाग़ो में, जिनका रहमान ने अपने बंदों से (उनके) बिन देखे वादा किया है। निःसंदेह उसका वादा पूरा होकर रहने वाला है।


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لَّا یَسۡمَعُونَ فِیهَا لَغۡوًا إِلَّا سَلَـٰمࣰاۖ وَلَهُمۡ رِزۡقُهُمۡ فِیهَا بُكۡرَةࣰ وَعَشِیࣰّا ﴿٦٢﴾

वे उसमें 'सलाम' के सिवा कोई व्यर्थ बात नहीं सुनेंगे, तथा उनके लिए उसमें सुबह और शाम उनकी जीविका होगी।


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تِلۡكَ ٱلۡجَنَّةُ ٱلَّتِی نُورِثُ مِنۡ عِبَادِنَا مَن كَانَ تَقِیࣰّا ﴿٦٣﴾

यह है वह जन्नत, जिसका वारिस हम अपने बंदों में से उसे बनाते हैं, जो परहेज़गार हो।


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وَمَا نَتَنَزَّلُ إِلَّا بِأَمۡرِ رَبِّكَۖ لَهُۥ مَا بَیۡنَ أَیۡدِینَا وَمَا خَلۡفَنَا وَمَا بَیۡنَ ذَ ٰ⁠لِكَۚ وَمَا كَانَ رَبُّكَ نَسِیࣰّا ﴿٦٤﴾

और हम[16] नहीं उतरते, परंतु आपके पालनहार के आदेश से, उसी का है जो हमारे आगे है तथा जो हमारे पीछे है और जो इसके बीच है और आपका पालनहार कभी भूलने वाला नहीं है।

16. ह़दीस के अनुसार एक बार नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने (फ़रिश्ते) जिबरील से कहा कि क्या चीज़ आपको रोक रही है कि आप मुझसे और अधिक मिला करें। इसी पर यह आयत अवतरित हुई। (सह़ीह़ बुख़ारी, ह़दीस संख्या : 4731)


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رَّبُّ ٱلسَّمَـٰوَ ٰ⁠تِ وَٱلۡأَرۡضِ وَمَا بَیۡنَهُمَا فَٱعۡبُدۡهُ وَٱصۡطَبِرۡ لِعِبَـٰدَتِهِۦۚ هَلۡ تَعۡلَمُ لَهُۥ سَمِیࣰّا ﴿٦٥﴾

जो आकाशों और धरती का और उन दोनों के बीच की चीज़ों का पालनहार है। अतः उसी की इबादत करें तथा उसकी इबादत पर पर दृढ़ रहें। क्या आप उसका समकक्ष किसी को जानते हैं?


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وَیَقُولُ ٱلۡإِنسَـٰنُ أَءِذَا مَا مِتُّ لَسَوۡفَ أُخۡرَجُ حَیًّا ﴿٦٦﴾

तथा मनुष्य कहता है : जब मैं मर गया, तो क्या मैं सचमुच फिर जीवित करके निकाला जाऊँगा?


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أَوَلَا یَذۡكُرُ ٱلۡإِنسَـٰنُ أَنَّا خَلَقۡنَـٰهُ مِن قَبۡلُ وَلَمۡ یَكُ شَیۡـࣰٔا ﴿٦٧﴾

और क्या मनुष्य याद नहीं करता कि निःसंदेह हम ही ने उसे इससे पूर्व पैदा किया, जबकि वह कुछ भी नहीं था?


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فَوَرَبِّكَ لَنَحۡشُرَنَّهُمۡ وَٱلشَّیَـٰطِینَ ثُمَّ لَنُحۡضِرَنَّهُمۡ حَوۡلَ جَهَنَّمَ جِثِیࣰّا ﴿٦٨﴾

तो क़सम है आपके पालनहार की! निःसंदेह हम उन्हें और शैतानों को ज़रूर इकट्ठा करेंगे, फिर निःसंदेह हम उन्हें जहन्नम के आसपास घुटनों के बल गिरे हुए ज़रूर उपस्थित करेंगे।


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ثُمَّ لَنَنزِعَنَّ مِن كُلِّ شِیعَةٍ أَیُّهُمۡ أَشَدُّ عَلَى ٱلرَّحۡمَـٰنِ عِتِیࣰّا ﴿٦٩﴾

फिर निश्चय ही हम प्रत्येक गिरोह में से उस व्यक्ति को अवश्य निकालेंगे, जो रहमान (परम दयावान) के प्रति सबसे बढ़कर सरकश है।


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ثُمَّ لَنَحۡنُ أَعۡلَمُ بِٱلَّذِینَ هُمۡ أَوۡلَىٰ بِهَا صِلِیࣰّا ﴿٧٠﴾

फिर, निश्चित रूप से, हम उन लोगों को अधिक जानने वाले हैं, जो इसमें झोंके जाने के अधिक योग्य हैं।


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وَإِن مِّنكُمۡ إِلَّا وَارِدُهَاۚ كَانَ عَلَىٰ رَبِّكَ حَتۡمࣰا مَّقۡضِیࣰّا ﴿٧١﴾

और तुममें से जो भी है, उस पर से गुज़रने वाला[17] है। यह एक पूर्वनिर्धारित निर्णय है जिसे पूरा करना आपके पालनहार के ज़िम्मे है।

17. अर्थात नरक से जिस पर एक पुल बनाया जाएगा। उस पर से सभी ईमान वालों और काफ़िरों को अवश्य गुज़रना होगा। यह और बात है कि ईमान वालों को इससे कोई हानि न पहुँचे। इसकी व्याख्या सह़ीह़ ह़दीसों में वर्णित है।


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ثُمَّ نُنَجِّی ٱلَّذِینَ ٱتَّقَواْ وَّنَذَرُ ٱلظَّـٰلِمِینَ فِیهَا جِثِیࣰّا ﴿٧٢﴾

फिर हम डरने वालों को बचा लेंगे तथा अत्याचारियों को उसमें मुँह के बल गिरे हुए छोड़ देंगे।


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وَإِذَا تُتۡلَىٰ عَلَیۡهِمۡ ءَایَـٰتُنَا بَیِّنَـٰتࣲ قَالَ ٱلَّذِینَ كَفَرُواْ لِلَّذِینَ ءَامَنُوۤاْ أَیُّ ٱلۡفَرِیقَیۡنِ خَیۡرࣱ مَّقَامࣰا وَأَحۡسَنُ نَدِیࣰّا ﴿٧٣﴾

तथा जब उनके समक्ष हमारी स्पष्ट आयतें पढ़ी जाती हैं, तो काफ़िर लोग ईमान लाने वालों से कहते हैं कि दोनों गिरोहों में से किसकी स्थिति बेहतर और सभा की दृष्टि से कौन अधिक अच्छा है?


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وَكَمۡ أَهۡلَكۡنَا قَبۡلَهُم مِّن قَرۡنٍ هُمۡ أَحۡسَنُ أَثَـٰثࣰا وَرِءۡیࣰا ﴿٧٤﴾

और हम इनसे पहले कितनी ही जातियों को नष्ट कर चुके हैं, जो जीवन-साधन और शक्ल-सूरत (वेशभूषा) में कहीं अधिक अच्छी थीं।


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قُلۡ مَن كَانَ فِی ٱلضَّلَـٰلَةِ فَلۡیَمۡدُدۡ لَهُ ٱلرَّحۡمَـٰنُ مَدًّاۚ حَتَّىٰۤ إِذَا رَأَوۡاْ مَا یُوعَدُونَ إِمَّا ٱلۡعَذَابَ وَإِمَّا ٱلسَّاعَةَ فَسَیَعۡلَمُونَ مَنۡ هُوَ شَرࣱّ مَّكَانࣰا وَأَضۡعَفُ جُندࣰا ﴿٧٥﴾

(हे नबी!) आप कह दें कि जो व्यक्ति गुमराही में पड़ा हुआ है, तो रहमान उसे एक अवधि तक मोहलत देता है। यहाँ तक कि जब वे उस चीज़ को देख लेंगे जिसका उनसे वादा किया जाता है; या तो यातना और या क़ियामत, तो वे अवश्य जान लेंगे कि कौन स्थिति में अधिक बुरा और जत्थे की दृष्टि से अधिक कमज़ोर है।


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وَیَزِیدُ ٱللَّهُ ٱلَّذِینَ ٱهۡتَدَوۡاْ هُدࣰىۗ وَٱلۡبَـٰقِیَـٰتُ ٱلصَّـٰلِحَـٰتُ خَیۡرٌ عِندَ رَبِّكَ ثَوَابࣰا وَخَیۡرࣱ مَّرَدًّا ﴿٧٦﴾

और अल्लाह हिदायत पाने वालों को हिदायत में आधिक कर देता है और शेष रहने वाली नेकियाँ आपके पालनहार के निकट सवाब की दृष्टि से बेहतर तथा परिणाम की दृष्टि से कहीं अच्छी हैं।


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أَفَرَءَیۡتَ ٱلَّذِی كَفَرَ بِـَٔایَـٰتِنَا وَقَالَ لَأُوتَیَنَّ مَالࣰا وَوَلَدًا ﴿٧٧﴾

तो क्या (ऐ नबी!) आपने उस व्यक्ति को देखा, जिसने हमारी आयतों का इनकार किया और कहा : मैं अवश्य ही धन तथा संतान दिया जाऊँगा?


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أَطَّلَعَ ٱلۡغَیۡبَ أَمِ ٱتَّخَذَ عِندَ ٱلرَّحۡمَـٰنِ عَهۡدࣰا ﴿٧٨﴾

क्या उसने परोक्ष को झाँककर देख लिया है, या उसने रहमान से कोई वचन ले रखा है?


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كَلَّاۚ سَنَكۡتُبُ مَا یَقُولُ وَنَمُدُّ لَهُۥ مِنَ ٱلۡعَذَابِ مَدࣰّا ﴿٧٩﴾

कदापि नहीं! हम अवश्य लिखेंगे, जो कुछ वह कहता है और हम उसके लिए यातना में अत्यधिक वृद्धि कर देंगे।


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وَنَرِثُهُۥ مَا یَقُولُ وَیَأۡتِینَا فَرۡدࣰا ﴿٨٠﴾

और हम उसके वारिस होंगे उन चीज़ों में जो वह कर रहा है और वह अकेला[18] हमारे पास आएगा।

18. इन आयतों के अवतरित होने का कारण यह बताया गया है कि ख़ब्बाब बिन अरत्त का आस बिन वायल (काफ़िर) पर कुछ ऋण था। जिसे वह माँगने के लिए गए, तो उसने कहा : मैं तुझे उस समय तक नहीं दूँगा जब तक मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के साथ कुफ़्र नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि यह काम तो तू मरकर पुनः जीवित हो जाए, तब भी नहीं करूँगा। उसने कहा : क्या मैं मरने के पश्चात् पुनः जीवित किया जाऊँगा? ख़ब्बाब ने कहा : हाँ। आस ने कहा : वहाँ मुझे धन और संतान मिलेगी, तो तुम्हारा ऋण चुका दूँगा। (सह़ीह़ बुख़ारी, ह़दीस संख्या : 4732)


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وَٱتَّخَذُواْ مِن دُونِ ٱللَّهِ ءَالِهَةࣰ لِّیَكُونُواْ لَهُمۡ عِزࣰّا ﴿٨١﴾

तथा उन्होंने अल्लाह के सिवा अन्य पूज्य बना लिए, ताकि वे उनके लिए सम्मान का कारण हों।


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كَلَّاۚ سَیَكۡفُرُونَ بِعِبَادَتِهِمۡ وَیَكُونُونَ عَلَیۡهِمۡ ضِدًّا ﴿٨٢﴾

ऐसा कभी नहीं होगा, जल्द ही वे उनकी पूजा का इनकार[19] कर देंगे और उनके खिलाफ (विरोधी) हो जाएँगे।

19. अर्थात प्रलय के दिन।


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أَلَمۡ تَرَ أَنَّاۤ أَرۡسَلۡنَا ٱلشَّیَـٰطِینَ عَلَى ٱلۡكَـٰفِرِینَ تَؤُزُّهُمۡ أَزࣰّا ﴿٨٣﴾

क्या आपने नहीं देखा कि हमने शैतानों को काफ़िरों पर छोड़ रखा है, वे उन्हें ख़ूब उकसाते रहते हैं?


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فَلَا تَعۡجَلۡ عَلَیۡهِمۡۖ إِنَّمَا نَعُدُّ لَهُمۡ عَدࣰّا ﴿٨٤﴾

अतः आपर उनपर जल्दी न करें [1], हम तो केवल उनके लिए (दिन) गिन रहे हैं।

20. अर्थात उनपर शीघ्र यातना उतारने की माँग ने करें। इसके लिए केवल उनकी आयु पूरी होने की देर है।


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یَوۡمَ نَحۡشُرُ ٱلۡمُتَّقِینَ إِلَى ٱلرَّحۡمَـٰنِ وَفۡدࣰا ﴿٨٥﴾

जिस दिन हम परहेज़गारों को रहमान के पास मेहमान बनाकर इकट्ठा करेंगे।


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وَنَسُوقُ ٱلۡمُجۡرِمِینَ إِلَىٰ جَهَنَّمَ وِرۡدࣰا ﴿٨٦﴾

तथा अपराधियों को नरक की ओर प्यासे हाँककर ले जाएँगे।


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لَّا یَمۡلِكُونَ ٱلشَّفَـٰعَةَ إِلَّا مَنِ ٱتَّخَذَ عِندَ ٱلرَّحۡمَـٰنِ عَهۡدࣰا ﴿٨٧﴾

वे सिफारिश का अधिकार नहीं रखेंगे, सिवाय उसके जिसने रहमान के पास कोई प्रतिज्ञा प्राप्त कर ली हो।[21]

21. अर्थात अल्लाह की अनुमति से वही सिफ़ारिश करेगा जो ईमान लाया है।


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وَقَالُواْ ٱتَّخَذَ ٱلرَّحۡمَـٰنُ وَلَدࣰا ﴿٨٨﴾

तथा उन्होंने कहा कि रहमान ने संतान बना रखी है।[22]

22. अर्थात ईसाइयों ने - जैसा कि इस सूरत के आरंभ में आया है - ईसा अलैहिस्सलाम को अल्लाह का पुत्र बना लिया। और इस भ्रम में पड़ गए कि उन्होंने मनुष्य के पापों का प्रायश्चित कर दिया। इस आयत में इसी गलत धारणा का खंडन किया जा रहा है।


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لَّقَدۡ جِئۡتُمۡ شَیۡـًٔا إِدࣰّا ﴿٨٩﴾

निश्चय ही तुम एक बड़ी भारी बात गढ़कर लाए हो।


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تَكَادُ ٱلسَّمَـٰوَ ٰ⁠تُ یَتَفَطَّرۡنَ مِنۡهُ وَتَنشَقُّ ٱلۡأَرۡضُ وَتَخِرُّ ٱلۡجِبَالُ هَدًّا ﴿٩٠﴾

समीप है कि इस कथन के कारण आकाश फट पड़ें तथा धरती चिर जाए और और पहाड़ ध्वस्त होकर गिर पड़ें।


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أَن دَعَوۡاْ لِلرَّحۡمَـٰنِ وَلَدࣰا ﴿٩١﴾

इस बात पर कि उन्होंने रहमान की संतान होने का दावा किया।


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وَمَا یَنۢبَغِی لِلرَّحۡمَـٰنِ أَن یَتَّخِذَ وَلَدًا ﴿٩٢﴾

हालाँकि, रहमान के योग्य नहीं कि कोई संतान बनाए।


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إِن كُلُّ مَن فِی ٱلسَّمَـٰوَ ٰ⁠تِ وَٱلۡأَرۡضِ إِلَّاۤ ءَاتِی ٱلرَّحۡمَـٰنِ عَبۡدࣰا ﴿٩٣﴾

आकाशों तथा धरती में जो कोई भी है, वह रहमान के पास दास के रूप में आने वाला है।


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لَّقَدۡ أَحۡصَىٰهُمۡ وَعَدَّهُمۡ عَدࣰّا ﴿٩٤﴾

निश्चय उसने उन्हें (अपने ज्ञान के साथ) घेर रखा है तथा उन्हें अच्छी तरह गिन रखा है।


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وَكُلُّهُمۡ ءَاتِیهِ یَوۡمَ ٱلۡقِیَـٰمَةِ فَرۡدًا ﴿٩٥﴾

और उनमें से हर एक क़ियामत के दिन उसके पास अकेला आने वाला है।[23]

23. अर्थात उस दिन कोई किसी का सहायक न होगा। और न ही किसी को उसका धन-संतान लाभ देगा।


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إِنَّ ٱلَّذِینَ ءَامَنُواْ وَعَمِلُواْ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ سَیَجۡعَلُ لَهُمُ ٱلرَّحۡمَـٰنُ وُدࣰّا ﴿٩٦﴾

निःसंदेह जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, शीघ्र ही रहमान उनके लिए प्रेम पैदा करेगा।[24]

24. अर्थात उनके ईमान और सत्कर्म के कारण, लोग उनसे प्रेम करने लगेंगे।


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فَإِنَّمَا یَسَّرۡنَـٰهُ بِلِسَانِكَ لِتُبَشِّرَ بِهِ ٱلۡمُتَّقِینَ وَتُنذِرَ بِهِۦ قَوۡمࣰا لُّدࣰّا ﴿٩٧﴾

अतः (ऐ नबी!) हमने इसे आपकी भाषा में सरल बना दिया है, ताकि आप इसके द्वारा डर रखने वालों को शुभ सूचना दें तथा इसके द्वारा उन लोगों को डराएँ जो सख़्त झगड़ालू हैं।


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وَكَمۡ أَهۡلَكۡنَا قَبۡلَهُم مِّن قَرۡنٍ هَلۡ تُحِسُّ مِنۡهُم مِّنۡ أَحَدٍ أَوۡ تَسۡمَعُ لَهُمۡ رِكۡزَۢا ﴿٩٨﴾

और हमने उनसे पहले कितनी ही जातियों को विनष्ट कर दिया, तो क्या आप उनमें से किसी एक को महसूस करते हैं, या उनकी कोई भनक सुनते हैं?!


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