ٱقۡتَرَبَ لِلنَّاسِ حِسَابُهُمۡ وَهُمۡ فِی غَفۡلَةࣲ مُّعۡرِضُونَ ﴿١﴾
लोगों के लिए उनका हिसाब[1] बहुत निकट आ गया और वे बड़ी लापरवाही में मुँह फेरने वाले हैं।
مَا یَأۡتِیهِم مِّن ذِكۡرࣲ مِّن رَّبِّهِم مُّحۡدَثٍ إِلَّا ٱسۡتَمَعُوهُ وَهُمۡ یَلۡعَبُونَ ﴿٢﴾
उनके पालनहार की ओर से उनके पास कोई नया उपदेश[2] नहीं आता, परंतु वे उसे हँसी-खेल करते हुए बड़ी कठिनाई से सुनते हैं।
لَاهِیَةࣰ قُلُوبُهُمۡۗ وَأَسَرُّواْ ٱلنَّجۡوَى ٱلَّذِینَ ظَلَمُواْ هَلۡ هَـٰذَاۤ إِلَّا بَشَرࣱ مِّثۡلُكُمۡۖ أَفَتَأۡتُونَ ٱلسِّحۡرَ وَأَنتُمۡ تُبۡصِرُونَ ﴿٣﴾
उनके दिल पूरी तरह ग़ाफ़िल होते हैं। और उन लोगों ने चुपके-चुपके कानाफूसी की जिन्होंने अत्याचार किया था, कि यह (नबी) तो तुम्हारे ही जैसा एक इनसान है, तो क्या तुम जादू के पास आते हो, हालाँकि तुम देख रहे हो?[3]
قَالَ رَبِّی یَعۡلَمُ ٱلۡقَوۡلَ فِی ٱلسَّمَاۤءِ وَٱلۡأَرۡضِۖ وَهُوَ ٱلسَّمِیعُ ٱلۡعَلِیمُ ﴿٤﴾
उस (रसूल) ने कहा : मेरा पालनहार आकाश और धरती की हर बात को जानता है और वही सब कुछ सुनने वाला, सब कुछ जानने वाला है।
بَلۡ قَالُوۤاْ أَضۡغَـٰثُ أَحۡلَـٰمِۭ بَلِ ٱفۡتَرَىٰهُ بَلۡ هُوَ شَاعِرࣱ فَلۡیَأۡتِنَا بِـَٔایَةࣲ كَمَاۤ أُرۡسِلَ ٱلۡأَوَّلُونَ ﴿٥﴾
बल्कि उन्होंने (क़ुरआन के बारे में) कहा : यह[4] सपनों की उलझी हुई बातें हैं, बल्कि उसने इसे स्वयं गढ़ लिया है, बल्कि वह कवि है! अतः उसे चाहिए कि हमारे पास कोई निशानी लाए, जैसे पहले के रसूल (निशानियों के साथ) भेजे गए थे।
مَاۤ ءَامَنَتۡ قَبۡلَهُم مِّن قَرۡیَةٍ أَهۡلَكۡنَـٰهَاۤۖ أَفَهُمۡ یُؤۡمِنُونَ ﴿٦﴾
इनसे पहले कोई बस्ती, जिसे हमने विनष्ट किया, ईमान[5] नहीं लाई। तो क्या ये ईमान ले आएँगे?
وَمَاۤ أَرۡسَلۡنَا قَبۡلَكَ إِلَّا رِجَالࣰا نُّوحِیۤ إِلَیۡهِمۡۖ فَسۡـَٔلُوۤاْ أَهۡلَ ٱلذِّكۡرِ إِن كُنتُمۡ لَا تَعۡلَمُونَ ﴿٧﴾
और (ऐ नबी!) हमने आपसे पहले पुरुषों ही को रसूल बनाकर भेजे, जिनकी ओर हम वह़्य (प्रकाशना) करते थे। अतः तुम ज़िक्र (किताब) वालों[6] से पूछ लो, यदि तुम (स्वयं) नहीं जानते हो।
وَمَا جَعَلۡنَـٰهُمۡ جَسَدࣰا لَّا یَأۡكُلُونَ ٱلطَّعَامَ وَمَا كَانُواْ خَـٰلِدِینَ ﴿٨﴾
तथा हमने उन्हें ऐसे शरीर (वाले) नहीं बनाए थे, जो खाना न खाते हों और न वे हमेशा रहने वाले थे।[7]
ثُمَّ صَدَقۡنَـٰهُمُ ٱلۡوَعۡدَ فَأَنجَیۡنَـٰهُمۡ وَمَن نَّشَاۤءُ وَأَهۡلَكۡنَا ٱلۡمُسۡرِفِینَ ﴿٩﴾
फिर हमने उनसे किए हुए वादे को सच कर दिखाया। तो हमने उन्हें बचा लिया और उसे भी जिसे हम चाहते थे। और हमने हद से बढ़ने वालों को नष्ट कर दिया।
لَقَدۡ أَنزَلۡنَاۤ إِلَیۡكُمۡ كِتَـٰبࣰا فِیهِ ذِكۡرُكُمۡۚ أَفَلَا تَعۡقِلُونَ ﴿١٠﴾
निःसंदेह हमने तुम्हारी ओर एक किताब (क़ुरआन) उतारी है, जिसमें तुम्हारा सम्मान है। तो क्या तुम नहीं समझते?
وَكَمۡ قَصَمۡنَا مِن قَرۡیَةࣲ كَانَتۡ ظَالِمَةࣰ وَأَنشَأۡنَا بَعۡدَهَا قَوۡمًا ءَاخَرِینَ ﴿١١﴾
और हमने बहुत-सी बस्तियों को तोड़कर रख दिया, जो अत्याचारी थीं और हमने उनके बाद दूसरी जाति को पैदा कर दिया।
فَلَمَّاۤ أَحَسُّواْ بَأۡسَنَاۤ إِذَا هُم مِّنۡهَا یَرۡكُضُونَ ﴿١٢﴾
फिर जब उन्होंने हमारे अज़ाब को देख लिया, तो वे तुरंत वहाँ से भागने लगे।
لَا تَرۡكُضُواْ وَٱرۡجِعُوۤاْ إِلَىٰ مَاۤ أُتۡرِفۡتُمۡ فِیهِ وَمَسَـٰكِنِكُمۡ لَعَلَّكُمۡ تُسۡـَٔلُونَ ﴿١٣﴾
(तो उनसे उपहास के तौर पर कहा जाएगा :) भागो नहीं, और वापस चलो उन (जगहों) की ओर जिनमें तुम्हें खुशहाली दी गई थी और अपने घरों की ओर, ताकि तुमसे पूछा जाए।[8]
قَالُواْ یَـٰوَیۡلَنَاۤ إِنَّا كُنَّا ظَـٰلِمِینَ ﴿١٤﴾
उन्होंने कहा : हाय हमारा विनाश! निश्चय हम अत्याचारी थे।
فَمَا زَالَت تِّلۡكَ دَعۡوَىٰهُمۡ حَتَّىٰ جَعَلۡنَـٰهُمۡ حَصِیدًا خَـٰمِدِینَ ﴿١٥﴾
तो उनकी पुकार हमेशा यही रही, यहाँ तक कि हमने उन्हें कटे हुए, बुझे हुए बना दिया।
وَمَا خَلَقۡنَا ٱلسَّمَاۤءَ وَٱلۡأَرۡضَ وَمَا بَیۡنَهُمَا لَـٰعِبِینَ ﴿١٦﴾
तथा हमने आकाश और धरती को और जो कुछ उन दोनों के बीच है, खेलते हुए नहीं बनाया।
لَوۡ أَرَدۡنَاۤ أَن نَّتَّخِذَ لَهۡوࣰا لَّٱتَّخَذۡنَـٰهُ مِن لَّدُنَّاۤ إِن كُنَّا فَـٰعِلِینَ ﴿١٧﴾
यदि हम कोई खेल बनाना चाहते, तो निश्चय उसे अपने पास से बना[9] लेते। (परंतु) हम ऐसा करने वाले नहीं हैं।
بَلۡ نَقۡذِفُ بِٱلۡحَقِّ عَلَى ٱلۡبَـٰطِلِ فَیَدۡمَغُهُۥ فَإِذَا هُوَ زَاهِقࣱۚ وَلَكُمُ ٱلۡوَیۡلُ مِمَّا تَصِفُونَ ﴿١٨﴾
बल्कि हम सत्य को असत्य पर फेंक मारते हैं, तो वह उसका सिर कुचल देता है, तो एकाएक वह मिटने वाला होता है। और तुम्हारे लिए उसके कारण विनाश है, जो तुम बयान करते हो।
وَلَهُۥ مَن فِی ٱلسَّمَـٰوَ ٰتِ وَٱلۡأَرۡضِۚ وَمَنۡ عِندَهُۥ لَا یَسۡتَكۡبِرُونَ عَنۡ عِبَادَتِهِۦ وَلَا یَسۡتَحۡسِرُونَ ﴿١٩﴾
और उसी का है, जो कोई आकाशों तथा धरती में है। और जो (फ़रिश्ते) उसके पास हैं, वे न उसकी इबादत से अभिमान करते हैं और न ज़रा भर थकते हैं।
یُسَبِّحُونَ ٱلَّیۡلَ وَٱلنَّهَارَ لَا یَفۡتُرُونَ ﴿٢٠﴾
वे रात-दिन (अल्लाह की) पवित्रता का गान करते हैं, दम नहीं लेते।
أَمِ ٱتَّخَذُوۤاْ ءَالِهَةࣰ مِّنَ ٱلۡأَرۡضِ هُمۡ یُنشِرُونَ ﴿٢١﴾
क्या उन्होंने धरती से ऐसे पूज्य बना लिए हैं, जो मरे हुए लोगों को ज़िंदा कर सकते हैं?
لَوۡ كَانَ فِیهِمَاۤ ءَالِهَةٌ إِلَّا ٱللَّهُ لَفَسَدَتَاۚ فَسُبۡحَـٰنَ ٱللَّهِ رَبِّ ٱلۡعَرۡشِ عَمَّا یَصِفُونَ ﴿٢٢﴾
अगर उन दोनों में अल्लाह के सिवा कोई और पूज्य होते, तो वे दोनों अवश्य बिगड़[10] जाते। अतः पवित्र है अल्लाह जो अर्श (सिंहासन) का मालिक है, उन चीज़ों से जो वे बयान करते हैं।
لَا یُسۡـَٔلُ عَمَّا یَفۡعَلُ وَهُمۡ یُسۡـَٔلُونَ ﴿٢٣﴾
वह जो कुछ करता है, उससे (उसके बारे में) नहीं पूछा जाता, और उनसे पूछा जाता है।
أَمِ ٱتَّخَذُواْ مِن دُونِهِۦۤ ءَالِهَةࣰۖ قُلۡ هَاتُواْ بُرۡهَـٰنَكُمۡۖ هَـٰذَا ذِكۡرُ مَن مَّعِیَ وَذِكۡرُ مَن قَبۡلِیۚ بَلۡ أَكۡثَرُهُمۡ لَا یَعۡلَمُونَ ٱلۡحَقَّۖ فَهُم مُّعۡرِضُونَ ﴿٢٤﴾
क्या उन्होंने उसके सिवा और भी पूज्य बना लिए हैं? (ऐ नबी!) आप कह दें कि अपना प्रमाण लाओ। यह मेरे साथ वालों की किताब (क़ुरआन) है, और ये मुझसे पहले के लोगों पर उतरने वाली किताबें[11] हैं, (इनमें तुम्हारे लिए कोई प्रमाण नहीं है)। बल्कि उनमें से अधिकतर लोग सत्य का ज्ञान नहीं रखते। इसी कारण, वे मुँह फेरने वाले हैं।
وَمَاۤ أَرۡسَلۡنَا مِن قَبۡلِكَ مِن رَّسُولٍ إِلَّا نُوحِیۤ إِلَیۡهِ أَنَّهُۥ لَاۤ إِلَـٰهَ إِلَّاۤ أَنَا۠ فَٱعۡبُدُونِ ﴿٢٥﴾
और हमने आपसे पहले जो भी रसूल भेजा, उसकी ओर यही वह़्य (प्रकाशना) करते थे कि मेरे सिवा कोई पूज्य नहीं है। अतः मेरी ही इबादत करो।
وَقَالُواْ ٱتَّخَذَ ٱلرَّحۡمَـٰنُ وَلَدࣰاۗ سُبۡحَـٰنَهُۥۚ بَلۡ عِبَادࣱ مُّكۡرَمُونَ ﴿٢٦﴾
और उन (मुश्रिकों) ने कहा कि 'रहमान' (अत्यंत दयावान्) ने कोई संतान बना रखी है। वह (इससे) पवित्र है। बल्कि वे (फ़रिश्ते)[12] सम्मानित बंदे हैं।
لَا یَسۡبِقُونَهُۥ بِٱلۡقَوۡلِ وَهُم بِأَمۡرِهِۦ یَعۡمَلُونَ ﴿٢٧﴾
वे बात करने में उससे पहल नहीं करते और वे उसके आदेशानुसार ही काम करते हैं।
یَعۡلَمُ مَا بَیۡنَ أَیۡدِیهِمۡ وَمَا خَلۡفَهُمۡ وَلَا یَشۡفَعُونَ إِلَّا لِمَنِ ٱرۡتَضَىٰ وَهُم مِّنۡ خَشۡیَتِهِۦ مُشۡفِقُونَ ﴿٢٨﴾
वह जानता है, जो उनके सामने है और जो उनके पीछे है। और वे सिफ़ारिश नहीं करते, परंतु उसी के लिए जिसे वह पसंद[13] करे। तथा वे उसी के भय से डरने वाले हैं।
۞ وَمَن یَقُلۡ مِنۡهُمۡ إِنِّیۤ إِلَـٰهࣱ مِّن دُونِهِۦ فَذَ ٰلِكَ نَجۡزِیهِ جَهَنَّمَۚ كَذَ ٰلِكَ نَجۡزِی ٱلظَّـٰلِمِینَ ﴿٢٩﴾
और उनमें से जो यह कहे कि मैं अल्लाह के सिवा पूज्य हूँ, तो यही है जिसे हम जहन्नम की सज़ा देंगे। ऐसे ही हम ज़ालिमों को सज़ा देते हैं।
أَوَلَمۡ یَرَ ٱلَّذِینَ كَفَرُوۤاْ أَنَّ ٱلسَّمَـٰوَ ٰتِ وَٱلۡأَرۡضَ كَانَتَا رَتۡقࣰا فَفَتَقۡنَـٰهُمَاۖ وَجَعَلۡنَا مِنَ ٱلۡمَاۤءِ كُلَّ شَیۡءٍ حَیٍّۚ أَفَلَا یُؤۡمِنُونَ ﴿٣٠﴾
क्या जिन लोगों ने कुफ़्र किया यह नहीं देखा कि आकाश और धरती दोनों मिले हुए[14] थे, फिर हमने दोनों को अलग-अलग कर दिया, तथा हमने पानी से हर जीवित चीज़ को बनाया? तो क्या ये लोग ईमान नहीं लाते?
وَجَعَلۡنَا فِی ٱلۡأَرۡضِ رَوَ ٰسِیَ أَن تَمِیدَ بِهِمۡ وَجَعَلۡنَا فِیهَا فِجَاجࣰا سُبُلࣰا لَّعَلَّهُمۡ یَهۡتَدُونَ ﴿٣١﴾
और हमने धरती में पर्वत बना दिए, ताकि वह उनके साथ हिलने-डुलने[15] न लगे और उसमें चौड़े रास्ते बना दिए, ताकि वे मार्ग पाएँ।
وَجَعَلۡنَا ٱلسَّمَاۤءَ سَقۡفࣰا مَّحۡفُوظࣰاۖ وَهُمۡ عَنۡ ءَایَـٰتِهَا مُعۡرِضُونَ ﴿٣٢﴾
और हमने आकाश को एक संरक्षित छत बनाया। और वे उसकी निशानियों से मुँह फेरने वाले हैं।
وَهُوَ ٱلَّذِی خَلَقَ ٱلَّیۡلَ وَٱلنَّهَارَ وَٱلشَّمۡسَ وَٱلۡقَمَرَۖ كُلࣱّ فِی فَلَكࣲ یَسۡبَحُونَ ﴿٣٣﴾
और वही है, जिसने रात और दिन, तथा सूरज और चाँद बनाए। सब एक-एक कक्षा में तैर रहे हैं।[16]
وَمَا جَعَلۡنَا لِبَشَرࣲ مِّن قَبۡلِكَ ٱلۡخُلۡدَۖ أَفَإِیْن مِّتَّ فَهُمُ ٱلۡخَـٰلِدُونَ ﴿٣٤﴾
और (ऐ नबी!) हमने आपसे पहले किसी मनुष्य के लिए अमरता नहीं रखी। फिर क्या अगर आप मर[17] गए, तो ये सदैव रहने वाले हैं?
كُلُّ نَفۡسࣲ ذَاۤىِٕقَةُ ٱلۡمَوۡتِۗ وَنَبۡلُوكُم بِٱلشَّرِّ وَٱلۡخَیۡرِ فِتۡنَةࣰۖ وَإِلَیۡنَا تُرۡجَعُونَ ﴿٣٥﴾
हर जीव को मौत का स्वाद चखना है। और हम अच्छी तथा बुरी परिस्थितियों से तुम्हारी परीक्षा करते हैं तथा तुम हमारी ही ओर लौटाए जाओगे।
وَإِذَا رَءَاكَ ٱلَّذِینَ كَفَرُوۤاْ إِن یَتَّخِذُونَكَ إِلَّا هُزُوًا أَهَـٰذَا ٱلَّذِی یَذۡكُرُ ءَالِهَتَكُمۡ وَهُم بِذِكۡرِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ هُمۡ كَـٰفِرُونَ ﴿٣٦﴾
तथा जब काफ़िर आपको देखते हैं, तो आपको उपहास बना लेते हैं। (वे कहते हैं :) क्या यही है, जो तुम्हारे पूज्यों की चर्चा करता है? जबकि वे स्वयं 'रहमान' (अत्यंत दयावान्) के ज़िक्र[18] का इनकार करने वाले हैं।
خُلِقَ ٱلۡإِنسَـٰنُ مِنۡ عَجَلࣲۚ سَأُوْرِیكُمۡ ءَایَـٰتِی فَلَا تَسۡتَعۡجِلُونِ ﴿٣٧﴾
इनसान जन्मजात जल्दबाज़ है। मैं शीघ्र तुम्हें अपनी निशानियाँ दिखाऊँगा। अतः तुम मुझसे जल्दी की माँग न करो।
وَیَقُولُونَ مَتَىٰ هَـٰذَا ٱلۡوَعۡدُ إِن كُنتُمۡ صَـٰدِقِینَ ﴿٣٨﴾
तथा वे कहते हैं : यह वादा[19] कब पूरा होगा, यदि तुम सच्चे हो?
لَوۡ یَعۡلَمُ ٱلَّذِینَ كَفَرُواْ حِینَ لَا یَكُفُّونَ عَن وُجُوهِهِمُ ٱلنَّارَ وَلَا عَن ظُهُورِهِمۡ وَلَا هُمۡ یُنصَرُونَ ﴿٣٩﴾
यदि ये काफ़िर लोग उस समय को जान लें, जब वे न अपने चेहरों से आग को रोक सकेंगे और न अपनी पीठों से और न उनकी सहायता की जाएगी। (तो यातना के लिए जल्दी न मचाएँ)।
بَلۡ تَأۡتِیهِم بَغۡتَةࣰ فَتَبۡهَتُهُمۡ فَلَا یَسۡتَطِیعُونَ رَدَّهَا وَلَا هُمۡ یُنظَرُونَ ﴿٤٠﴾
बल्कि वह उनपर अचानक आएगी, तो उन्हें आश्चर्यचकित कर देगी। फिर वे न उसे फेर सकेंगे और न उन्हें मोहलत दी जाएगी।
وَلَقَدِ ٱسۡتُهۡزِئَ بِرُسُلࣲ مِّن قَبۡلِكَ فَحَاقَ بِٱلَّذِینَ سَخِرُواْ مِنۡهُم مَّا كَانُواْ بِهِۦ یَسۡتَهۡزِءُونَ ﴿٤١﴾
निःसंदेह आपसे पहले कई रसूलों का मज़ाक़ उड़ाया गया, तो उनमें से जिन लोगों ने मज़ाक उड़ाया, उन्हें उसी चीज़[20] ने घेर लिया, जिसका वे मज़ाक़ उड़ाते थे।
قُلۡ مَن یَكۡلَؤُكُم بِٱلَّیۡلِ وَٱلنَّهَارِ مِنَ ٱلرَّحۡمَـٰنِۚ بَلۡ هُمۡ عَن ذِكۡرِ رَبِّهِم مُّعۡرِضُونَ ﴿٤٢﴾
आप पूछिए कि कौन है जो रात और दिन में 'रहमान' से[21] तुम्हारी रक्षा करता है? बल्कि वे अपने पालनहार की याद से मुँह फेरने वाले हैं।
أَمۡ لَهُمۡ ءَالِهَةࣱ تَمۡنَعُهُم مِّن دُونِنَاۚ لَا یَسۡتَطِیعُونَ نَصۡرَ أَنفُسِهِمۡ وَلَا هُم مِّنَّا یُصۡحَبُونَ ﴿٤٣﴾
क्या उनके कुछ पूज्य हैं, जो उन्हें हमारी यातना से बचाते हैं? वे न तो खुद अपनी सहायता कर सकते हैं और न हमारी यातना से उन्हें बचाया जाता है।
بَلۡ مَتَّعۡنَا هَـٰۤؤُلَاۤءِ وَءَابَاۤءَهُمۡ حَتَّىٰ طَالَ عَلَیۡهِمُ ٱلۡعُمُرُۗ أَفَلَا یَرَوۡنَ أَنَّا نَأۡتِی ٱلۡأَرۡضَ نَنقُصُهَا مِنۡ أَطۡرَافِهَاۤۚ أَفَهُمُ ٱلۡغَـٰلِبُونَ ﴿٤٤﴾
बल्कि हमने इन (काफ़िरों) को और इनके बाप-दादों को जीवन की सुख-सुविधाएँ प्रदान कीं, यहाँ तक कि उनपर लंबा समय बीत गया। तो क्या वे देखते नहीं कि हम धरती को उसके किनारों से कम करते आ रहे हैं? तो क्या वही प्रभावी रहने वाले हैं?[22]
قُلۡ إِنَّمَاۤ أُنذِرُكُم بِٱلۡوَحۡیِۚ وَلَا یَسۡمَعُ ٱلصُّمُّ ٱلدُّعَاۤءَ إِذَا مَا یُنذَرُونَ ﴿٤٥﴾
(ऐ नबी!) आप कह दें कि मैं तो तुम्हें केवल वह़्य के साथ डराता हूँ। और बहरे पुकार को नहीं सुनते, जब कभी डराए जाते हैं।
وَلَىِٕن مَّسَّتۡهُمۡ نَفۡحَةࣱ مِّنۡ عَذَابِ رَبِّكَ لَیَقُولُنَّ یَـٰوَیۡلَنَاۤ إِنَّا كُنَّا ظَـٰلِمِینَ ﴿٤٦﴾
और निश्चय यदि उन्हें आपके पालनहार की तनिक यातना भी छू जाए, तो अवश्य पुकार उठेंगे : हाय हमारा विनाश! निश्चय हम ही अत्याचारी[23] थे।
وَنَضَعُ ٱلۡمَوَ ٰزِینَ ٱلۡقِسۡطَ لِیَوۡمِ ٱلۡقِیَـٰمَةِ فَلَا تُظۡلَمُ نَفۡسࣱ شَیۡـࣰٔاۖ وَإِن كَانَ مِثۡقَالَ حَبَّةࣲ مِّنۡ خَرۡدَلٍ أَتَیۡنَا بِهَاۗ وَكَفَىٰ بِنَا حَـٰسِبِینَ ﴿٤٧﴾
और हम क़ियामत के दिन न्याय के तराज़ू[24] रखेंगे। फिर किसी पर कुछ भी ज़ुल्म नहीं किया जाएगा। और अगर राई के एक दाने के बराबर (भी किसी का) कर्म होगा, तो हम उसे ले आएँगे। और हम हिसाब लेने वाले काफ़ी हैं।
وَلَقَدۡ ءَاتَیۡنَا مُوسَىٰ وَهَـٰرُونَ ٱلۡفُرۡقَانَ وَضِیَاۤءࣰ وَذِكۡرࣰا لِّلۡمُتَّقِینَ ﴿٤٨﴾
और निःसंदेह हमने मूसा तथा हारून को सत्य एवं असत्य के बीच अंतर करने वाली चीज़, तथा प्रकाश और तक़्वा वालों के लिए उपदेश प्रदान किया।
ٱلَّذِینَ یَخۡشَوۡنَ رَبَّهُم بِٱلۡغَیۡبِ وَهُم مِّنَ ٱلسَّاعَةِ مُشۡفِقُونَ ﴿٤٩﴾
जो अपने पालनहार से बिन देखे डरते हैं और वे क़ियामत से भयभीत रहने वाले हैं।
وَهَـٰذَا ذِكۡرࣱ مُّبَارَكٌ أَنزَلۡنَـٰهُۚ أَفَأَنتُمۡ لَهُۥ مُنكِرُونَ ﴿٥٠﴾
और यह (क़ुरआन) एक बरकत वाला उपदेश है, जिसे हमने उतारा है। तो क्या तुम इसके इनकारी हो?
۞ وَلَقَدۡ ءَاتَیۡنَاۤ إِبۡرَ ٰهِیمَ رُشۡدَهُۥ مِن قَبۡلُ وَكُنَّا بِهِۦ عَـٰلِمِینَ ﴿٥١﴾
और निःसंदेह हमने इससे पहले इबराहीम को उसकी समझ-बूझ प्रदान की थी और हम उससे भली-भाँति अवगत थे।
إِذۡ قَالَ لِأَبِیهِ وَقَوۡمِهِۦ مَا هَـٰذِهِ ٱلتَّمَاثِیلُ ٱلَّتِیۤ أَنتُمۡ لَهَا عَـٰكِفُونَ ﴿٥٢﴾
जब उसने अपने बाप तथा अपनी जाति से कहा : ये प्रतिमाएँ (मूर्तियाँ) क्या हैं, जिनकी पूजा में तुम लगे हुए हो?
قَالُواْ وَجَدۡنَاۤ ءَابَاۤءَنَا لَهَا عَـٰبِدِینَ ﴿٥٣﴾
उन्होंने कहा : हमने अपने बाप-दादा को इन्हीं की पूजा करने वाला पाया है।
قَالَ لَقَدۡ كُنتُمۡ أَنتُمۡ وَءَابَاۤؤُكُمۡ فِی ضَلَـٰلࣲ مُّبِینࣲ ﴿٥٤﴾
उस (इबराहीम) ने कहा : निश्चय तुम और तुम्हारे बाप-दादा खुली गुमराही में रहे हो।
قَالُوۤاْ أَجِئۡتَنَا بِٱلۡحَقِّ أَمۡ أَنتَ مِنَ ٱللَّـٰعِبِینَ ﴿٥٥﴾
उन्होंने कहा : क्या तुम हमारे पास सत्य लाए हो या (हमसे) दिल-लगी कर रहे हो?
قَالَ بَل رَّبُّكُمۡ رَبُّ ٱلسَّمَـٰوَ ٰتِ وَٱلۡأَرۡضِ ٱلَّذِی فَطَرَهُنَّ وَأَنَا۠ عَلَىٰ ذَ ٰلِكُم مِّنَ ٱلشَّـٰهِدِینَ ﴿٥٦﴾
उसने कहा : बल्कि तुम्हारा पालनहार आकाशों तथा धरती का पालनहार है, जिसने उन्हें पैदा किया है और मैं इसकी गवाही देने वालों में से हूँ।
وَتَٱللَّهِ لَأَكِیدَنَّ أَصۡنَـٰمَكُم بَعۡدَ أَن تُوَلُّواْ مُدۡبِرِینَ ﴿٥٧﴾
और अल्लाह की क़सम! मैं अवश्य ही तुम्हारी मूर्तियों का गुप्त उपाय करूँगा, इसके बाद कि तुम पीठ फेरकर चले जाओगे।
فَجَعَلَهُمۡ جُذَ ٰذًا إِلَّا كَبِیرࣰا لَّهُمۡ لَعَلَّهُمۡ إِلَیۡهِ یَرۡجِعُونَ ﴿٥٨﴾
फिर उसने उन्हें टुकड़े-टुकड़े कर दिया, सिवाय उनके एक बड़े के, ताकि वे उसकी ओर लौटें।
قَالُواْ مَن فَعَلَ هَـٰذَا بِـَٔالِهَتِنَاۤ إِنَّهُۥ لَمِنَ ٱلظَّـٰلِمِینَ ﴿٥٩﴾
उन्होंने कहा : हमारे पूज्यों के साथ यह किसने किया है? निःसंदेह वह निश्चय अत्याचारियों में से है!
قَالُواْ سَمِعۡنَا فَتࣰى یَذۡكُرُهُمۡ یُقَالُ لَهُۥۤ إِبۡرَ ٰهِیمُ ﴿٦٠﴾
लोगों ने कहा : हमने एक नवयुवक को उनकी चर्चा करते हुए सुना है, जिसे इबराहीम कहा जाता है।
قَالُواْ فَأۡتُواْ بِهِۦ عَلَىٰۤ أَعۡیُنِ ٱلنَّاسِ لَعَلَّهُمۡ یَشۡهَدُونَ ﴿٦١﴾
उन्होंने कहा : उसे लोगों की आँखों के सामने लाओ, ताकि वे गवाह हो जाएँ।
قَالُوۤاْ ءَأَنتَ فَعَلۡتَ هَـٰذَا بِـَٔالِهَتِنَا یَـٰۤإِبۡرَ ٰهِیمُ ﴿٦٢﴾
उन्होंने पूछा : ऐ इबराहीम! क्या तूने ही हमारे पूज्यों के साथ यह किया है?
قَالَ بَلۡ فَعَلَهُۥ كَبِیرُهُمۡ هَـٰذَا فَسۡـَٔلُوهُمۡ إِن كَانُواْ یَنطِقُونَ ﴿٦٣﴾
उसने कहा : बल्कि यह उनके इस बड़े ने किया है। अतः उन्हीं से पूछ लो, यदि वे बोलते हैं?[25]
فَرَجَعُوۤاْ إِلَىٰۤ أَنفُسِهِمۡ فَقَالُوۤاْ إِنَّكُمۡ أَنتُمُ ٱلظَّـٰلِمُونَ ﴿٦٤﴾
फिर उन्होंने अपने मन में विचार किया और कहने लगे : निश्चय तुम खुद ही अत्याचारी हो।
ثُمَّ نُكِسُواْ عَلَىٰ رُءُوسِهِمۡ لَقَدۡ عَلِمۡتَ مَا هَـٰۤؤُلَاۤءِ یَنطِقُونَ ﴿٦٥﴾
फिर वे अपने सिरों के बल औंधे कर दिए गए[26], (और बोले :) निःसंदेह तू जानता है कि ये बोलते नहीं।
قَالَ أَفَتَعۡبُدُونَ مِن دُونِ ٱللَّهِ مَا لَا یَنفَعُكُمۡ شَیۡـࣰٔا وَلَا یَضُرُّكُمۡ ﴿٦٦﴾
(इबराहीम ने) कहा : फिर क्या तुम अल्लाह को छोड़ उस चीज़ की इबादत करते हो, जो न तुम्हें कुछ लाभ पहुँचाती है और न तुम्हें हानि पहुँचाती है?
أُفࣲّ لَّكُمۡ وَلِمَا تَعۡبُدُونَ مِن دُونِ ٱللَّهِۚ أَفَلَا تَعۡقِلُونَ ﴿٦٧﴾
तुफ़ है तुमपर और उनपर जिनकी तुम अल्लाह को छोड़कर इबादत करते हो। तो क्या तुम समझते नहीं?
قَالُواْ حَرِّقُوهُ وَٱنصُرُوۤاْ ءَالِهَتَكُمۡ إِن كُنتُمۡ فَـٰعِلِینَ ﴿٦٨﴾
उन्होंने कहा : इसे जला दो तथा अपने पूज्यों की सहायता करो, अगर तुम कुछ करने वाले हो।
قُلۡنَا یَـٰنَارُ كُونِی بَرۡدࣰا وَسَلَـٰمًا عَلَىٰۤ إِبۡرَ ٰهِیمَ ﴿٦٩﴾
हमने कहा : ऐ आग! तू इबराहीम पर ठंडक और सुरक्षा सुरक्षा बन जा।
وَأَرَادُواْ بِهِۦ كَیۡدࣰا فَجَعَلۡنَـٰهُمُ ٱلۡأَخۡسَرِینَ ﴿٧٠﴾
और उन्होंने उसके साथ एक चाल का इरादा किया, तो हमने उन्हीं को अत्यंत घाटे वाला कर दिया।
وَنَجَّیۡنَـٰهُ وَلُوطًا إِلَى ٱلۡأَرۡضِ ٱلَّتِی بَـٰرَكۡنَا فِیهَا لِلۡعَـٰلَمِینَ ﴿٧١﴾
और हम उसे (इबराहीम को) और लूत[27] को बचाकर उस भूमि[28] की ओर ले गए, जिसमें हमने संसार वालों के लिए बरकत रखी।
وَوَهَبۡنَا لَهُۥۤ إِسۡحَـٰقَ وَیَعۡقُوبَ نَافِلَةࣰۖ وَكُلࣰّا جَعَلۡنَا صَـٰلِحِینَ ﴿٧٢﴾
और हमने उन्हें इसहाक़ प्रदान किया और उसके अतिरिक्त याक़ूब भी। और हमने हर एक को नेक बनाया।
وَجَعَلۡنَـٰهُمۡ أَىِٕمَّةࣰ یَهۡدُونَ بِأَمۡرِنَا وَأَوۡحَیۡنَاۤ إِلَیۡهِمۡ فِعۡلَ ٱلۡخَیۡرَ ٰتِ وَإِقَامَ ٱلصَّلَوٰةِ وَإِیتَاۤءَ ٱلزَّكَوٰةِۖ وَكَانُواْ لَنَا عَـٰبِدِینَ ﴿٧٣﴾
और हमने उन्हें ऐसे अग्रणी (पेशवा) बनाया, जो हमारे आदेशानुसार (लोगों को) सही राह दिखाते थे। और हमने उनकी ओर नेक कार्य करने, नमाज़ क़ायम करने और ज़कात देने की वह़्य (प्रकाशना) की। और वे केवल हमारी इबादत करने वाले थे।
وَلُوطًا ءَاتَیۡنَـٰهُ حُكۡمࣰا وَعِلۡمࣰا وَنَجَّیۡنَـٰهُ مِنَ ٱلۡقَرۡیَةِ ٱلَّتِی كَانَت تَّعۡمَلُ ٱلۡخَبَـٰۤىِٕثَۚ إِنَّهُمۡ كَانُواْ قَوۡمَ سَوۡءࣲ فَـٰسِقِینَ ﴿٧٤﴾
और लूत को हमने निर्णय शक्ति और ज्ञान दिया और उसे उस बस्ती से बचा लिया, जो गंदे काम किया करती थी। निश्चय वे बुरे, अवज्ञा करने वाले लोग थे।
وَأَدۡخَلۡنَـٰهُ فِی رَحۡمَتِنَاۤۖ إِنَّهُۥ مِنَ ٱلصَّـٰلِحِینَ ﴿٧٥﴾
और हमने उन्हें अपनी दया में दाख़िल कर लिया। निःसंदेह वह सदाचारियों में से थे।
وَنُوحًا إِذۡ نَادَىٰ مِن قَبۡلُ فَٱسۡتَجَبۡنَا لَهُۥ فَنَجَّیۡنَـٰهُ وَأَهۡلَهُۥ مِنَ ٱلۡكَرۡبِ ٱلۡعَظِیمِ ﴿٧٦﴾
तथा नूह को (याद करो) जब उन्होंने इससे पहले (अल्लाह को) पुकारा, तो हमने उनकी दुआ क़बूल कर ली, फिर उन्हें और उनके घर वालों को बड़े कष्ट से बचा लिया।
وَنَصَرۡنَـٰهُ مِنَ ٱلۡقَوۡمِ ٱلَّذِینَ كَذَّبُواْ بِـَٔایَـٰتِنَاۤۚ إِنَّهُمۡ كَانُواْ قَوۡمَ سَوۡءࣲ فَأَغۡرَقۡنَـٰهُمۡ أَجۡمَعِینَ ﴿٧٧﴾
और हमने उन लोगों के विरुद्ध उनकी मदद की, जिन्होंने हमारी निशानियों को झुठलाया। निःसंदेह वे बुरे लोग थे। अतः हमने उन सभी को डुबो दिया।
وَدَاوُۥدَ وَسُلَیۡمَـٰنَ إِذۡ یَحۡكُمَانِ فِی ٱلۡحَرۡثِ إِذۡ نَفَشَتۡ فِیهِ غَنَمُ ٱلۡقَوۡمِ وَكُنَّا لِحُكۡمِهِمۡ شَـٰهِدِینَ ﴿٧٨﴾
तथा दाऊद और सुलैमान को (याद करो), जब वे दोनों खेत के विषय में निर्णय कर रहे थे, जब रात के समय उसमें अन्य लोगों की बकरियाँ फैल गईं थीं, और हम उनके निर्णय के समय उपस्थित थे।
فَفَهَّمۡنَـٰهَا سُلَیۡمَـٰنَۚ وَكُلًّا ءَاتَیۡنَا حُكۡمࣰا وَعِلۡمࣰاۚ وَسَخَّرۡنَا مَعَ دَاوُۥدَ ٱلۡجِبَالَ یُسَبِّحۡنَ وَٱلطَّیۡرَۚ وَكُنَّا فَـٰعِلِینَ ﴿٧٩﴾
तो हमने वह (निर्णय) सुलैमान[29] को समझा दिया। और हमने हर एक को हुक्म (नुबुव्वत या निर्णय-शक्ति) और ज्ञान प्रदान किया। और हमने पहाड़ों को दाऊद के अधीन कर दिया, जो (अल्लाह की) पवित्रता का गान करते थे, तथा पक्षियों को भी। और हम ही (इस कार्य के) करने वाले थे।
وَعَلَّمۡنَـٰهُ صَنۡعَةَ لَبُوسࣲ لَّكُمۡ لِتُحۡصِنَكُم مِّنۢ بَأۡسِكُمۡۖ فَهَلۡ أَنتُمۡ شَـٰكِرُونَ ﴿٨٠﴾
तथा हमने उन्हें (दाऊद को) तुम्हारे लिए कवच बनाना सिखाया, ताकि वह तुम्हारी लड़ाई से तुम्हारी रक्षा करे। तो क्या तुम शुक्रिया अदा करने वाले हो?
وَلِسُلَیۡمَـٰنَ ٱلرِّیحَ عَاصِفَةࣰ تَجۡرِی بِأَمۡرِهِۦۤ إِلَى ٱلۡأَرۡضِ ٱلَّتِی بَـٰرَكۡنَا فِیهَاۚ وَكُنَّا بِكُلِّ شَیۡءٍ عَـٰلِمِینَ ﴿٨١﴾
और तेज़ चलने वाली हवा को सुलैमान के अधीन कर दिया, जो उसके आदेश[30] से उस धरती की ओर चलती थी, जिसमें हमने बरकत रखी और हम हर चीज़ को जानने वाले थे।
وَمِنَ ٱلشَّیَـٰطِینِ مَن یَغُوصُونَ لَهُۥ وَیَعۡمَلُونَ عَمَلࣰا دُونَ ذَ ٰلِكَۖ وَكُنَّا لَهُمۡ حَـٰفِظِینَ ﴿٨٢﴾
और कई शैतान (उनके अधीन कर दिए गए थे), जो उनके लिए ग़ोता लगाते[31] थे तथा इसके अलावा काम (भी) करते थे। और हम ही उनके निरीक्षक[32] थे।
۞ وَأَیُّوبَ إِذۡ نَادَىٰ رَبَّهُۥۤ أَنِّی مَسَّنِیَ ٱلضُّرُّ وَأَنتَ أَرۡحَمُ ٱلرَّ ٰحِمِینَ ﴿٨٣﴾
तथा अय्यूब (की कहानी) को (याद करो), जब उन्होंने अपने पालनहार को पुकारा कि निःसंदेह मुझे कष्ट पहुँची है और तू दया करने वालों में सबसे अधिक दयावान् है।
فَٱسۡتَجَبۡنَا لَهُۥ فَكَشَفۡنَا مَا بِهِۦ مِن ضُرࣲّۖ وَءَاتَیۡنَـٰهُ أَهۡلَهُۥ وَمِثۡلَهُم مَّعَهُمۡ رَحۡمَةࣰ مِّنۡ عِندِنَا وَذِكۡرَىٰ لِلۡعَـٰبِدِینَ ﴿٨٤﴾
तो हमने उनकी दुआ क़बूल कर ली।[33] चुनाँचे उन्हें जो भी कष्ट था, उसे दूर कर दिया और हमने उन्हें उनके घर वाले तथा उनके साथ उनके समान (और) भी प्रदान किए। अपनी ओर से दया के रूप में और उन लोगों की याद-दहानी के लिए जो इबादत करने वाले हैं।
وَإِسۡمَـٰعِیلَ وَإِدۡرِیسَ وَذَا ٱلۡكِفۡلِۖ كُلࣱّ مِّنَ ٱلصَّـٰبِرِینَ ﴿٨٥﴾
तथा इसमाईल, इदरीस और ज़ुल किफ़्ल को (याद करो)। हर एक धैर्यवानों में से था।
وَأَدۡخَلۡنَـٰهُمۡ فِی رَحۡمَتِنَاۤۖ إِنَّهُم مِّنَ ٱلصَّـٰلِحِینَ ﴿٨٦﴾
और हमने उन्हें अपनी दया में दाख़िल कर लिया। निःसंदेह वे सदाचारियों में से थे।
وَذَا ٱلنُّونِ إِذ ذَّهَبَ مُغَـٰضِبࣰا فَظَنَّ أَن لَّن نَّقۡدِرَ عَلَیۡهِ فَنَادَىٰ فِی ٱلظُّلُمَـٰتِ أَن لَّاۤ إِلَـٰهَ إِلَّاۤ أَنتَ سُبۡحَـٰنَكَ إِنِّی كُنتُ مِنَ ٱلظَّـٰلِمِینَ ﴿٨٧﴾
तथा मछली वाले[34] (की कहानी याद करो), जब वह ग़ुस्से से भरा हुआ चला गया[35] और उसने सोचा कि हम उसे तंगी में नहीं डालेंगे। अंततः उसने अंधेरों में पुकारा कि (ऐ अल्लाह!) तेरे सिवा कोई पूज्य नहीं, तू पवित्र है। निश्चय मैं ही अत्याचारियों में हो गया।[36]
فَٱسۡتَجَبۡنَا لَهُۥ وَنَجَّیۡنَـٰهُ مِنَ ٱلۡغَمِّۚ وَكَذَ ٰلِكَ نُـۨجِی ٱلۡمُؤۡمِنِینَ ﴿٨٨﴾
तो हमने उनकी दुआ क़बूल की तथा उन्हें शोक से मुक्त कर दिया। और इसी तरह हम ईमान वालों को बचा लिया करते हैं।
وَزَكَرِیَّاۤ إِذۡ نَادَىٰ رَبَّهُۥ رَبِّ لَا تَذَرۡنِی فَرۡدࣰا وَأَنتَ خَیۡرُ ٱلۡوَ ٰرِثِینَ ﴿٨٩﴾
तथा ज़करिया को (याद करो), जब उन्होंने अपने पालनहार को पुकारा : ऐ मेरे पालनहार![37] मुझे अकेला मत छोड़ और तू सब वारिसों से बेहतर है।
فَٱسۡتَجَبۡنَا لَهُۥ وَوَهَبۡنَا لَهُۥ یَحۡیَىٰ وَأَصۡلَحۡنَا لَهُۥ زَوۡجَهُۥۤۚ إِنَّهُمۡ كَانُواْ یُسَـٰرِعُونَ فِی ٱلۡخَیۡرَ ٰتِ وَیَدۡعُونَنَا رَغَبࣰا وَرَهَبࣰاۖ وَكَانُواْ لَنَا خَـٰشِعِینَ ﴿٩٠﴾
तो हमने उनकी दुआ क़बूल की और उन्हें यह़या प्रदान किया, और उनकी पत्नी को उनके लिए ठीक कर दिया। निःसंदेह वे नेकी के कामों में बहुत जल्दी करते थे और हमें आशा तथा भय के साथ पुकारते थे, और वे हमसे दीनतापूर्वक विनती करने वाले थे।
وَٱلَّتِیۤ أَحۡصَنَتۡ فَرۡجَهَا فَنَفَخۡنَا فِیهَا مِن رُّوحِنَا وَجَعَلۡنَـٰهَا وَٱبۡنَهَاۤ ءَایَةࣰ لِّلۡعَـٰلَمِینَ ﴿٩١﴾
तथा उस महिला (को याद करो) जिसने अपने सतीत्व की रक्षा की, तो हमने उसमें अपनी रूह से फूँका तथा उसे और उसके पुत्र को संसार वालों के लिए एक बड़ी निशानी बना दिया।[38]
إِنَّ هَـٰذِهِۦۤ أُمَّتُكُمۡ أُمَّةࣰ وَ ٰحِدَةࣰ وَأَنَا۠ رَبُّكُمۡ فَٱعۡبُدُونِ ﴿٩٢﴾
निःसंदेह यह है तुम्हारी उम्मत (धर्म) जो एक ही उम्मत (धर्म)[39] है, और मैं ही तुम्हारा पालनहार (पूज्य) हूँ। अतः मेरी इबादत करो।
وَتَقَطَّعُوۤاْ أَمۡرَهُم بَیۡنَهُمۡۖ كُلٌّ إِلَیۡنَا رَ ٰجِعُونَ ﴿٩٣﴾
और वे अपने धर्म के मामले में आपस में टुकड़े-टुकड़े हो गए। सब हमारी ही ओर लोटने वाले हैं।
فَمَن یَعۡمَلۡ مِنَ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ وَهُوَ مُؤۡمِنࣱ فَلَا كُفۡرَانَ لِسَعۡیِهِۦ وَإِنَّا لَهُۥ كَـٰتِبُونَ ﴿٩٤﴾
अतः जो व्यक्ति अच्छे काम करे और वह मोमिन हो, तो उसके प्रयास की उपेक्षा नहीं की जाएगी और निश्चय हम उसके लिए लिखने वाले हैं।
وَحَرَ ٰمٌ عَلَىٰ قَرۡیَةٍ أَهۡلَكۡنَـٰهَاۤ أَنَّهُمۡ لَا یَرۡجِعُونَ ﴿٩٥﴾
तथा जिस बस्ती को हम विनष्ट[40] कर दें, उसके लिए असंभव है कि वह फिर (संसार में) लौट आए।
حَتَّىٰۤ إِذَا فُتِحَتۡ یَأۡجُوجُ وَمَأۡجُوجُ وَهُم مِّن كُلِّ حَدَبࣲ یَنسِلُونَ ﴿٩٦﴾
यहाँ तक कि जब याजूज और माजूज[41] खोल दिए जाएँगे और वे प्रत्येक ऊँची जगह से दौड़ते हुए आएँगे।
وَٱقۡتَرَبَ ٱلۡوَعۡدُ ٱلۡحَقُّ فَإِذَا هِیَ شَـٰخِصَةٌ أَبۡصَـٰرُ ٱلَّذِینَ كَفَرُواْ یَـٰوَیۡلَنَا قَدۡ كُنَّا فِی غَفۡلَةࣲ مِّنۡ هَـٰذَا بَلۡ كُنَّا ظَـٰلِمِینَ ﴿٩٧﴾
और सच्चा वादा[42] क़रीब आ जाएगा, तो अचानक यह होगा कि उन लोगों की आँखें खुली रह जाएँगी, जिन्होंने कुफ़्र किया। (वे कहेंगे :) हाय हमारा विनाश! निःसंदेह हम इससे ग़फ़लत में थे, बल्कि हम अत्याचारी थे।
إِنَّكُمۡ وَمَا تَعۡبُدُونَ مِن دُونِ ٱللَّهِ حَصَبُ جَهَنَّمَ أَنتُمۡ لَهَا وَ ٰرِدُونَ ﴿٩٨﴾
निःसंदेह तुम और जिन्हें तुम अल्लाह को छोड़कर पूजते हो, नरक का ईंधन हैं। तुम उसी में दाखिल होने वाले हो।
لَوۡ كَانَ هَـٰۤؤُلَاۤءِ ءَالِهَةࣰ مَّا وَرَدُوهَاۖ وَكُلࣱّ فِیهَا خَـٰلِدُونَ ﴿٩٩﴾
यदि ये पूज्य होते, तो उस (नरक) में प्रवेश न करते। और ये सब उसी में सदैव रहने वाले हैं।
لَهُمۡ فِیهَا زَفِیرࣱ وَهُمۡ فِیهَا لَا یَسۡمَعُونَ ﴿١٠٠﴾
उनकी साँस चढ़ी होगी (तेज़ साँसें निकलेंगी) तथा वे उसमें (कुछ) नहीं सुन सकेंगे।
إِنَّ ٱلَّذِینَ سَبَقَتۡ لَهُم مِّنَّا ٱلۡحُسۡنَىٰۤ أُوْلَـٰۤىِٕكَ عَنۡهَا مُبۡعَدُونَ ﴿١٠١﴾
निःसंदेह वे लोग जिनके लिए हमारी ओर से पहले भलाई का निर्णय हो चुका है, वे उससे दूर रखे गए होंगे।
لَا یَسۡمَعُونَ حَسِیسَهَاۖ وَهُمۡ فِی مَا ٱشۡتَهَتۡ أَنفُسُهُمۡ خَـٰلِدُونَ ﴿١٠٢﴾
वे उस (जहन्नम) की आहट भी नहीं सुनेंगे, और वे अपनी मनचाही चीज़ों में सदा रहने वाले हैं।
لَا یَحۡزُنُهُمُ ٱلۡفَزَعُ ٱلۡأَكۡبَرُ وَتَتَلَقَّىٰهُمُ ٱلۡمَلَـٰۤىِٕكَةُ هَـٰذَا یَوۡمُكُمُ ٱلَّذِی كُنتُمۡ تُوعَدُونَ ﴿١٠٣﴾
उन्हें सबसे बड़ी घबराहट दुःखित नहीं करेगी, तथा फ़रिश्ते उनका स्वागत करेंगे (और कहेंगे :) यह है तुम्हारा वह दिन, जिसका तुम्हें वचन दिया जाता था।
یَوۡمَ نَطۡوِی ٱلسَّمَاۤءَ كَطَیِّ ٱلسِّجِلِّ لِلۡكُتُبِۚ كَمَا بَدَأۡنَاۤ أَوَّلَ خَلۡقࣲ نُّعِیدُهُۥۚ وَعۡدًا عَلَیۡنَاۤۚ إِنَّا كُنَّا فَـٰعِلِینَ ﴿١٠٤﴾
जिस दिन हम आकाश को पंजिका के पन्नों को लपेटने की तरह लपेट[43] देंगे। जिस तरह हमने प्रथम सृष्टि का आरंभ किया, (उसी तरह) हम उसे लौटाएँगे।[44] यह हमारे ज़िम्मे वादा है। निश्चय हम इसे पूरा करने वाले हैं।
وَلَقَدۡ كَتَبۡنَا فِی ٱلزَّبُورِ مِنۢ بَعۡدِ ٱلذِّكۡرِ أَنَّ ٱلۡأَرۡضَ یَرِثُهَا عِبَادِیَ ٱلصَّـٰلِحُونَ ﴿١٠٥﴾
तथा निःसंदेह हमने 'लौहे महफ़ूज़' (में लिखने) के बाद अवतरित पुस्तकों[45] में लिख दिया कि धरती के उत्तराधिकारी मेरे सदाचारी बंदे होंगे।
إِنَّ فِی هَـٰذَا لَبَلَـٰغࣰا لِّقَوۡمٍ عَـٰبِدِینَ ﴿١٠٦﴾
निःसंदेह इबादत करने वालों के लिए इसमें एक बड़ा संदेश है।
وَمَاۤ أَرۡسَلۡنَـٰكَ إِلَّا رَحۡمَةࣰ لِّلۡعَـٰلَمِینَ ﴿١٠٧﴾
और (ऐ नबी!) हमने आपको समस्त संसार के लिए दया[46] बनाकर भेजा है।
قُلۡ إِنَّمَا یُوحَىٰۤ إِلَیَّ أَنَّمَاۤ إِلَـٰهُكُمۡ إِلَـٰهࣱ وَ ٰحِدࣱۖ فَهَلۡ أَنتُم مُّسۡلِمُونَ ﴿١٠٨﴾
(ऐ रसूल!) आप कह दें कि मेरी ओर केवल यही वह़्य की जाती है कि तुम्हारा पूज्य केवल एक ही पूज्य है। तो क्या तुम आज्ञाकारी[47] बनते हो?
فَإِن تَوَلَّوۡاْ فَقُلۡ ءَاذَنتُكُمۡ عَلَىٰ سَوَاۤءࣲۖ وَإِنۡ أَدۡرِیۤ أَقَرِیبٌ أَم بَعِیدࣱ مَّا تُوعَدُونَ ﴿١٠٩﴾
फिर अगर वे मुँह फेरें, तो (ऐ रसूल!) आप कह दें कि मैंने तुम्हें इस प्रकार सावधान[48] कर दिया है कि (हम और तुम इसकी जानकारी में) बराबर हैं। और मैं नहीं जानता कि जिस (यातना) का तुम्हें वचन दिया जा रहा है, वह क़रीब है अथवा दूर।
إِنَّهُۥ یَعۡلَمُ ٱلۡجَهۡرَ مِنَ ٱلۡقَوۡلِ وَیَعۡلَمُ مَا تَكۡتُمُونَ ﴿١١٠﴾
निःसंदेह वह ऊँची आवाज़ से कही हुई बात को जानता है और वह भी जानता है जो तुम छिपाते हो।
وَإِنۡ أَدۡرِی لَعَلَّهُۥ فِتۡنَةࣱ لَّكُمۡ وَمَتَـٰعٌ إِلَىٰ حِینࣲ ﴿١١١﴾
और मैं नहीं जानता शायद यह[49] तुम्हारे लिए एक परीक्षा हो और एक समय तक कुछ लाभ उठाना हो।