Surah सूरा अल्-ह़ज्ज - Al-Hajj

Listen

Hinid

Surah सूरा अल्-ह़ज्ज - Al-Hajj - Aya count 78

یَـٰۤأَیُّهَا ٱلنَّاسُ ٱتَّقُواْ رَبَّكُمۡۚ إِنَّ زَلۡزَلَةَ ٱلسَّاعَةِ شَیۡءٌ عَظِیمࣱ ﴿١﴾

ऐ लोगो! अपने पालनहार से डरो। निःसंदेह क़ियामत (प्रलय) का भूकंप बहुत बड़ी चीज़ है।


Arabic explanations of the Qur’an:

یَوۡمَ تَرَوۡنَهَا تَذۡهَلُ كُلُّ مُرۡضِعَةٍ عَمَّاۤ أَرۡضَعَتۡ وَتَضَعُ كُلُّ ذَاتِ حَمۡلٍ حَمۡلَهَا وَتَرَى ٱلنَّاسَ سُكَـٰرَىٰ وَمَا هُم بِسُكَـٰرَىٰ وَلَـٰكِنَّ عَذَابَ ٱللَّهِ شَدِیدࣱ ﴿٢﴾

जिस दिन तुम उसे देखोगे, (हाल यह होगा कि) हर दूध पिलाने वाली उससे ग़ाफ़िल हो जाएगी जिसे उसने दूध पिलाया, और हर गर्भवती अपना गर्भ गिरा देगी, और तू लोगों को नशे में देखेगा, हालाँकि वे नशे में नहीं होंगे, लेकिन अल्लाह की यातना बहुत कठोर है।

1. नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया कि अल्लाह प्रलय के दिन कहेगा : ऐ आदम! वह कहेंगे : मैं उपस्थित हूँ। फिर पुकारा जाएगा कि अल्लाह आदेश देता है कि अपनी संतान में से नरक में भेजने के लिए निकालो। वह कहेंगे : कितने? वह कहेगा : हज़ार में से नौ सो निन्नानवे। तो उसी समय गर्भवती अपना गर्भ गिरा देगी और शिशु के बाल सफ़ेद हो जाएँगे। और तुम लोगों को मतवाले समझोगे। जबकि वे मतवाले नहीं होंगे, किंतु अल्लाह की यातना कड़ी होगी। यह बात लोगों को भारी लगी और उनके चेहरे बदल गए। तब आपने कहा : याजूज और माजूज में से नौ सौ निन्नानवे होंगे और तुम में से एक। (संक्षिप्त ह़दीस, बुख़ारी : 4741)


Arabic explanations of the Qur’an:

وَمِنَ ٱلنَّاسِ مَن یُجَـٰدِلُ فِی ٱللَّهِ بِغَیۡرِ عِلۡمࣲ وَیَتَّبِعُ كُلَّ شَیۡطَـٰنࣲ مَّرِیدࣲ ﴿٣﴾

और लोगों में से कोई वह है, जो अल्लाह के विषय में कुछ जाने बिना झगड़ता है और प्रत्येक सरकश शैतान का अनुसरण करता है।


Arabic explanations of the Qur’an:

كُتِبَ عَلَیۡهِ أَنَّهُۥ مَن تَوَلَّاهُ فَأَنَّهُۥ یُضِلُّهُۥ وَیَهۡدِیهِ إِلَىٰ عَذَابِ ٱلسَّعِیرِ ﴿٤﴾

उसपर लिख दिया गया है कि जो उसे मित्र बनाएगा, तो वह उसे गुमराह करेगा और उसे भड़कती हुई आग (जहन्नम) की यातना का रास्ता दिखाएगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

یَـٰۤأَیُّهَا ٱلنَّاسُ إِن كُنتُمۡ فِی رَیۡبࣲ مِّنَ ٱلۡبَعۡثِ فَإِنَّا خَلَقۡنَـٰكُم مِّن تُرَابࣲ ثُمَّ مِن نُّطۡفَةࣲ ثُمَّ مِنۡ عَلَقَةࣲ ثُمَّ مِن مُّضۡغَةࣲ مُّخَلَّقَةࣲ وَغَیۡرِ مُخَلَّقَةࣲ لِّنُبَیِّنَ لَكُمۡۚ وَنُقِرُّ فِی ٱلۡأَرۡحَامِ مَا نَشَاۤءُ إِلَىٰۤ أَجَلࣲ مُّسَمࣰّى ثُمَّ نُخۡرِجُكُمۡ طِفۡلࣰا ثُمَّ لِتَبۡلُغُوۤاْ أَشُدَّكُمۡۖ وَمِنكُم مَّن یُتَوَفَّىٰ وَمِنكُم مَّن یُرَدُّ إِلَىٰۤ أَرۡذَلِ ٱلۡعُمُرِ لِكَیۡلَا یَعۡلَمَ مِنۢ بَعۡدِ عِلۡمࣲ شَیۡـࣰٔاۚ وَتَرَى ٱلۡأَرۡضَ هَامِدَةࣰ فَإِذَاۤ أَنزَلۡنَا عَلَیۡهَا ٱلۡمَاۤءَ ٱهۡتَزَّتۡ وَرَبَتۡ وَأَنۢبَتَتۡ مِن كُلِّ زَوۡجِۭ بَهِیجࣲ ﴿٥﴾

ऐ लोगो! यदि तुम (मरणोपरांत) उठाए जाने के बारे में किसी संदेह में हो, तो निःसंदेह हमने तुम्हें तुच्छ मिट्टी से पैदा किया, फिर वीर्य की एक बूँद से, फिर रक्त के थक्के से, फिर माँस की एक बोटी से, जो चित्रित तथा चित्र विहीन होती है[2], ताकि हम तुम्हारे लिए (अपनी शक्ति को) स्पष्ट कर[3] दें, और हम जिसे चाहते हैं गर्भाशयों में एक नियत समय तक ठहराए रखते हैं, फिर हम तुम्हें एक शिशु के रूप में निकालते हैं, फिर ताकि तुम अपनी जवानी को पहुँचो, और तुममें से कोई वह है जो उठा लिया जाता है, और तुममें से कोई वह है जो जीर्ण आयु की ओर लौटाया जाता है, ताकि वह जानने के बाद कुछ न जाने। तथा तुम धरती को सूखी (मृत) देखते हो, फिर जब हम उसपर पानी उतारते हैं, तो वह लहलहाती है और उभरती है तथा हर प्रकार की सुदृश्य वनस्पतियाँ उगाती है।

2. अर्थात यह वीर्य चालीस दिन के बाद गाढ़ी रक्त बन जाता है। फिर गोश्त का लोथड़ा बन जाता है। फिर उससे सह़ीह़ सलामत बच्चा बन जाता है। और ऐसे बच्चे में जान फूँक दी जाती है। और अपने समय पर उसकी पैदाइश हो जाती है। और - अल्लाह की इच्छा से - कभी कुछ कारणों के फलस्वरूप ऐसा भी होता है कि खून का वह लोथड़ा अपना सह़ीह़ रूप नहीं धारण कर पाता। और उसमें रूह़ भी नहीं फूँकी जाती। और वह अपने पैदाइश के समय से पहले ही गिर जाता है। सह़ीह़ ह़दीसों में भी माँ के पेट में बच्चे की पैदाइश की इन अवस्थाओं की चर्चा मिलती है। उदाहरण स्वरूप, एक ह़दीस में है कि वीर्य चालीस दिन के बाद गाढ़ा खून बन जाता है। फिर चालीस दिन के बाद लोथड़ा अथवा गोश्त की बोटी बन जाता है। फिर अल्लाह की ओर से एक फ़रिश्ता चार शब्द लेकर आता है : वह संसार में क्या काम करेगा, उसकी आयु कितनी होगी, उसको क्या और कितनी जीविका मिलेगी और वह शुभ होगा अथवा अशुभ। फिर वह उसमें जान डाल देता है। (देखिए : सह़ीह़ बुख़ारी : 3332) अर्थात चार महीने के बाद उसमें जान डाली जाती है। और बच्चा एक सह़ीह़ रूप धारण कर लेता है। इस प्रकार आज जिसको वैज्ञानिकों ने बहुत दौड़-धूप के बाद सिद्ध किया है उसको क़ुरआन ने चौदह सौ साल पूर्व ही बता दिया था। यह इस बात का प्रमाण है कि यह किताब (क़ुरआन) किसी मानव की बनाई हुई नहीं है, बल्कि अल्लाह की ओर से है। 3. अर्थात् अपनी शक्ति तथा सामर्थ्य को।


Arabic explanations of the Qur’an:

ذَ ٰ⁠لِكَ بِأَنَّ ٱللَّهَ هُوَ ٱلۡحَقُّ وَأَنَّهُۥ یُحۡیِ ٱلۡمَوۡتَىٰ وَأَنَّهُۥ عَلَىٰ كُلِّ شَیۡءࣲ قَدِیرࣱ ﴿٦﴾

यह इसलिए है कि अल्लाह ही सत्य है और (इसलिए कि) वही मुर्दों को जीवित करेगा और (इसलिए कि) वह हर चीज़ पर सर्वशक्तिमान है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَأَنَّ ٱلسَّاعَةَ ءَاتِیَةࣱ لَّا رَیۡبَ فِیهَا وَأَنَّ ٱللَّهَ یَبۡعَثُ مَن فِی ٱلۡقُبُورِ ﴿٧﴾

और (इसलिए कि) क़ियामत आने वाली है, उसमें कोई संदेह नहीं और (इसलिए कि) निश्चय अल्लाह उन लोगों को उठाएगा जो क़ब्रों में हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَمِنَ ٱلنَّاسِ مَن یُجَـٰدِلُ فِی ٱللَّهِ بِغَیۡرِ عِلۡمࣲ وَلَا هُدࣰى وَلَا كِتَـٰبࣲ مُّنِیرࣲ ﴿٨﴾

तथा लोगों में कोई वह है, जो अल्लाह के विषय में, बिना किसी ज्ञान, मार्गदर्शन और प्रकाशमान् किताब के झगड़ा करता है।


Arabic explanations of the Qur’an:

ثَانِیَ عِطۡفِهِۦ لِیُضِلَّ عَن سَبِیلِ ٱللَّهِۖ لَهُۥ فِی ٱلدُّنۡیَا خِزۡیࣱۖ وَنُذِیقُهُۥ یَوۡمَ ٱلۡقِیَـٰمَةِ عَذَابَ ٱلۡحَرِیقِ ﴿٩﴾

अपनी गरदन मोड़ने[4] वाला है, ताकि (लोगों को) अल्लाह के मार्ग से भटका दे। उसके लिए दुनिया में अपमान है और क़ियामत के दिन हम उसे जलाने वाली आग की यातना चखाएँगे।

4. अर्थात अभिमान करते हुए।


Arabic explanations of the Qur’an:

ذَ ٰ⁠لِكَ بِمَا قَدَّمَتۡ یَدَاكَ وَأَنَّ ٱللَّهَ لَیۡسَ بِظَلَّـٰمࣲ لِّلۡعَبِیدِ ﴿١٠﴾

यह उसके कारण है जो तेरे दोनों हाथों ने आगे भेजा और निःसंदेह अल्लाह बंदों पर कुछ भी अत्याचार करने वाला नहीं है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَمِنَ ٱلنَّاسِ مَن یَعۡبُدُ ٱللَّهَ عَلَىٰ حَرۡفࣲۖ فَإِنۡ أَصَابَهُۥ خَیۡرٌ ٱطۡمَأَنَّ بِهِۦۖ وَإِنۡ أَصَابَتۡهُ فِتۡنَةٌ ٱنقَلَبَ عَلَىٰ وَجۡهِهِۦ خَسِرَ ٱلدُّنۡیَا وَٱلۡـَٔاخِرَةَۚ ذَ ٰ⁠لِكَ هُوَ ٱلۡخُسۡرَانُ ٱلۡمُبِینُ ﴿١١﴾

तथा लोगों में वह (भी) है, जो अल्लाह की इबादत एक किनारे पर रहकर[5] करता है। फिर यदि उसे कोई भलाई पहुँच जाए, तो वह उससे संतुष्ट हो जाता है, और यदि उसे कोई परीक्षा आ पहुँचे, तो मुँह के बल फिर जाता है। वह दुनिया एवं आख़िरत में घाटे में पड़ गया। यही तो खुला घाटा है।

5. अर्थात संदिग्ध होकर।


Arabic explanations of the Qur’an:

یَدۡعُواْ مِن دُونِ ٱللَّهِ مَا لَا یَضُرُّهُۥ وَمَا لَا یَنفَعُهُۥۚ ذَ ٰ⁠لِكَ هُوَ ٱلضَّلَـٰلُ ٱلۡبَعِیدُ ﴿١٢﴾

वह अल्लाह को छोड़कर उसे पुकारता है, जो न उसे हानि पहुँचाता है और न उसे लाभ पहुँचाता है। यही तो दूर[6] की गुमराही है।

6. अर्थात कोई दुःख होने पर अल्लाह के सिवा दूसरों को पुकारना।


Arabic explanations of the Qur’an:

یَدۡعُواْ لَمَن ضَرُّهُۥۤ أَقۡرَبُ مِن نَّفۡعِهِۦۚ لَبِئۡسَ ٱلۡمَوۡلَىٰ وَلَبِئۡسَ ٱلۡعَشِیرُ ﴿١٣﴾

वह उसे पुकारता है, जिसका नुक़सान उसके लाभ से अधिक निकट है। निःसंदेह वह बुरा संरक्षक तथा निःसंदेह बुरा साथी है।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّ ٱللَّهَ یُدۡخِلُ ٱلَّذِینَ ءَامَنُواْ وَعَمِلُواْ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ جَنَّـٰتࣲ تَجۡرِی مِن تَحۡتِهَا ٱلۡأَنۡهَـٰرُۚ إِنَّ ٱللَّهَ یَفۡعَلُ مَا یُرِیدُ ﴿١٤﴾

निःसंदेह अल्लाह उन्हें, जो ईमान लाए तथा अच्छे कार्य किए, ऐसे बाग़ों में दाख़िल करेगा, जिनके (महलों के) नीचे से नहरें बहती हैं। निःसंदेह अल्लाह जो चहता है, करता है।


Arabic explanations of the Qur’an:

مَن كَانَ یَظُنُّ أَن لَّن یَنصُرَهُ ٱللَّهُ فِی ٱلدُّنۡیَا وَٱلۡـَٔاخِرَةِ فَلۡیَمۡدُدۡ بِسَبَبٍ إِلَى ٱلسَّمَاۤءِ ثُمَّ لۡیَقۡطَعۡ فَلۡیَنظُرۡ هَلۡ یُذۡهِبَنَّ كَیۡدُهُۥ مَا یَغِیظُ ﴿١٥﴾

जो सोचता है कि अल्लाह दुनिया और आख़िरत में कभी उसकी[7] सहायता नहीं करेगा, तो उसे चाहिए कि आकाश की ओर एक रस्सी लटकाए, फिर काट दे। फिर देखे कि क्या उसका (यह) उपाय उसका क्रोध दूर[8] कर देता है?

7. अर्थात अपने रसूल की। 8. अर्थ यह है कि अल्लाह अपने नबी की सहायता अवश्य करेगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَكَذَ ٰ⁠لِكَ أَنزَلۡنَـٰهُ ءَایَـٰتِۭ بَیِّنَـٰتࣲ وَأَنَّ ٱللَّهَ یَهۡدِی مَن یُرِیدُ ﴿١٦﴾

तथा इसी प्रकार हमने इस (क़ुरआन) को खुली आयतों के रूप में उतारा है और यह कि अल्लाह जिसे चाहता है, सीधा रास्ता दिखाता है।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّ ٱلَّذِینَ ءَامَنُواْ وَٱلَّذِینَ هَادُواْ وَٱلصَّـٰبِـِٔینَ وَٱلنَّصَـٰرَىٰ وَٱلۡمَجُوسَ وَٱلَّذِینَ أَشۡرَكُوۤاْ إِنَّ ٱللَّهَ یَفۡصِلُ بَیۡنَهُمۡ یَوۡمَ ٱلۡقِیَـٰمَةِۚ إِنَّ ٱللَّهَ عَلَىٰ كُلِّ شَیۡءࣲ شَهِیدٌ ﴿١٧﴾

निःसंदेह जो लोग ईमान लाए तथा जो यहूदी हुए, तथा साबी और ईसाई और मजूसी तथा वे लोग जिन्होंने शिर्क किया, निश्चय अल्लाह उन सबके बीच क़ियामत के दिन निर्णय[9] कर देगा। निःसंदेह अल्लाह प्रत्येक वस्तु पर गवाह है।

9. अर्थात प्रत्येक को अपने कर्म की वास्तविकता का ज्ञान हो जाएगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَلَمۡ تَرَ أَنَّ ٱللَّهَ یَسۡجُدُ لَهُۥ مَن فِی ٱلسَّمَـٰوَ ٰ⁠تِ وَمَن فِی ٱلۡأَرۡضِ وَٱلشَّمۡسُ وَٱلۡقَمَرُ وَٱلنُّجُومُ وَٱلۡجِبَالُ وَٱلشَّجَرُ وَٱلدَّوَاۤبُّ وَكَثِیرࣱ مِّنَ ٱلنَّاسِۖ وَكَثِیرٌ حَقَّ عَلَیۡهِ ٱلۡعَذَابُۗ وَمَن یُهِنِ ٱللَّهُ فَمَا لَهُۥ مِن مُّكۡرِمٍۚ إِنَّ ٱللَّهَ یَفۡعَلُ مَا یَشَاۤءُ ۩ ﴿١٨﴾

(ऐ रसूल!) क्या आप नहीं जानते कि अल्लाह ही को सजदा[10] करते हैं, जो कोई आकाशों में हैं तथा जो धरती में हैं और सूर्य, चाँद, तारे, पर्वत, वृक्ष, पशु और बहुत-से मनुष्य। और बहुत-से वे हैं, जिनपर यातना सिद्ध हो चुकी है। और जिसे अल्लाह अपमानित कर दे, फिर उसे कोई सम्मान देने वाला नहीं। निःसंदेह अल्लाह जो चाहता है, करता है।

10. इस आयत में यह बताया जा रहा है कि अल्लाह ही अकेला पूज्य है, उसका कोई साझी नहीं। क्योंकि इस विश्व की सभी उत्पत्ति उसी के आगे झुक रही है और बहुत से मनुष्य भी उसके आज्ञाकारी होकर उसी को सजदा कर रहे हैं। अतः तुम भी उसके आज्ञाकारी होकर उसी के आगे झुको। क्योंकि उसकी अवज्ञा यातना को अनिवार्य कर देती है। और ऐसे व्यक्ति को अपमान के सिवा कुछ हाथ नहीं आएगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

۞ هَـٰذَانِ خَصۡمَانِ ٱخۡتَصَمُواْ فِی رَبِّهِمۡۖ فَٱلَّذِینَ كَفَرُواْ قُطِّعَتۡ لَهُمۡ ثِیَابࣱ مِّن نَّارࣲ یُصَبُّ مِن فَوۡقِ رُءُوسِهِمُ ٱلۡحَمِیمُ ﴿١٩﴾

ये दो पक्ष हैं, जिन्होंने अपने पालनहार के विषय में झगड़ा[11] किया। तो वे लोग जिन्होंने कुफ़्र किया, उनके लिए आग के वस्त्र काटे जा चुके, उनके सिरों के ऊपर से खौलता हुआ पानी डाला जाएगा।

11. अर्थात संसार में कितने ही धर्म क्यों न हों वास्तव में दो ही पक्ष हैं : एक सत्धर्म का विरोधी और दूसरा सत्धर्म का अनुयायी, अर्थात काफ़िर और मोमिन। और प्रत्येक का परिणाम बताया जा रहा है।


Arabic explanations of the Qur’an:

یُصۡهَرُ بِهِۦ مَا فِی بُطُونِهِمۡ وَٱلۡجُلُودُ ﴿٢٠﴾

उसके साथ पिघला दिया जाएगा जो कुछ उनके पेटों में है और चमड़े भी।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَهُم مَّقَـٰمِعُ مِنۡ حَدِیدࣲ ﴿٢١﴾

और उन्हीं के लिए लोहे के हथौड़े हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

كُلَّمَاۤ أَرَادُوۤاْ أَن یَخۡرُجُواْ مِنۡهَا مِنۡ غَمٍّ أُعِیدُواْ فِیهَا وَذُوقُواْ عَذَابَ ٱلۡحَرِیقِ ﴿٢٢﴾

जब कभी व्याकुल होकर उस (आग) से निकलना चाहेंगे, उसी में लौटा दिए जाएँगे तथा (कहा जाएगा कि) जलने की यातना चखो।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّ ٱللَّهَ یُدۡخِلُ ٱلَّذِینَ ءَامَنُواْ وَعَمِلُواْ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ جَنَّـٰتࣲ تَجۡرِی مِن تَحۡتِهَا ٱلۡأَنۡهَـٰرُ یُحَلَّوۡنَ فِیهَا مِنۡ أَسَاوِرَ مِن ذَهَبࣲ وَلُؤۡلُؤࣰاۖ وَلِبَاسُهُمۡ فِیهَا حَرِیرࣱ ﴿٢٣﴾

निःसंदेह अल्लाह उन लोगों को, जो ईमान लाए तथा उन्होंने अच्छे कार्य किए, ऐसे बाग़ों में दाख़िल करेगा, जिनके नीचे से नहरें बहती हैं, उनमें उन्हें सोने के कुछ कंगन पहनाए जाएँगे तथा मोती भी, और उनका वस्त्र उसमें रेशम का होगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَهُدُوۤاْ إِلَى ٱلطَّیِّبِ مِنَ ٱلۡقَوۡلِ وَهُدُوۤاْ إِلَىٰ صِرَ ٰ⁠طِ ٱلۡحَمِیدِ ﴿٢٤﴾

तथा उन्हें पवित्र बात[12] का मार्ग दिखा दिया गया और उन्हें प्रशंसित मार्ग[13] दिखा दिया गया।

12. अर्थात स्वर्ग का, जहाँ पवित्र बातें ही होंगी, वहाँ व्यर्थ पाप की बातें नहीं होंगी। 13. अर्थात संसार में इस्लाम तथा क़ुरआन का मार्ग।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّ ٱلَّذِینَ كَفَرُواْ وَیَصُدُّونَ عَن سَبِیلِ ٱللَّهِ وَٱلۡمَسۡجِدِ ٱلۡحَرَامِ ٱلَّذِی جَعَلۡنَـٰهُ لِلنَّاسِ سَوَاۤءً ٱلۡعَـٰكِفُ فِیهِ وَٱلۡبَادِۚ وَمَن یُرِدۡ فِیهِ بِإِلۡحَادِۭ بِظُلۡمࣲ نُّذِقۡهُ مِنۡ عَذَابٍ أَلِیمࣲ ﴿٢٥﴾

निःसंदेह वे लोग जिन्होंने कुफ़्र किया[14] और वे अल्लाह के मार्ग से और उस मस्जिदे-हराम से रोकते हैं, जिसे हमने सब लोगों के लिए इस तरह बनाया है कि उसमें रहने वाले और बाहर से आने वाले बराबर हैं और जो भी उसमें किसी अत्याचार के साथ सत्य से दूरी का इरादा करेगा, हम उसे दुःखदायी यातना चखाएँगे।[15]

14. इस आयत में मक्का के काफ़िरों को चेतावनी दी गई है, जो नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और इस्लाम के विरोधी थे और उन्होंने आपको तथा मुसलमानों को "ह़ुदैबिया" के वर्ष मस्जिदे-ह़राम से रोक दिया था। 15. यह मक्का की मुख्य विशेषताओं में से है कि वहाँ रहने वाला अगर कुफ़्र और शिर्क या किसी बिद्अत का विचार भी दिल में लाए, तो उसके लिए घोर यातना है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَإِذۡ بَوَّأۡنَا لِإِبۡرَ ٰ⁠هِیمَ مَكَانَ ٱلۡبَیۡتِ أَن لَّا تُشۡرِكۡ بِی شَیۡـࣰٔا وَطَهِّرۡ بَیۡتِیَ لِلطَّاۤىِٕفِینَ وَٱلۡقَاۤىِٕمِینَ وَٱلرُّكَّعِ ٱلسُّجُودِ ﴿٢٦﴾

तथा (वह समय याद करो) जब हमने इबराहीम के लिए इस घर का स्थान[16] निर्धारित कर दिया (और उसे आदेश दिया) कि किसी को मेरा साझी न बनाना, तथा मेरे घर का तवाफ़ (परिक्रमा) करने वालों, क़ियाम करने वालों तथा रुकू' और सजदा करने वालों के लिए पवित्र रखना।

16. अर्थात उसका निर्माण करने के लिए। क्योंकि नूह़ (अलैहिस्सलाम) के तूफ़ान के कारण सब बह गया था इसलिए अल्लाह ने इबराहीम (अलैहिस्सलाम) के लिए बैतुल्लाह का वास्तविक स्थान निर्धारित कर दिया। और उन्होंने अपने पुत्र इसमाईल (अलैहिस्सलाम) के साथ उसे दोबारा स्थापित किया।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَأَذِّن فِی ٱلنَّاسِ بِٱلۡحَجِّ یَأۡتُوكَ رِجَالࣰا وَعَلَىٰ كُلِّ ضَامِرࣲ یَأۡتِینَ مِن كُلِّ فَجٍّ عَمِیقࣲ ﴿٢٧﴾

और लोगों में हज्ज का एलान कर दो। वे तेरे पास पैदल तथा प्रत्येक दुबली-पतली सवारियों पर आएँगे, जो हर दूर-दराज़ मार्ग से आएँगी।


Arabic explanations of the Qur’an:

لِّیَشۡهَدُواْ مَنَـٰفِعَ لَهُمۡ وَیَذۡكُرُواْ ٱسۡمَ ٱللَّهِ فِیۤ أَیَّامࣲ مَّعۡلُومَـٰتٍ عَلَىٰ مَا رَزَقَهُم مِّنۢ بَهِیمَةِ ٱلۡأَنۡعَـٰمِۖ فَكُلُواْ مِنۡهَا وَأَطۡعِمُواْ ٱلۡبَاۤىِٕسَ ٱلۡفَقِیرَ ﴿٢٨﴾

ताकि वे अपने बहुत-से लाभों के लिए उपस्थित हों और कुछ ज्ञात दिनों[17] में उन पालतू चौपायों पर अल्लाह का नाम[18] लें, जो उसने उन्हें प्रदान किए हैं। फिर उनमें से स्वयं खाओ तथा तंगहाल निर्धन को खिलाओ।

17. ज्ञात दिनों से अभिप्राय 10, 11, 12 तथा 13 ज़ुल-ह़िज्जा के दिन हैं। 18. अर्थात उसे ज़बह करते समय अल्लाह का नाम लें।


Arabic explanations of the Qur’an:

ثُمَّ لۡیَقۡضُواْ تَفَثَهُمۡ وَلۡیُوفُواْ نُذُورَهُمۡ وَلۡیَطَّوَّفُواْ بِٱلۡبَیۡتِ ٱلۡعَتِیقِ ﴿٢٩﴾

फिर वे अपना मैल-कुचैल दूर करें[19] तथा अपनी मन्नतें पूरी करें और इस प्राचीन घर[20] का तवाफ़ (परिक्रमा) करें।

19. अर्थात 10 ज़ुल-ह़िज्जा को बड़े ((जमरे)) को, जिसे लोग शैतान कहते हैं, कंकरियाँ मारने के पश्चात् एहराम उतार दें। और बाल-नाखून साफ़ करके स्नान करें। 20. अर्थात काबा का।


Arabic explanations of the Qur’an:

ذَ ٰ⁠لِكَۖ وَمَن یُعَظِّمۡ حُرُمَـٰتِ ٱللَّهِ فَهُوَ خَیۡرࣱ لَّهُۥ عِندَ رَبِّهِۦۗ وَأُحِلَّتۡ لَكُمُ ٱلۡأَنۡعَـٰمُ إِلَّا مَا یُتۡلَىٰ عَلَیۡكُمۡۖ فَٱجۡتَنِبُواْ ٱلرِّجۡسَ مِنَ ٱلۡأَوۡثَـٰنِ وَٱجۡتَنِبُواْ قَوۡلَ ٱلزُّورِ ﴿٣٠﴾

ये (हमारे आदेश) हैं। और जो कोई अल्लाह के निषेधों (मर्यादाओं) का सम्मान करे, तो यह उसके लिए, उसके पालनहार के पास बेहतर है। और तुम्हारे लिए चौपाए हलाल (वैध) कर दिए गए हैं, सिवाय उनके जो तुम्हें पढ़कर सुनाए जाते[21] हैं। अतः मूर्तियों की गंदगी से बचो तथा झूठी बात से बचो।

21. (देखिए : सूरतुल माइदा, आयत : 3)


Arabic explanations of the Qur’an:

حُنَفَاۤءَ لِلَّهِ غَیۡرَ مُشۡرِكِینَ بِهِۦۚ وَمَن یُشۡرِكۡ بِٱللَّهِ فَكَأَنَّمَا خَرَّ مِنَ ٱلسَّمَاۤءِ فَتَخۡطَفُهُ ٱلطَّیۡرُ أَوۡ تَهۡوِی بِهِ ٱلرِّیحُ فِی مَكَانࣲ سَحِیقࣲ ﴿٣١﴾

इस हाल में कि अल्लाह के लिए एकाग्र होने वाले हो, उसके साथ किसी को साझी करने वाले न हो। और जो अल्लाह के साथ साझी ठहराए, तो मानो वह आकाश से गिर पड़ा। फिर उसे पक्षी उचक लेते हैं, अथवा उसे हवा किसी दूर स्थान में गिरा देती है।[22]

22. यह शिर्क के परिणाम का उदाहरण है कि मनुष्य शिर्क के कारण स्वभाविक ऊँचाई से गिर जाता है। फिर उसे शैतान पक्षियों के समान उचक ले जाते हैं, और वह नीच बन जाता है। फिर उसमें कभी ऊँचा विचार उत्पन्न नहीं होता, और वह मानसिक तथा नैतिक पतन की ओर ही झुका रहता है।


Arabic explanations of the Qur’an:

ذَ ٰ⁠لِكَۖ وَمَن یُعَظِّمۡ شَعَـٰۤىِٕرَ ٱللَّهِ فَإِنَّهَا مِن تَقۡوَى ٱلۡقُلُوبِ ﴿٣٢﴾

यह (अल्लाह का आदेश है), और जो अल्लाह के प्रतीकों[23] का सम्मान करता है, तो निश्चय यह दिलों के तक़वा की बात है।

23. अर्थात उपासना के लिए उसके निश्चित किए हुए प्रतीकों का।


Arabic explanations of the Qur’an:

لَكُمۡ فِیهَا مَنَـٰفِعُ إِلَىٰۤ أَجَلࣲ مُّسَمࣰّى ثُمَّ مَحِلُّهَاۤ إِلَى ٱلۡبَیۡتِ ٱلۡعَتِیقِ ﴿٣٣﴾

तुम्हारे लिए उनमें एक निर्धारित समय तक कई लाभ[24] हैं, फिर उनके ज़बह होने की जगह प्राचीन घर के पास है।

24. अर्थात क़ुर्बानी के पशु पर सवारी करना तथा उनके दूध और ऊन से लाभ प्राप्त करना उचित है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلِكُلِّ أُمَّةࣲ جَعَلۡنَا مَنسَكࣰا لِّیَذۡكُرُواْ ٱسۡمَ ٱللَّهِ عَلَىٰ مَا رَزَقَهُم مِّنۢ بَهِیمَةِ ٱلۡأَنۡعَـٰمِۗ فَإِلَـٰهُكُمۡ إِلَـٰهࣱ وَ ٰ⁠حِدࣱ فَلَهُۥۤ أَسۡلِمُواْۗ وَبَشِّرِ ٱلۡمُخۡبِتِینَ ﴿٣٤﴾

तथा प्रत्येक समुदाय के लिए हमने एक क़ुर्बानी निर्धारित की है, ताकि वे उन पालतू चौपायों पर अल्लाह का नाम लें, जो उसने उन्हें प्रदान किए हैं। अतः तुम्हारा पूज्य एक पूज्य है, तो उसी के आज्ञाकारी हो जाओ। और (ऐ नबी!) आप विनम्रता अपनाने वालों को शुभ सूचना सुना दें।


Arabic explanations of the Qur’an:

ٱلَّذِینَ إِذَا ذُكِرَ ٱللَّهُ وَجِلَتۡ قُلُوبُهُمۡ وَٱلصَّـٰبِرِینَ عَلَىٰ مَاۤ أَصَابَهُمۡ وَٱلۡمُقِیمِی ٱلصَّلَوٰةِ وَمِمَّا رَزَقۡنَـٰهُمۡ یُنفِقُونَ ﴿٣٥﴾

वे लोग कि जब अल्लाह का नाम लिया जाता है, तो उनके दिल डर जाते हैं, तथा उनपर जो मुसीबत आए उसपर धैर्य रखने वाले, और नमाज़ क़ायम करने वाले हैं तथा जो कुछ हमने उन्हें दिया है, उसमें से खर्च करने वाले हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلۡبُدۡنَ جَعَلۡنَـٰهَا لَكُم مِّن شَعَـٰۤىِٕرِ ٱللَّهِ لَكُمۡ فِیهَا خَیۡرࣱۖ فَٱذۡكُرُواْ ٱسۡمَ ٱللَّهِ عَلَیۡهَا صَوَاۤفَّۖ فَإِذَا وَجَبَتۡ جُنُوبُهَا فَكُلُواْ مِنۡهَا وَأَطۡعِمُواْ ٱلۡقَانِعَ وَٱلۡمُعۡتَرَّۚ كَذَ ٰ⁠لِكَ سَخَّرۡنَـٰهَا لَكُمۡ لَعَلَّكُمۡ تَشۡكُرُونَ ﴿٣٦﴾

और क़ुर्बानी के ऊँटों को हमने तुम्हारे लिए अल्लाह की निशानियों में से बनाया है। तुम्हारे लिए उनमें भलाई है। अतः उनपर अल्लाह का नाम लो, इस हाल में कि घुटना बंधे खड़े हों। फिर जब उनके पहलू धरती से आ लगें[25], तो उनमें से स्वयं खाओ तथा संतोष करने वाले निर्धन और माँगने वाले को भी खिलाओ। इसी प्रकार, हमने उन्हें तुम्हारे वश में कर दिया है, ताकि तुम कृतज्ञ बनो।

25. अर्थात उसका प्राण पूरी तरह़ निकल जाए।


Arabic explanations of the Qur’an:

لَن یَنَالَ ٱللَّهَ لُحُومُهَا وَلَا دِمَاۤؤُهَا وَلَـٰكِن یَنَالُهُ ٱلتَّقۡوَىٰ مِنكُمۡۚ كَذَ ٰ⁠لِكَ سَخَّرَهَا لَكُمۡ لِتُكَبِّرُواْ ٱللَّهَ عَلَىٰ مَا هَدَىٰكُمۡۗ وَبَشِّرِ ٱلۡمُحۡسِنِینَ ﴿٣٧﴾

अल्लाह को उनके मांस और उनके रक्त हरगिज़ नहीं पहुँचेंगे, परंतु उसे तुम्हारा तक़वा पहुँचेगा। इसी प्रकार, उस (अल्लाह) ने उन (पशुओं) को तुम्हारे वश में कर दिया है, ताकि तुम अल्लाह की महिमा का गान करो[26], उस मार्गदर्शन पर, जो उसने तुम्हें दिया है। और (ऐ रसूल!) आप सत्कर्मियों को शुभ सूचना सुना दें।

26. ज़बह़ करते समय (बिस्मिल्लाहि, अल्लाहु अकबर) कहो।


Arabic explanations of the Qur’an:

۞ إِنَّ ٱللَّهَ یُدَ ٰ⁠فِعُ عَنِ ٱلَّذِینَ ءَامَنُوۤاْۗ إِنَّ ٱللَّهَ لَا یُحِبُّ كُلَّ خَوَّانࣲ كَفُورٍ ﴿٣٨﴾

निःसंदेह अल्लाह उन लोगों की ओर से प्रतिरक्षा करता है, जो ईमान लाए। निःसंदेह अल्लाह किसी ऐसे व्यक्ति को पसंद नहीं करता, जो बड़ा विश्वासघाती, बहुत नाशुक्रा हो।


Arabic explanations of the Qur’an:

أُذِنَ لِلَّذِینَ یُقَـٰتَلُونَ بِأَنَّهُمۡ ظُلِمُواْۚ وَإِنَّ ٱللَّهَ عَلَىٰ نَصۡرِهِمۡ لَقَدِیرٌ ﴿٣٩﴾

उन लोगों को जिनसे युद्ध किया जाता है, अनुमति दे दी गई है, इसलिए कि उनपर अत्याचार किया गया। और निःसंदेह अल्लाह उनकी सहायता करने में निश्चय पूरी तरह सक्षम है।[27]

27. यह प्रथम आयत है जिसमें जिहाद की अनुमति दी गई है। और कारण यह बताया गया है कि मुसलमान शत्रु के अत्याचार से अपनी रक्षा करें। फिर आगे चलकर सूरतुल-बक़रह, आयत : 190 से 193 और 216 तथा 226 में युद्ध का आदेश दिया गया है। जो (बद्र) के युद्ध से कुछ पहले दिया गया है।


Arabic explanations of the Qur’an:

ٱلَّذِینَ أُخۡرِجُواْ مِن دِیَـٰرِهِم بِغَیۡرِ حَقٍّ إِلَّاۤ أَن یَقُولُواْ رَبُّنَا ٱللَّهُۗ وَلَوۡلَا دَفۡعُ ٱللَّهِ ٱلنَّاسَ بَعۡضَهُم بِبَعۡضࣲ لَّهُدِّمَتۡ صَوَ ٰ⁠مِعُ وَبِیَعࣱ وَصَلَوَ ٰ⁠تࣱ وَمَسَـٰجِدُ یُذۡكَرُ فِیهَا ٱسۡمُ ٱللَّهِ كَثِیرࣰاۗ وَلَیَنصُرَنَّ ٱللَّهُ مَن یَنصُرُهُۥۤۚ إِنَّ ٱللَّهَ لَقَوِیٌّ عَزِیزٌ ﴿٤٠﴾

वे लोग जिन्हें उनके घरों से अकारण निकाल दिया गया, केवल इस बात पर कि वे कहते हैं कि हमारा पालनहार अल्लाह है। और यदि अल्लाह कुछ लोगों को, कुछ लोगों द्वारा हटाता न होता, तो अवश्य ध्वस्त कर दिए जाते (ईसाई पुजारियों के) मठ तथा (ईसाइयों के) गिरजे और (यहूदियों के) पूजा स्थल तथा (मुसलमानों की) मस्जिदें, जिनमें अल्लाह का नाम बहुत अधिक लिया जाता है। और निश्चय अल्लाह अवश्य उसकी सहायता करेगा, जो उस (के धर्म) की सहायता करेगा। निःसंदेह अल्लाह निश्चय अत्यंत शक्तिशाली, सब पर प्रभुत्वशाली है।


Arabic explanations of the Qur’an:

ٱلَّذِینَ إِن مَّكَّنَّـٰهُمۡ فِی ٱلۡأَرۡضِ أَقَامُواْ ٱلصَّلَوٰةَ وَءَاتَوُاْ ٱلزَّكَوٰةَ وَأَمَرُواْ بِٱلۡمَعۡرُوفِ وَنَهَوۡاْ عَنِ ٱلۡمُنكَرِۗ وَلِلَّهِ عَـٰقِبَةُ ٱلۡأُمُورِ ﴿٤١﴾

वे लोग[28] कि यदि हम उन्हें धरती में आधिपत्य प्रदान करें, तो वे नमाज़ क़ायम करेंगे और ज़कात देंगे और अच्छे काम का आदेश देंग और बुरे काम से रोकेंगे। और सभी कर्मों का परिणाम अल्लाह ही के अधिकार में है।

28. अर्थात जिनसे विजय का वादा किया गया है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَإِن یُكَذِّبُوكَ فَقَدۡ كَذَّبَتۡ قَبۡلَهُمۡ قَوۡمُ نُوحࣲ وَعَادࣱ وَثَمُودُ ﴿٤٢﴾

और (ऐ रसूल!) यदि वे आपको झुठलाएँ, तो निःसंदेह इनसे पहले नूह की जाति और आद तथा समूद (भी अपने रसूलों को) झुठला चुके हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَقَوۡمُ إِبۡرَ ٰ⁠هِیمَ وَقَوۡمُ لُوطࣲ ﴿٤٣﴾

तथा इबराहीम की जाति और लूत की जाति।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَأَصۡحَـٰبُ مَدۡیَنَۖ وَكُذِّبَ مُوسَىٰۖ فَأَمۡلَیۡتُ لِلۡكَـٰفِرِینَ ثُمَّ أَخَذۡتُهُمۡۖ فَكَیۡفَ كَانَ نَكِیرِ ﴿٤٤﴾

तथा मदयन वालों[29] ने। और मूसा (भी) झुठलाए गए, तो मैंने उन काफ़िरों को मोहलत दी, फिर मैंने उन्हें पकड़ लिया। तो मेरा दंड कैसा था?

29. अर्थात शुऐब अलैहिस्सलाम की जाति ने।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَكَأَیِّن مِّن قَرۡیَةٍ أَهۡلَكۡنَـٰهَا وَهِیَ ظَالِمَةࣱ فَهِیَ خَاوِیَةٌ عَلَىٰ عُرُوشِهَا وَبِئۡرࣲ مُّعَطَّلَةࣲ وَقَصۡرࣲ مَّشِیدٍ ﴿٤٥﴾

तो कितनी ही बस्तियाँ हैं, जिन्हें हमने इस हाल में नष्ट कर दिया कि वे अत्याचारी थीं। अतः वे अपनी छतों पर गिरी हुई हैं। और (कितने ही) बेकार छोड़े हुए कुएँ हैं तथा पक्के ऊँचे भवन हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَفَلَمۡ یَسِیرُواْ فِی ٱلۡأَرۡضِ فَتَكُونَ لَهُمۡ قُلُوبࣱ یَعۡقِلُونَ بِهَاۤ أَوۡ ءَاذَانࣱ یَسۡمَعُونَ بِهَاۖ فَإِنَّهَا لَا تَعۡمَى ٱلۡأَبۡصَـٰرُ وَلَـٰكِن تَعۡمَى ٱلۡقُلُوبُ ٱلَّتِی فِی ٱلصُّدُورِ ﴿٤٦﴾

तो क्या वे धरती में चले-फिरे नहीं कि उनके लिए ऐसे दिल हों, जिनसे वे समझें, या ऐसे कान हों, जिनसे वे सुनें। निःसंदेह आँखें अंधी नहीं होतीं, लेकिन वे दिल अंधे होते हैं, जो सीनों में हैं।[30]

30. आयत का भावार्थ यह है कि दिल की सूझ-बूझ चली जाती है, तो आँखें भी अंधी हो जाती हैं और देखते हुए भी सत्य को नहीं देख सकतीं।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَیَسۡتَعۡجِلُونَكَ بِٱلۡعَذَابِ وَلَن یُخۡلِفَ ٱللَّهُ وَعۡدَهُۥۚ وَإِنَّ یَوۡمًا عِندَ رَبِّكَ كَأَلۡفِ سَنَةࣲ مِّمَّا تَعُدُّونَ ﴿٤٧﴾

तथा वे आपसे यातना के बारे में जल्दी मचा रहे हैं और अल्लाह हरगिज़ अपने वचन के विरुद्ध नहीं करेगा। और निःसंदेह आपके पालनहार के यहाँ एक दिन तुम्हारी गणना के अनुसार हज़ार वर्ष के बराबर[31] है।

31. अर्थात वह शीघ्र यातना नहीं देता, पहले अवसर देता है जैसा कि इसके पश्चात् की आयत में बताया जा रहा है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَكَأَیِّن مِّن قَرۡیَةٍ أَمۡلَیۡتُ لَهَا وَهِیَ ظَالِمَةࣱ ثُمَّ أَخَذۡتُهَا وَإِلَیَّ ٱلۡمَصِیرُ ﴿٤٨﴾

और कितनी ही बस्तियाँ हैं, जिन्हें हमने अवसर दिया, जबकि वे अत्याचारी थीं। फिर मैंने उन्हें पकड़ लिया और मेरी ही ओर (सबको) लौटकर आना है।


Arabic explanations of the Qur’an:

قُلۡ یَـٰۤأَیُّهَا ٱلنَّاسُ إِنَّمَاۤ أَنَا۠ لَكُمۡ نَذِیرࣱ مُّبِینࣱ ﴿٤٩﴾

(ऐ नबी!) आप कह दें कि ऐ लोगो! मैं तो बस तुम्हें खुला सावधान करने वाला हूँ।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَٱلَّذِینَ ءَامَنُواْ وَعَمِلُواْ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ لَهُم مَّغۡفِرَةࣱ وَرِزۡقࣱ كَرِیمࣱ ﴿٥٠﴾

तो वे लोग जो ईमान लाए तथा उन्होंने अच्छे कार्य किए, उनके लिए महान क्षमा और सम्मान की रोज़ी है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلَّذِینَ سَعَوۡاْ فِیۤ ءَایَـٰتِنَا مُعَـٰجِزِینَ أُوْلَـٰۤىِٕكَ أَصۡحَـٰبُ ٱلۡجَحِیمِ ﴿٥١﴾

और जिन लोगों ने हमारी आयतों (को झुठलाने) में दौड़-भाग की, (यह समझकर कि हमें) विवश कर देंगे, तो वही नरकवासी हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَمَاۤ أَرۡسَلۡنَا مِن قَبۡلِكَ مِن رَّسُولࣲ وَلَا نَبِیٍّ إِلَّاۤ إِذَا تَمَنَّىٰۤ أَلۡقَى ٱلشَّیۡطَـٰنُ فِیۤ أُمۡنِیَّتِهِۦ فَیَنسَخُ ٱللَّهُ مَا یُلۡقِی ٱلشَّیۡطَـٰنُ ثُمَّ یُحۡكِمُ ٱللَّهُ ءَایَـٰتِهِۦۗ وَٱللَّهُ عَلِیمٌ حَكِیمࣱ ﴿٥٢﴾

और (ऐ रसूल!) हमने आपसे पूर्व न कोई रसूल भेजा और न कोई नबी, परंतु जब उसने (अल्लाह की पुस्तक) पढ़ी, तो शैतान ने उसके पढ़ने में संशय डाल दिया। फिर अल्लाह शैतान के संशय को मिटा देता है, फिर अल्लाह अपनी आयतों को सुदृढ़ कर देता है। और अल्लाह सब कुछ जानने वाला, पूर्ण हिकमत वाला है।[32]

32. आयत का अर्थ यह है कि जब नबी धर्म पुस्तक की आयतें सुनाते हैं, तो शैतान लोगों को उसके अनुपालन से रोकने के लिए संशय उत्पन्न करता है।


Arabic explanations of the Qur’an:

لِّیَجۡعَلَ مَا یُلۡقِی ٱلشَّیۡطَـٰنُ فِتۡنَةࣰ لِّلَّذِینَ فِی قُلُوبِهِم مَّرَضࣱ وَٱلۡقَاسِیَةِ قُلُوبُهُمۡۗ وَإِنَّ ٱلظَّـٰلِمِینَ لَفِی شِقَاقِۭ بَعِیدࣲ ﴿٥٣﴾

ताकि वह (अल्लाह) शैतान के डाले हुए संशय को उनके लिए परीक्षण बना दे, जिनके दिलों में रोग है और जिनके दिल कठोर हैं। और निःसंदेह अत्याचारी लोग विरोध में बहुत दूर चले गए हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلِیَعۡلَمَ ٱلَّذِینَ أُوتُواْ ٱلۡعِلۡمَ أَنَّهُ ٱلۡحَقُّ مِن رَّبِّكَ فَیُؤۡمِنُواْ بِهِۦ فَتُخۡبِتَ لَهُۥ قُلُوبُهُمۡۗ وَإِنَّ ٱللَّهَ لَهَادِ ٱلَّذِینَ ءَامَنُوۤاْ إِلَىٰ صِرَ ٰ⁠طࣲ مُّسۡتَقِیمࣲ ﴿٥٤﴾

और ताकि उन लोगों को जिन्हें ज्ञान दिया गया है, विश्वास हो जाए कि वही आपके पालनहार की ओर से सत्य है। तो वे उसपर ईमान ले आएँ और उनके दिल उसके लिए झुक जाएँ। और निःसंदेह अल्लाह ईमान लाने वालों को निश्चय सीधा मार्ग दिखाने वाला है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَا یَزَالُ ٱلَّذِینَ كَفَرُواْ فِی مِرۡیَةࣲ مِّنۡهُ حَتَّىٰ تَأۡتِیَهُمُ ٱلسَّاعَةُ بَغۡتَةً أَوۡ یَأۡتِیَهُمۡ عَذَابُ یَوۡمٍ عَقِیمٍ ﴿٥٥﴾

तथा वे लोग जिन्होंने कुफ़्र किया, हमेशा इस (क़ुरआन) के बारे में किसी संदेह में रहेंगे, यहाँ तक कि उनके पास अचानक क़ियामत आ जाए, या उनके पास उस दिन की यातना आ जाए, जो बाँझ[33] (हर भलाई से रहित) है।

33. बाँझ दिन से अभिप्राय प्रलय का दिन है क्योंकि उसकी रात नहीं होगी।


Arabic explanations of the Qur’an:

ٱلۡمُلۡكُ یَوۡمَىِٕذࣲ لِّلَّهِ یَحۡكُمُ بَیۡنَهُمۡۚ فَٱلَّذِینَ ءَامَنُواْ وَعَمِلُواْ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ فِی جَنَّـٰتِ ٱلنَّعِیمِ ﴿٥٦﴾

उस दिन सारा राज्य अल्लाह ही का होगा, वह उनके बीच निर्णय करेगा। फिर वे लोग जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कार्य किए, वे नेमत भरी जन्नतों में होंगे।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلَّذِینَ كَفَرُواْ وَكَذَّبُواْ بِـَٔایَـٰتِنَا فَأُوْلَـٰۤىِٕكَ لَهُمۡ عَذَابࣱ مُّهِینࣱ ﴿٥٧﴾

और जिन लोगों ने कुफ़्र किया और हमारी आयतों को झुठलाया, तो वही हैं जिनके लिए अपमानकारी यातना है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلَّذِینَ هَاجَرُواْ فِی سَبِیلِ ٱللَّهِ ثُمَّ قُتِلُوۤاْ أَوۡ مَاتُواْ لَیَرۡزُقَنَّهُمُ ٱللَّهُ رِزۡقًا حَسَنࣰاۚ وَإِنَّ ٱللَّهَ لَهُوَ خَیۡرُ ٱلرَّ ٰ⁠زِقِینَ ﴿٥٨﴾

तथा जिन लोगों ने अल्लाह के मार्ग में अपना घरबार छोड़ा। फिर मारे गए या मर गए, निश्चय अल्लाह उन्हें अवश्य उत्तम रोज़ी प्रदान करेगा। और निःसंदेह अल्लाह ही सब रोज़ी देने वालों से बेहतर है।


Arabic explanations of the Qur’an:

لَیُدۡخِلَنَّهُم مُّدۡخَلࣰا یَرۡضَوۡنَهُۥۚ وَإِنَّ ٱللَّهَ لَعَلِیمٌ حَلِیمࣱ ﴿٥٩﴾

निश्चय वह उन्हें ऐसे स्थान में अवश्य दाख़िल करेगा, जिससे वे प्रसन्न हो जाएँगे। और निःसंदेह अल्लाह सब कुछ जानने वाला, अत्यंत सहनशील है।


Arabic explanations of the Qur’an:

۞ ذَ ٰ⁠لِكَۖ وَمَنۡ عَاقَبَ بِمِثۡلِ مَا عُوقِبَ بِهِۦ ثُمَّ بُغِیَ عَلَیۡهِ لَیَنصُرَنَّهُ ٱللَّهُۚ إِنَّ ٱللَّهَ لَعَفُوٌّ غَفُورࣱ ﴿٦٠﴾

यह तो हुआ। और जो व्यक्ति बदला ले, वैसा ही जैसा उसके साथ किया गया, फिर उसपर अत्याचार किया जाए, तो अल्लाह उसकी अवश्य सहायता करेगा। निःसंदेह अल्लाह बहुत माफ़ करने वाला, अत्यंत क्षमाशील है।


Arabic explanations of the Qur’an:

ذَ ٰ⁠لِكَ بِأَنَّ ٱللَّهَ یُولِجُ ٱلَّیۡلَ فِی ٱلنَّهَارِ وَیُولِجُ ٱلنَّهَارَ فِی ٱلَّیۡلِ وَأَنَّ ٱللَّهَ سَمِیعُۢ بَصِیرࣱ ﴿٦١﴾

यह इसलिए कि अल्लाह रात को दिन में दाखिल करता है और दिन को रात में दाखिल करता है। और अल्लाह सब कुछ सुनने वाला, सब कुछ देखने वाला[35] है।

35. अर्थात उसका नियम अंधा नहीं है कि जिसके साथ अत्याचार किया जाए उसकी सहायता न की जाए। रात्रि तथा दिन का परिवर्तन बता रहा है कि एक ही स्थिति सदा नहीं रहती।


Arabic explanations of the Qur’an:

ذَ ٰ⁠لِكَ بِأَنَّ ٱللَّهَ هُوَ ٱلۡحَقُّ وَأَنَّ مَا یَدۡعُونَ مِن دُونِهِۦ هُوَ ٱلۡبَـٰطِلُ وَأَنَّ ٱللَّهَ هُوَ ٱلۡعَلِیُّ ٱلۡكَبِیرُ ﴿٦٢﴾

यह इसलिए कि अल्लाह ही सत्य है, और जिसे वे अल्लाह के सिवा पुकारते हैं, वह असत्य है, और अल्लाह ही सबसे ऊँचा, सबसे बड़ा है।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَلَمۡ تَرَ أَنَّ ٱللَّهَ أَنزَلَ مِنَ ٱلسَّمَاۤءِ مَاۤءࣰ فَتُصۡبِحُ ٱلۡأَرۡضُ مُخۡضَرَّةًۚ إِنَّ ٱللَّهَ لَطِیفٌ خَبِیرࣱ ﴿٦٣﴾

क्या आपने नहीं देखा कि अल्लाह ने आकाश से कुछ पानी उतारा, तो भूमि हरी-भरी हो जाती है। निःसंदेह अल्लाह अत्यंत दयालु, हर चीज़ की ख़बर रखने वाला है।


Arabic explanations of the Qur’an:

لَّهُۥ مَا فِی ٱلسَّمَـٰوَ ٰ⁠تِ وَمَا فِی ٱلۡأَرۡضِۚ وَإِنَّ ٱللَّهَ لَهُوَ ٱلۡغَنِیُّ ٱلۡحَمِیدُ ﴿٦٤﴾

उसी का है जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है। और निःसंदेह अल्लाह ही बेनियाज़ और प्रशंसनीय है।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَلَمۡ تَرَ أَنَّ ٱللَّهَ سَخَّرَ لَكُم مَّا فِی ٱلۡأَرۡضِ وَٱلۡفُلۡكَ تَجۡرِی فِی ٱلۡبَحۡرِ بِأَمۡرِهِۦ وَیُمۡسِكُ ٱلسَّمَاۤءَ أَن تَقَعَ عَلَى ٱلۡأَرۡضِ إِلَّا بِإِذۡنِهِۦۤۚ إِنَّ ٱللَّهَ بِٱلنَّاسِ لَرَءُوفࣱ رَّحِیمࣱ ﴿٦٥﴾

क्या आपने नहीं देखा कि अल्लाह ने धरती की सारी वस्तुओं को तुम्हारे वश में कर दिया[36] है, तथा नावों को भी, जो सागर में उसके आदेश से चलती हैं और वह आकाश को अपनी अनुमति के बिना धरती पर गिरने से रोकता है? निःसंदेह अल्लाह लोगों के लिए अति करुणामय, अत्यंत दयावान् है।

36. अर्थात तुम उनसे लाभान्वित हो रहे हो।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَهُوَ ٱلَّذِیۤ أَحۡیَاكُمۡ ثُمَّ یُمِیتُكُمۡ ثُمَّ یُحۡیِیكُمۡۗ إِنَّ ٱلۡإِنسَـٰنَ لَكَفُورࣱ ﴿٦٦﴾

तथा वही है, जिसने तुम्हें जीवन प्रदान किया, फिर तुम्हें मारेगा, फिर तुम्हें जीवित करेगा। निःसंदेह इनसान बड़ा ही नाशुक्रा है।


Arabic explanations of the Qur’an:

لِّكُلِّ أُمَّةࣲ جَعَلۡنَا مَنسَكًا هُمۡ نَاسِكُوهُۖ فَلَا یُنَـٰزِعُنَّكَ فِی ٱلۡأَمۡرِۚ وَٱدۡعُ إِلَىٰ رَبِّكَۖ إِنَّكَ لَعَلَىٰ هُدࣰى مُّسۡتَقِیمࣲ ﴿٦٧﴾

(ऐ नबी!) हमने प्रत्येक समुदाय के लिए इबादत की एक विधि निर्धारित की है, जिसके अनुसार वे इबादत करने वाले हैं। अतः वे आपसे इस मामले में हरगिज़ विवाद न करें। और आप अपने पालनहार की ओर लोगों को बुलाएँ। निःसंदेह आप तो निश्चय सीधी राह पर हैं।[37]

37. अर्थात जिस प्रकार प्रत्येक युग में लोगों के लिए धार्मिक नियम निर्धारित किए गए, उसी प्रकार अब क़ुरआन धर्म-विधान तथा जीवन-विधान है। इसलिए अब प्राचीन धर्मो के अनुयायियों को चाहिए कि इसपर ईमान लाएँ, न कि इस विषय में आपसे विवाद करें। और आप निश्चिंत होकर लोगों को इस्लाम की ओर बुलाएँ, क्योंकि आप सत्धर्म पर हैं। और अब आपके बाद सारे पुराने धर्म निरस्त कर दिए गए।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَإِن جَـٰدَلُوكَ فَقُلِ ٱللَّهُ أَعۡلَمُ بِمَا تَعۡمَلُونَ ﴿٦٨﴾

और यदि वे आपसे विवाद करें, तो कह दें कि अल्लाह तुम्हारे कर्मों से भली-भाँति अवगत है।


Arabic explanations of the Qur’an:

ٱللَّهُ یَحۡكُمُ بَیۡنَكُمۡ یَوۡمَ ٱلۡقِیَـٰمَةِ فِیمَا كُنتُمۡ فِیهِ تَخۡتَلِفُونَ ﴿٦٩﴾

अल्लाह क़ियामत के दिन तुम्हारे बीच उस मामले में निर्णय करेगा, जिसमें तुम मतभेद किया करते थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَلَمۡ تَعۡلَمۡ أَنَّ ٱللَّهَ یَعۡلَمُ مَا فِی ٱلسَّمَاۤءِ وَٱلۡأَرۡضِۚ إِنَّ ذَ ٰ⁠لِكَ فِی كِتَـٰبٍۚ إِنَّ ذَ ٰ⁠لِكَ عَلَى ٱللَّهِ یَسِیرࣱ ﴿٧٠﴾

(ऐ रसूल!) क्या आप नहीं जानते कि अल्लाह जानता है, जो आकाश तथा धरती में है? निःसंदेह यह एक किताब में (अंकित) है। निःसंदेह यह अल्लाह के लिए अति सरल है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَیَعۡبُدُونَ مِن دُونِ ٱللَّهِ مَا لَمۡ یُنَزِّلۡ بِهِۦ سُلۡطَـٰنࣰا وَمَا لَیۡسَ لَهُم بِهِۦ عِلۡمࣱۗ وَمَا لِلظَّـٰلِمِینَ مِن نَّصِیرࣲ ﴿٧١﴾

और वे अल्लाह के सिवा उसकी इबादत करते हैं, जिसका उसने कोई प्रमाण नहीं उतारा, और न उनके पास उसकी कोई जानकारी है। और अत्याचारियों का कोई सहायक नहीं।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَإِذَا تُتۡلَىٰ عَلَیۡهِمۡ ءَایَـٰتُنَا بَیِّنَـٰتࣲ تَعۡرِفُ فِی وُجُوهِ ٱلَّذِینَ كَفَرُواْ ٱلۡمُنكَرَۖ یَكَادُونَ یَسۡطُونَ بِٱلَّذِینَ یَتۡلُونَ عَلَیۡهِمۡ ءَایَـٰتِنَاۗ قُلۡ أَفَأُنَبِّئُكُم بِشَرࣲّ مِّن ذَ ٰ⁠لِكُمُۚ ٱلنَّارُ وَعَدَهَا ٱللَّهُ ٱلَّذِینَ كَفَرُواْۖ وَبِئۡسَ ٱلۡمَصِیرُ ﴿٧٢﴾

और जब उन्हें हमारी स्पष्ट आयतें सुनाई जाती हैं, तो आप काफ़िरों के चेहरों में अस्वीकृति पहचान लेंगे। क़रीब होंगे कि वे उनपर आक्रमण कर दें, जो उन्हें हमारी आयतें पढ़कर सुनाते हैं। आप कह दें : तो क्या मैं तुम्हें इससे बुरी चीज़ बता दूँ? वह आग है, जिसका अल्लाह ने उन लोगों से वादा किया है, जिन्होंने कुफ़्र किया और वह बहुत ही बुरा ठिकाना है।


Arabic explanations of the Qur’an:

یَـٰۤأَیُّهَا ٱلنَّاسُ ضُرِبَ مَثَلࣱ فَٱسۡتَمِعُواْ لَهُۥۤۚ إِنَّ ٱلَّذِینَ تَدۡعُونَ مِن دُونِ ٱللَّهِ لَن یَخۡلُقُواْ ذُبَابࣰا وَلَوِ ٱجۡتَمَعُواْ لَهُۥۖ وَإِن یَسۡلُبۡهُمُ ٱلذُّبَابُ شَیۡـࣰٔا لَّا یَسۡتَنقِذُوهُ مِنۡهُۚ ضَعُفَ ٱلطَّالِبُ وَٱلۡمَطۡلُوبُ ﴿٧٣﴾

ऐ लोगो! एक उदाहरण दिया गया है। इसे ध्यान से सुनो। निःसंदेह वे लोग जिन्हें तुम अल्लाह के अतिरिक्त पुकारते हो, कभी एक मक्खी भी पैदा नहीं करेंगे, यद्यपि वे इसके लिए इकट्ठे हो जाएँ। और यदि मक्खी उनसे कोई चीज़ छीन ले, वे उसे उससे छुड़ा नहीं पाएँगे। कमज़ोर है माँगने वाला और वह भी जिससे माँगा गया।


Arabic explanations of the Qur’an:

مَا قَدَرُواْ ٱللَّهَ حَقَّ قَدۡرِهِۦۤۚ إِنَّ ٱللَّهَ لَقَوِیٌّ عَزِیزٌ ﴿٧٤﴾

उन्होंने अल्लाह का वैसे आदर नहीं किया, जैसे उसका आदर करना चाहिए! निःसंदेह अल्लाह अत्यंत शक्तिशाली, सब पर प्रभुत्वशाली है।


Arabic explanations of the Qur’an:

ٱللَّهُ یَصۡطَفِی مِنَ ٱلۡمَلَـٰۤىِٕكَةِ رُسُلࣰا وَمِنَ ٱلنَّاسِۚ إِنَّ ٱللَّهَ سَمِیعُۢ بَصِیرࣱ ﴿٧٥﴾

अल्लाह फ़रिश्तों में से संदेश पहुँचाने वालों को चुनता है तथा मनुष्यों में से भी। निःसंदेह अल्लाह सब कुछ सुनने वाला, सब कुछ देखने[38] वाला है।

38. अर्थात वही जानता है कि रसूल (संदेशवाहक) बनाए जाने के कौन योग्य है।


Arabic explanations of the Qur’an:

یَعۡلَمُ مَا بَیۡنَ أَیۡدِیهِمۡ وَمَا خَلۡفَهُمۡۚ وَإِلَى ٱللَّهِ تُرۡجَعُ ٱلۡأُمُورُ ﴿٧٦﴾

वह जानता है, जो कुछ उनके सामने है और जो कुछ उनके पीछे है। और अल्लाह ही की ओर सब काम लौटाए जाते हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

یَـٰۤأَیُّهَا ٱلَّذِینَ ءَامَنُواْ ٱرۡكَعُواْ وَٱسۡجُدُواْ وَٱعۡبُدُواْ رَبَّكُمۡ وَٱفۡعَلُواْ ٱلۡخَیۡرَ لَعَلَّكُمۡ تُفۡلِحُونَ ۩ ﴿٧٧﴾

ऐ ईमान वालो! रुकू करो तथा सजदा करो और अपने पालनहार की इबादत करो और नेकी करो, ताकि तुम सफल हो जाओ।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَجَـٰهِدُواْ فِی ٱللَّهِ حَقَّ جِهَادِهِۦۚ هُوَ ٱجۡتَبَىٰكُمۡ وَمَا جَعَلَ عَلَیۡكُمۡ فِی ٱلدِّینِ مِنۡ حَرَجࣲۚ مِّلَّةَ أَبِیكُمۡ إِبۡرَ ٰ⁠هِیمَۚ هُوَ سَمَّىٰكُمُ ٱلۡمُسۡلِمِینَ مِن قَبۡلُ وَفِی هَـٰذَا لِیَكُونَ ٱلرَّسُولُ شَهِیدًا عَلَیۡكُمۡ وَتَكُونُواْ شُهَدَاۤءَ عَلَى ٱلنَّاسِۚ فَأَقِیمُواْ ٱلصَّلَوٰةَ وَءَاتُواْ ٱلزَّكَوٰةَ وَٱعۡتَصِمُواْ بِٱللَّهِ هُوَ مَوۡلَىٰكُمۡۖ فَنِعۡمَ ٱلۡمَوۡلَىٰ وَنِعۡمَ ٱلنَّصِیرُ ﴿٧٨﴾

तथा अल्लाह के मार्ग में जिहाद करो, जैसा कि उसके जिहाद का हक़[39] है। उसी ने तुम्हें चुना है। और धर्म के मामले में तुमपर कोई तंगी नहीं रखी। यह तुम्हारे पिता इबराहीम का धर्म है। उसी ने इस (क़ुरआन) से पहले तथा इसमें भी तुम्हारा नाम मुसलमान रखा है। ताकि रसूल तुमपर गवाह हों और तुम सब लोगों पर गवाह[40] बनो। अतः नमाज़ क़ायम करो तथा ज़कात दो और अल्लाह को मज़बूती से पकड़[41] लो। वही तुम्हारा संरक्षक है। तो वह क्या ही अच्छा संरक्षक तथा क्या ही अच्छा सहायक है।

39. एक व्यक्ति ने आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से प्रश्न किया कि कोई धन के लिए लड़ता है, कोई नाम के लिए और कोई वीरता दिखाने के लिए। तो कौन अल्लाह के लिए लड़ने वाला है? आप ने फरमाया : जो अल्लाह का शब्द ऊँचा करने के लिए लड़ता है। (सह़ीह़ बुख़ारी : 123, 2810) 40. व्याख्या के लिए देखिए : सूरतुल-बक़रह, आयत : 143. 41. अर्थात उसकी आज्ञा और धर्म-विधान का पालन करो।


Arabic explanations of the Qur’an: