Surah सूरा अश्-शु-अ़-रा - Ash-Shu‘arā’

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Surah सूरा अश्-शु-अ़-रा - Ash-Shu‘arā’ - Aya count 227

طسۤمۤ ﴿١﴾

ता, सीन, मीम।


Arabic explanations of the Qur’an:

تِلۡكَ ءَایَـٰتُ ٱلۡكِتَـٰبِ ٱلۡمُبِینِ ﴿٢﴾

ये स्पष्ट किताब की आयतें हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

لَعَلَّكَ بَـٰخِعࣱ نَّفۡسَكَ أَلَّا یَكُونُواْ مُؤۡمِنِینَ ﴿٣﴾

शायद (ऐ रसूल!) आप अपने आपको हलाक करने वाले हैं, इसलिए कि वे ईमान नहीं लाते।[1]

1. अर्थात उनके ईमान न लाने के शोक में।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِن نَّشَأۡ نُنَزِّلۡ عَلَیۡهِم مِّنَ ٱلسَّمَاۤءِ ءَایَةࣰ فَظَلَّتۡ أَعۡنَـٰقُهُمۡ لَهَا خَـٰضِعِینَ ﴿٤﴾

यदि हम चाहें, तो उनपर आकाश से कोई निशानी उतार दें, फिर उसके सामने उनकी गर्दनें झुकी रह जाएँ।[2]

2. परंतु ऐसा नहीं किया, क्योंकि दबाव का ईमान स्वीकार्य तथा मान्य नहीं होता।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَمَا یَأۡتِیهِم مِّن ذِكۡرࣲ مِّنَ ٱلرَّحۡمَـٰنِ مُحۡدَثٍ إِلَّا كَانُواْ عَنۡهُ مُعۡرِضِینَ ﴿٥﴾

और जब भी 'रह़मान' (अति दयावान्) की ओर से उनके पास कोई नई नसीहत आती है, तो वे उससे मुँह फेरने वाले होते हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَقَدۡ كَذَّبُواْ فَسَیَأۡتِیهِمۡ أَنۢبَـٰۤؤُاْ مَا كَانُواْ بِهِۦ یَسۡتَهۡزِءُونَ ﴿٦﴾

अतः निःसंदेह उन्होंने झुठला दिया, तो शीघ्र ही उनके पास उस चीज़ की खबरें आ जाएँगी, जिसका वे उपहास उड़ाया करते थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَوَلَمۡ یَرَوۡاْ إِلَى ٱلۡأَرۡضِ كَمۡ أَنۢبَتۡنَا فِیهَا مِن كُلِّ زَوۡجࣲ كَرِیمٍ ﴿٧﴾

और क्या उन्होंने धरती की ओर नहीं देखा कि हमने उसमें हर उत्तम प्रकार के कितने पौधे उगाए हैं?


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّ فِی ذَ ٰ⁠لِكَ لَـَٔایَةࣰۖ وَمَا كَانَ أَكۡثَرُهُم مُّؤۡمِنِینَ ﴿٨﴾

निःसंदे इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी[3] है। (परंतु) उनमें से अधिकतर ईमान लाने वाले नहीं थे।

3. अर्थात अल्लाह के सामर्थ्य की।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلۡعَزِیزُ ٱلرَّحِیمُ ﴿٩﴾

तथा निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَإِذۡ نَادَىٰ رَبُّكَ مُوسَىٰۤ أَنِ ٱئۡتِ ٱلۡقَوۡمَ ٱلظَّـٰلِمِینَ ﴿١٠﴾

और जब आपके पालनहार ने मूसा को पुकारा कि उन ज़ालिम लोगों[4] के पास जाओ।

4. यह उस समय की बात है जब मूसा (अलैहिस्सलाम) दस वर्ष मदयन में रहकर मिस्र वापस आ रहे थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

قَوۡمَ فِرۡعَوۡنَۚ أَلَا یَتَّقُونَ ﴿١١﴾

फ़िरऔन की जाति के पास। क्या वे डरते नहीं?


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالَ رَبِّ إِنِّیۤ أَخَافُ أَن یُكَذِّبُونِ ﴿١٢﴾

उसने कहा : ऐ मेरे पालनहार! निःसंदेह मुझे डर है कि वे मुझे झुठला देंगे।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَیَضِیقُ صَدۡرِی وَلَا یَنطَلِقُ لِسَانِی فَأَرۡسِلۡ إِلَىٰ هَـٰرُونَ ﴿١٣﴾

और मेरा सीना घुटता है और मेरी ज़बान नहीं चलती, अतः हारून की ओर संदेश भेज।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَهُمۡ عَلَیَّ ذَنۢبࣱ فَأَخَافُ أَن یَقۡتُلُونِ ﴿١٤﴾

और उनका मुझपर एक अपराध का आरोप है। अतः मैं डरता हूँ कि वे मुझे मार डालेंगे।


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالَ كَلَّاۖ فَٱذۡهَبَا بِـَٔایَـٰتِنَاۤۖ إِنَّا مَعَكُم مُّسۡتَمِعُونَ ﴿١٥﴾

(अल्लाह ने) फरमाया : ऐसा कभी नहीं होगा, अतः तुम दोनों हमारी निशानियों के साथ जाओ। निःसंदेह हम तुम्हारे साथ ख़ूब सुनने[5] वाले हैं।

5. अर्थात तुम दोनों की सहायता करते रहेंगे।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَأۡتِیَا فِرۡعَوۡنَ فَقُولَاۤ إِنَّا رَسُولُ رَبِّ ٱلۡعَـٰلَمِینَ ﴿١٦﴾

तो तुम दोनों फ़िरऔन के पास जाओ और कहो कि निःसंदेह हम सारे संसारों के पालनहार के संदेशवाहक हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَنۡ أَرۡسِلۡ مَعَنَا بَنِیۤ إِسۡرَ ٰ⁠ۤءِیلَ ﴿١٧﴾

कि तू बनी इसराईल को हमारे साथ भेज दे।


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالَ أَلَمۡ نُرَبِّكَ فِینَا وَلِیدࣰا وَلَبِثۡتَ فِینَا مِنۡ عُمُرِكَ سِنِینَ ﴿١٨﴾

(फ़िरऔन ने) कहा : क्या हमने तुझे अपने यहाँ इस हाल में नहीं पाला कि तू बच्चा था और तू हमारे बीच अपनी आयु के कई वर्ष रहा?


Arabic explanations of the Qur’an:

وَفَعَلۡتَ فَعۡلَتَكَ ٱلَّتِی فَعَلۡتَ وَأَنتَ مِنَ ٱلۡكَـٰفِرِینَ ﴿١٩﴾

और तूने अपना वह काम[6] किया, जो तूने किया। और तू अकृतज्ञों में से है।

6. यह क़िबती को क़त्ल करने की ओर संकेत है जो मूसा (अलैहिस्सलाम) से नबी बनाए जाने से पहले हो गया था। (देखिए : सूरतुल-क़स़स़)


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالَ فَعَلۡتُهَاۤ إِذࣰا وَأَنَا۠ مِنَ ٱلضَّاۤلِّینَ ﴿٢٠﴾

(मूसा ने) कहा : मैंने उस समय वह काम इस हाल में किया कि मैं अनजानों में से था।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَفَرَرۡتُ مِنكُمۡ لَمَّا خِفۡتُكُمۡ فَوَهَبَ لِی رَبِّی حُكۡمࣰا وَجَعَلَنِی مِنَ ٱلۡمُرۡسَلِینَ ﴿٢١﴾

फिर मैं तुम्हारे पास से भाग गया, जब मैं तुमसे डरा, तो मेरे पालनहार ने मुझे हुक्म (नुबुव्वत एवं ज्ञान) प्रदान किया और मुझे रसूलों में से बना दिया।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَتِلۡكَ نِعۡمَةࣱ تَمُنُّهَا عَلَیَّ أَنۡ عَبَّدتَّ بَنِیۤ إِسۡرَ ٰ⁠ۤءِیلَ ﴿٢٢﴾

और यह कोई उपकार है, जो तू मुझपर जता रहा है कि तूने बनी इसराईल काे ग़ुलाम बना रखा है।


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالَ فِرۡعَوۡنُ وَمَا رَبُّ ٱلۡعَـٰلَمِینَ ﴿٢٣﴾

फ़िरऔन ने कहा : और 'रब्बुल-आलमीन' (सारे संसारों का पालनहार) क्या है?


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالَ رَبُّ ٱلسَّمَـٰوَ ٰ⁠تِ وَٱلۡأَرۡضِ وَمَا بَیۡنَهُمَاۤۖ إِن كُنتُم مُّوقِنِینَ ﴿٢٤﴾

(मूसा ने) कहा : जो आकाशों और धरती का रब है और जो उनके बीच है उसका भी, यदि तुम विश्वास करने वाले हो।


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالَ لِمَنۡ حَوۡلَهُۥۤ أَلَا تَسۡتَمِعُونَ ﴿٢٥﴾

उसने अपने आस-पास के लोगों से कहा : क्या तुम सुनते नहीं?


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالَ رَبُّكُمۡ وَرَبُّ ءَابَاۤىِٕكُمُ ٱلۡأَوَّلِینَ ﴿٢٦﴾

(मूसा ने) कहा : जो तुम्हारा पालनहार तथा तुम्हारे पहले बाप-दादा का पालनहार है।


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالَ إِنَّ رَسُولَكُمُ ٱلَّذِیۤ أُرۡسِلَ إِلَیۡكُمۡ لَمَجۡنُونࣱ ﴿٢٧﴾

(फ़िरऔन ने) कहा : निश्चय तुम्हारा यह रसूल, जो तुम्हारी ओर भेजा गया है, अवश्य पागल है।


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالَ رَبُّ ٱلۡمَشۡرِقِ وَٱلۡمَغۡرِبِ وَمَا بَیۡنَهُمَاۤۖ إِن كُنتُمۡ تَعۡقِلُونَ ﴿٢٨﴾

(मूसा ने) कहा : जो पूर्व तथा पश्चिम रब है और उसका भी जो उन दोनों के बीच है, अगर तुम समझते हो।


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالَ لَىِٕنِ ٱتَّخَذۡتَ إِلَـٰهًا غَیۡرِی لَأَجۡعَلَنَّكَ مِنَ ٱلۡمَسۡجُونِینَ ﴿٢٩﴾

(फ़िरऔन ने) कहा : निश्चय यदि तूने मेरे अलावा किसी और को पूज्य बनाया, तो मैं तुझे अवश्य ही बंदी बनाए हुए लोगों में शामिल कर दूँगा।‌


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالَ أَوَلَوۡ جِئۡتُكَ بِشَیۡءࣲ مُّبِینࣲ ﴿٣٠﴾

(मूसा ने) कहा : क्या भले ही मैं तेरे पास कोई स्पष्ट चीज़ ले आऊँ?


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالَ فَأۡتِ بِهِۦۤ إِن كُنتَ مِنَ ٱلصَّـٰدِقِینَ ﴿٣١﴾

उसने कहा : तू उसे ले आ, यदि तू सच्चे लोगों में से है।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَأَلۡقَىٰ عَصَاهُ فَإِذَا هِیَ ثُعۡبَانࣱ مُّبِینࣱ ﴿٣٢﴾

फिर उसने अपनी लाठी फेंक दी, तो अचानक वह एक प्रत्यक्ष अजगर बन गई।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَنَزَعَ یَدَهُۥ فَإِذَا هِیَ بَیۡضَاۤءُ لِلنَّـٰظِرِینَ ﴿٣٣﴾

तथा उसने अपना हाथ निकाला, तो एकाएक वह देखने वालों के लिए सफेद (चमकदार) था।


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالَ لِلۡمَلَإِ حَوۡلَهُۥۤ إِنَّ هَـٰذَا لَسَـٰحِرٌ عَلِیمࣱ ﴿٣٤﴾

उसने अपने आस-पास के प्रमुखों से कहा : निश्चय यह तो एक बड़ा कुशल जादूगर है।


Arabic explanations of the Qur’an:

یُرِیدُ أَن یُخۡرِجَكُم مِّنۡ أَرۡضِكُم بِسِحۡرِهِۦ فَمَاذَا تَأۡمُرُونَ ﴿٣٥﴾

जो चाहता है कि अपने जादू के साथ तुम्हें तुम्हारी धरती से निकाल[7] दे। तो तुम क्या आदेश देते हो?

7. अर्थात यह उग्रवाद करके हमारे देश पर अधिकार कर ले।


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالُوۤاْ أَرۡجِهۡ وَأَخَاهُ وَٱبۡعَثۡ فِی ٱلۡمَدَاۤىِٕنِ حَـٰشِرِینَ ﴿٣٦﴾

उन्होंने कहा : इसके तथा इसके भाई को मोहलत दें और नगरों में (लोगों को) जमा करने वालों को भेज दें।


Arabic explanations of the Qur’an:

یَأۡتُوكَ بِكُلِّ سَحَّارٍ عَلِیمࣲ ﴿٣٧﴾

कि वे तेरे पास हर बड़ा जादूगर ले आएँ, जो जादू में बहुत कुशल हो।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَجُمِعَ ٱلسَّحَرَةُ لِمِیقَـٰتِ یَوۡمࣲ مَّعۡلُومࣲ ﴿٣٨﴾

तो जादूगर एक निश्चित दिन के नियत समय पर इकट्ठा कर लिए गए।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَقِیلَ لِلنَّاسِ هَلۡ أَنتُم مُّجۡتَمِعُونَ ﴿٣٩﴾

तथा लोगों से कहा गया : क्या तुम एकत्र होने वाले[8] हो?

8. अर्थात लोगों को प्रेरणा दी जा रही है कि इस प्रतियोगिता में अवश्य उपस्थित हों।


Arabic explanations of the Qur’an:

لَعَلَّنَا نَتَّبِعُ ٱلسَّحَرَةَ إِن كَانُواْ هُمُ ٱلۡغَـٰلِبِینَ ﴿٤٠﴾

शायद हम इन जादूगरों के अनुयायी बन जाएँ, यदि वही विजयी हों।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَلَمَّا جَاۤءَ ٱلسَّحَرَةُ قَالُواْ لِفِرۡعَوۡنَ أَىِٕنَّ لَنَا لَأَجۡرًا إِن كُنَّا نَحۡنُ ٱلۡغَـٰلِبِینَ ﴿٤١﴾

फिर जब जादूगर आ गए, तो उन्होंने फ़िरऔन से कहा : क्या सचमुच हमें कुछ पुरस्कार मिलेगा, यदि हम ही प्रभावी रहे?


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالَ نَعَمۡ وَإِنَّكُمۡ إِذࣰا لَّمِنَ ٱلۡمُقَرَّبِینَ ﴿٤٢﴾

उसने कहा : हाँ! और निश्चय तुम उस समय निकटवर्तियों में से हो जाओगे ।


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالَ لَهُم مُّوسَىٰۤ أَلۡقُواْ مَاۤ أَنتُم مُّلۡقُونَ ﴿٤٣﴾

मूसा ने उनसे कहा : फेंको, जो कुछ तुम फेंकने वाले हो।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَأَلۡقَوۡاْ حِبَالَهُمۡ وَعِصِیَّهُمۡ وَقَالُواْ بِعِزَّةِ فِرۡعَوۡنَ إِنَّا لَنَحۡنُ ٱلۡغَـٰلِبُونَ ﴿٤٤﴾

तो उन्होंने अपनी रस्सियाँ और लाठियाँ फेंकीं और कहा : फ़िरऔन के प्रभुत्व की सौगंध! निःसंदेह हम, निश्चय हम ही विजयी रहेंगे।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَأَلۡقَىٰ مُوسَىٰ عَصَاهُ فَإِذَا هِیَ تَلۡقَفُ مَا یَأۡفِكُونَ ﴿٤٥﴾

फिर मूसा ने अपनी लाठी फेंकी, तो एकाएक वह उन चीज़ों को निगल रही थी, जो वे झूठ बना रहे थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَأُلۡقِیَ ٱلسَّحَرَةُ سَـٰجِدِینَ ﴿٤٦﴾

इसपर जादूगर सजदा करते हुए गिर गए।[9]

9. क्योंकि उन्हें विश्वास हो गया कि मूसा (अलैहिस्सलाम) जादूगर नहीं, बल्कि वह सत्य के उपदेशक हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالُوۤاْ ءَامَنَّا بِرَبِّ ٱلۡعَـٰلَمِینَ ﴿٤٧﴾

उन्होंने कहा : हम सारे संसारों के पालनहार पर ईमान ले आए।


Arabic explanations of the Qur’an:

رَبِّ مُوسَىٰ وَهَـٰرُونَ ﴿٤٨﴾

मूसा तथा हारून के पालनहार पर।


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالَ ءَامَنتُمۡ لَهُۥ قَبۡلَ أَنۡ ءَاذَنَ لَكُمۡۖ إِنَّهُۥ لَكَبِیرُكُمُ ٱلَّذِی عَلَّمَكُمُ ٱلسِّحۡرَ فَلَسَوۡفَ تَعۡلَمُونَۚ لَأُقَطِّعَنَّ أَیۡدِیَكُمۡ وَأَرۡجُلَكُم مِّنۡ خِلَـٰفࣲ وَلَأُصَلِّبَنَّكُمۡ أَجۡمَعِینَ ﴿٤٩﴾

(फ़िरऔन ने) कहा : तुम उसपर ईमान ले आए, इससे पहले कि मैं तुम्हें अनुमति दूँ? निःसंदेह यह अवश्य तुम्हारा बड़ा (गुरू) है, जिसने तुम्हें जादू सिखाया है। अतः निश्चय तुम जल्दी जान लोगे। मैं अवश्य तुम्हारे हाथ और तुम्हारे पाँव विपरीत दिशा[10] से काट दूँगा तथा निश्चय तुम सभी को अवश्य बुरी तरह सूली पर चढ़ा दूँगा।

10. अर्थात दाँया हाथ और बायाँ पैर या बायाँ हाथ और दायाँ पैर।


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالُواْ لَا ضَیۡرَۖ إِنَّاۤ إِلَىٰ رَبِّنَا مُنقَلِبُونَ ﴿٥٠﴾

उन्होंने कहा : कोई नुक़सान नहीं, निश्चित रूप से हम अपने पालनहार की ओर पलटने वाले हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّا نَطۡمَعُ أَن یَغۡفِرَ لَنَا رَبُّنَا خَطَـٰیَـٰنَاۤ أَن كُنَّاۤ أَوَّلَ ٱلۡمُؤۡمِنِینَ ﴿٥١﴾

हम आशा रखते हैं कि हमारा पालनहार हमारे लिए, हमारे पापों को क्षमा कर देगा, इस कारण कि हम सबसे पहले ईमान लाने वाले हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

۞ وَأَوۡحَیۡنَاۤ إِلَىٰ مُوسَىٰۤ أَنۡ أَسۡرِ بِعِبَادِیۤ إِنَّكُم مُّتَّبَعُونَ ﴿٥٢﴾

और हमने मूसा की ओर वह़्य की कि मेरे बंदों को लेकर रातों-रात निकल जा। निश्चय ही तुम्हारा पीछा किया जाएगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَأَرۡسَلَ فِرۡعَوۡنُ فِی ٱلۡمَدَاۤىِٕنِ حَـٰشِرِینَ ﴿٥٣﴾

तो फ़िरऔन ने नगरों में (सेना) एकत्र करने वालों को भेज दिया।[11]

11. जब मूसा (अलैहिस्सलाम) अल्लाह के आदेशानुसार अपने साथियों को लेकर निकल गए तो फ़िरऔन ने उनका पीछा करने के लिए नगरों में हरकारे भेजे।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّ هَـٰۤؤُلَاۤءِ لَشِرۡذِمَةࣱ قَلِیلُونَ ﴿٥٤﴾

कि निःसंदेह ये लोग एक छोटा-सा समूह हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَإِنَّهُمۡ لَنَا لَغَاۤىِٕظُونَ ﴿٥٥﴾

और निःसंदेह ये हमें निश्चित रूप से गुस्सा दिलाने वाले हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَإِنَّا لَجَمِیعٌ حَـٰذِرُونَ ﴿٥٦﴾

और निश्चय ही हम सब चौकन्ना रहने वाले हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَأَخۡرَجۡنَـٰهُم مِّن جَنَّـٰتࣲ وَعُیُونࣲ ﴿٥٧﴾

इस तरह हमने उन्हें बाग़ों और सोतों से निकाल दिया।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَكُنُوزࣲ وَمَقَامࣲ كَرِیمࣲ ﴿٥٨﴾

तथा ख़ज़ानों और उत्तम आवासों से।


Arabic explanations of the Qur’an:

كَذَ ٰ⁠لِكَۖ وَأَوۡرَثۡنَـٰهَا بَنِیۤ إِسۡرَ ٰ⁠ۤءِیلَ ﴿٥٩﴾

ऐसा ही हुआ और हमने उनका वारिस बनी इसराईल को बना दिया।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَأَتۡبَعُوهُم مُّشۡرِقِینَ ﴿٦٠﴾

तो उन्होंने सूर्योदय के समय उनका पीछा किया।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَلَمَّا تَرَ ٰ⁠ۤءَا ٱلۡجَمۡعَانِ قَالَ أَصۡحَـٰبُ مُوسَىٰۤ إِنَّا لَمُدۡرَكُونَ ﴿٦١﴾

फिर जब दोनों गिरोहों ने एक-दूसरे को देखा, तो मूसा के साथियों ने कहा : निःसंदेह हम निश्चय ही पकड़े जाने[12) वाले हैं।

12. क्योंकि अब सामने सागर और पीछे फ़िरऔन की सेना थी।


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالَ كَلَّاۤۖ إِنَّ مَعِیَ رَبِّی سَیَهۡدِینِ ﴿٦٢﴾

(मूसा ने) कहा : हरगिज़ नहीं! निश्चय मेरे साथ मेरा पालनहार है। वह अवश्य मेरा मार्गदर्शन करेगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَأَوۡحَیۡنَاۤ إِلَىٰ مُوسَىٰۤ أَنِ ٱضۡرِب بِّعَصَاكَ ٱلۡبَحۡرَۖ فَٱنفَلَقَ فَكَانَ كُلُّ فِرۡقࣲ كَٱلطَّوۡدِ ٱلۡعَظِیمِ ﴿٦٣﴾

तो हमने मूसा की ओर वह़्य की कि अपनी लाठी को सागर पर मारो। (उसने लाठी मारी) तो वह फट गया और हर टुकड़ा बड़े पहाड़ की[13] तरह हो गया।

13. अर्थात बीच से मार्ग बन गया और दोनों ओर पानी पर्वत के समान खड़ा हो गया।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَأَزۡلَفۡنَا ثَمَّ ٱلۡـَٔاخَرِینَ ﴿٦٤﴾

तथा वहीं हम दूसरों को निकट ले आए।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَأَنجَیۡنَا مُوسَىٰ وَمَن مَّعَهُۥۤ أَجۡمَعِینَ ﴿٦٥﴾

और हमने मूसा को और जो उसके साथ थे, सबको बचा लिया।


Arabic explanations of the Qur’an:

ثُمَّ أَغۡرَقۡنَا ٱلۡـَٔاخَرِینَ ﴿٦٦﴾

फिर हमने दूसरों को डुबो दिया।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّ فِی ذَ ٰ⁠لِكَ لَـَٔایَةࣰۖ وَمَا كَانَ أَكۡثَرُهُم مُّؤۡمِنِینَ ﴿٦٧﴾

निःसंदेह इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। और उनमें से अधिकतर लोग ईमान लाने वाले नहीं थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلۡعَزِیزُ ٱلرَّحِیمُ ﴿٦٨﴾

और निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् हैl


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱتۡلُ عَلَیۡهِمۡ نَبَأَ إِبۡرَ ٰ⁠هِیمَ ﴿٦٩﴾

तथा आप उन्हें इबराहीम का समाचार सुनाएँ।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِذۡ قَالَ لِأَبِیهِ وَقَوۡمِهِۦ مَا تَعۡبُدُونَ ﴿٧٠﴾

जब उसने अपने बाप तथा अपनी जाति से कहा : तुम किसकी पूजा करते हो?


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالُواْ نَعۡبُدُ أَصۡنَامࣰا فَنَظَلُّ لَهَا عَـٰكِفِینَ ﴿٧١﴾

उन्होंने कहा : हम कुछ मूर्तियों की पूजा करते हैं, इसलिए उन्हीं की सेवा में लगे रहते हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالَ هَلۡ یَسۡمَعُونَكُمۡ إِذۡ تَدۡعُونَ ﴿٧٢﴾

उसने कहा : क्या वे तुम्हें सुनते हैं, जब तुम (उन्हें) पुकारते हो?


Arabic explanations of the Qur’an:

أَوۡ یَنفَعُونَكُمۡ أَوۡ یَضُرُّونَ ﴿٧٣﴾

या तुम्हें लाभ देते हैं, या हानि पहुँचाते हैं?


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالُواْ بَلۡ وَجَدۡنَاۤ ءَابَاۤءَنَا كَذَ ٰ⁠لِكَ یَفۡعَلُونَ ﴿٧٤﴾

उन्होंने कहा : बल्कि हमने अपने बाप-दादा को पाया कि वे ऐसा ही करते थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالَ أَفَرَءَیۡتُم مَّا كُنتُمۡ تَعۡبُدُونَ ﴿٧٥﴾

उसने कहा : तो क्या तुमने देखा कि जिनको तुम पूजते रहे।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَنتُمۡ وَءَابَاۤؤُكُمُ ٱلۡأَقۡدَمُونَ ﴿٧٦﴾

तुम तथा तुम्हारे पहले बाप-दादा?


Arabic explanations of the Qur’an:

فَإِنَّهُمۡ عَدُوࣱّ لِّیۤ إِلَّا رَبَّ ٱلۡعَـٰلَمِینَ ﴿٧٧﴾

सो निःसंदेह वे मेरे शत्रु हैं, सिवाय सारे संसारों के पालनहार के।


Arabic explanations of the Qur’an:

ٱلَّذِی خَلَقَنِی فَهُوَ یَهۡدِینِ ﴿٧٨﴾

वह जिसने मुझे पैदा किया, फिर वही मेरा मार्गदर्शन करता है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلَّذِی هُوَ یُطۡعِمُنِی وَیَسۡقِینِ ﴿٧٩﴾

और वही जो मुझे खिलाता है और मुझे पिलाता है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَإِذَا مَرِضۡتُ فَهُوَ یَشۡفِینِ ﴿٨٠﴾

और जब मैं बीमार होता हूँ, तो वही मुझे अच्छा करता है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلَّذِی یُمِیتُنِی ثُمَّ یُحۡیِینِ ﴿٨١﴾

तथा वह जो मुझे मारेगा, फिर[14] मुझे जीवित करेगा।

14. अर्थात प्रलय के दिन अपने कर्मों का फल भोगने के लिए।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلَّذِیۤ أَطۡمَعُ أَن یَغۡفِرَ لِی خَطِیۤـَٔتِی یَوۡمَ ٱلدِّینِ ﴿٨٢﴾

तथा वह, जिससे मैं आशा रखता हूँ कि वह बदले के दिन मेरे पाप क्षमा कर देगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

رَبِّ هَبۡ لِی حُكۡمࣰا وَأَلۡحِقۡنِی بِٱلصَّـٰلِحِینَ ﴿٨٣﴾

ऐ मेरे पालनहार! मुझे हुक्म (धर्म का ज्ञान) प्रदान कर और मुझे नेक लोगों के साथ मिला।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱجۡعَل لِّی لِسَانَ صِدۡقࣲ فِی ٱلۡـَٔاخِرِینَ ﴿٨٤﴾

और बाद में आने वालों में मुझे सच्ची ख्याति प्रदान कर।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱجۡعَلۡنِی مِن وَرَثَةِ جَنَّةِ ٱلنَّعِیمِ ﴿٨٥﴾

और मुझे नेमतों वाली जन्नत के वारिसों में से बना दे।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱغۡفِرۡ لِأَبِیۤ إِنَّهُۥ كَانَ مِنَ ٱلضَّاۤلِّینَ ﴿٨٦﴾

तथा मेरे बाप को क्षमा कर दे।[15] निश्चय वह गुमराहों में से था।

15. (देखिए : सूरतुत-तौबा, आयत : 114)


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَا تُخۡزِنِی یَوۡمَ یُبۡعَثُونَ ﴿٨٧﴾

तथा मुझे रुसवा न कर, जिस दिन लोग उठाए जाएँगे।[16]

16. ह़दीस में वर्णित है कि प्रलय के दिन इबराहीम अलैहिस्सलाम अपने बाप से मिलेंगे। और कहेंगे : ऐ मेरे पालनहार! तूने मुझे वचन दिया था कि मुझे पुनः जीवित होने के दिन अपमानित नहीं करेगा। तो अल्लाह कहेगा : मैंने स्वर्ग को काफ़िरों के लिए अवैध कर दिया है। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4769)


Arabic explanations of the Qur’an:

یَوۡمَ لَا یَنفَعُ مَالࣱ وَلَا بَنُونَ ﴿٨٨﴾

जिस दिन न कोई धन लाभ देगा और न बेटे।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِلَّا مَنۡ أَتَى ٱللَّهَ بِقَلۡبࣲ سَلِیمࣲ ﴿٨٩﴾

परंतु जो अल्लाह के पास पाक-साफ़ दिल लेकर आया।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَأُزۡلِفَتِ ٱلۡجَنَّةُ لِلۡمُتَّقِینَ ﴿٩٠﴾

और (अपने रब से) डरने वालों के लिए जन्नत निकट लाई जाएगी।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَبُرِّزَتِ ٱلۡجَحِیمُ لِلۡغَاوِینَ ﴿٩١﴾

तथा पथभ्रष्ट लोगों के लिए भड़कती आग प्रकट कर दी जाएगी।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَقِیلَ لَهُمۡ أَیۡنَ مَا كُنتُمۡ تَعۡبُدُونَ ﴿٩٢﴾

तथा उनसे कहा जाएगा : कहाँ हैं वे, जिन्हें तुम पूजते थे?


Arabic explanations of the Qur’an:

مِن دُونِ ٱللَّهِ هَلۡ یَنصُرُونَكُمۡ أَوۡ یَنتَصِرُونَ ﴿٩٣﴾

अल्लाह के सिवा। क्या वे तुम्हारी मदद करते हैं, या अपनी रक्षा करते हैं?


Arabic explanations of the Qur’an:

فَكُبۡكِبُواْ فِیهَا هُمۡ وَٱلۡغَاوُۥنَ ﴿٩٤﴾

फिर वे और सब पथभ्रष्ट लोग उसमें औंधे मुँह फेंक दिए जाएँगे।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَجُنُودُ إِبۡلِیسَ أَجۡمَعُونَ ﴿٩٥﴾

और इबलीस की समस्त सेनाएँ भी।


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالُواْ وَهُمۡ فِیهَا یَخۡتَصِمُونَ ﴿٩٦﴾

वे उसमें आपस में झगड़ते हुए कहेंगे :


Arabic explanations of the Qur’an:

تَٱللَّهِ إِن كُنَّا لَفِی ضَلَـٰلࣲ مُّبِینٍ ﴿٩٧﴾

अल्लाह की क़सम! निःसंदेह हम निश्चय खुली गुमराही में थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِذۡ نُسَوِّیكُم بِرَبِّ ٱلۡعَـٰلَمِینَ ﴿٩٨﴾

जब हम तुम्हें सारे संसारों के पालनहार के बराबर ठहराते थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَمَاۤ أَضَلَّنَاۤ إِلَّا ٱلۡمُجۡرِمُونَ ﴿٩٩﴾

और हमें तो सिर्फ़ इन अपराधियों ने गुमराह किया।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَمَا لَنَا مِن شَـٰفِعِینَ ﴿١٠٠﴾

अब न हमारे लिए कोई सिफारिश करने वाले हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَا صَدِیقٍ حَمِیمࣲ ﴿١٠١﴾

और न कोई घनिष्ट मित्र।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَلَوۡ أَنَّ لَنَا كَرَّةࣰ فَنَكُونَ مِنَ ٱلۡمُؤۡمِنِینَ ﴿١٠٢﴾

तो यदि वास्तव में हमारे लिए वापस जाने का अवसर होता, तो हम ईमानवालों में से हो जाते।[17]

17. इस आयत में संकेत है कि संसार में एक ही जीवन कर्म के लिए मिलता है। और दूसरा जीवन परलोक में कर्मों के फल के लिए मिलेगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّ فِی ذَ ٰ⁠لِكَ لَـَٔایَةࣰۖ وَمَا كَانَ أَكۡثَرُهُم مُّؤۡمِنِینَ ﴿١٠٣﴾

निःसंदेह इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। और उनमें से अधिकतर ईमानवाले नहीं थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلۡعَزِیزُ ٱلرَّحِیمُ ﴿١٠٤﴾

और निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली,[18] अत्यंत दयावान् हैl

18. परंतु लोग स्वयं अत्याचार करके नरक के भागी बन रहे हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

كَذَّبَتۡ قَوۡمُ نُوحٍ ٱلۡمُرۡسَلِینَ ﴿١٠٥﴾

नूह़ की जाति ने रसूलों को झुठलाया।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِذۡ قَالَ لَهُمۡ أَخُوهُمۡ نُوحٌ أَلَا تَتَّقُونَ ﴿١٠٦﴾

जब उनसे उनके भाई नूह़ ने कहा : क्या तुम डरते नहीं?


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنِّی لَكُمۡ رَسُولٌ أَمِینࣱ ﴿١٠٧﴾

निःसंदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ।[19]

19. अल्लाह का संदेश बिना कमी और अधिकता के तुम्हें पहुँचा रहा हूँ।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ وَأَطِیعُونِ ﴿١٠٨﴾

अतः तुम अल्लाह से डरो और मेरी बात मानो।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَمَاۤ أَسۡـَٔلُكُمۡ عَلَیۡهِ مِنۡ أَجۡرٍۖ إِنۡ أَجۡرِیَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلۡعَـٰلَمِینَ ﴿١٠٩﴾

मैं इस (कार्य) पर तुमसे कोई पारिश्रमिक (बदला) नहीं माँगता। मेरा बदला तो केवल सारे संसारों के पालनहार पर है।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ وَأَطِیعُونِ ﴿١١٠﴾

अतः तुम अल्लाह से डरो और मेरी बात मानो।


Arabic explanations of the Qur’an:

۞ قَالُوۤاْ أَنُؤۡمِنُ لَكَ وَٱتَّبَعَكَ ٱلۡأَرۡذَلُونَ ﴿١١١﴾

उन्होंने कहा : क्या हम तुझपर ईमान ले आएँ, जबकि तेरे पीछे चलने वाले अत्यंत नीच[20] लोग हैं?

20. अर्थात धनी नहीं, निर्धन लोग कर रहे हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالَ وَمَا عِلۡمِی بِمَا كَانُواْ یَعۡمَلُونَ ﴿١١٢﴾

(नूह़ ने) कहा : मूझे क्या मालूम कि वे क्या कर्म करते रहे हैं?


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنۡ حِسَابُهُمۡ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّیۖ لَوۡ تَشۡعُرُونَ ﴿١١٣﴾

उनका ह़िसाब तो मेरे पालनहार ही के ज़िम्मे है, यदि तुम समझो।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَمَاۤ أَنَا۠ بِطَارِدِ ٱلۡمُؤۡمِنِینَ ﴿١١٤﴾

और मैं ईमान वालों को धुतकारने वाला[21] नहीं हूँ।

21. अर्थात मैं हीन वर्ग के लोगों को जो ईमान लाए हैं, अपने से दूर नहीं कर सकता जैसा कि तुम चाहते हो।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنۡ أَنَا۠ إِلَّا نَذِیرࣱ مُّبِینࣱ ﴿١١٥﴾

मैं तो बस एक खुला डराने वाला हूँ


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالُواْ لَىِٕن لَّمۡ تَنتَهِ یَـٰنُوحُ لَتَكُونَنَّ مِنَ ٱلۡمَرۡجُومِینَ ﴿١١٦﴾

उन्होंने कहा : ऐ नूह़! यदि तू बाज़ नहीं आया, तो अवश्य संगसार किए गए लोगों में से हो जाएगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالَ رَبِّ إِنَّ قَوۡمِی كَذَّبُونِ ﴿١١٧﴾

उसने कहा : ऐ मेरे पालनहार! निःसंदेह मेरी जाति ने मुझे झुठला दिया!


Arabic explanations of the Qur’an:

فَٱفۡتَحۡ بَیۡنِی وَبَیۡنَهُمۡ فَتۡحࣰا وَنَجِّنِی وَمَن مَّعِیَ مِنَ ٱلۡمُؤۡمِنِینَ ﴿١١٨﴾

अतः तू मेरे और उनके बीच दो-टूक निर्णय कर दे, तथा मुझे और जो ईमानवाले मेरे साथ हैं, उन्हें बचा ले।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَأَنجَیۡنَـٰهُ وَمَن مَّعَهُۥ فِی ٱلۡفُلۡكِ ٱلۡمَشۡحُونِ ﴿١١٩﴾

तो हमने उसे और उन लोगों को जो उसके साथ भरी हुई नाव में थे, बचा लिया।


Arabic explanations of the Qur’an:

ثُمَّ أَغۡرَقۡنَا بَعۡدُ ٱلۡبَاقِینَ ﴿١٢٠﴾

फिर उसके बाद शेष लोगों को डुबो दिया।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّ فِی ذَ ٰ⁠لِكَ لَـَٔایَةࣰۖ وَمَا كَانَ أَكۡثَرُهُم مُّؤۡمِنِینَ ﴿١٢١﴾

निःसंदेह इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। और उनमें से अधिकतर ईमानवाले नहीं थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلۡعَزِیزُ ٱلرَّحِیمُ ﴿١٢٢﴾

और निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् है।


Arabic explanations of the Qur’an:

كَذَّبَتۡ عَادٌ ٱلۡمُرۡسَلِینَ ﴿١٢٣﴾

आद ने रसूलों को झुठलाया।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِذۡ قَالَ لَهُمۡ أَخُوهُمۡ هُودٌ أَلَا تَتَّقُونَ ﴿١٢٤﴾

जब उनसे उनके भाई हूद[22] ने कहा : क्या तुम डरते नहीं हो?

22. आद जाति के नबी हूद (अलैहिस्सलाम) को उनका भाई कहा गया है; क्योंकि वह भी उन्हीं के समुदाय में से थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنِّی لَكُمۡ رَسُولٌ أَمِینࣱ ﴿١٢٥﴾

निःसंदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ وَأَطِیعُونِ ﴿١٢٦﴾

अतः तुम अल्लाह से डरो और मेरी बात मानो।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَمَاۤ أَسۡـَٔلُكُمۡ عَلَیۡهِ مِنۡ أَجۡرٍۖ إِنۡ أَجۡرِیَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلۡعَـٰلَمِینَ ﴿١٢٧﴾

मैं इस (कार्य) पर तुमसे कोई पारिश्रमिक (बदला) नहीं माँगता, मेरा बदला तो केवल सारे संसारों के पालनहार पर है।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَتَبۡنُونَ بِكُلِّ رِیعٍ ءَایَةࣰ تَعۡبَثُونَ ﴿١٢٨﴾

क्या तुम हर ऊँचे स्थान पर एक स्मारक बनाते हो? इस स्थिति में कि व्यर्थ कार्य करते हो।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَتَتَّخِذُونَ مَصَانِعَ لَعَلَّكُمۡ تَخۡلُدُونَ ﴿١٢٩﴾

तथा बड़े-बड़े भवन बनाते हो, शायद कि तुम सदा जीवित रहोगे।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَإِذَا بَطَشۡتُم بَطَشۡتُمۡ جَبَّارِینَ ﴿١٣٠﴾

और जब तुम पकड़ते हो, तो बड़ी निर्दयता से पकड़ते हो।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ وَأَطِیعُونِ ﴿١٣١﴾

अतः अल्लाह से डरो और जो मैं कहता हूँ, उसे मानो।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱتَّقُواْ ٱلَّذِیۤ أَمَدَّكُم بِمَا تَعۡلَمُونَ ﴿١٣٢﴾

तथा उससे डरो जिसने उन चीज़ों से तुम्हारी मदद की, जिन्हें तुम जानते हो।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَمَدَّكُم بِأَنۡعَـٰمࣲ وَبَنِینَ ﴿١٣٣﴾

उसने चौपायों और बेटों से तुम्हारी मदद की।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَجَنَّـٰتࣲ وَعُیُونٍ ﴿١٣٤﴾

तथा बाग़ों और जल स्रोताें से।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنِّیۤ أَخَافُ عَلَیۡكُمۡ عَذَابَ یَوۡمٍ عَظِیمࣲ ﴿١٣٥﴾

निश्चय ही मैं तुमपर एक बड़े दिन की यातना से डरता हूँ।


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالُواْ سَوَاۤءٌ عَلَیۡنَاۤ أَوَعَظۡتَ أَمۡ لَمۡ تَكُن مِّنَ ٱلۡوَ ٰ⁠عِظِینَ ﴿١٣٦﴾

उन्होंने कहा : हमारे लिए बराबर है कि तू नसीहत करे, या नसीहत करने वालों में से हो।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنۡ هَـٰذَاۤ إِلَّا خُلُقُ ٱلۡأَوَّلِینَ ﴿١٣٧﴾

यह तो केवल पहले लोगों की आदत है।[23]

23. अर्थात प्राचीन युग से होती चली आ रही है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَمَا نَحۡنُ بِمُعَذَّبِینَ ﴿١٣٨﴾

और हम निश्चित रूप से दंडित नहीं होंगे।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَكَذَّبُوهُ فَأَهۡلَكۡنَـٰهُمۡۚ إِنَّ فِی ذَ ٰ⁠لِكَ لَـَٔایَةࣰۖ وَمَا كَانَ أَكۡثَرُهُم مُّؤۡمِنِینَ ﴿١٣٩﴾

तो उन्होंने उसे झुठला दिया, तो हमने उन्हें विनष्ट कर दिया। निःसंदेह इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। और उनमें से अधिकतर लोग ईमानवाले नहीं थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلۡعَزِیزُ ٱلرَّحِیمُ ﴿١٤٠﴾

तथा निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् है।


Arabic explanations of the Qur’an:

كَذَّبَتۡ ثَمُودُ ٱلۡمُرۡسَلِینَ ﴿١٤١﴾

समूद ने रसूलों[24] को झुठलाया।

24. यहाँ यह बात याद रखने की है कि एक रसूल का इनकार सभी रसूलों का इनकार है; क्योंकि सबका उपदेश एक ही था।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِذۡ قَالَ لَهُمۡ أَخُوهُمۡ صَـٰلِحٌ أَلَا تَتَّقُونَ ﴿١٤٢﴾

जब उनसे उनके भाई सालेह़ ने कहा : क्या तुम डरते नहीं हो?


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنِّی لَكُمۡ رَسُولٌ أَمِینࣱ ﴿١٤٣﴾

निःसंदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ وَأَطِیعُونِ ﴿١٤٤﴾

अतः अल्लाह से डरो और जो मैं कहता हूँ, उसका पालन करो।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَمَاۤ أَسۡـَٔلُكُمۡ عَلَیۡهِ مِنۡ أَجۡرٍۖ إِنۡ أَجۡرِیَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلۡعَـٰلَمِینَ ﴿١٤٥﴾

मैं इसपर तुमसे कोई पारिश्रमिक (बदला) नहीं माँगता। मेरा बदला तो केवल सारे संसारों के पालनहार पर है।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَتُتۡرَكُونَ فِی مَا هَـٰهُنَاۤ ءَامِنِینَ ﴿١٤٦﴾

क्या तुम उन चीज़ों में जो यहाँ हैं, निश्चिंत छोड़ दिए जाओगे?


Arabic explanations of the Qur’an:

فِی جَنَّـٰتࣲ وَعُیُونࣲ ﴿١٤٧﴾

बाग़ों तथा स्रोतों में।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَزُرُوعࣲ وَنَخۡلࣲ طَلۡعُهَا هَضِیمࣱ ﴿١٤٨﴾

तथा खेतों और खजूर के पेड़ों में, जिनके फल मुलायम और पके हुए हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَتَنۡحِتُونَ مِنَ ٱلۡجِبَالِ بُیُوتࣰا فَـٰرِهِینَ ﴿١٤٩﴾

तथा तुम पर्वतों को काटकर बड़ी निपुणता के साथ घर बनाते हो।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ وَأَطِیعُونِ ﴿١٥٠﴾

अतः अल्लाह से डरो और मेरा आज्ञापालन करो।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَا تُطِیعُوۤاْ أَمۡرَ ٱلۡمُسۡرِفِینَ ﴿١٥١﴾

और हद से आगे बढ़ने वालों का हुक्म न मानो।


Arabic explanations of the Qur’an:

ٱلَّذِینَ یُفۡسِدُونَ فِی ٱلۡأَرۡضِ وَلَا یُصۡلِحُونَ ﴿١٥٢﴾

जो धरती में बिगाड़ पैदा करते हैं और सुधार नहीं करते।


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالُوۤاْ إِنَّمَاۤ أَنتَ مِنَ ٱلۡمُسَحَّرِینَ ﴿١٥٣﴾

उन्होंने कहा : निःसंदेह तू उन लोगों में से है जिनपर प्रबल जादू किया गया है।


Arabic explanations of the Qur’an:

مَاۤ أَنتَ إِلَّا بَشَرࣱ مِّثۡلُنَا فَأۡتِ بِـَٔایَةٍ إِن كُنتَ مِنَ ٱلصَّـٰدِقِینَ ﴿١٥٤﴾

तू तो बस हमारे ही जैसा एक मनुष्य है। अतः कोई निशानी ले आ, यदि तू सच्चों में से है।


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالَ هَـٰذِهِۦ نَاقَةࣱ لَّهَا شِرۡبࣱ وَلَكُمۡ شِرۡبُ یَوۡمࣲ مَّعۡلُومࣲ ﴿١٥٥﴾

उसने कहा : यह एक ऊँटनी[25] है। इसके लिए पानी पीने की एक बारी है और तुम्हारे लिए एक निश्चित दिन पानी पीने की बारी है।

25. अर्थता यह ऊँटनी चमत्कार है जो उनकी माँग पर पत्थर से निकली थी।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَا تَمَسُّوهَا بِسُوۤءࣲ فَیَأۡخُذَكُمۡ عَذَابُ یَوۡمٍ عَظِیمࣲ ﴿١٥٦﴾

तथा उसे किसी बुराई से हाथ न लगाना, अन्यथा तुम्हें एक बड़े दिन की यातना पकड़ लेगी।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَعَقَرُوهَا فَأَصۡبَحُواْ نَـٰدِمِینَ ﴿١٥٧﴾

तो उन्होंने उसकी कूँचें काट दीं, फिर पछताने वाले हो गए।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَأَخَذَهُمُ ٱلۡعَذَابُۚ إِنَّ فِی ذَ ٰ⁠لِكَ لَـَٔایَةࣰۖ وَمَا كَانَ أَكۡثَرُهُم مُّؤۡمِنِینَ ﴿١٥٨﴾

तो उन्हें यातना ने पकड़ लिया। निःसंदेह इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। और उनमें से अधिकतर ईमानवाले नहीं थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلۡعَزِیزُ ٱلرَّحِیمُ ﴿١٥٩﴾

और निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् है।


Arabic explanations of the Qur’an:

كَذَّبَتۡ قَوۡمُ لُوطٍ ٱلۡمُرۡسَلِینَ ﴿١٦٠﴾

लूत की जाति ने रसूलों को झुठलाया।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِذۡ قَالَ لَهُمۡ أَخُوهُمۡ لُوطٌ أَلَا تَتَّقُونَ ﴿١٦١﴾

जब उनके भाई लूत ने उनसे कहा : क्या तुम डरते नहीं हो?


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنِّی لَكُمۡ رَسُولٌ أَمِینࣱ ﴿١٦٢﴾

निःसंदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ وَأَطِیعُونِ ﴿١٦٣﴾

अतः तुम अल्लाह से डरो और मेरी बात मानो।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَمَاۤ أَسۡـَٔلُكُمۡ عَلَیۡهِ مِنۡ أَجۡرٍۖ إِنۡ أَجۡرِیَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلۡعَـٰلَمِینَ ﴿١٦٤﴾

मैं इस (कार्य) पर तुमसे कोई पारिश्रमिक (बदला) नहीं माँगता, मेरा बदला तो केवल सारे संसारों के पालनहार पर है।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَتَأۡتُونَ ٱلذُّكۡرَانَ مِنَ ٱلۡعَـٰلَمِینَ ﴿١٦٥﴾

क्या सभी संसारों में से तुम पुरुषों के पास आते[26] हो।

26. इस कुकर्म का आरंभ संसार में लूत (अलैहिस्सलाम) की जाति से हुआ। और अब यह कुकर्म पूरे विश्व में विशेष रूप से यूरोपीय देशों में व्यापक है। और समलैंगिक विवाह को यूरोप के बहुत-से देशों में वैध मान लिया गया है। जिसके कारण कभी भी उन पर अल्लाह की यातना आ सकती है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَتَذَرُونَ مَا خَلَقَ لَكُمۡ رَبُّكُم مِّنۡ أَزۡوَ ٰ⁠جِكُمۚ بَلۡ أَنتُمۡ قَوۡمٌ عَادُونَ ﴿١٦٦﴾

तथा उन्हें छोड़ देते हो, जो तुम्हारे पालनहार ने तुम्हारे लिए तुम्हारी पत्नियाँ पैदा की हैं। बल्कि तुम हद से आगे बढ़ने वाले लोग हो।


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالُواْ لَىِٕن لَّمۡ تَنتَهِ یَـٰلُوطُ لَتَكُونَنَّ مِنَ ٱلۡمُخۡرَجِینَ ﴿١٦٧﴾

उन्होंने कहा : ऐ लूत! निःसंदेह यदि तू नहीं रुका, तो निश्चित रूप से तू अवश्य निष्कासित लोगों में से हो जाएगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالَ إِنِّی لِعَمَلِكُم مِّنَ ٱلۡقَالِینَ ﴿١٦٨﴾

उसने कहा : निःसंदेह मैं तुम्हारे काम से सख़्त घृणा करने वालों में से हूँ।


Arabic explanations of the Qur’an:

رَبِّ نَجِّنِی وَأَهۡلِی مِمَّا یَعۡمَلُونَ ﴿١٦٩﴾

ऐ मेरे पालनहार! मुझे तथा मेरे घर वालों को उससे बचा ले, जो ये करते हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَنَجَّیۡنَـٰهُ وَأَهۡلَهُۥۤ أَجۡمَعِینَ ﴿١٧٠﴾

तो हमने उसे और उसके सभी घर वालों को बचा लिया।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِلَّا عَجُوزࣰا فِی ٱلۡغَـٰبِرِینَ ﴿١٧١﴾

सिवाय एक बुढ़िया[27] के, जो पीछे रहने वालों में से थी।

27. इससे अभिप्रेत लूत (अलैहिस्सलाम) की काफ़िर पत्नी थी।


Arabic explanations of the Qur’an:

ثُمَّ دَمَّرۡنَا ٱلۡـَٔاخَرِینَ ﴿١٧٢﴾

फिर हमने दूसरों को विनष्ट कर दिया।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَأَمۡطَرۡنَا عَلَیۡهِم مَّطَرࣰاۖ فَسَاۤءَ مَطَرُ ٱلۡمُنذَرِینَ ﴿١٧٣﴾

और हमने उनपर ज़ोरदार बारिश[28] बरसाई। तो उन लोगों की बारिश बहुत बुरी थी, जिन्हें डराया गया था।

28. अर्थात पत्थरों की बारिश। (देखिए : सूरत हूद, आयत : 82-83)


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّ فِی ذَ ٰ⁠لِكَ لَـَٔایَةࣰۖ وَمَا كَانَ أَكۡثَرُهُم مُّؤۡمِنِینَ ﴿١٧٤﴾

निःसंदेह इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। और उनमें से अधिकतर ईमानवाले नहीं थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلۡعَزِیزُ ٱلرَّحِیمُ ﴿١٧٥﴾

और निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् है।


Arabic explanations of the Qur’an:

كَذَّبَ أَصۡحَـٰبُ لۡـَٔیۡكَةِ ٱلۡمُرۡسَلِینَ ﴿١٧٦﴾

ऐका[29] वालों ने रसूलों को झुठलाया।

29. ऐका का अर्थ झाड़ी है। यह मदयन का क्षेत्र है जिसमें शुऐब अलैहिस्सलाम को भेजा गया था।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِذۡ قَالَ لَهُمۡ شُعَیۡبٌ أَلَا تَتَّقُونَ ﴿١٧٧﴾

जब उनसे शुऐब ने कहा : क्या तुम डरते नहीं हो?


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنِّی لَكُمۡ رَسُولٌ أَمِینࣱ ﴿١٧٨﴾

निःसंदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ وَأَطِیعُونِ ﴿١٧٩﴾

अतः तुम अल्लाह से डरो और मेरी बात मानो।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَمَاۤ أَسۡـَٔلُكُمۡ عَلَیۡهِ مِنۡ أَجۡرٍۖ إِنۡ أَجۡرِیَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلۡعَـٰلَمِینَ ﴿١٨٠﴾

मैं इस (कार्य) पर तुमसे कोई पारिश्रमिक (बदला) नहीं माँगता, मेरा बदला तो केवल सारे संसारों के पालनहार पर है।


Arabic explanations of the Qur’an:

۞ أَوۡفُواْ ٱلۡكَیۡلَ وَلَا تَكُونُواْ مِنَ ٱلۡمُخۡسِرِینَ ﴿١٨١﴾

नाप पूरा दो और कम देने वालों में से न बनो।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَزِنُواْ بِٱلۡقِسۡطَاسِ ٱلۡمُسۡتَقِیمِ ﴿١٨٢﴾

और सीधे तराज़ू से तोलो।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَا تَبۡخَسُواْ ٱلنَّاسَ أَشۡیَاۤءَهُمۡ وَلَا تَعۡثَوۡاْ فِی ٱلۡأَرۡضِ مُفۡسِدِینَ ﴿١٨٣﴾

और लाेगों को उनका सामान कम न दो। और धरती में उपद्रव फैलाते मत फिरो।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱتَّقُواْ ٱلَّذِی خَلَقَكُمۡ وَٱلۡجِبِلَّةَ ٱلۡأَوَّلِینَ ﴿١٨٤﴾

और उससे डरो, जिसने तुम्हें तथा पहले लोगों को पैदा किया है।


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قَالُوۤاْ إِنَّمَاۤ أَنتَ مِنَ ٱلۡمُسَحَّرِینَ ﴿١٨٥﴾

उन्होंने कहा : निःसंदेह तू तो उन लोगों में से है जिनपर ताक़तवर जादू किया गया है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَمَاۤ أَنتَ إِلَّا بَشَرࣱ مِّثۡلُنَا وَإِن نَّظُنُّكَ لَمِنَ ٱلۡكَـٰذِبِینَ ﴿١٨٦﴾

और तू तो बस हमारे ही जैसा एक मनुष्य[30] है और निःसंदेह हम तो तुझे झूठों में से समझते हैं।

30. यहाँ यह बात विचारणीय है कि सभी विगत जातियों ने अपने रसूलों को उनके मानव होने के कारण नकार दिया। और जिसने स्वीकार भी किया, तो उसने कुछ युग बीतने के पश्चात् अतिशयोक्ति करके अपने रसूलों को प्रभु अथवा प्रभु का अंश बना कर उन्हीं को पूज्य बना लिया। तथा एकेश्वरवाद को कड़ा आघात पहुँचाकर मिश्रणवाद का द्वार खोल लिया और कुपथ हो गए। वर्तमान युग में भी इसी का प्रचलन है और इसका आधार अपने पूर्वजों की रीतियों को बनाया जाता है। इस्लाम इसी कुपथ का निवारण करके एकेश्वरवाद की स्थापना के लिए आया है और वास्तव में यही सत्धर्म है। ह़दीस में है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : मूझे वैसे न बढ़ाओ जैसे ईसाइयों ने मरयम के पुत्र (ईसा) को बढ़ा दिया। निःसंदेह मैं उसका दास हूँ। अतः मुझे अल्लाह का दास और उसका रसूल कहो। (देखिए : सह़ीह़ बुख़ारी : 3445)


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فَأَسۡقِطۡ عَلَیۡنَا كِسَفࣰا مِّنَ ٱلسَّمَاۤءِ إِن كُنتَ مِنَ ٱلصَّـٰدِقِینَ ﴿١٨٧﴾

तो हम पर आसमान से कुछ टुकड़े गिरा दे, यदि तू सच्चों में से है।


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قَالَ رَبِّیۤ أَعۡلَمُ بِمَا تَعۡمَلُونَ ﴿١٨٨﴾

उसने कहा : मेरा पालनहार अधिक जानने वाला है जो कुछ तुम कर रहे हो।


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فَكَذَّبُوهُ فَأَخَذَهُمۡ عَذَابُ یَوۡمِ ٱلظُّلَّةِۚ إِنَّهُۥ كَانَ عَذَابَ یَوۡمٍ عَظِیمٍ ﴿١٨٩﴾

चुनाँचे उन्होंने उसे झुठला दिया। तो उन्हें छाया[31] के दिन की यातना ने पकड़ लिया। निश्चय वह एक बड़े दिन की यातना थी।

31. अर्थात उनकी यातना के दिन उनपर बादल छा गया। फिर आग बरसने लगी और धरती कंपित हो गई। फिर एक कड़ी ध्वनि ने उनकी जानें ले लीं। (इब्ने कसीर)


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إِنَّ فِی ذَ ٰ⁠لِكَ لَـَٔایَةࣰۖ وَمَا كَانَ أَكۡثَرُهُم مُّؤۡمِنِینَ ﴿١٩٠﴾

निःसंदेह इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। और उनमें से अधिकतर ईमानवाले नहीं थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلۡعَزِیزُ ٱلرَّحِیمُ ﴿١٩١﴾

और निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَإِنَّهُۥ لَتَنزِیلُ رَبِّ ٱلۡعَـٰلَمِینَ ﴿١٩٢﴾

तथा निःसंदेह, यह (क़ुरआन) निश्चय सारे संसारों के पालनहार का उतारा हुआ है।


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نَزَلَ بِهِ ٱلرُّوحُ ٱلۡأَمِینُ ﴿١٩٣﴾

इसे रूह़ुल-अमीन[32] (अत्यंत विश्वसनीय फ़रिश्ता) लेकर उतरा है।

32. रूह़ुल-अमीन से अभिप्राय आदरणीय फ़रिश्ता जिबरीलल (अलैहिस्सलाम) हैं, जो मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर अल्लाह की ओर से वह़्य लेकर उतरते थे, जिसके कारण आप रसूलों की और उनकी जातियों की दशा से अवगत हुए। अतः यह आपके सत्य रसूल होने का प्रत्यक्ष प्रमाण है।


Arabic explanations of the Qur’an:

عَلَىٰ قَلۡبِكَ لِتَكُونَ مِنَ ٱلۡمُنذِرِینَ ﴿١٩٤﴾

आपके दिल पर, ताकि आप सावधान करने वालों में से हो जाएँ।


Arabic explanations of the Qur’an:

بِلِسَانٍ عَرَبِیࣲّ مُّبِینࣲ ﴿١٩٥﴾

स्पष्ट अरबी भाषा में।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَإِنَّهُۥ لَفِی زُبُرِ ٱلۡأَوَّلِینَ ﴿١٩٦﴾

तथा निःसंदेह यह निश्चित रूप से पहले लोगों की पुस्तकों में मौजूद है।[33]

33. अर्थात सभी आकाशीय ग्रंथों में अंतिम नबी मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के आगमन तथा आपपर पुस्तक क़ुरआन के अवतरित होने की भविष्वाणी की गई है। और सब नबियों ने इसकी शुभ-सूचना दी है।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَوَلَمۡ یَكُن لَّهُمۡ ءَایَةً أَن یَعۡلَمَهُۥ عُلَمَـٰۤؤُاْ بَنِیۤ إِسۡرَ ٰ⁠ۤءِیلَ ﴿١٩٧﴾

क्या उनके लिए यह एक निशानी न थी है कि इसे बनी इसराईल के विद्वान[34] जानते हैं।

34. बनी इसराईल के विद्वान अब्दुल्लाह बिन सलाम आदि, जो नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और क़ुरआन पर ईमान लाए, वे इसके सत्य होने का खुला प्रमाण हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَوۡ نَزَّلۡنَـٰهُ عَلَىٰ بَعۡضِ ٱلۡأَعۡجَمِینَ ﴿١٩٨﴾

और यदि हम इसे ग़ैर-अरब[35] लोगों में से किसी पर उतार देते।

35. अर्थात ऐसे व्यक्ति पर जो अरब देश और जाति के अतिरिक्त किसी अन्य जाति का हो।


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فَقَرَأَهُۥ عَلَیۡهِم مَّا كَانُواْ بِهِۦ مُؤۡمِنِینَ ﴿١٩٩﴾

फिर वह इसे उनके सामने पढ़ता, तो भी वे उसपर ईमान लाने वाले न होते।[36]

36. अर्थात अरबी भाषा में न होता, तो कहते कि यह हमारी समझ में नहीं आता। (देखिए : सूरत ह़ा, मीम, सजदा, आयत : 44)


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كَذَ ٰ⁠لِكَ سَلَكۡنَـٰهُ فِی قُلُوبِ ٱلۡمُجۡرِمِینَ ﴿٢٠٠﴾

इसी प्रकार हमने इसे अपराधियों के हृदयों में प्रवेश कर दिया।


Arabic explanations of the Qur’an:

لَا یُؤۡمِنُونَ بِهِۦ حَتَّىٰ یَرَوُاْ ٱلۡعَذَابَ ٱلۡأَلِیمَ ﴿٢٠١﴾

वे उसपर ईमान नहीं लाएँगे, यहाँ तक कि वे दर्दनाक यातना देख लें।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَیَأۡتِیَهُم بَغۡتَةࣰ وَهُمۡ لَا یَشۡعُرُونَ ﴿٢٠٢﴾

तो वह उनपर अचानक आ पड़े और वे सोचते भी न हों।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَیَقُولُواْ هَلۡ نَحۡنُ مُنظَرُونَ ﴿٢٠٣﴾

फिर वे कहें : क्या हम मोहलत दिए जाने वाले हैं


Arabic explanations of the Qur’an:

أَفَبِعَذَابِنَا یَسۡتَعۡجِلُونَ ﴿٢٠٤﴾

तो क्या वे हमारी यातना के लिए जल्दी मचा रहे हैं?


Arabic explanations of the Qur’an:

أَفَرَءَیۡتَ إِن مَّتَّعۡنَـٰهُمۡ سِنِینَ ﴿٢٠٥﴾

तो क्या आपने विचार किया यदि हम इन्हें कुछ वर्षों तक लाभ दें।


Arabic explanations of the Qur’an:

ثُمَّ جَاۤءَهُم مَّا كَانُواْ یُوعَدُونَ ﴿٢٠٦﴾

फिर उनपर वह (यातना) आ जाए, जिसका उनसे वादा किया जाता था।


Arabic explanations of the Qur’an:

مَاۤ أَغۡنَىٰ عَنۡهُم مَّا كَانُواْ یُمَتَّعُونَ ﴿٢٠٧﴾

तो उन्हें जो लाभ दिया जाता था, वह उनके किस काम आएगा?


Arabic explanations of the Qur’an:

وَمَاۤ أَهۡلَكۡنَا مِن قَرۡیَةٍ إِلَّا لَهَا مُنذِرُونَ ﴿٢٠٨﴾

और हमने किसी बस्ती को विनष्ट नहीं किया, परंतु उसके लिए कई सावधान करने वाले थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

ذِكۡرَىٰ وَمَا كُنَّا ظَـٰلِمِینَ ﴿٢٠٩﴾

याद दिलाने के लिए। और हम अत्याचारी नहीं थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَمَا تَنَزَّلَتۡ بِهِ ٱلشَّیَـٰطِینُ ﴿٢١٠﴾

तथा इस (क़ुरआन) को लेकर शैतान नहीं उतरे।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَمَا یَنۢبَغِی لَهُمۡ وَمَا یَسۡتَطِیعُونَ ﴿٢١١﴾

और न यह उनके योग्य है, और न वे ऐसा कर सकते हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّهُمۡ عَنِ ٱلسَّمۡعِ لَمَعۡزُولُونَ ﴿٢١٢﴾

निःसंदेह वे तो (इसके) सुनने ही से अलग[37] कर दिए गए हैं।

37. अर्थात इसके अवतरित होने के समय शैतान आकाश की ओर जाते हैं तो उल्का उन्हें भस्म कर देते हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَلَا تَدۡعُ مَعَ ٱللَّهِ إِلَـٰهًا ءَاخَرَ فَتَكُونَ مِنَ ٱلۡمُعَذَّبِینَ ﴿٢١٣﴾

अतः आप अल्लाह के साथ किसी अन्य पूज्य को न पुकारें, अन्यथा आप दंड पाने वालों में हो जाएँगे।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَأَنذِرۡ عَشِیرَتَكَ ٱلۡأَقۡرَبِینَ ﴿٢١٤﴾

और आप अपने निकटतम रिश्तेदारों को डराएँ।[38]

38. आदरणीय इब्ने अब्बास (रज़ियल्लाहु अन्हुमा) कहते हैं कि जब यह आयत उतरी तो आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) सफ़ा पर्वत पर चढ़े। और क़ुरैश के परिवारों को पुकरा। और जब सब एकत्र हो गए, और जो स्वयं नहीं आ सका तो उसने किसी प्रतिनिधि को भेज दिया। और अबू लहब तथा क़ुरैश आ गए तो आपने फरमाया : यदि मैं तुमसे कहूँ कि उस वादी में एक सेना है जो तुम पर आक्रमण करने वाली है, तो क्या तुम मुझे सच्चा मानोगे? सबने कहा : हाँ। हमने आपको सदा ही सच्चा पाया है। आपने कहा : मैं तुम्हें आगामी कड़ी यातना से सावधान कर रहा हूँ। इसपर अबू लहब ने कहा : तेरा पूरे दिन नाश हो! क्या हमें इसी के लिए एकत्र किया है? और इसीपर सूरत लह्ब उतरी। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4770)


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱخۡفِضۡ جَنَاحَكَ لِمَنِ ٱتَّبَعَكَ مِنَ ٱلۡمُؤۡمِنِینَ ﴿٢١٥﴾

और ईमान वालों में से जो आपका अनुसरण करे, उसके लिए अपना बाज़ू[39] झुका दें।

39. अर्थात उसके साथ विनम्रता का व्यवहार करें।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَإِنۡ عَصَوۡكَ فَقُلۡ إِنِّی بَرِیۤءࣱ مِّمَّا تَعۡمَلُونَ ﴿٢١٦﴾

फि यदि वे आपकी अवज्ञा करें, तो आप कह दें कि तुम जो कुछ कर रहे हो उसकी ज़िम्मेदारी से मैं बरी हूँ।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَتَوَكَّلۡ عَلَى ٱلۡعَزِیزِ ٱلرَّحِیمِ ﴿٢١٧﴾

तथा उस सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् पर भरोसा करें।


Arabic explanations of the Qur’an:

ٱلَّذِی یَرَىٰكَ حِینَ تَقُومُ ﴿٢١٨﴾

जो आपको देखता है, जब आप खड़े होते हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَتَقَلُّبَكَ فِی ٱلسَّـٰجِدِینَ ﴿٢١٩﴾

और सजदा करने वालों में आपके फिरने को भी।[40]

40. अर्थात प्रत्येक समय, अकेले हों या लोगों के बीच हों।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّهُۥ هُوَ ٱلسَّمِیعُ ٱلۡعَلِیمُ ﴿٢٢٠﴾

निःसंदेह वही सब कुछ सुनने वाला, सब कुछ जानने वाला है।


Arabic explanations of the Qur’an:

هَلۡ أُنَبِّئُكُمۡ عَلَىٰ مَن تَنَزَّلُ ٱلشَّیَـٰطِینُ ﴿٢٢١﴾

क्या मैं आपको बताऊँ कि शैतान किस पर उतरते हैं?


Arabic explanations of the Qur’an:

تَنَزَّلُ عَلَىٰ كُلِّ أَفَّاكٍ أَثِیمࣲ ﴿٢٢٢﴾

वे हर बड़े झूठे और बड़े पापी[41] पर उतरते हैं।

41. ह़दीस में है कि फ़रिश्ते बादल में उतरते हैं, और आकाश में होने वाले निर्णय की बात करते हैं, जिसे शैतान चोरी से सुन लेते हैं। और ज्योतिषियों को पहुँचा देते हैं। फिर वह उसमें सौ झूठ मिलाते हैं। (सह़ीह़ बुख़ारी : 3210)


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یُلۡقُونَ ٱلسَّمۡعَ وَأَكۡثَرُهُمۡ كَـٰذِبُونَ ﴿٢٢٣﴾

वे सुनी हुई बात को (काहिनों तक) पहुँचा देते हैं, और उनमें से अधिकतर झूठे हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلشُّعَرَاۤءُ یَتَّبِعُهُمُ ٱلۡغَاوُۥنَ ﴿٢٢٤﴾

और कवि लोग, उनके पीछे भटके हुए लोग ही चलते हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَلَمۡ تَرَ أَنَّهُمۡ فِی كُلِّ وَادࣲ یَهِیمُونَ ﴿٢٢٥﴾

क्या आपने नहीं देखा कि वे प्रत्येक वादी में भटकते फिरते[42] हैं।

42. अर्थात कल्पना की उड़ान में रहते हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَأَنَّهُمۡ یَقُولُونَ مَا لَا یَفۡعَلُونَ ﴿٢٢٦﴾

और यह कि निःसंदेह ऐसी बात कहते हैं, जो करते नहीं।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِلَّا ٱلَّذِینَ ءَامَنُواْ وَعَمِلُواْ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ وَذَكَرُواْ ٱللَّهَ كَثِیرࣰا وَٱنتَصَرُواْ مِنۢ بَعۡدِ مَا ظُلِمُواْۗ وَسَیَعۡلَمُ ٱلَّذِینَ ظَلَمُوۤاْ أَیَّ مُنقَلَبࣲ یَنقَلِبُونَ ﴿٢٢٧﴾

सिवाय उन (कवियों) के, जो[43] ईमान लाए, और अच्छे कर्म किए और अल्लाह को बहुत याद किया तथा बदला लिया, इसके बाद कि उनके ऊपर ज़ुल्म किया गया। तथा वे लोग, जिन्होंने अत्याचार किया, शीघ्र ही जान लेंगे कि वे किस जगह लौटकर जाएँगे।

43. इनसे अभिप्रेत ह़स्सान बिन साबित आदि कवि हैं, जो क़ुरैश के कवियों की भर्त्सना किया करते थे। (देखिए : सह़ीह़ बुख़ारी : 4124)


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