Surah सूरा अस्-सज्दा - As-Sajdah

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Surah सूरा अस्-सज्दा - As-Sajdah - Aya count 30

الۤمۤ ﴿١﴾

अलिफ़, लाम, मीम।


Arabic explanations of the Qur’an:

تَنزِیلُ ٱلۡكِتَـٰبِ لَا رَیۡبَ فِیهِ مِن رَّبِّ ٱلۡعَـٰلَمِینَ ﴿٢﴾

इस पुस्तक का अवतरण, जिसमें कोई संदेह नहीं, पूरे संसार के पालनहार की ओर से है।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَمۡ یَقُولُونَ ٱفۡتَرَىٰهُۚ بَلۡ هُوَ ٱلۡحَقُّ مِن رَّبِّكَ لِتُنذِرَ قَوۡمࣰا مَّاۤ أَتَىٰهُم مِّن نَّذِیرࣲ مِّن قَبۡلِكَ لَعَلَّهُمۡ یَهۡتَدُونَ ﴿٣﴾

क्या वे कहते हैं कि उसने इसे स्वयं गढ़ लिया है? बल्कि वही आपके पालनहार की ओर से सत्य है, ताकि आप उन लोगों को सावधान करें, जिनके[1] पास आपसे पहले कोई सावधान करने वाला नहीं आया। ताकि वे सीधी राह पर आ जाएँ।

1. इससे अभिप्राय मक्का वासी हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

ٱللَّهُ ٱلَّذِی خَلَقَ ٱلسَّمَـٰوَ ٰ⁠تِ وَٱلۡأَرۡضَ وَمَا بَیۡنَهُمَا فِی سِتَّةِ أَیَّامࣲ ثُمَّ ٱسۡتَوَىٰ عَلَى ٱلۡعَرۡشِۖ مَا لَكُم مِّن دُونِهِۦ مِن وَلِیࣲّ وَلَا شَفِیعٍۚ أَفَلَا تَتَذَكَّرُونَ ﴿٤﴾

अल्लाह वह है, जिसने आकाशों तथा धरती तथा उन दोनों के बीच मौजूद सारी चीज़ों को छः दिनों में पैदा किया। फिर वह अर्श पर मुस्तवी (बुलंद) हुआ। उसके सिवा तुम्हारा न कोई संरक्षक है और न कोई सिफ़ारिश करने वाला। तो क्या तुम उपदेश ग्रहण नहीं करते?


Arabic explanations of the Qur’an:

یُدَبِّرُ ٱلۡأَمۡرَ مِنَ ٱلسَّمَاۤءِ إِلَى ٱلۡأَرۡضِ ثُمَّ یَعۡرُجُ إِلَیۡهِ فِی یَوۡمࣲ كَانَ مِقۡدَارُهُۥۤ أَلۡفَ سَنَةࣲ مِّمَّا تَعُدُّونَ ﴿٥﴾

वह आकाश से धरती तक (प्रत्येक) कार्य का प्रबंध करता है। फिर वह (कार्य) उसकी ओर एक ऐसे दिन में ऊपर जाता है, जिसकी मात्रा तुम्हारे हिसाब के अनुसार एक हज़ार वर्ष है।


Arabic explanations of the Qur’an:

ذَ ٰ⁠لِكَ عَـٰلِمُ ٱلۡغَیۡبِ وَٱلشَّهَـٰدَةِ ٱلۡعَزِیزُ ٱلرَّحِیمُ ﴿٦﴾

वही परोक्ष और प्रत्यक्ष का जानने वाला, अत्यंत प्रभुत्वशाली, अति दयावान है।


Arabic explanations of the Qur’an:

ٱلَّذِیۤ أَحۡسَنَ كُلَّ شَیۡءٍ خَلَقَهُۥۖ وَبَدَأَ خَلۡقَ ٱلۡإِنسَـٰنِ مِن طِینࣲ ﴿٧﴾

जिसने अच्छा बनाया हर चीज़ को जो उसने पैदा की और उसने मनुष्य की रचना मिट्टी से शुरू की।


Arabic explanations of the Qur’an:

ثُمَّ جَعَلَ نَسۡلَهُۥ مِن سُلَـٰلَةࣲ مِّن مَّاۤءࣲ مَّهِینࣲ ﴿٨﴾

फिर उसके वंश को एक तुच्छ पानी के निचोड़ (वीर्य) से बनाया।


Arabic explanations of the Qur’an:

ثُمَّ سَوَّىٰهُ وَنَفَخَ فِیهِ مِن رُّوحِهِۦۖ وَجَعَلَ لَكُمُ ٱلسَّمۡعَ وَٱلۡأَبۡصَـٰرَ وَٱلۡأَفۡـِٔدَةَۚ قَلِیلࣰا مَّا تَشۡكُرُونَ ﴿٩﴾

फिर उसे ठीक-ठाक किया, और उसमें अपनी एक आत्मा (प्राण) फूँकी, तथा तुम्हारे लिए कान और आँखें तथा दिल बनाए। तुम बहुत कम ही शुक्र करते हो।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَقَالُوۤاْ أَءِذَا ضَلَلۡنَا فِی ٱلۡأَرۡضِ أَءِنَّا لَفِی خَلۡقࣲ جَدِیدِۭۚ بَلۡ هُم بِلِقَاۤءِ رَبِّهِمۡ كَـٰفِرُونَ ﴿١٠﴾

तथा उन्होंने कहा : क्या जब हम धरती में खो जाएँगे, तो क्या हम वास्तव में नए सिरे से पैदा किए जाएँगे? बल्कि वे अपने पालनहार से मिलने का इनकार करने वाले लोग हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

۞ قُلۡ یَتَوَفَّىٰكُم مَّلَكُ ٱلۡمَوۡتِ ٱلَّذِی وُكِّلَ بِكُمۡ ثُمَّ إِلَىٰ رَبِّكُمۡ تُرۡجَعُونَ ﴿١١﴾

आप कह दें कि मौत का फ़रिश्ता तुम्हारे प्राण निकाल लेगा, जो तुमपर नियुक्त किया गया है, फिर तुम अपने पालनहार ही की ओर लौटाए जाओगे।[2]

2. अर्थात नई उत्पत्ति पर आश्चर्य करने से पहले इसपर विचार करो कि मरण तो आत्मा के शरीर से विलग हो जाने का नाम है, जो दूसरे स्थान पर चली जाती है। और परलोक में उसे नया जन्म दे दिया जाएगा, फिर उसे अपने कर्म के अनुसार स्वर्ग अथवा नरक में पहुँचा दिया जाएगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَوۡ تَرَىٰۤ إِذِ ٱلۡمُجۡرِمُونَ نَاكِسُواْ رُءُوسِهِمۡ عِندَ رَبِّهِمۡ رَبَّنَاۤ أَبۡصَرۡنَا وَسَمِعۡنَا فَٱرۡجِعۡنَا نَعۡمَلۡ صَـٰلِحًا إِنَّا مُوقِنُونَ ﴿١٢﴾

और यदि आप देखें, जब अपराधी लोग अपने पालनहार के सामने अपने सिर झुकाए (खड़े) होंगे। (वे कहेंगे :) ऐ हमारे पालनहार! हमने देख लिया और सुन लिया। अतः हमें (दुनिया में) वापस भेज दे कि हम अच्छे कार्य करें। निःसंदेह हम विश्वास करने वाले हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَوۡ شِئۡنَا لَـَٔاتَیۡنَا كُلَّ نَفۡسٍ هُدَىٰهَا وَلَـٰكِنۡ حَقَّ ٱلۡقَوۡلُ مِنِّی لَأَمۡلَأَنَّ جَهَنَّمَ مِنَ ٱلۡجِنَّةِ وَٱلنَّاسِ أَجۡمَعِینَ ﴿١٣﴾

और यदि हम चाहते, तो प्रत्येक प्राणी को उसका मार्गदर्शन प्रदान कर देते। लेकिन मेरी ओर से बात प्रमाणित (निश्चित) हो चुकी कि मैं जहन्नम को जिन्नों तथा इनसानों, सबसे से ज़रूर भरूँगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَذُوقُواْ بِمَا نَسِیتُمۡ لِقَاۤءَ یَوۡمِكُمۡ هَـٰذَاۤ إِنَّا نَسِینَـٰكُمۡۖ وَذُوقُواْ عَذَابَ ٱلۡخُلۡدِ بِمَا كُنتُمۡ تَعۡمَلُونَ ﴿١٤﴾

तो (अब यातना) चखो, इस कारण कि तुमने अपने इस दिन के मिलने को भुला दिया। निःसंदेह हमने तुम्हें भुला दिया।[3] और जो तुम किया करते थे उसके कारण शाश्वत यातना का मज़ा चखो।

3. अर्थात आज तुमपर मेरी कोई दया नहीं होगी।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّمَا یُؤۡمِنُ بِـَٔایَـٰتِنَا ٱلَّذِینَ إِذَا ذُكِّرُواْ بِهَا خَرُّواْ سُجَّدࣰا وَسَبَّحُواْ بِحَمۡدِ رَبِّهِمۡ وَهُمۡ لَا یَسۡتَكۡبِرُونَ ۩ ﴿١٥﴾

हमारी आयतों पर तो केवल वही लोग ईमान लाते हैं कि जब उन्हें उन (आयतों) के साथ नसीहत की जाती है, तो वे सजदा करते हुए गिर जाते हैं, और अपने पालनहार की प्रशंसा के साथ उसकी पवित्रता का गान करते हैं, और वे अभिमान नहीं करते।[4]

4. यहाँ सजदा-ए- तिलावत करना चाहिए।


Arabic explanations of the Qur’an:

تَتَجَافَىٰ جُنُوبُهُمۡ عَنِ ٱلۡمَضَاجِعِ یَدۡعُونَ رَبَّهُمۡ خَوۡفࣰا وَطَمَعࣰا وَمِمَّا رَزَقۡنَـٰهُمۡ یُنفِقُونَ ﴿١٦﴾

उनके पहलू बिस्तरों से अलग रहते हैं। वे अपने पालनहार को भय तथा आशा के साथ पुकारते हैं। तथा हमने जो कुछ उन्हें प्रदान किया है, उसमें से खर्च करते हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَلَا تَعۡلَمُ نَفۡسࣱ مَّاۤ أُخۡفِیَ لَهُم مِّن قُرَّةِ أَعۡیُنࣲ جَزَاۤءَۢ بِمَا كَانُواْ یَعۡمَلُونَ ﴿١٧﴾

तो कोई प्राणी नहीं जानता कि उनके लिए आँखों की ठंढक[5] में से क्या कुछ छिपाकर रखा गया है, उसके बदले के तौर पर, जो वे (दुनिया में) किया करते थे।

5. ह़दीस में है कि अल्लाह ने फरमाया : मैंने अपने सदाचारी बंदों के लिए ऐसी चीज़ें तैयार की हैं, जिन्हें न किसी आँख ने देखा है और न किसी कान ने सुना है और न किसी मनुष्य के दिल में उन का विचार आया। फिर आपने यही आयत पढ़ी। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4780)


Arabic explanations of the Qur’an:

أَفَمَن كَانَ مُؤۡمِنࣰا كَمَن كَانَ فَاسِقࣰاۚ لَّا یَسۡتَوُۥنَ ﴿١٨﴾

तो क्या वह व्यक्ति जो ईमान वाला हो, वह उसके समान है, जो अवज्ञाकारी हो? वे समान नहीं हो सकते।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَمَّا ٱلَّذِینَ ءَامَنُواْ وَعَمِلُواْ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ فَلَهُمۡ جَنَّـٰتُ ٱلۡمَأۡوَىٰ نُزُلَۢا بِمَا كَانُواْ یَعۡمَلُونَ ﴿١٩﴾

लेकिन जो लोग ईमान लाए तथा उन्होंने सत्कर्म किए, तो उनके लिए रहने के बाग़ हैं, उन कार्यों के बदले में आतिथ्य स्वरूप, जो वे किया करते थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَأَمَّا ٱلَّذِینَ فَسَقُواْ فَمَأۡوَىٰهُمُ ٱلنَّارُۖ كُلَّمَاۤ أَرَادُوۤاْ أَن یَخۡرُجُواْ مِنۡهَاۤ أُعِیدُواْ فِیهَا وَقِیلَ لَهُمۡ ذُوقُواْ عَذَابَ ٱلنَّارِ ٱلَّذِی كُنتُم بِهِۦ تُكَذِّبُونَ ﴿٢٠﴾

और रहे वे लोग, जिन्होंने अवज्ञा की, तो उनका ठिकाना आग है। जब भी वे उससे निकलना चाहेंगे, उसी में लौटा दिए जाएँगे, तथा उनसे कहा जाएगा कि उस आग की यातना चखो, जिसे तुम झुठलाया करते थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَنُذِیقَنَّهُم مِّنَ ٱلۡعَذَابِ ٱلۡأَدۡنَىٰ دُونَ ٱلۡعَذَابِ ٱلۡأَكۡبَرِ لَعَلَّهُمۡ یَرۡجِعُونَ ﴿٢١﴾

और निश्चय हम उन्हें (आख़िरत की) सबसे बड़ी यातना से पहले (दुनिया की) निकटतम यातना अवश्य चखाएँगे, ताकि वे पलट आएँ।[6]

6. अर्थात ईमान ले आएँ और अपने कुकर्म से क्षमा याचना कर लें।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَمَنۡ أَظۡلَمُ مِمَّن ذُكِّرَ بِـَٔایَـٰتِ رَبِّهِۦ ثُمَّ أَعۡرَضَ عَنۡهَاۤۚ إِنَّا مِنَ ٱلۡمُجۡرِمِینَ مُنتَقِمُونَ ﴿٢٢﴾

और उससे बड़ा अत्याचारी कौन है, जिसे उसके पालनहार की आयतों द्वारा नसीहत की गई, फिर वह उनसे विमुख हो गया। निश्चय ही हम अपराधियों से बदला लेने वाले हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَقَدۡ ءَاتَیۡنَا مُوسَى ٱلۡكِتَـٰبَ فَلَا تَكُن فِی مِرۡیَةࣲ مِّن لِّقَاۤىِٕهِۦۖ وَجَعَلۡنَـٰهُ هُدࣰى لِّبَنِیۤ إِسۡرَ ٰ⁠ۤءِیلَ ﴿٢٣﴾

तथा निःसंदेह हमने मूसा को पुस्तक प्रदान की। तो आप उससे[7] मिलने के बारे में किसी संदेह में न रहें। तथा हमने उस (तौरात) को इसराईल की संतान के लिए मार्गदर्शन बनाया।

7. इसमें नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के मेराज की रात्रि में मूसा (अलैहिस्सलाम) से मिलने की ओर संकेत है। जिसमें मूसा (अलैहिस्सलाम) ने नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को अल्लाह से पचास नमाज़ों को पाँच कराने का परामर्श दिया था। (सह़ीह़ बुख़ारी : 3207, मुस्लिम : 164)


Arabic explanations of the Qur’an:

وَجَعَلۡنَا مِنۡهُمۡ أَىِٕمَّةࣰ یَهۡدُونَ بِأَمۡرِنَا لَمَّا صَبَرُواْۖ وَكَانُواْ بِـَٔایَـٰتِنَا یُوقِنُونَ ﴿٢٤﴾

और हमने उनमें से कई अगुवे (इमाम) बनाए, जो हमारे आदेश से मार्गदर्शन करते थे, जब उन्होंने धैर्य से काम लिया, तथा वे हमारी आयतों पर विश्वास करते थे।[8]

8. अर्थ यह है कि आप भी धैर्य तथा पूरे विश्वास के साथ लोगों को सुपथ दर्शाएँ।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّ رَبَّكَ هُوَ یَفۡصِلُ بَیۡنَهُمۡ یَوۡمَ ٱلۡقِیَـٰمَةِ فِیمَا كَانُواْ فِیهِ یَخۡتَلِفُونَ ﴿٢٥﴾

निःसंदेह आपका पालनहार ही क़ियामत के दिन उनके बीच उस बारे में निर्णय करेगा, जिसमें वे मतभेद किया करते थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَوَلَمۡ یَهۡدِ لَهُمۡ كَمۡ أَهۡلَكۡنَا مِن قَبۡلِهِم مِّنَ ٱلۡقُرُونِ یَمۡشُونَ فِی مَسَـٰكِنِهِمۡۚ إِنَّ فِی ذَ ٰ⁠لِكَ لَـَٔایَـٰتٍۚ أَفَلَا یَسۡمَعُونَ ﴿٢٦﴾

और क्या उनके लिए यह स्पष्ट नहीं हुआ कि हमने उनसे पहले कितने ही समुदायों को विनष्ट कर दिया, जिनके रहने-सहने की जगहों में वे चलते-फिरते हैं? निश्चय इसमें बहुत-सी निशानियाँ (शिक्षाएँ) हैं। तो क्या वे सुनते नहीं?


Arabic explanations of the Qur’an:

أَوَلَمۡ یَرَوۡاْ أَنَّا نَسُوقُ ٱلۡمَاۤءَ إِلَى ٱلۡأَرۡضِ ٱلۡجُرُزِ فَنُخۡرِجُ بِهِۦ زَرۡعࣰا تَأۡكُلُ مِنۡهُ أَنۡعَـٰمُهُمۡ وَأَنفُسُهُمۡۚ أَفَلَا یُبۡصِرُونَ ﴿٢٧﴾

और क्या उन्होंने नहीं देखा कि हम पानी को सूखी (बंजर) भूमि की ओर बहा ले जाते हैं, फिर हम उसके द्वारा खेती निकालते हैं, जिसमें से उनके चौपाये तथा वे स्वयं भी खाते हैं। तो क्या वे देखते नहीं?


Arabic explanations of the Qur’an:

وَیَقُولُونَ مَتَىٰ هَـٰذَا ٱلۡفَتۡحُ إِن كُنتُمۡ صَـٰدِقِینَ ﴿٢٨﴾

तथा वे कहते हैं : यह निर्णय कब होगा, यदि तुम सच्चे हो?


Arabic explanations of the Qur’an:

قُلۡ یَوۡمَ ٱلۡفَتۡحِ لَا یَنفَعُ ٱلَّذِینَ كَفَرُوۤاْ إِیمَـٰنُهُمۡ وَلَا هُمۡ یُنظَرُونَ ﴿٢٩﴾

आप कह दें : निर्णय के दिन काफ़िरों को उनका ईमान लाना लाभ नहीं देगा और न उन्हें मोहलत दी जाएगी।[9]

9. इन आयतों में मक्का के काफ़िरों को सावधान किया गया है कि इतिहास से शिक्षा ग्रहण करो, जिस जाति ने भी अल्लाह के रसूलों का विरोध किया उसको संसार से नष्ट कर दिया गया। तुम निर्णय की माँग करते हो, तो जब निर्णय का दिन आ जाएगा, तो तुम्हारे संभाले नहीं संभलेगा और उस समय का ईमान कोई लाभ नहीं देगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَأَعۡرِضۡ عَنۡهُمۡ وَٱنتَظِرۡ إِنَّهُم مُّنتَظِرُونَ ﴿٣٠﴾

अतः आप उनसे मुँह फेर लें तथा प्रतीक्षा करें। निश्चय वे (भी) प्रतीक्षा करने वाले हैं।


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