ٱلۡحَمۡدُ لِلَّهِ فَاطِرِ ٱلسَّمَـٰوَ ٰتِ وَٱلۡأَرۡضِ جَاعِلِ ٱلۡمَلَـٰۤىِٕكَةِ رُسُلًا أُوْلِیۤ أَجۡنِحَةࣲ مَّثۡنَىٰ وَثُلَـٰثَ وَرُبَـٰعَۚ یَزِیدُ فِی ٱلۡخَلۡقِ مَا یَشَاۤءُۚ إِنَّ ٱللَّهَ عَلَىٰ كُلِّ شَیۡءࣲ قَدِیرࣱ ﴿١﴾
सब प्रशंसा अल्लाह के लिए है, जो आकाशों तथा धरती का पैदा करने वाला है, (और) दो-दो, तीन-तीन, चार-चार परों वाले फ़रिश्तों को संदेशवाहक बनाने वाला[1] है। वह संरचना में जैसी चाहता है अभिवृद्धि करता है। निःसंदेह अल्लाह हर चीज़ का सामर्थ्य रखता है।
مَّا یَفۡتَحِ ٱللَّهُ لِلنَّاسِ مِن رَّحۡمَةࣲ فَلَا مُمۡسِكَ لَهَاۖ وَمَا یُمۡسِكۡ فَلَا مُرۡسِلَ لَهُۥ مِنۢ بَعۡدِهِۦۚ وَهُوَ ٱلۡعَزِیزُ ٱلۡحَكِیمُ ﴿٢﴾
अल्लाह लोगों के लिए जो दया[2] खोल दे, उसे कोई रोकने वाला नहीं। तथा जिसे रोक ले, तो उसके बाद, उसे कोई भेजने (खोलने) वाला नहीं। तथा वही सब पर प्रभुत्ववशाली, पूर्ण हिकमत वाला है।
یَـٰۤأَیُّهَا ٱلنَّاسُ ٱذۡكُرُواْ نِعۡمَتَ ٱللَّهِ عَلَیۡكُمۡۚ هَلۡ مِنۡ خَـٰلِقٍ غَیۡرُ ٱللَّهِ یَرۡزُقُكُم مِّنَ ٱلسَّمَاۤءِ وَٱلۡأَرۡضِۚ لَاۤ إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَۖ فَأَنَّىٰ تُؤۡفَكُونَ ﴿٣﴾
ऐ लोगो! अपने ऊपर अल्लाह की नेमत को याद करो। क्या अल्लाह के सिवा कोई और उत्पत्तिकर्ता है, जो तुम्हें आकाश तथा धरती से जीविका प्रदान करे? उसके सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं। फिर तुम कहाँ बहकाए जाते हो?
وَإِن یُكَذِّبُوكَ فَقَدۡ كُذِّبَتۡ رُسُلࣱ مِّن قَبۡلِكَۚ وَإِلَى ٱللَّهِ تُرۡجَعُ ٱلۡأُمُورُ ﴿٤﴾
और यदि वे आपको झुठलाते हैं, तो निश्चय ही आपसे पहले भी रसूलों को झुठलाया जा चुका है। और सभी मामले अल्लाह ही की ओर लौटाए जाते हैं।[3]
یَـٰۤأَیُّهَا ٱلنَّاسُ إِنَّ وَعۡدَ ٱللَّهِ حَقࣱّۖ فَلَا تَغُرَّنَّكُمُ ٱلۡحَیَوٰةُ ٱلدُّنۡیَا وَلَا یَغُرَّنَّكُم بِٱللَّهِ ٱلۡغَرُورُ ﴿٥﴾
ऐ लोगो! निश्चय ही अल्लाह का वादा सच्चा है। अतः सांसारिक जीवन तुम्हें धोखे में न डाले और न वह धोखेबाज़ (शैतान) तुम्हें अल्लाह के विषय में धोखा देने पाए।
إِنَّ ٱلشَّیۡطَـٰنَ لَكُمۡ عَدُوࣱّ فَٱتَّخِذُوهُ عَدُوًّاۚ إِنَّمَا یَدۡعُواْ حِزۡبَهُۥ لِیَكُونُواْ مِنۡ أَصۡحَـٰبِ ٱلسَّعِیرِ ﴿٦﴾
निःसंदेह शैतान तुम्हारा शत्रु है। अतः तुम उसे अपना शत्रु ही समझो। वह तो अपने समूह को केवल इसलिए बुलाता है कि वे नरक वालों में से हो जाएँ।
ٱلَّذِینَ كَفَرُواْ لَهُمۡ عَذَابࣱ شَدِیدࣱۖ وَٱلَّذِینَ ءَامَنُواْ وَعَمِلُواْ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ لَهُم مَّغۡفِرَةࣱ وَأَجۡرࣱ كَبِیرٌ ﴿٧﴾
जिन लोगों ने कुफ़्र किया, उनके लिए कठोर यातना है, तथा जो लोग ईमान लाए और सत्कर्म किए, उनके लिए क्षमा तथा बड़ा प्रतिफल है।
أَفَمَن زُیِّنَ لَهُۥ سُوۤءُ عَمَلِهِۦ فَرَءَاهُ حَسَنࣰاۖ فَإِنَّ ٱللَّهَ یُضِلُّ مَن یَشَاۤءُ وَیَهۡدِی مَن یَشَاۤءُۖ فَلَا تَذۡهَبۡ نَفۡسُكَ عَلَیۡهِمۡ حَسَرَ ٰتٍۚ إِنَّ ٱللَّهَ عَلِیمُۢ بِمَا یَصۡنَعُونَ ﴿٨﴾
तो क्या वह व्यक्ति जिसके लिए उसके कुकर्म को सुंदर बना दिया गया हो, तो वह उसे अच्छा समझता हो, (उसके समान है जो मार्गदर्शन पर है?) निःसंदेह अल्लाह जिसे चाहता है, गुमराह कर देता है और जिसे चाहता है, मार्गदर्शन प्रदान करता है। अतः आप उनपर अफ़सोस के कारण अपने आपको व्यथित न करें। निःसंदेह अल्लाह उसे भली-भाँति जानने वाला है जो कुछ वे कर रहे हैं।
وَٱللَّهُ ٱلَّذِیۤ أَرۡسَلَ ٱلرِّیَـٰحَ فَتُثِیرُ سَحَابࣰا فَسُقۡنَـٰهُ إِلَىٰ بَلَدࣲ مَّیِّتࣲ فَأَحۡیَیۡنَا بِهِ ٱلۡأَرۡضَ بَعۡدَ مَوۡتِهَاۚ كَذَ ٰلِكَ ٱلنُّشُورُ ﴿٩﴾
तथा अल्लाह ही है जो हवाओं को भेजता है, तो वे बादल उठाती हैं। फिर हम उसे मृत नगर की ओर हाँक ले जाते हैं। फिर हम उसके द्वारा धरती को उसके मृत हो जाने के बाद जीवित कर देते हैं। इसी प्रकार (क़ियामत के दिन) जीवित होकर उठना[4] है।
مَن كَانَ یُرِیدُ ٱلۡعِزَّةَ فَلِلَّهِ ٱلۡعِزَّةُ جَمِیعًاۚ إِلَیۡهِ یَصۡعَدُ ٱلۡكَلِمُ ٱلطَّیِّبُ وَٱلۡعَمَلُ ٱلصَّـٰلِحُ یَرۡفَعُهُۥۚ وَٱلَّذِینَ یَمۡكُرُونَ ٱلسَّیِّـَٔاتِ لَهُمۡ عَذَابࣱ شَدِیدࣱۖ وَمَكۡرُ أُوْلَـٰۤىِٕكَ هُوَ یَبُورُ ﴿١٠﴾
जो व्यक्ति सम्मान (इज़्ज़त) चाहता है, तो सब सम्मान अल्लाह ही के लिए है। पवित्र वाक्य[5] उसी की ओर चढ़ते हैं और सत्कर्म उन्हें ऊपर उठाता[6] है। तथा जो लोग बुरी चालें चलते हैं, उनके लिए कठोर यातना है और उनकी चाल ही मटियामेट होकर रहेगी।
وَٱللَّهُ خَلَقَكُم مِّن تُرَابࣲ ثُمَّ مِن نُّطۡفَةࣲ ثُمَّ جَعَلَكُمۡ أَزۡوَ ٰجࣰاۚ وَمَا تَحۡمِلُ مِنۡ أُنثَىٰ وَلَا تَضَعُ إِلَّا بِعِلۡمِهِۦۚ وَمَا یُعَمَّرُ مِن مُّعَمَّرࣲ وَلَا یُنقَصُ مِنۡ عُمُرِهِۦۤ إِلَّا فِی كِتَـٰبٍۚ إِنَّ ذَ ٰلِكَ عَلَى ٱللَّهِ یَسِیرࣱ ﴿١١﴾
अल्लाह ही ने तुम्हें मिट्टी से, फिर वीर्य से पैदा किया, फिर तुम्हें जोड़े-जोड़े बनाया। जो भी मादा गर्भ धारण करती है और बच्चा जनती है, तो अल्लाह को उसका ज्ञान होता है। तथा किसी आयु वाले की आयु बढ़ाई जाती है या उसकी आयु कम की जाती है, तो यह सब कुछ एक किताब में (लिखा हुआ) है।[7] निःसंदेह यह सब अल्लाह पर अति सरल है।
وَمَا یَسۡتَوِی ٱلۡبَحۡرَانِ هَـٰذَا عَذۡبࣱ فُرَاتࣱ سَاۤىِٕغࣱ شَرَابُهُۥ وَهَـٰذَا مِلۡحٌ أُجَاجࣱۖ وَمِن كُلࣲّ تَأۡكُلُونَ لَحۡمࣰا طَرِیࣰّا وَتَسۡتَخۡرِجُونَ حِلۡیَةࣰ تَلۡبَسُونَهَاۖ وَتَرَى ٱلۡفُلۡكَ فِیهِ مَوَاخِرَ لِتَبۡتَغُواْ مِن فَضۡلِهِۦ وَلَعَلَّكُمۡ تَشۡكُرُونَ ﴿١٢﴾
तथा दो सागर बारबर नहीं हैं। यह (एक) मीठा, प्यास बुझाने वाला, पीने में रुचिकर है, और यह (दूसरा) खारा-कड़वा है। तथा प्रत्येक में से तुम ताज़ा माँस खाते हो तथा आभूषण निकालते हो, जिसे तुम पहनते हो। और तुम उसमें नावों को देखते हो कि पानी को चीरती हुई चलती हैं, ताकि तुम अल्लाह का अनुग्रह तलाश करो और ताकि तुम कृतज्ञ बनो।
یُولِجُ ٱلَّیۡلَ فِی ٱلنَّهَارِ وَیُولِجُ ٱلنَّهَارَ فِی ٱلَّیۡلِ وَسَخَّرَ ٱلشَّمۡسَ وَٱلۡقَمَرَۖ كُلࣱّ یَجۡرِی لِأَجَلࣲ مُّسَمࣰّىۚ ذَ ٰلِكُمُ ٱللَّهُ رَبُّكُمۡ لَهُ ٱلۡمُلۡكُۚ وَٱلَّذِینَ تَدۡعُونَ مِن دُونِهِۦ مَا یَمۡلِكُونَ مِن قِطۡمِیرٍ ﴿١٣﴾
वह रात को दिन में दाखिल करता है, तथा दिन को रात में दाखिल करता है, तथा सूर्य एवं चाँद को काम में लगा रखा है। उनमें से प्रत्येक एक निश्चित समय तक चल रहा है।वही अल्लाह तुम्हारा पालनहार है। उसी का राज्य है। तथा जिन्हें तुम उसके सिवा पुकारते हो, वे खजूर की गुठली के छिलके के भी मालिक नहीं हैं।
إِن تَدۡعُوهُمۡ لَا یَسۡمَعُواْ دُعَاۤءَكُمۡ وَلَوۡ سَمِعُواْ مَا ٱسۡتَجَابُواْ لَكُمۡۖ وَیَوۡمَ ٱلۡقِیَـٰمَةِ یَكۡفُرُونَ بِشِرۡكِكُمۡۚ وَلَا یُنَبِّئُكَ مِثۡلُ خَبِیرࣲ ﴿١٤﴾
यदि तुम उन्हें पुकारो, तो वे तुम्हारी पुकार नहीं सुन सकते। और यदि सुन भी लें, तो तुम्हें उत्तर नहीं दे सकते। और वे क़ियामत के दिन तुम्हारे शिर्क का इनकार कर देंगे। और (ऐ रसूल!) आपको एक सर्वज्ञाता (अल्लाह) की तरह कोई सूचना नहीं देगा।[8]
۞ یَـٰۤأَیُّهَا ٱلنَّاسُ أَنتُمُ ٱلۡفُقَرَاۤءُ إِلَى ٱللَّهِۖ وَٱللَّهُ هُوَ ٱلۡغَنِیُّ ٱلۡحَمِیدُ ﴿١٥﴾
ऐ लोगो! तुम सब अल्लाह के मुहताज हो और अल्लाह बेनियाज़, प्रशंसित है।
إِن یَشَأۡ یُذۡهِبۡكُمۡ وَیَأۡتِ بِخَلۡقࣲ جَدِیدࣲ ﴿١٦﴾
यदि वह चाहे, तो तुम्हें ले जाए और (तुम्हारी जगह) एक नई मख़लूक़[9] ले आए।
وَلَا تَزِرُ وَازِرَةࣱ وِزۡرَ أُخۡرَىٰۚ وَإِن تَدۡعُ مُثۡقَلَةٌ إِلَىٰ حِمۡلِهَا لَا یُحۡمَلۡ مِنۡهُ شَیۡءࣱ وَلَوۡ كَانَ ذَا قُرۡبَىٰۤۗ إِنَّمَا تُنذِرُ ٱلَّذِینَ یَخۡشَوۡنَ رَبَّهُم بِٱلۡغَیۡبِ وَأَقَامُواْ ٱلصَّلَوٰةَۚ وَمَن تَزَكَّىٰ فَإِنَّمَا یَتَزَكَّىٰ لِنَفۡسِهِۦۚ وَإِلَى ٱللَّهِ ٱلۡمَصِیرُ ﴿١٨﴾
और कोई बोझ उठाने वाला दूसरे का बोझ[10] नहीं उठाएगा। और अगर कोई बोझ से दबा हुआ व्यक्ति (किसी को) बोझ उठाने के लिए पुकारेगा, तो उसका तनिक भी बोझ नहीं उठाया जाएगा, यद्यपि वह निकट का संबंधी ही क्यों न हो। आप तो केवल उन्हीं लोगों को सचेत करते हैं, जो अपने पालनहार से बिन देखे डरते हैं और नमाज़ क़ायम करते हैं। तथा जो पवित्र हुआ, वह अपने ही लाभ के लिए पवित्र होता है। और (सबको) अल्लाह ही की ओर लौटकर जाना है।
وَمَا یَسۡتَوِی ٱلۡأَحۡیَاۤءُ وَلَا ٱلۡأَمۡوَ ٰتُۚ إِنَّ ٱللَّهَ یُسۡمِعُ مَن یَشَاۤءُۖ وَمَاۤ أَنتَ بِمُسۡمِعࣲ مَّن فِی ٱلۡقُبُورِ ﴿٢٢﴾
तथा जीवित एवं मृत समान नहीं हो सकते। निःसंदेह अल्लाह जिसे चाहता है, सुना देता है और आप उन्हें नहीं सुना सकते, जो क़ब्रों में हैं।
إِنَّاۤ أَرۡسَلۡنَـٰكَ بِٱلۡحَقِّ بَشِیرࣰا وَنَذِیرࣰاۚ وَإِن مِّنۡ أُمَّةٍ إِلَّا خَلَا فِیهَا نَذِیرࣱ ﴿٢٤﴾
निःसंदेह हमने आपको सत्य के साथ शुभ सूचना देने वाला तथा डराने वाला बनाकर भेजा है। और कोई समुदाय ऐसा नहीं, जिसमें कोई डराने वाला न आया हो।
وَإِن یُكَذِّبُوكَ فَقَدۡ كَذَّبَ ٱلَّذِینَ مِن قَبۡلِهِمۡ جَاۤءَتۡهُمۡ رُسُلُهُم بِٱلۡبَیِّنَـٰتِ وَبِٱلزُّبُرِ وَبِٱلۡكِتَـٰبِ ٱلۡمُنِیرِ ﴿٢٥﴾
और अगर ये लोग आपको झुठलाते हैं, तो इनसे पूर्व के लोगों ने भी (रसूलों को) झुठलाया है, जिनके पास हमारे रसूल खुले प्रमाण, ग्रंथ और ज्योतिमान करने वाली पुस्तक लेकर आए।
ثُمَّ أَخَذۡتُ ٱلَّذِینَ كَفَرُواْۖ فَكَیۡفَ كَانَ نَكِیرِ ﴿٢٦﴾
फिर मैंने उन लोगों को पकड़ लिया, जिन्होंने इनकार किया। तो मेरी पकड़ कैसी रही?
أَلَمۡ تَرَ أَنَّ ٱللَّهَ أَنزَلَ مِنَ ٱلسَّمَاۤءِ مَاۤءࣰ فَأَخۡرَجۡنَا بِهِۦ ثَمَرَ ٰتࣲ مُّخۡتَلِفًا أَلۡوَ ٰنُهَاۚ وَمِنَ ٱلۡجِبَالِ جُدَدُۢ بِیضࣱ وَحُمۡرࣱ مُّخۡتَلِفٌ أَلۡوَ ٰنُهَا وَغَرَابِیبُ سُودࣱ ﴿٢٧﴾
क्या आपने नहीं देखा कि अल्लाह ने आकाश से पानी उतारा, फिर हमने उसके द्वारा विभिन्न रंगों के बहुत-से फल निकाल दिए। तथा पर्वतों में विभिन्न रंगों की सफेद और लाल धारियाँ (और टुकड़े) हैं, तथा कुछ गहरी काली धारियाँ हैं।
وَمِنَ ٱلنَّاسِ وَٱلدَّوَاۤبِّ وَٱلۡأَنۡعَـٰمِ مُخۡتَلِفٌ أَلۡوَ ٰنُهُۥ كَذَ ٰلِكَۗ إِنَّمَا یَخۡشَى ٱللَّهَ مِنۡ عِبَادِهِ ٱلۡعُلَمَـٰۤؤُاْۗ إِنَّ ٱللَّهَ عَزِیزٌ غَفُورٌ ﴿٢٨﴾
तथा इसी प्रकार मनुष्यों, जानवरों और चौपायों में से भी ऐसे हैं जिनके रंग विभिन्न हैं। वास्तविकता यह है कि अल्लाह से उसके वही बंदे डरते हैं, जो ज्ञानी[11] हैं। निःसंदेह अल्लाह अति प्रभुत्वशाली, बेहद क्षमाशील है।
إِنَّ ٱلَّذِینَ یَتۡلُونَ كِتَـٰبَ ٱللَّهِ وَأَقَامُواْ ٱلصَّلَوٰةَ وَأَنفَقُواْ مِمَّا رَزَقۡنَـٰهُمۡ سِرࣰّا وَعَلَانِیَةࣰ یَرۡجُونَ تِجَـٰرَةࣰ لَّن تَبُورَ ﴿٢٩﴾
निःसंदेह जो लोग अल्लाह की पुस्तक (क़ुरआन) पढ़ते हैं, और नमाज़ क़ायम करते हैं और जो कुछ हमने उन्हें दिया है, उसमें से छिपे और खुले खर्च करते हैं, वे ऐसे व्यापार की आशा रखते हैं, जिसमें कभी घाटा नहीं होगा।
لِیُوَفِّیَهُمۡ أُجُورَهُمۡ وَیَزِیدَهُم مِّن فَضۡلِهِۦۤۚ إِنَّهُۥ غَفُورࣱ شَكُورࣱ ﴿٣٠﴾
ताकि अल्लाह उन्हें उनका पूरा-पूरा बदला दे और उन्हें अपनी कृपा से और अधिक प्रदान करे। निःसंदेह वह बहुत क्षमा करने वाला, अत्यंत गुणग्राही है।
وَٱلَّذِیۤ أَوۡحَیۡنَاۤ إِلَیۡكَ مِنَ ٱلۡكِتَـٰبِ هُوَ ٱلۡحَقُّ مُصَدِّقࣰا لِّمَا بَیۡنَ یَدَیۡهِۗ إِنَّ ٱللَّهَ بِعِبَادِهِۦ لَخَبِیرُۢ بَصِیرࣱ ﴿٣١﴾
और हमने आपकी ओर जिस किताब की वह़्य (प्रकाशना) की है, वही सर्वथा सच है और अपने से पहले की पुस्तकों की पुष्टि करने वाली है। निःसंदेह अल्लाह अपने बंदों की पूरी खबर रखने वाला, सब कुछ देखने वाला है।[12]
ثُمَّ أَوۡرَثۡنَا ٱلۡكِتَـٰبَ ٱلَّذِینَ ٱصۡطَفَیۡنَا مِنۡ عِبَادِنَاۖ فَمِنۡهُمۡ ظَالِمࣱ لِّنَفۡسِهِۦ وَمِنۡهُم مُّقۡتَصِدࣱ وَمِنۡهُمۡ سَابِقُۢ بِٱلۡخَیۡرَ ٰتِ بِإِذۡنِ ٱللَّهِۚ ذَ ٰلِكَ هُوَ ٱلۡفَضۡلُ ٱلۡكَبِیرُ ﴿٣٢﴾
फिर हमने इस पुस्तक का उत्तराधिकारी उन लोगों को बनाया, जिन्हें हमने अपने बंदों[13] में से चुन लिया। तो उनमें से कुछ लोग अपने ऊपर अत्याचार करने वाले हैं, और उनमें से कुछ लोग मध्यमार्गी हैं, और उनमें से कुछ लोग अल्लाह की अनुमति से भलाई के कामों में आगे निकल जाने वाले हैं। यही महान अनुग्रह है।
جَنَّـٰتُ عَدۡنࣲ یَدۡخُلُونَهَا یُحَلَّوۡنَ فِیهَا مِنۡ أَسَاوِرَ مِن ذَهَبࣲ وَلُؤۡلُؤࣰاۖ وَلِبَاسُهُمۡ فِیهَا حَرِیرࣱ ﴿٣٣﴾
सदा रहने के बाग़ हैं, जिनमें वे प्रवेश करेंगे। उनमें वे सोने के कंगन और मोती पहनाए जाएँगे और उनमें उनके वस्त्र रेशम के होंगे।
وَقَالُواْ ٱلۡحَمۡدُ لِلَّهِ ٱلَّذِیۤ أَذۡهَبَ عَنَّا ٱلۡحَزَنَۖ إِنَّ رَبَّنَا لَغَفُورࣱ شَكُورٌ ﴿٣٤﴾
तथा वे कहेंगे : सब प्रशंसा उस अल्लाह के लिए है, जिसने हमसे ग़म दूर कर दिया। निःसंदेह हमारा पालनहार अत्यंत क्षमाशील, बड़ा गुणग्राही है।
ٱلَّذِیۤ أَحَلَّنَا دَارَ ٱلۡمُقَامَةِ مِن فَضۡلِهِۦ لَا یَمَسُّنَا فِیهَا نَصَبࣱ وَلَا یَمَسُّنَا فِیهَا لُغُوبࣱ ﴿٣٥﴾
जिसने हमें अपनी कृपा से स्थायी घर में उतारा। न इसमें हमें कोई कष्ट उठाना पड़ता है और न इसमें हमें कोई थकान पहुँचती है।
وَٱلَّذِینَ كَفَرُواْ لَهُمۡ نَارُ جَهَنَّمَ لَا یُقۡضَىٰ عَلَیۡهِمۡ فَیَمُوتُواْ وَلَا یُخَفَّفُ عَنۡهُم مِّنۡ عَذَابِهَاۚ كَذَ ٰلِكَ نَجۡزِی كُلَّ كَفُورࣲ ﴿٣٦﴾
और जिन लोगों ने कुफ़्र किया, उनके लिए जहन्नम की आग है। न उनपर (मृत्यु का) फैसला किया जाएगा कि वे मर जाएँ, और न उनसे उसकी यातना ही कुछ हल्की की जाएगी। हम प्रत्येक अकृतज्ञ को इसी तरह बदला दिया करते हैं।
وَهُمۡ یَصۡطَرِخُونَ فِیهَا رَبَّنَاۤ أَخۡرِجۡنَا نَعۡمَلۡ صَـٰلِحًا غَیۡرَ ٱلَّذِی كُنَّا نَعۡمَلُۚ أَوَلَمۡ نُعَمِّرۡكُم مَّا یَتَذَكَّرُ فِیهِ مَن تَذَكَّرَ وَجَاۤءَكُمُ ٱلنَّذِیرُۖ فَذُوقُواْ فَمَا لِلظَّـٰلِمِینَ مِن نَّصِیرٍ ﴿٣٧﴾
और वे उसमें चिल्लाएँगे : ऐ हमारे पालनहार! हमें (जहन्नम से) निकाल ले। हम जो कुछ किया करते थे, उसके अलावा नेकी के काम करेंग। क्या हमने तुम्हें इतनी आयु नहीं दी थी कि उसमें जो शिक्षा ग्रहण करना चाहता, वह शिक्षा ग्रहण कर लेता, हालाँकि तुम्हारे पास डराने वाला (नबी) भी तो आया था? अतः, तुम (यातना) चखो। अत्याचारियों का कोई सहायक नहीं है।
إِنَّ ٱللَّهَ عَـٰلِمُ غَیۡبِ ٱلسَّمَـٰوَ ٰتِ وَٱلۡأَرۡضِۚ إِنَّهُۥ عَلِیمُۢ بِذَاتِ ٱلصُّدُورِ ﴿٣٨﴾
निःसंदेह अल्लाह आकाशों और धरती के परोक्ष (गुप्त चीज़ों) को जानने वाला है। निःसंदेह वही सीनों की बातों को भली-भाँति जानता है।
هُوَ ٱلَّذِی جَعَلَكُمۡ خَلَـٰۤىِٕفَ فِی ٱلۡأَرۡضِۚ فَمَن كَفَرَ فَعَلَیۡهِ كُفۡرُهُۥۖ وَلَا یَزِیدُ ٱلۡكَـٰفِرِینَ كُفۡرُهُمۡ عِندَ رَبِّهِمۡ إِلَّا مَقۡتࣰاۖ وَلَا یَزِیدُ ٱلۡكَـٰفِرِینَ كُفۡرُهُمۡ إِلَّا خَسَارࣰا ﴿٣٩﴾
वही है जिसने तुम्हें धरती पर उत्तराधिकारी बनाया। फिर जिसने कुफ़्र किया, तो उसके कुफ़्र का दुष्परिणाम उसी पर होगा। और काफ़िरों को उनका कुफ़्र उनके पालनहार के यहाँ क्रोध ही में बढ़ाता है। और काफ़िरों को उनका कुफ़्र उनके घाटे ही में वृद्धि करता है।
قُلۡ أَرَءَیۡتُمۡ شُرَكَاۤءَكُمُ ٱلَّذِینَ تَدۡعُونَ مِن دُونِ ٱللَّهِ أَرُونِی مَاذَا خَلَقُواْ مِنَ ٱلۡأَرۡضِ أَمۡ لَهُمۡ شِرۡكࣱ فِی ٱلسَّمَـٰوَ ٰتِ أَمۡ ءَاتَیۡنَـٰهُمۡ كِتَـٰبࣰا فَهُمۡ عَلَىٰ بَیِّنَتࣲ مِّنۡهُۚ بَلۡ إِن یَعِدُ ٱلظَّـٰلِمُونَ بَعۡضُهُم بَعۡضًا إِلَّا غُرُورًا ﴿٤٠﴾
(ऐ नबी!)[14] उनसे कह दें : क्या तुमने अपने उन साझियों को देखा, जिन्हें तुम अल्लाह के सिवा पुकारते हो? मुझे दिखाओ कि उन्होंने धरती का कौन-सा भाग पैदा किया है? या उनकी आकाशों (की रचना) में कुछ साझेदारी है? या हमने उन्हें कोई पुस्तक प्रदान की है कि वे उसके किसी स्पष्ट प्रमाण पर (क़ायम) हैं? बल्कि (वास्तविकता यह है कि) अत्याचारी लोग एक-दूसरे को केवल धोखे का वादा करते हैं।
۞ إِنَّ ٱللَّهَ یُمۡسِكُ ٱلسَّمَـٰوَ ٰتِ وَٱلۡأَرۡضَ أَن تَزُولَاۚ وَلَىِٕن زَالَتَاۤ إِنۡ أَمۡسَكَهُمَا مِنۡ أَحَدࣲ مِّنۢ بَعۡدِهِۦۤۚ إِنَّهُۥ كَانَ حَلِیمًا غَفُورࣰا ﴿٤١﴾
निःसंदेह अल्लाह ही आकाशों और धरती को थामे (रोके)[14] हुए है कि (कहीं) वे दोनों (अपनी जगह से) हट (टल) न जाएँ। और वास्तव में यदि वे दोनों हट (टल) जाएँ, तो उसके बाद कोई भी उन्हें थाम (रोक) नहीं सकेगा। निःसंदेह वह अत्यंत सहनशील, बहुत क्षमा करने वाला है।
وَأَقۡسَمُواْ بِٱللَّهِ جَهۡدَ أَیۡمَـٰنِهِمۡ لَىِٕن جَاۤءَهُمۡ نَذِیرࣱ لَّیَكُونُنَّ أَهۡدَىٰ مِنۡ إِحۡدَى ٱلۡأُمَمِۖ فَلَمَّا جَاۤءَهُمۡ نَذِیرࣱ مَّا زَادَهُمۡ إِلَّا نُفُورًا ﴿٤٢﴾
और उन (काफ़िरों) ने अल्लाह की पक्की क़समें खाई थीं कि यदि उनके पास कोई डराने वाला (नबी) आया, तो वे अवश्य किसी भी अन्य समुदाय से अधिक सीधे रास्ते पर चलने वाले हो जाएँगे। फिर जब उनके पास एक डराने वाला[14] आ गया, तो इससे उनके (सत्य से) दूर भागने ही में वृद्धि हुई।
ٱسۡتِكۡبَارࣰا فِی ٱلۡأَرۡضِ وَمَكۡرَ ٱلسَّیِّىِٕۚ وَلَا یَحِیقُ ٱلۡمَكۡرُ ٱلسَّیِّئُ إِلَّا بِأَهۡلِهِۦۚ فَهَلۡ یَنظُرُونَ إِلَّا سُنَّتَ ٱلۡأَوَّلِینَۚ فَلَن تَجِدَ لِسُنَّتِ ٱللَّهِ تَبۡدِیلࣰاۖ وَلَن تَجِدَ لِسُنَّتِ ٱللَّهِ تَحۡوِیلًا ﴿٤٣﴾
धरती में अभिमान करने और बुरी चाल के कारण। और बुरी चाल उसके चलने वाले ही को घेरती है। तो क्या वे पहले लोगों (के बारे में अल्लाह) की रीति[17] की प्रतीक्षा कर रहे हैं? तो आप अल्लाह की रीति में हरगिज़ कोई बदलाव नहीं पाएँगे, तथा आप अल्लाह की रीति में कभी कोई परिवर्तन[18] नहीं पाएँगे।
أَوَلَمۡ یَسِیرُواْ فِی ٱلۡأَرۡضِ فَیَنظُرُواْ كَیۡفَ كَانَ عَـٰقِبَةُ ٱلَّذِینَ مِن قَبۡلِهِمۡ وَكَانُوۤاْ أَشَدَّ مِنۡهُمۡ قُوَّةࣰۚ وَمَا كَانَ ٱللَّهُ لِیُعۡجِزَهُۥ مِن شَیۡءࣲ فِی ٱلسَّمَـٰوَ ٰتِ وَلَا فِی ٱلۡأَرۡضِۚ إِنَّهُۥ كَانَ عَلِیمࣰا قَدِیرࣰا ﴿٤٤﴾
और क्या वे धरती में नहीं चले-फिरे कि देखते कि उन लोगों का परिणाम कैसा रहा, जो इनसे पहले थे, हालाँकि वे शक्ति में इनसे बढ़े हुए थे? तथा अल्लाह ऐसा नहीं है कि आकाशों और धरती में कोई चीज़ उसे विवश कर सके। निःसंदेह वह सब कुछ जानने वाला, हर चीज़ पर सर्वशक्तिमान है।
وَلَوۡ یُؤَاخِذُ ٱللَّهُ ٱلنَّاسَ بِمَا كَسَبُواْ مَا تَرَكَ عَلَىٰ ظَهۡرِهَا مِن دَاۤبَّةࣲ وَلَـٰكِن یُؤَخِّرُهُمۡ إِلَىٰۤ أَجَلࣲ مُّسَمࣰّىۖ فَإِذَا جَاۤءَ أَجَلُهُمۡ فَإِنَّ ٱللَّهَ كَانَ بِعِبَادِهِۦ بَصِیرَۢا ﴿٤٥﴾
और यदि अल्लाह लोगों की उनके कार्यों के कारण पकड़ करने लगे, तो धरती के ऊपर किसी चलने वाले को न छोड़े। परंतु वह उन्हें एक निर्धारित अवधि तक मोहलत देता है। फिर जब उनका निर्धारित समय आ जाएगा, तो अल्लाह अपने बंदों को भली-भाँति देखने वाला है।[19]