فَٱلتَّـٰلِیَـٰتِ ذِكۡرًا ﴿٣﴾
फिर (अल्लाह के) ज़िक्र (वाणी) की तिलावत करने वालों की।[1]
رَّبُّ ٱلسَّمَـٰوَ ٰتِ وَٱلۡأَرۡضِ وَمَا بَیۡنَهُمَا وَرَبُّ ٱلۡمَشَـٰرِقِ ﴿٥﴾
जो आकाशों और धरती का तथा उन दोनों के बीच की समस्त चीज़ों का स्वामी है और सूर्य के उदय होने के सभी स्थानों का मालिक है।
إِنَّا زَیَّنَّا ٱلسَّمَاۤءَ ٱلدُّنۡیَا بِزِینَةٍ ٱلۡكَوَاكِبِ ﴿٦﴾
निःसंदेह हमने संसार के आकाश को एक सुंदर शृंगार के साथ सुशोभित किया है, जो सितारे हैं।
لَّا یَسَّمَّعُونَ إِلَى ٱلۡمَلَإِ ٱلۡأَعۡلَىٰ وَیُقۡذَفُونَ مِن كُلِّ جَانِبࣲ ﴿٨﴾
वे सर्वोच्च सभा (मला-ए-आ'ला) के फ़रिश्तों की बात नहीं सुन सकते, तथा वे हर ओर से (उल्काओं से) मारे जाते हैं।
إِلَّا مَنۡ خَطِفَ ٱلۡخَطۡفَةَ فَأَتۡبَعَهُۥ شِهَابࣱ ثَاقِبࣱ ﴿١٠﴾
परंतु जो कोई (शैतान फरिश्तों की किसी बात को) अचानक उचक ले जाए, तो एक दहकता हुआ अंगारा (उल्का)[2] उसका पीछा करता है।
فَٱسۡتَفۡتِهِمۡ أَهُمۡ أَشَدُّ خَلۡقًا أَم مَّنۡ خَلَقۡنَاۤۚ إِنَّا خَلَقۡنَـٰهُم مِّن طِینࣲ لَّازِبِۭ ﴿١١﴾
तो आप इन (काफ़िरों) से पूछें कि क्या इन्हें पैदा करना अधिक कठिन है या उनका जिन्हें[3] हम पैदा कर चुके? निःसंदेह हमने उन्हें[4] एक लेसदार मिट्टी से पैदा किया है।
أَءِذَا مِتۡنَا وَكُنَّا تُرَابࣰا وَعِظَـٰمًا أَءِنَّا لَمَبۡعُوثُونَ ﴿١٦﴾
क्या जब हम मर गए और मिट्टी तथा हड्डियाँ हो चुके, तो क्या सचमुच हम अवश्य उठाए जाने वाले हैं?
فَإِنَّمَا هِیَ زَجۡرَةࣱ وَ ٰحِدَةࣱ فَإِذَا هُمۡ یَنظُرُونَ ﴿١٩﴾
वह बस एक ही झिड़की होगी, तो एकाएक वे देख रहे होंगे।
وَقَالُواْ یَـٰوَیۡلَنَا هَـٰذَا یَوۡمُ ٱلدِّینِ ﴿٢٠﴾
तथा वे कहेंगे : हाय हमारा विनाश! यह तो बदले का दिन है।
هَـٰذَا یَوۡمُ ٱلۡفَصۡلِ ٱلَّذِی كُنتُم بِهِۦ تُكَذِّبُونَ ﴿٢١﴾
यही निर्णय का दिन है, जिसे तुम झुठलाया करते थे।
۞ ٱحۡشُرُواْ ٱلَّذِینَ ظَلَمُواْ وَأَزۡوَ ٰجَهُمۡ وَمَا كَانُواْ یَعۡبُدُونَ ﴿٢٢﴾
(आदेश होगा कि) इकट्ठा करो उन लोगों को जिन्होंने अत्याचार किया तथा उनके साथियों को और जिनकी वे उपासना किया करते थे ।
مِن دُونِ ٱللَّهِ فَٱهۡدُوهُمۡ إِلَىٰ صِرَ ٰطِ ٱلۡجَحِیمِ ﴿٢٣﴾
अल्लाह के सिवा। फिर उन्हें जहन्नम की राह दिखा दो।
وَقِفُوهُمۡۖ إِنَّهُم مَّسۡـُٔولُونَ ﴿٢٤﴾
और उन्हें ठहराओ[5], निःसंदेह वे प्रश्न किए जाने वाले हैं।
وَأَقۡبَلَ بَعۡضُهُمۡ عَلَىٰ بَعۡضࣲ یَتَسَاۤءَلُونَ ﴿٢٧﴾
और वे एक-दूसरे की ओर रुख़ करके परस्पर प्रश्न करेंगे।[6]
قَالُوۤاْ إِنَّكُمۡ كُنتُمۡ تَأۡتُونَنَا عَنِ ٱلۡیَمِینِ ﴿٢٨﴾
वे कहेंगे : निःसंदेह तुम हमारे पास दाहिने[7] से आया करते थे।
قَالُواْ بَل لَّمۡ تَكُونُواْ مُؤۡمِنِینَ ﴿٢٩﴾
वे[8] कहेंगे : बल्कि तुम (स्वयं) ईमान वाले न थे।
وَمَا كَانَ لَنَا عَلَیۡكُم مِّن سُلۡطَـٰنِۭۖ بَلۡ كُنتُمۡ قَوۡمࣰا طَـٰغِینَ ﴿٣٠﴾
तथा हमारा तुमपर कोई ज़ोर[9] न था, बल्कि तुम (स्वंय) हद से बढ़ने वाले लोग थे।
فَحَقَّ عَلَیۡنَا قَوۡلُ رَبِّنَاۤۖ إِنَّا لَذَاۤىِٕقُونَ ﴿٣١﴾
तो हमपर हमारे पालनहार का कथन सिद्ध हो गया। निःसंदेह हम निश्चय (यातना) चखने वाले हैं।
فَأَغۡوَیۡنَـٰكُمۡ إِنَّا كُنَّا غَـٰوِینَ ﴿٣٢﴾
तो हमने तुम्हें गुमराह किया। निःसंदेह हम स्वयं गुमराह थे।
فَإِنَّهُمۡ یَوۡمَىِٕذࣲ فِی ٱلۡعَذَابِ مُشۡتَرِكُونَ ﴿٣٣﴾
तो निश्चय ही वे उस दिन यातना में सहभागी होंगे।
إِنَّا كَذَ ٰلِكَ نَفۡعَلُ بِٱلۡمُجۡرِمِینَ ﴿٣٤﴾
निःसंदेह हम अपराधियों के साथ ऐसा ही किया करते हैं।
إِنَّهُمۡ كَانُوۤاْ إِذَا قِیلَ لَهُمۡ لَاۤ إِلَـٰهَ إِلَّا ٱللَّهُ یَسۡتَكۡبِرُونَ ﴿٣٥﴾
निःसंदेह वे ऐसे लोग थे कि जब उनसे कहा जाता कि अल्लाह के सिवा कोई पूज्य (इबादत के योग्य) नहीं, तो वे अभिमान करते थे।
وَیَقُولُونَ أَىِٕنَّا لَتَارِكُوۤاْ ءَالِهَتِنَا لِشَاعِرࣲ مَّجۡنُونِۭ ﴿٣٦﴾
तथा कहते थे : क्या सचमुच हम अपने पूज्यों को एक दीवाने कवि के कारण छोड़ देने वाले हैं?
بَلۡ جَاۤءَ بِٱلۡحَقِّ وَصَدَّقَ ٱلۡمُرۡسَلِینَ ﴿٣٧﴾
बल्कि वह सत्य लेकर आए हैं तथा उन्होंने सभी रसूलों की पुष्टि की है।
إِنَّكُمۡ لَذَاۤىِٕقُواْ ٱلۡعَذَابِ ٱلۡأَلِیمِ ﴿٣٨﴾
निःसंदेह तुम निश्चय दुःखदायी यातना चखने वाले हो।
وَمَا تُجۡزَوۡنَ إِلَّا مَا كُنتُمۡ تَعۡمَلُونَ ﴿٣٩﴾
तथा तुम्हें केवल उसी का बदला दिया जाएगा, जो तुम किया करते थे।
لَا فِیهَا غَوۡلࣱ وَلَا هُمۡ عَنۡهَا یُنزَفُونَ ﴿٤٧﴾
न उसमें कोई सिरदर्द होगा, और न वे उससे मदहोश होंगे।
وَعِندَهُمۡ قَـٰصِرَ ٰتُ ٱلطَّرۡفِ عِینࣱ ﴿٤٨﴾
तथा उनके पास दृष्टि नीची रखने वाली, बड़ी आँखों वाली स्त्रियाँ होंगी।
كَأَنَّهُنَّ بَیۡضࣱ مَّكۡنُونࣱ ﴿٤٩﴾
मानो वे छिपाकर रखे हुए अंडे हों।[10]
فَأَقۡبَلَ بَعۡضُهُمۡ عَلَىٰ بَعۡضࣲ یَتَسَاۤءَلُونَ ﴿٥٠﴾
फिर वे एक-दूसरे के सम्मुख होकर आपस में प्रश्न करेंगे।
قَالَ قَاۤىِٕلࣱ مِّنۡهُمۡ إِنِّی كَانَ لِی قَرِینࣱ ﴿٥١﴾
उनमें से एक कहने वाला कहेगा : मेरा एक साथी था।
یَقُولُ أَءِنَّكَ لَمِنَ ٱلۡمُصَدِّقِینَ ﴿٥٢﴾
वह कहा करता था कि क्या सचमुच तू भी (मरणोपरांत पुनर्जीवन को) मानने वालों में से है?
أَءِذَا مِتۡنَا وَكُنَّا تُرَابࣰا وَعِظَـٰمًا أَءِنَّا لَمَدِینُونَ ﴿٥٣﴾
क्या जब हम मर गए और हम मिट्टी तथा हड्डियाँ हो गए, तो क्या सचमुच हम अवश्य बदला दिए जाने वाले हैं?
فَٱطَّلَعَ فَرَءَاهُ فِی سَوَاۤءِ ٱلۡجَحِیمِ ﴿٥٥﴾
फिर वह झाँकेगा, तो उसे भड़कती हुई आग के बीच में देखेगा।
قَالَ تَٱللَّهِ إِن كِدتَّ لَتُرۡدِینِ ﴿٥٦﴾
कहेगा : अल्लाह की कसम! निश्चय तू क़रीब था कि मुझे नष्ट ही कर दे।
وَلَوۡلَا نِعۡمَةُ رَبِّی لَكُنتُ مِنَ ٱلۡمُحۡضَرِینَ ﴿٥٧﴾
और यदि मेरे पालनहार की अनुकंपा न होती, तो निश्चय मैं भी (जहन्नम में) उपस्थित किए गए लोगों में से होता।
إِلَّا مَوۡتَتَنَا ٱلۡأُولَىٰ وَمَا نَحۡنُ بِمُعَذَّبِینَ ﴿٥٩﴾
सिवाय अपनी प्रथम मौत के, और न हम कभी यातना दिए जाने वाले हैं।
لِمِثۡلِ هَـٰذَا فَلۡیَعۡمَلِ ٱلۡعَـٰمِلُونَ ﴿٦١﴾
इसी (जैसी सफलता) के लिए कर्म करने वालों को कर्म करना चाहिए।
أَذَ ٰلِكَ خَیۡرࣱ نُّزُلًا أَمۡ شَجَرَةُ ٱلزَّقُّومِ ﴿٦٢﴾
क्या यह आतिथ्य उत्तम है या थोहड़ का वृक्ष?
إِنَّا جَعَلۡنَـٰهَا فِتۡنَةࣰ لِّلظَّـٰلِمِینَ ﴿٦٣﴾
निःसंदेह हमने उसे अत्याचारियों के लिए एक परीक्षा बनाया है।
إِنَّهَا شَجَرَةࣱ تَخۡرُجُ فِیۤ أَصۡلِ ٱلۡجَحِیمِ ﴿٦٤﴾
निःसंदेह वह ऐसा वृक्ष है, जो जहन्नम के तल में उगता है।
فَإِنَّهُمۡ لَـَٔاكِلُونَ مِنۡهَا فَمَالِـُٔونَ مِنۡهَا ٱلۡبُطُونَ ﴿٦٦﴾
तो वे (जहन्नमवासी) निश्चय उसमें से खाने वाले हैं। फिर उससे पेट भरने वाले हैं।
ثُمَّ إِنَّ لَهُمۡ عَلَیۡهَا لَشَوۡبࣰا مِّنۡ حَمِیمࣲ ﴿٦٧﴾
फिर निःसंदेह उनके लिए उसपर खौलते हुए पानी का मिश्रण है।
ثُمَّ إِنَّ مَرۡجِعَهُمۡ لَإِلَى ٱلۡجَحِیمِ ﴿٦٨﴾
फिर निःसंदेह उनकी वापसी निश्चय उसी भड़कती हुई आग की ओर होगी।
فَهُمۡ عَلَىٰۤ ءَاثَـٰرِهِمۡ یُهۡرَعُونَ ﴿٧٠﴾
तो वे उन्हीं के पदचिह्नों पर दौड़े चले जा रहे हैं।[11]
وَلَقَدۡ ضَلَّ قَبۡلَهُمۡ أَكۡثَرُ ٱلۡأَوَّلِینَ ﴿٧١﴾
और निःसंदेह इनसे पहले अगले लोगों में से अधिकतर लोग गुमराह हो चुके हैं।
فَٱنظُرۡ كَیۡفَ كَانَ عَـٰقِبَةُ ٱلۡمُنذَرِینَ ﴿٧٣﴾
तो देखो कि उन डराए जाने वालों का परिणाम[12] कैसा हुआ?
وَلَقَدۡ نَادَىٰنَا نُوحࣱ فَلَنِعۡمَ ٱلۡمُجِیبُونَ ﴿٧٥﴾
तथा निःसंदेह नूह ने हमें पुकारा, तो निश्चय हम अच्छे स्वीकार करने वाले हैं।
وَنَجَّیۡنَـٰهُ وَأَهۡلَهُۥ مِنَ ٱلۡكَرۡبِ ٱلۡعَظِیمِ ﴿٧٦﴾
और हमने उसे और उसके घर वालों को बहुत बड़ी आपदा से बचा लिया।
وَجَعَلۡنَا ذُرِّیَّتَهُۥ هُمُ ٱلۡبَاقِینَ ﴿٧٧﴾
तथा हमने उसकी संतति ही को बाक़ी रहने वाला[13] बना दिया।
وَتَرَكۡنَا عَلَیۡهِ فِی ٱلۡـَٔاخِرِینَ ﴿٧٨﴾
और हमने पीछे आने वालों में उसके लिए (अच्छा स्मरण) बाक़ी रखा।
سَلَـٰمٌ عَلَىٰ نُوحࣲ فِی ٱلۡعَـٰلَمِینَ ﴿٧٩﴾
सर्व संसार में नूह़ पर सलाम[14] हो।
۞ وَإِنَّ مِن شِیعَتِهِۦ لَإِبۡرَ ٰهِیمَ ﴿٨٣﴾
और निःसंदेह उसी के तरीक़े पर चलने वालों में से निश्चय इबराहीम (भी) थे।
إِذۡ جَاۤءَ رَبَّهُۥ بِقَلۡبࣲ سَلِیمٍ ﴿٨٤﴾
(उस समय को याद करें) जब वह अपने पालनहार के पास शुद्ध दिल लेकर आए।
إِذۡ قَالَ لِأَبِیهِ وَقَوۡمِهِۦ مَاذَا تَعۡبُدُونَ ﴿٨٥﴾
जब उसने अपने बाप तथा अपनी जाति से कहा : तुम किस चीज़ की इबादत करते हो?
أَىِٕفۡكًا ءَالِهَةࣰ دُونَ ٱللَّهِ تُرِیدُونَ ﴿٨٦﴾
क्या अल्लाह को छोड़कर अपने गढ़े हुए पूज्यों को चाहते हो?
فَمَا ظَنُّكُم بِرَبِّ ٱلۡعَـٰلَمِینَ ﴿٨٧﴾
तो सर्व संसार के पालनहार के विषय में तुम्हारा क्या गुमान है?
فَنَظَرَ نَظۡرَةࣰ فِی ٱلنُّجُومِ ﴿٨٨﴾
फिर उसने एक दृष्टि तारों पर डाली।[15]
فَرَاغَ إِلَىٰۤ ءَالِهَتِهِمۡ فَقَالَ أَلَا تَأۡكُلُونَ ﴿٩١﴾
फिर वह चुपके से उनके पूज्यों की ओर गया और कहा : क्या तुम खाते नहीं?
قَالَ أَتَعۡبُدُونَ مَا تَنۡحِتُونَ ﴿٩٥﴾
उसने कहा : क्या तुम उसकी इबादत करते हो, जिसे ख़ुद तराशते हो?
وَٱللَّهُ خَلَقَكُمۡ وَمَا تَعۡمَلُونَ ﴿٩٦﴾
हालाँकि अल्लाह ही ने तुम्हें पैदा किया तथा उसे भी जो तुम करते हो।
قَالُواْ ٱبۡنُواْ لَهُۥ بُنۡیَـٰنࣰا فَأَلۡقُوهُ فِی ٱلۡجَحِیمِ ﴿٩٧﴾
उन्होंने कहा : इसके लिए एक इमारत (अग्नि-कुंड) बनाओ, फिर इसे भड़कती आग में फेंक दो।
فَأَرَادُواْ بِهِۦ كَیۡدࣰا فَجَعَلۡنَـٰهُمُ ٱلۡأَسۡفَلِینَ ﴿٩٨﴾
अतः उन्होंने उसके साथ एक चाल चलनी चाही, तो हमने उन्हीं को सबसे नीचा कर दिया।
وَقَالَ إِنِّی ذَاهِبٌ إِلَىٰ رَبِّی سَیَهۡدِینِ ﴿٩٩﴾
तथा उसने कहा : निःसंदेह मैं अपने पालनहार की ओर[16] जाने वाला हूँ। वह मुझे अवश्य सीधा रास्ता दिखाएगा।
فَلَمَّا بَلَغَ مَعَهُ ٱلسَّعۡیَ قَالَ یَـٰبُنَیَّ إِنِّیۤ أَرَىٰ فِی ٱلۡمَنَامِ أَنِّیۤ أَذۡبَحُكَ فَٱنظُرۡ مَاذَا تَرَىٰۚ قَالَ یَـٰۤأَبَتِ ٱفۡعَلۡ مَا تُؤۡمَرُۖ سَتَجِدُنِیۤ إِن شَاۤءَ ٱللَّهُ مِنَ ٱلصَّـٰبِرِینَ ﴿١٠٢﴾
फिर जब वह उसके साथ दौड़-धूप की आयु को पहुँचा, तो उसने कहा : ऐ मेरे प्रिय बेटे! निःसंदेह मैं स्वप्न में देखता हूँ कि मैं तुझे ज़बह कर रहा हूँ। तो अब देख, तेरा क्या विचार है? उसने कहा : ऐ मेरे पिता! आपको जो आदेश दिया जा रहा है उसे कर डालिए। अगर अल्लाह ने चाहा, तो आप अवश्य मुझे धैर्यवानों में से पाएँगे।
فَلَمَّاۤ أَسۡلَمَا وَتَلَّهُۥ لِلۡجَبِینِ ﴿١٠٣﴾
अंततः जब दोनों (अल्लाह के आदेश के प्रति) समर्पित हो गए, और उसने उसे पेशानी के एक किनारे पर गिरा दिया।
قَدۡ صَدَّقۡتَ ٱلرُّءۡیَاۤۚ إِنَّا كَذَ ٰلِكَ نَجۡزِی ٱلۡمُحۡسِنِینَ ﴿١٠٥﴾
निश्चय तूने स्वप्न को सच कर दिखाया। हम सदाचारियों को इसी तरह बदला प्रदान करते हैं।
وَفَدَیۡنَـٰهُ بِذِبۡحٍ عَظِیمࣲ ﴿١٠٧﴾
और हमने उसके फ़िदया (छुड़ौती) में एक बहुत बड़ा ज़बीहा[17] दिया।
وَتَرَكۡنَا عَلَیۡهِ فِی ٱلۡـَٔاخِرِینَ ﴿١٠٨﴾
और हमने पीछे आने वालों में उसके लिए (अच्छा स्मरण) बाक़ी रखा।
وَبَشَّرۡنَـٰهُ بِإِسۡحَـٰقَ نَبِیࣰّا مِّنَ ٱلصَّـٰلِحِینَ ﴿١١٢﴾
तथा हमने उसे इसहाक़ की शुभ सूचना दी, जो नबी होगा, सदाचारियों में से (होगा)।[18]
وَبَـٰرَكۡنَا عَلَیۡهِ وَعَلَىٰۤ إِسۡحَـٰقَۚ وَمِن ذُرِّیَّتِهِمَا مُحۡسِنࣱ وَظَالِمࣱ لِّنَفۡسِهِۦ مُبِینࣱ ﴿١١٣﴾
तथा हमने उसपर और इसहाक़ पर बरकत उतारी। और उन दोनों की संतति में से कोई सदाचारी है और कोई अपने आप पर खुला अत्याचार करने वाला है।
وَنَجَّیۡنَـٰهُمَا وَقَوۡمَهُمَا مِنَ ٱلۡكَرۡبِ ٱلۡعَظِیمِ ﴿١١٥﴾
और हमने उन दोनों को और उन दोनों की जाति को बहुत बड़ी विपत्ति से छुटकारा दिया।
وَنَصَرۡنَـٰهُمۡ فَكَانُواْ هُمُ ٱلۡغَـٰلِبِینَ ﴿١١٦﴾
तथा हमने उनकी सहायता की, तो वही प्रभुत्वशाली रहे।
وَءَاتَیۡنَـٰهُمَا ٱلۡكِتَـٰبَ ٱلۡمُسۡتَبِینَ ﴿١١٧﴾
तथा हमने उन दोनों को अत्यंत स्पष्ट पुस्तक (तौरात) प्रदान की।
وَتَرَكۡنَا عَلَیۡهِمَا فِی ٱلۡـَٔاخِرِینَ ﴿١١٩﴾
और हमने पीछे आने वालों में उन दोनों का अच्छा स्मरण छोड़ा।
أَتَدۡعُونَ بَعۡلࣰا وَتَذَرُونَ أَحۡسَنَ ٱلۡخَـٰلِقِینَ ﴿١٢٥﴾
क्या तुम 'बअ्ल' (नामक मूर्ति) को पुकारते हो? तथा पैदा करने वालों में सबस बेहतर को छोड़ देते हो?
ٱللَّهَ رَبَّكُمۡ وَرَبَّ ءَابَاۤىِٕكُمُ ٱلۡأَوَّلِینَ ﴿١٢٦﴾
अल्लाह को, जो तुम्हारा पालनहार है तथा तुम्हारे पहले बाप-दादा का पालनहार है।
فَكَذَّبُوهُ فَإِنَّهُمۡ لَمُحۡضَرُونَ ﴿١٢٧﴾
किंतु उन्होंने उसे झुठला दिया। तो निश्चय वे अवश्य हाज़िर किए जाने वाले हैं।
وَتَرَكۡنَا عَلَیۡهِ فِی ٱلۡـَٔاخِرِینَ ﴿١٢٩﴾
और हमने पीछे आने वालों में उसके लिए (अच्छा स्मरण) बाक़ी रखा।
سَلَـٰمٌ عَلَىٰۤ إِلۡ یَاسِینَ ﴿١٣٠﴾
सलाम हो इल्यासीन[19] पर।
إِلَّا عَجُوزࣰا فِی ٱلۡغَـٰبِرِینَ ﴿١٣٥﴾
सिवाय एक बुढ़िया[20] के, जो पीछे रह जाने वालों में से थी।
وَإِنَّكُمۡ لَتَمُرُّونَ عَلَیۡهِم مُّصۡبِحِینَ ﴿١٣٧﴾
तथा निःसंदेह तुम[21] निश्चय सुबह के समय जाते हुए उनपर से गुज़रते हो।
إِذۡ أَبَقَ إِلَى ٱلۡفُلۡكِ ٱلۡمَشۡحُونِ ﴿١٤٠﴾
जब वह भरी नाव की ओर भागकर गया।[22]
فَسَاهَمَ فَكَانَ مِنَ ٱلۡمُدۡحَضِینَ ﴿١٤١﴾
फिर वह क़ुर'आ में शामिल हुआ, तो हारने वालों में से हो गया।
فَلَوۡلَاۤ أَنَّهُۥ كَانَ مِنَ ٱلۡمُسَبِّحِینَ ﴿١٤٣﴾
फिर अगर यह बात न होती कि वह अल्लाह की पवित्रता का वर्णन करने वालों में से था।
لَلَبِثَ فِی بَطۡنِهِۦۤ إِلَىٰ یَوۡمِ یُبۡعَثُونَ ﴿١٤٤﴾
तो निश्चय वह उसके पेट में उस दिन तक रहता, जिसमें लोग उठाए जाएँगे।[23]
۞ فَنَبَذۡنَـٰهُ بِٱلۡعَرَاۤءِ وَهُوَ سَقِیمࣱ ﴿١٤٥﴾
फिर हमने उसे चटियल मैदान में फेंक दिया, इस हाल में कि वह बीमार[24] था।
وَأَنۢبَتۡنَا عَلَیۡهِ شَجَرَةࣰ مِّن یَقۡطِینࣲ ﴿١٤٦﴾
तथा हमने उसपर एक लता वाला वृक्ष उगा दिया।[25]
وَأَرۡسَلۡنَـٰهُ إِلَىٰ مِاْئَةِ أَلۡفٍ أَوۡ یَزِیدُونَ ﴿١٤٧﴾
तथा हमने उसे एक लाख की ओर भेजा, बल्कि वे अधिक होंगे।
فَـَٔامَنُواْ فَمَتَّعۡنَـٰهُمۡ إِلَىٰ حِینࣲ ﴿١٤٨﴾
चुनाँचे वे ईमान ले आए, तो हमने उन्हें एक समय तक लाभ उठाने दिया।[26]
فَٱسۡتَفۡتِهِمۡ أَلِرَبِّكَ ٱلۡبَنَاتُ وَلَهُمُ ٱلۡبَنُونَ ﴿١٤٩﴾
तो (ऐ नबी!) आप उनसे पूछें कि क्या आपके पालनहार के लिए बेटियाँ हैं और उनके लिए बेटे?
أَمۡ خَلَقۡنَا ٱلۡمَلَـٰۤىِٕكَةَ إِنَـٰثࣰا وَهُمۡ شَـٰهِدُونَ ﴿١٥٠﴾
या हमने फ़रिश्तों को मादा पैदा किया, जबकि वे उस समय उपस्थित[27] थे?
أَلَاۤ إِنَّهُم مِّنۡ إِفۡكِهِمۡ لَیَقُولُونَ ﴿١٥١﴾
सुन लो! निःसंदेह वे निश्चय अपने झूठ ही से कहते हैं।
وَلَدَ ٱللَّهُ وَإِنَّهُمۡ لَكَـٰذِبُونَ ﴿١٥٢﴾
कि अल्लाह ने संतान बनाया है। और निःसंदेह वे निश्चय झूठे हैं।
وَجَعَلُواْ بَیۡنَهُۥ وَبَیۡنَ ٱلۡجِنَّةِ نَسَبࣰاۚ وَلَقَدۡ عَلِمَتِ ٱلۡجِنَّةُ إِنَّهُمۡ لَمُحۡضَرُونَ ﴿١٥٨﴾
और उन्होंने अल्लाह तथा जिन्नों के बीच रिश्तेदारी बना दी। हालाँकि निःसंदेह जिन्न जान चुके हैं कि निःसंदेह वे (मुश्रिक) अवश्य उपस्थित किए जाने वाले हैं।[28]
إِلَّا عِبَادَ ٱللَّهِ ٱلۡمُخۡلَصِینَ ﴿١٦٠﴾
सिवाय अल्लाह के ख़ालिस किए हुए बंदों के।[29]
وَمَا مِنَّاۤ إِلَّا لَهُۥ مَقَامࣱ مَّعۡلُومࣱ ﴿١٦٤﴾
और हम (फ़रिश्तों) में से जो भी है उसका एक नियत स्थान है।
وَإِنَّا لَنَحۡنُ ٱلۡمُسَبِّحُونَ ﴿١٦٦﴾
तथा निःसंदेह हम निश्चय तस्बीह़ (पवित्रता गान) करने वाले हैं।
لَوۡ أَنَّ عِندَنَا ذِكۡرࣰا مِّنَ ٱلۡأَوَّلِینَ ﴿١٦٨﴾
यदि हमारे पास पहले लोगों की कोई शिक्षा (किताब) होती,
فَكَفَرُواْ بِهِۦۖ فَسَوۡفَ یَعۡلَمُونَ ﴿١٧٠﴾
(फिर जब किताब आ गई) तो उन्होंने उसका इनकार कर दिया। अतः जल्द ही उन्हें पता चल जाएगा।
وَلَقَدۡ سَبَقَتۡ كَلِمَتُنَا لِعِبَادِنَا ٱلۡمُرۡسَلِینَ ﴿١٧١﴾
और निःसंदेह हमारे भेजे हुए बंदों के लिए हमारी बात पहले ही निश्चित हो चुकी
فَإِذَا نَزَلَ بِسَاحَتِهِمۡ فَسَاۤءَ صَبَاحُ ٱلۡمُنذَرِینَ ﴿١٧٧﴾
फिर जब वह उनके आँगन में उतरेगी, तो डराए गए लोगों की सुबह बहुत बुरी होगी।
سُبۡحَـٰنَ رَبِّكَ رَبِّ ٱلۡعِزَّةِ عَمَّا یَصِفُونَ ﴿١٨٠﴾
पवित्र है आपका पालनहार, पराक्रम व शक्ति का स्वामी!, उस बात से, जो वे बयान करते हैं।