تَنزِیلُ ٱلۡكِتَـٰبِ مِنَ ٱللَّهِ ٱلۡعَزِیزِ ٱلۡحَكِیمِ ﴿٢﴾
इस पुस्तक[1] का अवतरण अल्लाह की ओर से है, जो सब पर प्रभुत्वशाली, पूर्ण हिकमत वाला है।
إِنَّ فِی ٱلسَّمَـٰوَ ٰتِ وَٱلۡأَرۡضِ لَـَٔایَـٰتࣲ لِّلۡمُؤۡمِنِینَ ﴿٣﴾
निःसंदेह आकाशों तथा धरती में ईमानवालों के लिए बहुत-सी निशानियाँ हैं।
وَفِی خَلۡقِكُمۡ وَمَا یَبُثُّ مِن دَاۤبَّةٍ ءَایَـٰتࣱ لِّقَوۡمࣲ یُوقِنُونَ ﴿٤﴾
तथा तुम्हारी सृष्टि में और उन जीवित चीज़ों में जो वह फैलाता[2] है, उन लोगों के लिए बहुत-सी निशानियाँ हैं जो विश्वास करते हैं।
وَٱخۡتِلَـٰفِ ٱلَّیۡلِ وَٱلنَّهَارِ وَمَاۤ أَنزَلَ ٱللَّهُ مِنَ ٱلسَّمَاۤءِ مِن رِّزۡقࣲ فَأَحۡیَا بِهِ ٱلۡأَرۡضَ بَعۡدَ مَوۡتِهَا وَتَصۡرِیفِ ٱلرِّیَـٰحِ ءَایَـٰتࣱ لِّقَوۡمࣲ یَعۡقِلُونَ ﴿٥﴾
तथा रात और दिन के फेर-बदल में और उस रोज़ी में जो अल्लाह ने आकाश से उतारा, फिर उसके द्वारा धरती को उसके मरने के पश्चात् जीवित कर दिया, तथा हवाओं के फेरने में, उन लोगों के लिए बहुत-सी निशानियाँ हैं, जो बुद्धि से काम लेते हैं।
تِلۡكَ ءَایَـٰتُ ٱللَّهِ نَتۡلُوهَا عَلَیۡكَ بِٱلۡحَقِّۖ فَبِأَیِّ حَدِیثِۭ بَعۡدَ ٱللَّهِ وَءَایَـٰتِهِۦ یُؤۡمِنُونَ ﴿٦﴾
ये अल्लाह की आयतें हैं, जो हम तुम्हें हक़ के साथ सुना रहे हैं। फिर अल्लाह तथा उसकी आयतों के बाद वे किस बात ईमान लाएँगे?
یَسۡمَعُ ءَایَـٰتِ ٱللَّهِ تُتۡلَىٰ عَلَیۡهِ ثُمَّ یُصِرُّ مُسۡتَكۡبِرࣰا كَأَن لَّمۡ یَسۡمَعۡهَاۖ فَبَشِّرۡهُ بِعَذَابٍ أَلِیمࣲ ﴿٨﴾
जो अल्लाह की आयतों को सुनता है, जबकि वे उसके सामने पढ़ी जाती हैं, फिर वह घमंड करते हुए अडिग रहता है, जैसे कि उसने उन्हें नहीं सुना, तो उसे दर्दनाक यातना की शुभ-सूचना दे दो।
وَإِذَا عَلِمَ مِنۡ ءَایَـٰتِنَا شَیۡـًٔا ٱتَّخَذَهَا هُزُوًاۚ أُوْلَـٰۤىِٕكَ لَهُمۡ عَذَابࣱ مُّهِینࣱ ﴿٩﴾
और जब वह हमारी आयतों में से कोई चीज़ जान लेता है, तो उसकी हँसी उड़ाता है। यही लोग हैं, जिनके लिए अपमानकारी यातना है।
مِّن وَرَاۤىِٕهِمۡ جَهَنَّمُۖ وَلَا یُغۡنِی عَنۡهُم مَّا كَسَبُواْ شَیۡـࣰٔا وَلَا مَا ٱتَّخَذُواْ مِن دُونِ ٱللَّهِ أَوۡلِیَاۤءَۖ وَلَهُمۡ عَذَابٌ عَظِیمٌ ﴿١٠﴾
उनके आगे जहन्नम है। और न वह उनके कुछ काम आएगा, जो उन्होंने कमाया और न वे जिन्हें उन्होंने अल्लाह के सिवा अपना संरक्षक बनाया है और उनके लिए बहुत बड़ी यातना है।
هَـٰذَا هُدࣰىۖ وَٱلَّذِینَ كَفَرُواْ بِـَٔایَـٰتِ رَبِّهِمۡ لَهُمۡ عَذَابࣱ مِّن رِّجۡزٍ أَلِیمٌ ﴿١١﴾
यह (क़ुरआन) सर्वथा मार्गदर्शन है। तथा जिन लोगों ने अपने पालनहार की आयतों का इनकार किया, उनके लिए गंभीर दर्दनाक यातना है।
۞ ٱللَّهُ ٱلَّذِی سَخَّرَ لَكُمُ ٱلۡبَحۡرَ لِتَجۡرِیَ ٱلۡفُلۡكُ فِیهِ بِأَمۡرِهِۦ وَلِتَبۡتَغُواْ مِن فَضۡلِهِۦ وَلَعَلَّكُمۡ تَشۡكُرُونَ ﴿١٢﴾
वह अल्लाह ही है जिसने तुम्हारे लिए समुद्र को वश में कर दिया, ताकि जहाज़ उसमें उसके आदेश से चलें, और ताकि तुम उसके अनुग्रह में से कुछ खोज सको, और ताकि तुम आभार प्रकट करो।
وَسَخَّرَ لَكُم مَّا فِی ٱلسَّمَـٰوَ ٰتِ وَمَا فِی ٱلۡأَرۡضِ جَمِیعࣰا مِّنۡهُۚ إِنَّ فِی ذَ ٰلِكَ لَـَٔایَـٰتࣲ لِّقَوۡمࣲ یَتَفَكَّرُونَ ﴿١٣﴾
और उसने तुम्हारे लिए जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है सबको अपनी ओर से वश में कर रखा है। निःसंदेह उसमें उन लोगों के लिए बहुत-सी निशानियाँ हैं जो चिंतन करते हैं।
قُل لِّلَّذِینَ ءَامَنُواْ یَغۡفِرُواْ لِلَّذِینَ لَا یَرۡجُونَ أَیَّامَ ٱللَّهِ لِیَجۡزِیَ قَوۡمَۢا بِمَا كَانُواْ یَكۡسِبُونَ ﴿١٤﴾
(ऐ नबी!) आप उन लोगों से जो ईमान लाए कह दें कि वे उन लोगों को क्षमा कर दें[3], जो अल्लाह के दिनों[4] की आशा नहीं रखते, ताकि वह (उनमें से) कुछ लोगों को उसका बदला दे जो वे कमाते रहे थे।
مَنۡ عَمِلَ صَـٰلِحࣰا فَلِنَفۡسِهِۦۖ وَمَنۡ أَسَاۤءَ فَعَلَیۡهَاۖ ثُمَّ إِلَىٰ رَبِّكُمۡ تُرۡجَعُونَ ﴿١٥﴾
जिसने कोई नेकी की, वह उसी के लिए है और जिसने बुराई की, वह उसी के ऊपर है, फिर तुम अपने पालनहार ही की ओर लौटाए जाओगे।[5]
وَلَقَدۡ ءَاتَیۡنَا بَنِیۤ إِسۡرَ ٰۤءِیلَ ٱلۡكِتَـٰبَ وَٱلۡحُكۡمَ وَٱلنُّبُوَّةَ وَرَزَقۡنَـٰهُم مِّنَ ٱلطَّیِّبَـٰتِ وَفَضَّلۡنَـٰهُمۡ عَلَى ٱلۡعَـٰلَمِینَ ﴿١٦﴾
तथा निःसंदेह हमने इसराईल की संतान को किताब और हुक्म और नुबुव्वत प्रदान की और उन्हें पाकीज़ा चीज़ों से जीविका दी, तथा उन्हें (उनके समय के) संसार वालों पर श्रेष्ठता प्रदान की।
وَءَاتَیۡنَـٰهُم بَیِّنَـٰتࣲ مِّنَ ٱلۡأَمۡرِۖ فَمَا ٱخۡتَلَفُوۤاْ إِلَّا مِنۢ بَعۡدِ مَا جَاۤءَهُمُ ٱلۡعِلۡمُ بَغۡیَۢا بَیۡنَهُمۡۚ إِنَّ رَبَّكَ یَقۡضِی بَیۡنَهُمۡ یَوۡمَ ٱلۡقِیَـٰمَةِ فِیمَا كَانُواْ فِیهِ یَخۡتَلِفُونَ ﴿١٧﴾
तथा हमने उन्हें (धर्म के) मामले में स्पष्ट आदेश दिए। फिर उन्होंने अपने पास ज्ञान[6] आ जाने के पश्चात् ही, आपसी द्वेष के कारण विभेद किया। निःसंदेह आपका पालनहार क़ियामत के दिन उनके बीच उस चीज़ के बारे में फ़ैसला कर देगा, जिसमें वे मतभेद किया करते थे।
ثُمَّ جَعَلۡنَـٰكَ عَلَىٰ شَرِیعَةࣲ مِّنَ ٱلۡأَمۡرِ فَٱتَّبِعۡهَا وَلَا تَتَّبِعۡ أَهۡوَاۤءَ ٱلَّذِینَ لَا یَعۡلَمُونَ ﴿١٨﴾
फिर हमने आपको धर्म के मामले में एक स्पष्ट मार्ग पर लगा दिया। अतः आप उसी का अनुसरण करें और उन लोगों की इच्छाओं का अनुसरण न करें, जो नहीं जानते।
إِنَّهُمۡ لَن یُغۡنُواْ عَنكَ مِنَ ٱللَّهِ شَیۡـࣰٔاۚ وَإِنَّ ٱلظَّـٰلِمِینَ بَعۡضُهُمۡ أَوۡلِیَاۤءُ بَعۡضࣲۖ وَٱللَّهُ وَلِیُّ ٱلۡمُتَّقِینَ ﴿١٩﴾
निःसंदेह वे अल्लाह के मुक़ाबले आपके हरगिज़ किसी काम न आएँगे और निश्चय ज़ालिम लोग एक-दूसरे के दोस्त हैं और अल्लाह परहेज़गारों का दोस्त है।
هَـٰذَا بَصَـٰۤىِٕرُ لِلنَّاسِ وَهُدࣰى وَرَحۡمَةࣱ لِّقَوۡمࣲ یُوقِنُونَ ﴿٢٠﴾
ये लोगों के लिए समझ (अंतर्दृष्टि) की बातें हैं, तथा उन लोगों के लिए मार्गदर्शन और दया है, जो विश्वास करते हैं।
أَمۡ حَسِبَ ٱلَّذِینَ ٱجۡتَرَحُواْ ٱلسَّیِّـَٔاتِ أَن نَّجۡعَلَهُمۡ كَٱلَّذِینَ ءَامَنُواْ وَعَمِلُواْ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ سَوَاۤءࣰ مَّحۡیَاهُمۡ وَمَمَاتُهُمۡۚ سَاۤءَ مَا یَحۡكُمُونَ ﴿٢١﴾
या वे लोग जिन्होंने बुराइयाँ की हैं, यह समझ रखा है कि हम उन्हें उन लोगों जैसा कर देंगे, जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए? उनका जीना और उनका मरना समान[7] होगा? बहुत बुरा है जो वे निर्णय कर रहे हैं।
وَخَلَقَ ٱللَّهُ ٱلسَّمَـٰوَ ٰتِ وَٱلۡأَرۡضَ بِٱلۡحَقِّ وَلِتُجۡزَىٰ كُلُّ نَفۡسِۭ بِمَا كَسَبَتۡ وَهُمۡ لَا یُظۡلَمُونَ ﴿٢٢﴾
तथा अल्लाह ने आकाशों और धरती को हक़ के साथ पैदा किया और ताकि हर व्यक्ति को उसका बदला दिया जाए जो उसने कमाया तथा उनपर अत्याचार नहीं किया जाएगा।
أَفَرَءَیۡتَ مَنِ ٱتَّخَذَ إِلَـٰهَهُۥ هَوَىٰهُ وَأَضَلَّهُ ٱللَّهُ عَلَىٰ عِلۡمࣲ وَخَتَمَ عَلَىٰ سَمۡعِهِۦ وَقَلۡبِهِۦ وَجَعَلَ عَلَىٰ بَصَرِهِۦ غِشَـٰوَةࣰ فَمَن یَهۡدِیهِ مِنۢ بَعۡدِ ٱللَّهِۚ أَفَلَا تَذَكَّرُونَ ﴿٢٣﴾
फिर क्या आपने उस व्यक्ति को देखा जिसने अपना पूज्य अपनी इच्छा को बना लिया तथा अल्लाह ने उसे ज्ञान के बावजूद गुमराह कर दिया और उसके कान और उसके दिल पर मुहर लगा दी और उसकी आँख पर परदा डाल दिया। फिर अल्लाह के बाद उसे कौन हिदायत दे? तो क्या तुम नसीहत ग्रहण नहीं करते?
وَقَالُواْ مَا هِیَ إِلَّا حَیَاتُنَا ٱلدُّنۡیَا نَمُوتُ وَنَحۡیَا وَمَا یُهۡلِكُنَاۤ إِلَّا ٱلدَّهۡرُۚ وَمَا لَهُم بِذَ ٰلِكَ مِنۡ عِلۡمٍۖ إِنۡ هُمۡ إِلَّا یَظُنُّونَ ﴿٢٤﴾
तथा उन्होंने कहा, हमारे इस सांसारिक जीवन के अलावा कोई (जीवन) नहीं। हम (यहीं) मरते और जीते हैं और काल के अलावा हमें कोई भी नष्ट नहीं करता। हालाँकि उन्हें इसका कोई ज्ञान नहीं। वे केवल अनुमान[8] लगा रहे हैं।
وَإِذَا تُتۡلَىٰ عَلَیۡهِمۡ ءَایَـٰتُنَا بَیِّنَـٰتࣲ مَّا كَانَ حُجَّتَهُمۡ إِلَّاۤ أَن قَالُواْ ٱئۡتُواْ بِـَٔابَاۤىِٕنَاۤ إِن كُنتُمۡ صَـٰدِقِینَ ﴿٢٥﴾
और जब उनके सामने हमारी स्पष्ट आयतें पढ़ी जाती हैं, तो उनका तर्क केवल यह होता है कि वे कहते हैं : यदि तुम सच्चे हो, तो हमारे बाप-दादा को ले आओ।
قُلِ ٱللَّهُ یُحۡیِیكُمۡ ثُمَّ یُمِیتُكُمۡ ثُمَّ یَجۡمَعُكُمۡ إِلَىٰ یَوۡمِ ٱلۡقِیَـٰمَةِ لَا رَیۡبَ فِیهِ وَلَـٰكِنَّ أَكۡثَرَ ٱلنَّاسِ لَا یَعۡلَمُونَ ﴿٢٦﴾
आप कह दें : अल्लाह ही तुम्हें जीवन देता है, फिर तुम्हें मृत्यु देता है, फिर तुम्हें क़ियामत के दिन एकत्र करेगा, जिसमें कोई संदेह नहीं, परंतु अधिकांश लोग नहीं जानते।[9]
وَلِلَّهِ مُلۡكُ ٱلسَّمَـٰوَ ٰتِ وَٱلۡأَرۡضِۚ وَیَوۡمَ تَقُومُ ٱلسَّاعَةُ یَوۡمَىِٕذࣲ یَخۡسَرُ ٱلۡمُبۡطِلُونَ ﴿٢٧﴾
तथा आकाशों एवं धरती का राज्य अल्लाह ही का है और जिस दिन क़ियामत आएगी, उस दिन झूठे लोग (असत्यवादी) घाटे में होंगे।
وَتَرَىٰ كُلَّ أُمَّةࣲ جَاثِیَةࣰۚ كُلُّ أُمَّةࣲ تُدۡعَىٰۤ إِلَىٰ كِتَـٰبِهَا ٱلۡیَوۡمَ تُجۡزَوۡنَ مَا كُنتُمۡ تَعۡمَلُونَ ﴿٢٨﴾
तथा आप प्रत्येक समुदाय को घुटनों के बल गिरा हुआ देखेंगे। प्रत्येक समुदाय को उसके कर्म-पत्र की ओर बुलाया जाएगा। आज तुम्हें उसका बदला दिया जाएगा, जो तुम किया करते थे।
هَـٰذَا كِتَـٰبُنَا یَنطِقُ عَلَیۡكُم بِٱلۡحَقِّۚ إِنَّا كُنَّا نَسۡتَنسِخُ مَا كُنتُمۡ تَعۡمَلُونَ ﴿٢٩﴾
यह हमारी किताब है, जो तुम्हारे बारे में सच-सच बोलती है। निःसंदेह हम लिखवाते जाते थे, जो कुछ तुम करते थे।
فَأَمَّا ٱلَّذِینَ ءَامَنُواْ وَعَمِلُواْ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ فَیُدۡخِلُهُمۡ رَبُّهُمۡ فِی رَحۡمَتِهِۦۚ ذَ ٰلِكَ هُوَ ٱلۡفَوۡزُ ٱلۡمُبِینُ ﴿٣٠﴾
फिर जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, उनका रब उन्हें अपनी रहमत में दाख़िल करेगा, यही स्पष्ट सफलता है।
وَأَمَّا ٱلَّذِینَ كَفَرُوۤاْ أَفَلَمۡ تَكُنۡ ءَایَـٰتِی تُتۡلَىٰ عَلَیۡكُمۡ فَٱسۡتَكۡبَرۡتُمۡ وَكُنتُمۡ قَوۡمࣰا مُّجۡرِمِینَ ﴿٣١﴾
और रहे वे लोग जिन्होंने कुफ़्र किया, तो (उनसे कहा जाएगाः) क्या तुम्हारे सामने मेरी आयतें नहीं पढ़ी जाती थीं? परंतु तुमने घमंड किया और तुम अपराधी लोग थे।
وَإِذَا قِیلَ إِنَّ وَعۡدَ ٱللَّهِ حَقࣱّ وَٱلسَّاعَةُ لَا رَیۡبَ فِیهَا قُلۡتُم مَّا نَدۡرِی مَا ٱلسَّاعَةُ إِن نَّظُنُّ إِلَّا ظَنࣰّا وَمَا نَحۡنُ بِمُسۡتَیۡقِنِینَ ﴿٣٢﴾
और जब कहा जाता था कि अल्लाह का वादा सच्चा है तथा क़ियामत के दिन में कोई शक नहीं, तो तुम कहते थे : हम नहीं जानते कि क़ियामत का दिन क्या है, हम बस थोड़ा-सा सोचते हैं और हम पूर्ण विश्वास करने वाले नहीं हैं।
وَبَدَا لَهُمۡ سَیِّـَٔاتُ مَا عَمِلُواْ وَحَاقَ بِهِم مَّا كَانُواْ بِهِۦ یَسۡتَهۡزِءُونَ ﴿٣٣﴾
और उनके किए हुए कर्मों की बुराइयाँ उनपर प्रकट हो जाएँगी और उन्हें वह चीज़ घेर लेगी, जिसका वे मज़ाक उड़ाया करते थे।
وَقِیلَ ٱلۡیَوۡمَ نَنسَىٰكُمۡ كَمَا نَسِیتُمۡ لِقَاۤءَ یَوۡمِكُمۡ هَـٰذَا وَمَأۡوَىٰكُمُ ٱلنَّارُ وَمَا لَكُم مِّن نَّـٰصِرِینَ ﴿٣٤﴾
और कह दिया जाएगा कि आज हम तुम्हें भुला देंगे[10], जैसे तुमने अपने इस दिन के मिलने को भुला दिया और तुम्हारा ठिकाना आग (जहन्नम) है और तुम्हारे कोई मदद करने वाले नहीं।
ذَ ٰلِكُم بِأَنَّكُمُ ٱتَّخَذۡتُمۡ ءَایَـٰتِ ٱللَّهِ هُزُوࣰا وَغَرَّتۡكُمُ ٱلۡحَیَوٰةُ ٱلدُّنۡیَاۚ فَٱلۡیَوۡمَ لَا یُخۡرَجُونَ مِنۡهَا وَلَا هُمۡ یُسۡتَعۡتَبُونَ ﴿٣٥﴾
यह इस कारण है कि तुमने अल्लाह की आयतों का मज़ाक़ उड़ाया तथा दुनिया की ज़िंदगी ने तुम्हें धोखा दिया। तो आज न वे इससे निकाले जाएँगे और न उनसे तौबा करने को कहा जाएगा।[11]
فَلِلَّهِ ٱلۡحَمۡدُ رَبِّ ٱلسَّمَـٰوَ ٰتِ وَرَبِّ ٱلۡأَرۡضِ رَبِّ ٱلۡعَـٰلَمِینَ ﴿٣٦﴾
अतः सारी प्रशंसा अल्लाह ही के लिए है, जो आकाशों का रब और धरती का रब, सारे संसार का रब है।
وَلَهُ ٱلۡكِبۡرِیَاۤءُ فِی ٱلسَّمَـٰوَ ٰتِ وَٱلۡأَرۡضِۖ وَهُوَ ٱلۡعَزِیزُ ٱلۡحَكِیمُ ﴿٣٧﴾
तथा उसी के लिए आकाशों और धरती में सारी महानता[12] है और वही सबपर प्रभुत्वशाली, पूर्ण हिकमत वाला है।