بَلۡ عَجِبُوۤاْ أَن جَاۤءَهُم مُّنذِرࣱ مِّنۡهُمۡ فَقَالَ ٱلۡكَـٰفِرُونَ هَـٰذَا شَیۡءٌ عَجِیبٌ ﴿٢﴾
बल्कि उन्हें आश्चर्य हुआ कि उनके पास उन्हीं में से एक डराने वाला आया। तो काफ़िरों ने कहा : यह बड़ी विचित्र बात है।[1]
أَءِذَا مِتۡنَا وَكُنَّا تُرَابࣰاۖ ذَ ٰلِكَ رَجۡعُۢ بَعِیدࣱ ﴿٣﴾
क्या जब हम मर गए और मिट्टी हो गए (तो दोबारा उठाए जाएँगे)? यह पलटना तो बहुत दूर की बात है।
قَدۡ عَلِمۡنَا مَا تَنقُصُ ٱلۡأَرۡضُ مِنۡهُمۡۖ وَعِندَنَا كِتَـٰبٌ حَفِیظُۢ ﴿٤﴾
निश्चय हमें मालूम है जो कुछ धरती उनमें से कम करती है और हमारे पास एक पुस्तक[2] है, जो ख़ूब सुरक्षित रखने वाली है।
بَلۡ كَذَّبُواْ بِٱلۡحَقِّ لَمَّا جَاۤءَهُمۡ فَهُمۡ فِیۤ أَمۡرࣲ مَّرِیجٍ ﴿٥﴾
बल्कि उनहोंने सत्य को झुठला दिया, जब वह उनके पास आया। अतः वे एक उलझे हुए मामले में हैं।
أَفَلَمۡ یَنظُرُوۤاْ إِلَى ٱلسَّمَاۤءِ فَوۡقَهُمۡ كَیۡفَ بَنَیۡنَـٰهَا وَزَیَّنَّـٰهَا وَمَا لَهَا مِن فُرُوجࣲ ﴿٦﴾
तो क्या उन्होंने अपने ऊपर आकाश की ओर नहीं देखा कि हमने उसे कैसे बनाया और उसे सजाया और उसमें कोई दरार नहीं है?
وَٱلۡأَرۡضَ مَدَدۡنَـٰهَا وَأَلۡقَیۡنَا فِیهَا رَوَ ٰسِیَ وَأَنۢبَتۡنَا فِیهَا مِن كُلِّ زَوۡجِۭ بَهِیجࣲ ﴿٧﴾
और हमने धरती को फैलाया और उसमें पर्वत डाल दिए और उसमें हर प्रकार की सुंदर चीज़ें उगाईं।
تَبۡصِرَةࣰ وَذِكۡرَىٰ لِكُلِّ عَبۡدࣲ مُّنِیبࣲ ﴿٨﴾
हर उस बंदे को दिखाने और याद दिलाने के लिए, जो (अपने पालनहार की ओर) लौटने वाला है।
وَنَزَّلۡنَا مِنَ ٱلسَّمَاۤءِ مَاۤءࣰ مُّبَـٰرَكࣰا فَأَنۢبَتۡنَا بِهِۦ جَنَّـٰتࣲ وَحَبَّ ٱلۡحَصِیدِ ﴿٩﴾
तथा हमने आकाश से बहुत बरकत वाला पानी उतारा, फिर हमने उसके द्वारा बाग़ तथा काटी जाने वाली (खेती) के दाने उगाए।
وَٱلنَّخۡلَ بَاسِقَـٰتࣲ لَّهَا طَلۡعࣱ نَّضِیدࣱ ﴿١٠﴾
तथा खजूरों के लंबे-लंबे ऊँचे पेड़, जिनके गुच्छे परत दर परत हैं।
رِّزۡقࣰا لِّلۡعِبَادِۖ وَأَحۡیَیۡنَا بِهِۦ بَلۡدَةࣰ مَّیۡتࣰاۚ كَذَ ٰلِكَ ٱلۡخُرُوجُ ﴿١١﴾
बंदों को रोज़ी देने के लिए। तथा हमने उसके साथ एक मुर्दा शहर को जीवित कर दिया। इसी प्रकार निकलना है।
كَذَّبَتۡ قَبۡلَهُمۡ قَوۡمُ نُوحࣲ وَأَصۡحَـٰبُ ٱلرَّسِّ وَثَمُودُ ﴿١٢﴾
इनसे पहले नूह की जाति ने और कुएँ वालों ने और समूद ने झुठलाया।
وَأَصۡحَـٰبُ ٱلۡأَیۡكَةِ وَقَوۡمُ تُبَّعࣲۚ كُلࣱّ كَذَّبَ ٱلرُّسُلَ فَحَقَّ وَعِیدِ ﴿١٤﴾
तथा ''ऐका'' के वासियों ने और ''तुब्बा''[3] की जाति ने। प्रत्येक ने रसूलों को झुठलाया।[4] तो उनपर मेरे अज़ाब का वादा साबित हो गया।
أَفَعَیِینَا بِٱلۡخَلۡقِ ٱلۡأَوَّلِۚ بَلۡ هُمۡ فِی لَبۡسࣲ مِّنۡ خَلۡقࣲ جَدِیدࣲ ﴿١٥﴾
तो क्या हम प्रथम बार पैदा करके थक गए हैं? बल्कि वे नए पैदा किए जाने के बारे में संदेह में पड़े हुए हैं।
وَلَقَدۡ خَلَقۡنَا ٱلۡإِنسَـٰنَ وَنَعۡلَمُ مَا تُوَسۡوِسُ بِهِۦ نَفۡسُهُۥۖ وَنَحۡنُ أَقۡرَبُ إِلَیۡهِ مِنۡ حَبۡلِ ٱلۡوَرِیدِ ﴿١٦﴾
निःसंदेह हमने मनुष्य को पैदा किया और हम जानते हैं जो कुछ विचार उसके मन में आता है और हम उसके गले की उस नस से भी अधिक क़रीब हैं जो दिल से जुड़ी होती है।
إِذۡ یَتَلَقَّى ٱلۡمُتَلَقِّیَانِ عَنِ ٱلۡیَمِینِ وَعَنِ ٱلشِّمَالِ قَعِیدࣱ ﴿١٧﴾
जब दो लेने वाले (उसके हर कथन और कर्म को) लेते हैं, जो दाहिनी और बाईं ओर बैठे हैं।[5]
مَّا یَلۡفِظُ مِن قَوۡلٍ إِلَّا لَدَیۡهِ رَقِیبٌ عَتِیدࣱ ﴿١٨﴾
वह कोई बात नहीं बोलता, परंतु उसके पास एक निरीक्षक तैयार रहता है।
وَجَاۤءَتۡ سَكۡرَةُ ٱلۡمَوۡتِ بِٱلۡحَقِّۖ ذَ ٰلِكَ مَا كُنتَ مِنۡهُ تَحِیدُ ﴿١٩﴾
और मौत की बेहोशी सत्य के साथ आ गई। यही है वह जिससे तू भागता था।
وَنُفِخَ فِی ٱلصُّورِۚ ذَ ٰلِكَ یَوۡمُ ٱلۡوَعِیدِ ﴿٢٠﴾
और सूर में फूँक दिया गया। यही यातना के वादे का दिन है।
وَجَاۤءَتۡ كُلُّ نَفۡسࣲ مَّعَهَا سَاۤىِٕقࣱ وَشَهِیدࣱ ﴿٢١﴾
तथा प्रत्येक व्यक्ति इस दशा में आएगा कि उसके साथ एक हाँकने वाला[6] और एक गवाह होगा।
لَّقَدۡ كُنتَ فِی غَفۡلَةࣲ مِّنۡ هَـٰذَا فَكَشَفۡنَا عَنكَ غِطَاۤءَكَ فَبَصَرُكَ ٱلۡیَوۡمَ حَدِیدࣱ ﴿٢٢﴾
निःसंदेह तू इससे बड़ी ग़फ़लत में था। सो हमने तुझसे तेरा परदा हटा दिया। तो तेरी दृष्टि आज बड़ी पैनी है।
وَقَالَ قَرِینُهُۥ هَـٰذَا مَا لَدَیَّ عَتِیدٌ ﴿٢٣﴾
तथा उसका साथी[7] कहेगा : यह है (उसके कर्मों का विवरण) जो मेरे पास तैयार है।
أَلۡقِیَا فِی جَهَنَّمَ كُلَّ كَفَّارٍ عَنِیدࣲ ﴿٢٤﴾
तुम दोनों नरक में फेंक दो हर बड़े कृतघ्न को, जो (सत्य से) बहुत दुराग्रह रखने वाला है।
مَّنَّاعࣲ لِّلۡخَیۡرِ مُعۡتَدࣲ مُّرِیبٍ ﴿٢٥﴾
जो भलाई को बहुत रोकने वाला, सीमा को लाँघने वाला, संदेह करने वाला है।
ٱلَّذِی جَعَلَ مَعَ ٱللَّهِ إِلَـٰهًا ءَاخَرَ فَأَلۡقِیَاهُ فِی ٱلۡعَذَابِ ٱلشَّدِیدِ ﴿٢٦﴾
जिसने अल्लाह के साथ दूसरा पूज्य बना लिया। अतः तुम दोनों उसे कठोर यातना में डाल दो।
۞ قَالَ قَرِینُهُۥ رَبَّنَا مَاۤ أَطۡغَیۡتُهُۥ وَلَـٰكِن كَانَ فِی ضَلَـٰلِۭ بَعِیدࣲ ﴿٢٧﴾
उसका साथी (शैतान) कहेगा : ऐ हमारे पालनहार! मैंने उसे सरकश नहीं बनाया। परंतु वह खुद ही दूर की गुमराही में था।
قَالَ لَا تَخۡتَصِمُواْ لَدَیَّ وَقَدۡ قَدَّمۡتُ إِلَیۡكُم بِٱلۡوَعِیدِ ﴿٢٨﴾
(अल्लाह ने) फरमाया : मेरे पास झगड़ा मत करो। हालाँकि मैंने तो तुम्हारी ओर चेतावनी का संदेश पहले ही भेज दिया था।
مَا یُبَدَّلُ ٱلۡقَوۡلُ لَدَیَّ وَمَاۤ أَنَا۠ بِظَلَّـٰمࣲ لِّلۡعَبِیدِ ﴿٢٩﴾
मेरे यहाँ बात बदली नहीं जाती[8] तथा मैं बंदों पर कदापि कोई अत्याचार करने वाला नहीं।
یَوۡمَ نَقُولُ لِجَهَنَّمَ هَلِ ٱمۡتَلَأۡتِ وَتَقُولُ هَلۡ مِن مَّزِیدࣲ ﴿٣٠﴾
जिस दिन हम जहन्नम से कहेंगे : क्या तू भर गया? और वह कहेगा : क्या कुछ और है?[9]
وَأُزۡلِفَتِ ٱلۡجَنَّةُ لِلۡمُتَّقِینَ غَیۡرَ بَعِیدٍ ﴿٣١﴾
तथा जन्नत परहेज़गारों के लिए निकट कर दी जाएगी, जो कुछ दूर न होगी।
هَـٰذَا مَا تُوعَدُونَ لِكُلِّ أَوَّابٍ حَفِیظࣲ ﴿٣٢﴾
यही है जिसका तुमसे वादा किया जाता था, हर उस व्यक्ति के लिए जो (अपने रब की ओर) बहुत लौटने वाला, (उसके आदेशों की) रक्षा करने वाला हो।
مَّنۡ خَشِیَ ٱلرَّحۡمَـٰنَ بِٱلۡغَیۡبِ وَجَاۤءَ بِقَلۡبࣲ مُّنِیبٍ ﴿٣٣﴾
जो 'रहमान' (अत्यंत दयावान्) से बिन देखे डरा तथा (उसकी ओर बहुत ज़्यादा) लौटने वाला दिल लेकर आया।
ٱدۡخُلُوهَا بِسَلَـٰمࣲۖ ذَ ٰلِكَ یَوۡمُ ٱلۡخُلُودِ ﴿٣٤﴾
इसमें शांति के साथ दाख़िल हो जाओ। यही हमेशा रहने का दिन है।
لَهُم مَّا یَشَاۤءُونَ فِیهَا وَلَدَیۡنَا مَزِیدࣱ ﴿٣٥﴾
उनके लिए उसमें वह सब कुछ होगा, जो वे चाहेंगे। तथा हमारे पास और भी बहुत कुछ है।[10]
وَكَمۡ أَهۡلَكۡنَا قَبۡلَهُم مِّن قَرۡنٍ هُمۡ أَشَدُّ مِنۡهُم بَطۡشࣰا فَنَقَّبُواْ فِی ٱلۡبِلَـٰدِ هَلۡ مِن مَّحِیصٍ ﴿٣٦﴾
तथा हमने इनसे पहले बहुत-से समुदायों को विनष्ट कर दिया, जो शक्ति में इनसे कहीं बढ़-चढ़कर थे। तो उन्होंने नगरों को छान मारा, क्या भागने की कोई जहग है?
إِنَّ فِی ذَ ٰلِكَ لَذِكۡرَىٰ لِمَن كَانَ لَهُۥ قَلۡبٌ أَوۡ أَلۡقَى ٱلسَّمۡعَ وَهُوَ شَهِیدࣱ ﴿٣٧﴾
निःसंदेह इसमें उस व्यक्ति के लिए निश्चय नसीहत है, जिसके पास दिल हो, या वह कान लगाए, इस हाल में कि उसका दिल उपस्थित हो।
وَلَقَدۡ خَلَقۡنَا ٱلسَّمَـٰوَ ٰتِ وَٱلۡأَرۡضَ وَمَا بَیۡنَهُمَا فِی سِتَّةِ أَیَّامࣲ وَمَا مَسَّنَا مِن لُّغُوبࣲ ﴿٣٨﴾
तथा निश्चय हमने आकाशों एवं धरती को और जो कुछ उन दोनों के बीच है, छह दिनों में पैदा किया और हमें कोई थकान नहीं हुई।
فَٱصۡبِرۡ عَلَىٰ مَا یَقُولُونَ وَسَبِّحۡ بِحَمۡدِ رَبِّكَ قَبۡلَ طُلُوعِ ٱلشَّمۡسِ وَقَبۡلَ ٱلۡغُرُوبِ ﴿٣٩﴾
अतः जो कुछ वे कहते हैं, उसपर सब्र से काम लें तथा सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त से पहले[11] अपने रब की प्रशंसा के साथ पवित्रता बयान करें।
وَمِنَ ٱلَّیۡلِ فَسَبِّحۡهُ وَأَدۡبَـٰرَ ٱلسُّجُودِ ﴿٤٠﴾
तथा रात के कुछ भाग में फिर उसकी पवित्रता का वर्णन करें और सजदे के बाद की घड़ियों में भी।
وَٱسۡتَمِعۡ یَوۡمَ یُنَادِ ٱلۡمُنَادِ مِن مَّكَانࣲ قَرِیبࣲ ﴿٤١﴾
तथा कान लगाकर सुनें, जिस दिन पुकारने वाला[12] एक निकट स्थान से पुकारेगा।
یَوۡمَ یَسۡمَعُونَ ٱلصَّیۡحَةَ بِٱلۡحَقِّۚ ذَ ٰلِكَ یَوۡمُ ٱلۡخُرُوجِ ﴿٤٢﴾
जिस दिन वे भयंकर आवाज़ को सत्य के साथ सुनेंगे। यह निकलने का दिन है।
إِنَّا نَحۡنُ نُحۡیِۦ وَنُمِیتُ وَإِلَیۡنَا ٱلۡمَصِیرُ ﴿٤٣﴾
निश्चय हम ही जीवन देते हैं और हम ही मारते हैं और हमारी ही ओर लौटकर आना है।
یَوۡمَ تَشَقَّقُ ٱلۡأَرۡضُ عَنۡهُمۡ سِرَاعࣰاۚ ذَ ٰلِكَ حَشۡرٌ عَلَیۡنَا یَسِیرࣱ ﴿٤٤﴾
जिस दिन धरती उनसे फट जाएगी, जबकि वे तेज़ दौड़ने वाले होंगे। यह एकत्र करना हमारे लिए बहुत सरल है।