Surah सूरा अज़्-ज़ारियात - Adh-Dhāriyāt

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Surah सूरा अज़्-ज़ारियात - Adh-Dhāriyāt - Aya count 60

وَٱلذَّ ٰ⁠رِیَـٰتِ ذَرۡوࣰا ﴿١﴾

क़सम है उन (हवाओं) की जो (धूल आदि) उड़ाने वाली हैं!


Arabic explanations of the Qur’an:

فَٱلۡحَـٰمِلَـٰتِ وِقۡرࣰا ﴿٢﴾

फिर पानी का बड़ा भारी बोझ उठाने वाले बादलों की!


Arabic explanations of the Qur’an:

فَٱلۡجَـٰرِیَـٰتِ یُسۡرࣰا ﴿٣﴾

फिर आसानी से चलने वाली नावों की!


Arabic explanations of the Qur’an:

فَٱلۡمُقَسِّمَـٰتِ أَمۡرًا ﴿٤﴾

फिर (अल्लाह का) आदेश बाँटने वाले (फ़रिश्तों की)!


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّمَا تُوعَدُونَ لَصَادِقࣱ ﴿٥﴾

निःसंदेह जो तुमसे वादा किया जाता है, निश्चय वह सत्य है।[1]

1. इन आयतों में हवाओं की शपथ ली गई है कि हवा (वायु) तथा वर्षा की यह व्यवस्था गवाह है कि प्रलय तथा परलोक का वचन सत्य तथा न्याय का होना आवश्यक है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَإِنَّ ٱلدِّینَ لَوَ ٰ⁠قِعࣱ ﴿٦﴾

तथा निःसंदेह हिसाब अनिवार्य रूप से घटित होने वाला है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلسَّمَاۤءِ ذَاتِ ٱلۡحُبُكِ ﴿٧﴾

क़सम है रास्तों वाले आकाश की!


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّكُمۡ لَفِی قَوۡلࣲ مُّخۡتَلِفࣲ ﴿٨﴾

निःसंदेह तुम निश्चय एक विवादास्पद बात[2] में पड़े हो।

2. अर्थात क़ुरआन तथा प्रलय के विषय में विभिन्न बातें कर रहे हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

یُؤۡفَكُ عَنۡهُ مَنۡ أُفِكَ ﴿٩﴾

उससे वही फेरा जाता है, जो (अल्लाह के ज्ञान में) फेर दिया गया है।


Arabic explanations of the Qur’an:

قُتِلَ ٱلۡخَرَّ ٰ⁠صُونَ ﴿١٠﴾

अटकल लगाने वाले मारे गए।


Arabic explanations of the Qur’an:

ٱلَّذِینَ هُمۡ فِی غَمۡرَةࣲ سَاهُونَ ﴿١١﴾

जो बड़ी ग़फ़लत में भूले हुए हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

یَسۡـَٔلُونَ أَیَّانَ یَوۡمُ ٱلدِّینِ ﴿١٢﴾

वे पूछते[3] हैं कि बदले का दिन कब है?

3. अर्थात उपहास स्वरूप पूछते हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

یَوۡمَ هُمۡ عَلَى ٱلنَّارِ یُفۡتَنُونَ ﴿١٣﴾

जिस दिन वे आग पर तपाए जाएँगे।


Arabic explanations of the Qur’an:

ذُوقُواْ فِتۡنَتَكُمۡ هَـٰذَا ٱلَّذِی كُنتُم بِهِۦ تَسۡتَعۡجِلُونَ ﴿١٤﴾

अपने फ़ितने (यातना) का मज़ा चखो, यही है जिसके लिए तुम जल्दी मचा रहे थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّ ٱلۡمُتَّقِینَ فِی جَنَّـٰتࣲ وَعُیُونٍ ﴿١٥﴾

निःसंदेह परहेज़गार लोग बाग़ों और जल स्रोतों में होंगे।


Arabic explanations of the Qur’an:

ءَاخِذِینَ مَاۤ ءَاتَىٰهُمۡ رَبُّهُمۡۚ إِنَّهُمۡ كَانُواْ قَبۡلَ ذَ ٰ⁠لِكَ مُحۡسِنِینَ ﴿١٦﴾

जो कुछ उनका रब उन्हें देगा, उसे वे लेने वाले होंगे। निश्चय ही वे इससे पहले नेकी करने वाले थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

كَانُواْ قَلِیلࣰا مِّنَ ٱلَّیۡلِ مَا یَهۡجَعُونَ ﴿١٧﴾

वे रात के बहुत थोड़े भाग में सोते थे।[4]

4. अर्थात अपना अधिक समय अल्लाह के स्मरण में लगाते थे। जैसे तहज्जुद की नमाज़ और तस्बीह़ आदि।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَبِٱلۡأَسۡحَارِ هُمۡ یَسۡتَغۡفِرُونَ ﴿١٨﴾

तथा रात्रि की अंतिम घड़ियों[5] में वे क्षमा याचना करते थे।

5. ह़दीस में है कि अल्लाह प्रत्येक रात में जब तिहाई रात रह जाए, तो संसार के आकाश की ओर उतरता है। और कहता है : है कोई जो मुझे पुकारे, तो मैं उसकी पुकार सुनूँ? है कोई जो माँगे, तो मैं उसे दूँ? है कोई जो मुझ से क्षमा माँगे, तो मैं उसे क्षमा कर दूँ? ( बुख़ारी : 1145, मुस्लिम : 758)


Arabic explanations of the Qur’an:

وَفِیۤ أَمۡوَ ٰ⁠لِهِمۡ حَقࣱّ لِّلسَّاۤىِٕلِ وَٱلۡمَحۡرُومِ ﴿١٩﴾

और उनके धनों में माँगने वाले तथा वंचित[6] के लिए एक हक़ (हिस्सा) था।

6. अर्थात जो निर्धन होते हुए भी नहीं माँगता था, इसलिए उसे नहीं मिलता था।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَفِی ٱلۡأَرۡضِ ءَایَـٰتࣱ لِّلۡمُوقِنِینَ ﴿٢٠﴾

तथा धरती में विश्वास करने वालों के लिए बहुत-सी निशानियाँ हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَفِیۤ أَنفُسِكُمۡۚ أَفَلَا تُبۡصِرُونَ ﴿٢١﴾

तथा स्वयं तुम्हारे भीतर (भी)। तो क्या तुम नहीं देखते?


Arabic explanations of the Qur’an:

وَفِی ٱلسَّمَاۤءِ رِزۡقُكُمۡ وَمَا تُوعَدُونَ ﴿٢٢﴾

और आकाश ही में तुम्हारी रोज़ी[7] है तथा वह भी जिसका तुमसे वादा किया जा रहा है।

7. अर्थात आकाश की वर्षा तुम्हारी जीविका का साधन बनती है। तथा स्वर्ग आकाश में है।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَوَرَبِّ ٱلسَّمَاۤءِ وَٱلۡأَرۡضِ إِنَّهُۥ لَحَقࣱّ مِّثۡلَ مَاۤ أَنَّكُمۡ تَنطِقُونَ ﴿٢٣﴾

सो क़सम है आकाश एवं धरती के पालनहार की! निःसंदेह यह बात निश्चित रूप से सत्य है, इस बात की तरह कि निःसंदेह तुम बोलते हो।[8]

8. अर्थात अपने बोलने का विश्वास है।


Arabic explanations of the Qur’an:

هَلۡ أَتَىٰكَ حَدِیثُ ضَیۡفِ إِبۡرَ ٰ⁠هِیمَ ٱلۡمُكۡرَمِینَ ﴿٢٤﴾

क्या आपके पास इबराहीम के सम्मानित अतिथियों की सूचना आई है?


Arabic explanations of the Qur’an:

إِذۡ دَخَلُواْ عَلَیۡهِ فَقَالُواْ سَلَـٰمࣰاۖ قَالَ سَلَـٰمࣱ قَوۡمࣱ مُّنكَرُونَ ﴿٢٥﴾

जब वे उसके पास आए, तो उन्होंने सलाम कहा। उसने कहा : सलाम हो। कुछ अपरिचित लोग हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَرَاغَ إِلَىٰۤ أَهۡلِهِۦ فَجَاۤءَ بِعِجۡلࣲ سَمِینࣲ ﴿٢٦﴾

फिर वह चुपके से अपने घरवालों के पास गया। फिर एक मोटा-ताज़ा (भुना हुआ) बछड़ा ले आया।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَقَرَّبَهُۥۤ إِلَیۡهِمۡ قَالَ أَلَا تَأۡكُلُونَ ﴿٢٧﴾

फिर उसे उनके सामने रख दिया। कहा : क्या तुम नहीं खाते?


Arabic explanations of the Qur’an:

فَأَوۡجَسَ مِنۡهُمۡ خِیفَةࣰۖ قَالُواْ لَا تَخَفۡۖ وَبَشَّرُوهُ بِغُلَـٰمٍ عَلِیمࣲ ﴿٢٨﴾

तो उसने उनसे दिल में डर महसूस किया। उन्होंने कहा : डरो नहीं। और उन्होंने उसे एक बहुत ही ज्ञानी पुत्र की शुभ-सूचना दी।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَأَقۡبَلَتِ ٱمۡرَأَتُهُۥ فِی صَرَّةࣲ فَصَكَّتۡ وَجۡهَهَا وَقَالَتۡ عَجُوزٌ عَقِیمࣱ ﴿٢٩﴾

यह सुनकर उसकी पत्नी चिल्लाती हुई आगे आई, तो उसने अपना चेहरा पीट लिया और बोली : बूढ़ी बाँझ!


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالُواْ كَذَ ٰ⁠لِكِ قَالَ رَبُّكِۖ إِنَّهُۥ هُوَ ٱلۡحَكِیمُ ٱلۡعَلِیمُ ﴿٣٠﴾

उन्होंने कहा : तेरे पालनहार ने ऐसे ही फरमाया है। निश्चय वही पूर्ण हिकमत वाला, अत्यंत ज्ञानी है।


Arabic explanations of the Qur’an:

۞ قَالَ فَمَا خَطۡبُكُمۡ أَیُّهَا ٱلۡمُرۡسَلُونَ ﴿٣١﴾

उसने कहा : ऐ भेजे हुए (दूतो!) तुम्हारा अभियान क्या है?


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالُوۤاْ إِنَّاۤ أُرۡسِلۡنَاۤ إِلَىٰ قَوۡمࣲ مُّجۡرِمِینَ ﴿٣٢﴾

उन्होंने कहा : निःसंदेह हम कुछ अपराधी लोगों की ओर भेजे गए हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

لِنُرۡسِلَ عَلَیۡهِمۡ حِجَارَةࣰ مِّن طِینࣲ ﴿٣٣﴾

ताकि हम उनपर मिट्टी के पत्थर बरसाएँ।


Arabic explanations of the Qur’an:

مُّسَوَّمَةً عِندَ رَبِّكَ لِلۡمُسۡرِفِینَ ﴿٣٤﴾

जो तुम्हारे पालनहार के पास से सीमा से आगे बढ़ने वालों के लिए चिह्नित[9] हैं।

9. अर्थात प्रत्येक पत्थर पर पापी का नाम है।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَأَخۡرَجۡنَا مَن كَانَ فِیهَا مِنَ ٱلۡمُؤۡمِنِینَ ﴿٣٥﴾

फिर हमने उस (बस्ती) में जो भी ईमानवाले थे उन्हें निकाल लिया।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَمَا وَجَدۡنَا فِیهَا غَیۡرَ بَیۡتࣲ مِّنَ ٱلۡمُسۡلِمِینَ ﴿٣٦﴾

तो हमने उसमें मुसलमानों के एक घर[10] के सिवा कोई और नहीं पाया।

10. जो आदरणीय लूत (अलैहिस्सलाम) का घर था।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَتَرَكۡنَا فِیهَاۤ ءَایَةࣰ لِّلَّذِینَ یَخَافُونَ ٱلۡعَذَابَ ٱلۡأَلِیمَ ﴿٣٧﴾

तथा हमने उसमें उन लोगों के लिए एक निशानी छोड़ दी, जो दुःखदायी यातना से डरते हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَفِی مُوسَىٰۤ إِذۡ أَرۡسَلۡنَـٰهُ إِلَىٰ فِرۡعَوۡنَ بِسُلۡطَـٰنࣲ مُّبِینࣲ ﴿٣٨﴾

तथा मूसा (की कहानी) में (भी एक निशानी है), जब हमने उसे फ़िरऔन की ओर एक स्पष्ट प्रमाण देकर भेजा।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَتَوَلَّىٰ بِرُكۡنِهِۦ وَقَالَ سَـٰحِرٌ أَوۡ مَجۡنُونࣱ ﴿٣٩﴾

तो उसने अपनी शक्ति के कारण मुँह फेर लिया और उसने कहा : यह जादूगर है, या पागल।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَأَخَذۡنَـٰهُ وَجُنُودَهُۥ فَنَبَذۡنَـٰهُمۡ فِی ٱلۡیَمِّ وَهُوَ مُلِیمࣱ ﴿٤٠﴾

अंततः हमने उसे और उसकी सेनाओं को पकड़ लिया, फिर उन्हें समुद्र में फेंक दिया, जबकि वह एक निंदनीय काम करने वाला था।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَفِی عَادٍ إِذۡ أَرۡسَلۡنَا عَلَیۡهِمُ ٱلرِّیحَ ٱلۡعَقِیمَ ﴿٤١﴾

तथा आद में, जब हमने उनपर बाँझ[11] हवा भेजी दी।

11. अर्थात अशुभ। (देखिए : सूरतुल-ह़ाक़्क़ा, आयत : 7)


Arabic explanations of the Qur’an:

مَا تَذَرُ مِن شَیۡءٍ أَتَتۡ عَلَیۡهِ إِلَّا جَعَلَتۡهُ كَٱلرَّمِیمِ ﴿٤٢﴾

वह जिस चीज़ पर से भी गुज़रती, उसे सड़ी हुई हड्डी की तरह कर देती थी।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَفِی ثَمُودَ إِذۡ قِیلَ لَهُمۡ تَمَتَّعُواْ حَتَّىٰ حِینࣲ ﴿٤٣﴾

तथा समूद में, जब उनसे कहा गया कि एक समय तक के लिए लाभ उठा लो।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَعَتَوۡاْ عَنۡ أَمۡرِ رَبِّهِمۡ فَأَخَذَتۡهُمُ ٱلصَّـٰعِقَةُ وَهُمۡ یَنظُرُونَ ﴿٤٤﴾

फिर उन्होंने अपने पालनहार के आदेश की अवज्ञा की, तो उन्हें कड़क ने पकड़ लिया और वे देख रहे थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَمَا ٱسۡتَطَـٰعُواْ مِن قِیَامࣲ وَمَا كَانُواْ مُنتَصِرِینَ ﴿٤٥﴾

फिर उनमें न तो खड़े होने की शक्ति थी और न ही वे प्रतिकार करने वाले थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَقَوۡمَ نُوحࣲ مِّن قَبۡلُۖ إِنَّهُمۡ كَانُواْ قَوۡمࣰا فَـٰسِقِینَ ﴿٤٦﴾

तथा इससे पहले नूह़ की जाति को (विनष्ट कर दिया)। निश्चय ही वे अवज्ञाकारी लोग थे।[12]

12. आयत 31 से 46 तक नबियों तथा विगत जातियों के परिणाम की ओर निरंतर संकेत करके सावधान किया गया है कि अल्लाह के बदले का नियम बराबर काम कर रहा है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلسَّمَاۤءَ بَنَیۡنَـٰهَا بِأَیۡیْدࣲ وَإِنَّا لَمُوسِعُونَ ﴿٤٧﴾

तथा आकाश को हमने शक्ति के साथ बनाया और निःसंदेह हम निश्चय विस्तार करने वाले हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلۡأَرۡضَ فَرَشۡنَـٰهَا فَنِعۡمَ ٱلۡمَـٰهِدُونَ ﴿٤٨﴾

तथा धरती को हमने बिछा दिया, तो हम क्या ही खूब बिछाने वाले हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَمِن كُلِّ شَیۡءٍ خَلَقۡنَا زَوۡجَیۡنِ لَعَلَّكُمۡ تَذَكَّرُونَ ﴿٤٩﴾

तथा हमने हर चीज़ के दो प्रकार बनाए, ताकि तुम नसीहत ग्रहण करो।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَفِرُّوۤاْ إِلَى ٱللَّهِۖ إِنِّی لَكُم مِّنۡهُ نَذِیرࣱ مُّبِینࣱ ﴿٥٠﴾

अतः अल्लाह की ओर दौड़ो। निश्चय ही मैं तुम्हारे लिए उसकी ओर से स्पष्ट सचेतकर्ता हूँ।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَا تَجۡعَلُواْ مَعَ ٱللَّهِ إِلَـٰهًا ءَاخَرَۖ إِنِّی لَكُم مِّنۡهُ نَذِیرࣱ مُّبِینࣱ ﴿٥١﴾

और अल्लाह के साथ कोई दूसरा पूज्य मत बनाओ। निःसंदेह मैं तुम्हारे लिए उसकी ओर से खुला डराने वाला हूँ।


Arabic explanations of the Qur’an:

كَذَ ٰ⁠لِكَ مَاۤ أَتَى ٱلَّذِینَ مِن قَبۡلِهِم مِّن رَّسُولٍ إِلَّا قَالُواْ سَاحِرٌ أَوۡ مَجۡنُونٌ ﴿٥٢﴾

इसी प्रकार, उन लोगों के पास जो इनसे पहले थे, जब भी कोई रसूल आया, तो उन्होंने कहा : यह जादूगर है, या पागल।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَتَوَاصَوۡاْ بِهِۦۚ بَلۡ هُمۡ قَوۡمࣱ طَاغُونَ ﴿٥٣﴾

क्या उन्होंने एक-दूसरे को इस (बात) की वसीयत[13] की है? बल्कि वे (स्वयं ही) सरकश लोग हैं।

13. जब सभी ने एक ही बात कही, तो सवाल उठता है कि क्या ये सब एक-दूसरे को वसीयत कर गए हैं? यह संभव नहीं है कि उन्होंने एक-दूसरे को इसकी वसीयत की हो। इसलिए तथ्य यह है कि वे सरकश लोग हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَتَوَلَّ عَنۡهُمۡ فَمَاۤ أَنتَ بِمَلُومࣲ ﴿٥٤﴾

अतः आप उनसे मुँह फेर लें। क्योंकि आपपर कोई दोष नहीं है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَذَكِّرۡ فَإِنَّ ٱلذِّكۡرَىٰ تَنفَعُ ٱلۡمُؤۡمِنِینَ ﴿٥٥﴾

तथा आप नसीहत करें। क्योंकि निश्चय नसीहत ईमानवालों को लाभ देताी है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَمَا خَلَقۡتُ ٱلۡجِنَّ وَٱلۡإِنسَ إِلَّا لِیَعۡبُدُونِ ﴿٥٦﴾

और मैंने जिन्नों तथा मनुष्यों को केवल इसलिए पैदा किया है कि वे मेरी इबादत करें।


Arabic explanations of the Qur’an:

مَاۤ أُرِیدُ مِنۡهُم مِّن رِّزۡقࣲ وَمَاۤ أُرِیدُ أَن یُطۡعِمُونِ ﴿٥٧﴾

मैं उनसे कोई रोज़ी नहीं चाहता और न यह चाहता हूँ कि वे मुझे खिलाएँ।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّ ٱللَّهَ هُوَ ٱلرَّزَّاقُ ذُو ٱلۡقُوَّةِ ٱلۡمَتِینُ ﴿٥٨﴾

निःसंदेह अल्लाह ही बहुत रोज़ी देनेवाला, बड़ा शक्तिशाली, अत्यंत मज़बूत है।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَإِنَّ لِلَّذِینَ ظَلَمُواْ ذَنُوبࣰا مِّثۡلَ ذَنُوبِ أَصۡحَـٰبِهِمۡ فَلَا یَسۡتَعۡجِلُونِ ﴿٥٩﴾

अतः निश्चय उन लोगों के लिए जिन्होंने अत्याचार किया, उनके साथियों के हिस्से की तरह (यातना का) एक हिस्सा है। सो वे मुझसे जल्दी न मचाएँ।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَوَیۡلࣱ لِّلَّذِینَ كَفَرُواْ مِن یَوۡمِهِمُ ٱلَّذِی یُوعَدُونَ ﴿٦٠﴾

अतः इनकार करने वालों के लिए उनके उस दिन[14] से बड़ा विनाश है, जिसका उनसे वादा किया जा रहा है।

14. अर्थात प्रलय के दिन।


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