Surah सूरा अत्-तूर - At-Toor

Listen

Hinid

Surah सूरा अत्-तूर - At-Toor - Aya count 49

وَٱلطُّورِ ﴿١﴾

क़सम है तूर[1] (पर्वत) की!

1. यह उस पर्वत का नाम है जिसपर मूसा (अलैहिस्सलाम) ने अल्लाह से वार्तालाप की थी।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَكِتَـٰبࣲ مَّسۡطُورࣲ ﴿٢﴾

और एक पुस्तक{2] की जो लिखी हुई है!

2. इससे अभिप्राय क़ुरआन है।


Arabic explanations of the Qur’an:

فِی رَقࣲّ مَّنشُورࣲ ﴿٣﴾

ऐसे पन्ने में जो खुला हुआ है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلۡبَیۡتِ ٱلۡمَعۡمُورِ ﴿٤﴾

तथा बैतुल-मा'मूर (आबाद घर)[3] की!

3. यह आकाश में एक घर है जिसकी फ़रिश्ते सदैव परिक्रमा करते रहते हैं। कुछ व्याख्याकारों ने इसका अर्थ काबा लिया है, जो उपासकों से प्रत्येक समय आबाद रहता है। क्योंकि मा'मूर का अर्थ "आबाद" है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلسَّقۡفِ ٱلۡمَرۡفُوعِ ﴿٥﴾

तथा ऊँची उठाई हुई छत (आकाश) की!


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلۡبَحۡرِ ٱلۡمَسۡجُورِ ﴿٦﴾

और लबालब भरे हुए समुद्र [4] की!

4. (देखिए : सूरत तकवीर, आयत : 6)


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّ عَذَابَ رَبِّكَ لَوَ ٰ⁠قِعࣱ ﴿٧﴾

कि निश्चय आपके पालनहार की यातना अवश्चय घटित होने वाली है।


Arabic explanations of the Qur’an:

مَّا لَهُۥ مِن دَافِعࣲ ﴿٨﴾

उसे कोई टालने वाला नहीं।


Arabic explanations of the Qur’an:

یَوۡمَ تَمُورُ ٱلسَّمَاۤءُ مَوۡرࣰا ﴿٩﴾

जिस दिन आकाश बुरी तरह डगमगाएगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَتَسِیرُ ٱلۡجِبَالُ سَیۡرࣰا ﴿١٠﴾

तथा पर्वत बहुत तेज़ी से चलेंगे।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَوَیۡلࣱ یَوۡمَىِٕذࣲ لِّلۡمُكَذِّبِینَ ﴿١١﴾

तो उस दिन झुठलाने वालों के लिए बड़ी तबाही है।


Arabic explanations of the Qur’an:

ٱلَّذِینَ هُمۡ فِی خَوۡضࣲ یَلۡعَبُونَ ﴿١٢﴾

जो व्यर्थ बातों में पड़े खेल रहे हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

یَوۡمَ یُدَعُّونَ إِلَىٰ نَارِ جَهَنَّمَ دَعًّا ﴿١٣﴾

जिस दिन उन्हें ज़ोर से धक्का देकर जहन्नम की आग में धकेला जाएगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

هَـٰذِهِ ٱلنَّارُ ٱلَّتِی كُنتُم بِهَا تُكَذِّبُونَ ﴿١٤﴾

यही है वह आग, जिसे तुम झुठलाते थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَفَسِحۡرٌ هَـٰذَاۤ أَمۡ أَنتُمۡ لَا تُبۡصِرُونَ ﴿١٥﴾

तो क्या यह जादू है, या तुम नहीं देख रहे?


Arabic explanations of the Qur’an:

ٱصۡلَوۡهَا فَٱصۡبِرُوۤاْ أَوۡ لَا تَصۡبِرُواْ سَوَاۤءٌ عَلَیۡكُمۡۖ إِنَّمَا تُجۡزَوۡنَ مَا كُنتُمۡ تَعۡمَلُونَ ﴿١٦﴾

इसमें प्रवेश कर जाओ। फिर सब्र करो या सब्र न करो, तुम्हारे लिए बराबर है। तुम्हें केवल उसी का बदला दिया जाएगा, जो तुम किया करते थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّ ٱلۡمُتَّقِینَ فِی جَنَّـٰتࣲ وَنَعِیمࣲ ﴿١٧﴾

निःसंदेह डरने वाले लोग बागों और बड़ी नेमत में हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَـٰكِهِینَ بِمَاۤ ءَاتَىٰهُمۡ رَبُّهُمۡ وَوَقَىٰهُمۡ رَبُّهُمۡ عَذَابَ ٱلۡجَحِیمِ ﴿١٨﴾

उसका आनंद लेने वाले हैं जो उनके रब ने उन्हें दिया और उनके रब ने उन्हें दहकती हुई आग की यातना से बचा लिया।


Arabic explanations of the Qur’an:

كُلُواْ وَٱشۡرَبُواْ هَنِیۤـَٔۢا بِمَا كُنتُمۡ تَعۡمَلُونَ ﴿١٩﴾

मज़े से खाओ और पियो, उसके बदले जो तुम किया करते थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

مُتَّكِـِٔینَ عَلَىٰ سُرُرࣲ مَّصۡفُوفَةࣲۖ وَزَوَّجۡنَـٰهُم بِحُورٍ عِینࣲ ﴿٢٠﴾

पंक्तिबद्ध तख़्तों पर तकिया लगाए हुए होंगे और हमने उनका विवाह गोरे बदन, काली आँखों वाली औरतों से कर दिया, जो बड़ी-बड़ी आँखों वाली हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلَّذِینَ ءَامَنُواْ وَٱتَّبَعَتۡهُمۡ ذُرِّیَّتُهُم بِإِیمَـٰنٍ أَلۡحَقۡنَا بِهِمۡ ذُرِّیَّتَهُمۡ وَمَاۤ أَلَتۡنَـٰهُم مِّنۡ عَمَلِهِم مِّن شَیۡءࣲۚ كُلُّ ٱمۡرِىِٕۭ بِمَا كَسَبَ رَهِینࣱ ﴿٢١﴾

और जो लोग ईमान लाए और उनकी संतान ने ईमान के साथ उनका अनुसरण किया, हम उनकी संतान को उनके साथ मिला देंगे तथा उनके कर्मों में उनसे कुछ भी कम न करेंगे। प्रत्येक व्यक्ति उसके बदले में जो उसने कमाया, गिरवी[5] रखा हुआ है।

5. अर्थात जो जैसा करेगा, वैसा भोगेगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَأَمۡدَدۡنَـٰهُم بِفَـٰكِهَةࣲ وَلَحۡمࣲ مِّمَّا یَشۡتَهُونَ ﴿٢٢﴾

तथा हम उन्हें और अधिक फल और मांस देंगे उसमें से जो वे चाहेंगे।


Arabic explanations of the Qur’an:

یَتَنَـٰزَعُونَ فِیهَا كَأۡسࣰا لَّا لَغۡوࣱ فِیهَا وَلَا تَأۡثِیمࣱ ﴿٢٣﴾

वे उसमें एक-दूसरे से मदिरा का प्याला लेंगे, जिसमें न कोई व्यर्थ बात होगी और न गुनाह में डालना।


Arabic explanations of the Qur’an:

۞ وَیَطُوفُ عَلَیۡهِمۡ غِلۡمَانࣱ لَّهُمۡ كَأَنَّهُمۡ لُؤۡلُؤࣱ مَّكۡنُونࣱ ﴿٢٤﴾

तथा उनके आस-पास चक्कर लगाते रहेंगे उन्हीं के बच्चे, जैसे वे छुपाए हुए मोती हों।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَأَقۡبَلَ بَعۡضُهُمۡ عَلَىٰ بَعۡضࣲ یَتَسَاۤءَلُونَ ﴿٢٥﴾

और वे एक-दूसरे की ओर मुतवज्जह होकर आपस में सवाल करेंगे।


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالُوۤاْ إِنَّا كُنَّا قَبۡلُ فِیۤ أَهۡلِنَا مُشۡفِقِینَ ﴿٢٦﴾

वे कहेंगे : निःसंदेह हम इससे पहले[6] अपने घरवालों में डरने वाले थे।

6. अर्थात संसार में अल्लाह की यातना से।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَمَنَّ ٱللَّهُ عَلَیۡنَا وَوَقَىٰنَا عَذَابَ ٱلسَّمُومِ ﴿٢٧﴾

तो अल्लाह ने हमपर उपकार किया और हमें विषैली लू की यातना से बचा लिया।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّا كُنَّا مِن قَبۡلُ نَدۡعُوهُۖ إِنَّهُۥ هُوَ ٱلۡبَرُّ ٱلرَّحِیمُ ﴿٢٨﴾

निःसंदेह हम इससे पहले[7] ही उसे पुकारा करते थे। निश्चय वही तो अति परोपकारी, अत्यंत दयावान् है।

7. अर्थात संसार में।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَذَكِّرۡ فَمَاۤ أَنتَ بِنِعۡمَتِ رَبِّكَ بِكَاهِنࣲ وَلَا مَجۡنُونٍ ﴿٢٩﴾

अतः आप नसीहत करें। क्योंकि अपने पालनहार के अनुग्रह से आप न तो काहिन हैं और न ही पागल।[8]

8. जैसाकि वे आपपर यह आरोप लगा कर हताश करना चाहते हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَمۡ یَقُولُونَ شَاعِرࣱ نَّتَرَبَّصُ بِهِۦ رَیۡبَ ٱلۡمَنُونِ ﴿٣٠﴾

या वे कहते है कि यह एक कवि है जिसपर हम ज़माने की घटनाओं का इंतज़ार करते हैं?[9]

9. अर्थात क़ुरैश इस प्रतीक्षा में हैं कि संभवतः आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को मौत आ जाए, तो हमें चैन मिल जाए।


Arabic explanations of the Qur’an:

قُلۡ تَرَبَّصُواْ فَإِنِّی مَعَكُم مِّنَ ٱلۡمُتَرَبِّصِینَ ﴿٣١﴾

आप कह दें कि तुम प्रतीक्षा करते रहो, मैं (भी) तुम्हारे साथ प्रतीक्षा करने वालों में से हूँ।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَمۡ تَأۡمُرُهُمۡ أَحۡلَـٰمُهُم بِهَـٰذَاۤۚ أَمۡ هُمۡ قَوۡمࣱ طَاغُونَ ﴿٣٢﴾

क्या उन्हें उनकी बुद्धियाँ इस बात का आदेश देती हैं, ये वे स्वयं ही सरकश लोग हैं?


Arabic explanations of the Qur’an:

أَمۡ یَقُولُونَ تَقَوَّلَهُۥۚ بَل لَّا یُؤۡمِنُونَ ﴿٣٣﴾

या वे कहते हैं कि उसने इसे स्वयं गढ़ लिया है? बल्कि वे ईमान नहीं लाते।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَلۡیَأۡتُواْ بِحَدِیثࣲ مِّثۡلِهِۦۤ إِن كَانُواْ صَـٰدِقِینَ ﴿٣٤﴾

तो फिर वे इस (क़ुरआन) के समान एक ही बात बनाकर ले आएँ, यदि वे सच्चे हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَمۡ خُلِقُواْ مِنۡ غَیۡرِ شَیۡءٍ أَمۡ هُمُ ٱلۡخَـٰلِقُونَ ﴿٣٥﴾

या वे बिना किसी चीज़ के[10] पैदा हो गए हैं, या वे (स्वयं) पैदा करने वाले हैं?

10. जुबैर बिन मुतइम कहते हैं कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) मग़्रिब की नमाज़ में सूरतुत्- तूर पढ़ रहे थे। जब इन आयतों पर पहुँचे तो मेरे दिल की दशा यह हुई कि वह उड़ जाएगा। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4854)


Arabic explanations of the Qur’an:

أَمۡ خَلَقُواْ ٱلسَّمَـٰوَ ٰ⁠تِ وَٱلۡأَرۡضَۚ بَل لَّا یُوقِنُونَ ﴿٣٦﴾

या उन्होंने आकाशों और धरती को पैदा किया है? बल्कि वे विश्वास ही नहीं करते।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَمۡ عِندَهُمۡ خَزَاۤىِٕنُ رَبِّكَ أَمۡ هُمُ ٱلۡمُصَۣیۡطِرُونَ ﴿٣٧﴾

या उनके पास आपके पालनहार के ख़ज़ाने हैं, या वही अधिकार चलाने वाले हैं?


Arabic explanations of the Qur’an:

أَمۡ لَهُمۡ سُلَّمࣱ یَسۡتَمِعُونَ فِیهِۖ فَلۡیَأۡتِ مُسۡتَمِعُهُم بِسُلۡطَـٰنࣲ مُّبِینٍ ﴿٣٨﴾

या उनके पास कोई सीढ़ी है, जिसपर वे अच्छी तरह सुन[11] लेते हैं? तो उनके सुनने वाले को चाहिए कि वह कोई स्पष्ट प्रमाण प्रस्तुत करे।

11. अर्थात आकाश की बातें। और जब उनके पास आकाश की बातें जानने का कोई साधन नहीं, तो ये लोग अल्लाह, फ़रिश्ते और धर्म की बातें किस आधार पर करते हैं?


Arabic explanations of the Qur’an:

أَمۡ لَهُ ٱلۡبَنَـٰتُ وَلَكُمُ ٱلۡبَنُونَ ﴿٣٩﴾

या उस (अल्लाह) के लिए तो बेटियाँ है और तुम्हारे लिए बेटे?


Arabic explanations of the Qur’an:

أَمۡ تَسۡـَٔلُهُمۡ أَجۡرࣰا فَهُم مِّن مَّغۡرَمࣲ مُّثۡقَلُونَ ﴿٤٠﴾

या आप उनसे कोई पारिश्रमिक[12] माँगते हैं? तो वे उस तावान के बोझ से दबे जा रहे हैं।

12. अर्थात सत्धर्म के प्रचार पर।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَمۡ عِندَهُمُ ٱلۡغَیۡبُ فَهُمۡ یَكۡتُبُونَ ﴿٤١﴾

या उनके पास परोक्ष (का ज्ञान) है? तो वे उसे लिखते[13] रहते हैं।

13. इसीलिए इस वह़्य (क़ुरआन) को नहीं मानते हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَمۡ یُرِیدُونَ كَیۡدࣰاۖ فَٱلَّذِینَ كَفَرُواْ هُمُ ٱلۡمَكِیدُونَ ﴿٤٢﴾

या वे कोई चाल चलना चाहते हैं? तो जिन लोगों ने इनकार किया, वही चाल में आने वाले हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَمۡ لَهُمۡ إِلَـٰهٌ غَیۡرُ ٱللَّهِۚ سُبۡحَـٰنَ ٱللَّهِ عَمَّا یُشۡرِكُونَ ﴿٤٣﴾

या उनका अल्लाह के सिवा कोई पूज्य है? पवित्र है अल्लाह उससे जो वे साझी ठहराते हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَإِن یَرَوۡاْ كِسۡفࣰا مِّنَ ٱلسَّمَاۤءِ سَاقِطࣰا یَقُولُواْ سَحَابࣱ مَّرۡكُومࣱ ﴿٤٤﴾

और यदि वे आकाश से कोई टुकड़ा गिरता हुआ देख लें, तो कह देंगे कि यह परत दर परत बादल है।[14]

14. अर्थात तब भी अपने कुफ़्र से नहीं रुकेंगे जब तक कि उनपर यातना न आ जाए।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَذَرۡهُمۡ حَتَّىٰ یُلَـٰقُواْ یَوۡمَهُمُ ٱلَّذِی فِیهِ یُصۡعَقُونَ ﴿٤٥﴾

अतः आप उन्हें छोड़ दें, यहाँ तक कि वे अपने उस दिन को जा मिलें, जिसमें[15] वे बेहोश किए जाएँगे।

15. अर्थात प्रलय के दिन।


Arabic explanations of the Qur’an:

یَوۡمَ لَا یُغۡنِی عَنۡهُمۡ كَیۡدُهُمۡ شَیۡـࣰٔا وَلَا هُمۡ یُنصَرُونَ ﴿٤٦﴾

जिस दिन न तो उनकी चाल काम आएगी और न उनकी सहायता की जाएगी।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَإِنَّ لِلَّذِینَ ظَلَمُواْ عَذَابࣰا دُونَ ذَ ٰ⁠لِكَ وَلَـٰكِنَّ أَكۡثَرَهُمۡ لَا یَعۡلَمُونَ ﴿٤٧﴾

तथा निश्चय उन लोगों के लिए जिन्होंने अत्याचार किया, उस (आख़िरत) से पहले भी एक यातना[16] है। परंतु उनमें से अक्सर लोग नहीं जानते।

16. इससे संकेत सांसारिक यातनाओं की ओर है। (देखिए : सूरतुस-सजदा, आयत : 21)


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱصۡبِرۡ لِحُكۡمِ رَبِّكَ فَإِنَّكَ بِأَعۡیُنِنَاۖ وَسَبِّحۡ بِحَمۡدِ رَبِّكَ حِینَ تَقُومُ ﴿٤٨﴾

और (ऐ नबी!) आप अपने पालनहार का आदेश आने तक धैर्य रखें। निःसंदेह आप हमारी आँखों के सामने हैं। तथा जब आप उठें, तो अपने रब की प्रशंसा के साथ उसकी पवित्रता बयान करें।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَمِنَ ٱلَّیۡلِ فَسَبِّحۡهُ وَإِدۡبَـٰرَ ٱلنُّجُومِ ﴿٤٩﴾

तथा रात के कुछ भाग में फिर उसकी पवित्रता का वर्णन करें और सितारों के चले जाने के बाद भी।[17]

17. रात्रि में तथा तारों के डूबने के बाद से संकेत मग़्रिब तथा इशा और फ़ज्र की नमाज़ की ओर है जिनमें ये सब नमाजें पढ़ी जाती हैं।


Arabic explanations of the Qur’an: