وَٱلطُّورِ ﴿١﴾
क़सम है तूर[1] (पर्वत) की!
وَٱلۡبَیۡتِ ٱلۡمَعۡمُورِ ﴿٤﴾
तथा बैतुल-मा'मूर (आबाद घर)[3] की!
یَوۡمَ یُدَعُّونَ إِلَىٰ نَارِ جَهَنَّمَ دَعًّا ﴿١٣﴾
जिस दिन उन्हें ज़ोर से धक्का देकर जहन्नम की आग में धकेला जाएगा।
ٱصۡلَوۡهَا فَٱصۡبِرُوۤاْ أَوۡ لَا تَصۡبِرُواْ سَوَاۤءٌ عَلَیۡكُمۡۖ إِنَّمَا تُجۡزَوۡنَ مَا كُنتُمۡ تَعۡمَلُونَ ﴿١٦﴾
इसमें प्रवेश कर जाओ। फिर सब्र करो या सब्र न करो, तुम्हारे लिए बराबर है। तुम्हें केवल उसी का बदला दिया जाएगा, जो तुम किया करते थे।
فَـٰكِهِینَ بِمَاۤ ءَاتَىٰهُمۡ رَبُّهُمۡ وَوَقَىٰهُمۡ رَبُّهُمۡ عَذَابَ ٱلۡجَحِیمِ ﴿١٨﴾
उसका आनंद लेने वाले हैं जो उनके रब ने उन्हें दिया और उनके रब ने उन्हें दहकती हुई आग की यातना से बचा लिया।
كُلُواْ وَٱشۡرَبُواْ هَنِیۤـَٔۢا بِمَا كُنتُمۡ تَعۡمَلُونَ ﴿١٩﴾
मज़े से खाओ और पियो, उसके बदले जो तुम किया करते थे।
مُتَّكِـِٔینَ عَلَىٰ سُرُرࣲ مَّصۡفُوفَةࣲۖ وَزَوَّجۡنَـٰهُم بِحُورٍ عِینࣲ ﴿٢٠﴾
पंक्तिबद्ध तख़्तों पर तकिया लगाए हुए होंगे और हमने उनका विवाह गोरे बदन, काली आँखों वाली औरतों से कर दिया, जो बड़ी-बड़ी आँखों वाली हैं।
وَٱلَّذِینَ ءَامَنُواْ وَٱتَّبَعَتۡهُمۡ ذُرِّیَّتُهُم بِإِیمَـٰنٍ أَلۡحَقۡنَا بِهِمۡ ذُرِّیَّتَهُمۡ وَمَاۤ أَلَتۡنَـٰهُم مِّنۡ عَمَلِهِم مِّن شَیۡءࣲۚ كُلُّ ٱمۡرِىِٕۭ بِمَا كَسَبَ رَهِینࣱ ﴿٢١﴾
और जो लोग ईमान लाए और उनकी संतान ने ईमान के साथ उनका अनुसरण किया, हम उनकी संतान को उनके साथ मिला देंगे तथा उनके कर्मों में उनसे कुछ भी कम न करेंगे। प्रत्येक व्यक्ति उसके बदले में जो उसने कमाया, गिरवी[5] रखा हुआ है।
وَأَمۡدَدۡنَـٰهُم بِفَـٰكِهَةࣲ وَلَحۡمࣲ مِّمَّا یَشۡتَهُونَ ﴿٢٢﴾
तथा हम उन्हें और अधिक फल और मांस देंगे उसमें से जो वे चाहेंगे।
یَتَنَـٰزَعُونَ فِیهَا كَأۡسࣰا لَّا لَغۡوࣱ فِیهَا وَلَا تَأۡثِیمࣱ ﴿٢٣﴾
वे उसमें एक-दूसरे से मदिरा का प्याला लेंगे, जिसमें न कोई व्यर्थ बात होगी और न गुनाह में डालना।
۞ وَیَطُوفُ عَلَیۡهِمۡ غِلۡمَانࣱ لَّهُمۡ كَأَنَّهُمۡ لُؤۡلُؤࣱ مَّكۡنُونࣱ ﴿٢٤﴾
तथा उनके आस-पास चक्कर लगाते रहेंगे उन्हीं के बच्चे, जैसे वे छुपाए हुए मोती हों।
وَأَقۡبَلَ بَعۡضُهُمۡ عَلَىٰ بَعۡضࣲ یَتَسَاۤءَلُونَ ﴿٢٥﴾
और वे एक-दूसरे की ओर मुतवज्जह होकर आपस में सवाल करेंगे।
قَالُوۤاْ إِنَّا كُنَّا قَبۡلُ فِیۤ أَهۡلِنَا مُشۡفِقِینَ ﴿٢٦﴾
वे कहेंगे : निःसंदेह हम इससे पहले[6] अपने घरवालों में डरने वाले थे।
فَمَنَّ ٱللَّهُ عَلَیۡنَا وَوَقَىٰنَا عَذَابَ ٱلسَّمُومِ ﴿٢٧﴾
तो अल्लाह ने हमपर उपकार किया और हमें विषैली लू की यातना से बचा लिया।
إِنَّا كُنَّا مِن قَبۡلُ نَدۡعُوهُۖ إِنَّهُۥ هُوَ ٱلۡبَرُّ ٱلرَّحِیمُ ﴿٢٨﴾
निःसंदेह हम इससे पहले[7] ही उसे पुकारा करते थे। निश्चय वही तो अति परोपकारी, अत्यंत दयावान् है।
فَذَكِّرۡ فَمَاۤ أَنتَ بِنِعۡمَتِ رَبِّكَ بِكَاهِنࣲ وَلَا مَجۡنُونٍ ﴿٢٩﴾
अतः आप नसीहत करें। क्योंकि अपने पालनहार के अनुग्रह से आप न तो काहिन हैं और न ही पागल।[8]
أَمۡ یَقُولُونَ شَاعِرࣱ نَّتَرَبَّصُ بِهِۦ رَیۡبَ ٱلۡمَنُونِ ﴿٣٠﴾
या वे कहते है कि यह एक कवि है जिसपर हम ज़माने की घटनाओं का इंतज़ार करते हैं?[9]
قُلۡ تَرَبَّصُواْ فَإِنِّی مَعَكُم مِّنَ ٱلۡمُتَرَبِّصِینَ ﴿٣١﴾
आप कह दें कि तुम प्रतीक्षा करते रहो, मैं (भी) तुम्हारे साथ प्रतीक्षा करने वालों में से हूँ।
أَمۡ تَأۡمُرُهُمۡ أَحۡلَـٰمُهُم بِهَـٰذَاۤۚ أَمۡ هُمۡ قَوۡمࣱ طَاغُونَ ﴿٣٢﴾
क्या उन्हें उनकी बुद्धियाँ इस बात का आदेश देती हैं, ये वे स्वयं ही सरकश लोग हैं?
أَمۡ یَقُولُونَ تَقَوَّلَهُۥۚ بَل لَّا یُؤۡمِنُونَ ﴿٣٣﴾
या वे कहते हैं कि उसने इसे स्वयं गढ़ लिया है? बल्कि वे ईमान नहीं लाते।
فَلۡیَأۡتُواْ بِحَدِیثࣲ مِّثۡلِهِۦۤ إِن كَانُواْ صَـٰدِقِینَ ﴿٣٤﴾
तो फिर वे इस (क़ुरआन) के समान एक ही बात बनाकर ले आएँ, यदि वे सच्चे हैं।
أَمۡ خُلِقُواْ مِنۡ غَیۡرِ شَیۡءٍ أَمۡ هُمُ ٱلۡخَـٰلِقُونَ ﴿٣٥﴾
या वे बिना किसी चीज़ के[10] पैदा हो गए हैं, या वे (स्वयं) पैदा करने वाले हैं?
أَمۡ خَلَقُواْ ٱلسَّمَـٰوَ ٰتِ وَٱلۡأَرۡضَۚ بَل لَّا یُوقِنُونَ ﴿٣٦﴾
या उन्होंने आकाशों और धरती को पैदा किया है? बल्कि वे विश्वास ही नहीं करते।
أَمۡ عِندَهُمۡ خَزَاۤىِٕنُ رَبِّكَ أَمۡ هُمُ ٱلۡمُصَۣیۡطِرُونَ ﴿٣٧﴾
या उनके पास आपके पालनहार के ख़ज़ाने हैं, या वही अधिकार चलाने वाले हैं?
أَمۡ لَهُمۡ سُلَّمࣱ یَسۡتَمِعُونَ فِیهِۖ فَلۡیَأۡتِ مُسۡتَمِعُهُم بِسُلۡطَـٰنࣲ مُّبِینٍ ﴿٣٨﴾
या उनके पास कोई सीढ़ी है, जिसपर वे अच्छी तरह सुन[11] लेते हैं? तो उनके सुनने वाले को चाहिए कि वह कोई स्पष्ट प्रमाण प्रस्तुत करे।
أَمۡ لَهُ ٱلۡبَنَـٰتُ وَلَكُمُ ٱلۡبَنُونَ ﴿٣٩﴾
या उस (अल्लाह) के लिए तो बेटियाँ है और तुम्हारे लिए बेटे?
أَمۡ تَسۡـَٔلُهُمۡ أَجۡرࣰا فَهُم مِّن مَّغۡرَمࣲ مُّثۡقَلُونَ ﴿٤٠﴾
या आप उनसे कोई पारिश्रमिक[12] माँगते हैं? तो वे उस तावान के बोझ से दबे जा रहे हैं।
أَمۡ عِندَهُمُ ٱلۡغَیۡبُ فَهُمۡ یَكۡتُبُونَ ﴿٤١﴾
या उनके पास परोक्ष (का ज्ञान) है? तो वे उसे लिखते[13] रहते हैं।
أَمۡ یُرِیدُونَ كَیۡدࣰاۖ فَٱلَّذِینَ كَفَرُواْ هُمُ ٱلۡمَكِیدُونَ ﴿٤٢﴾
या वे कोई चाल चलना चाहते हैं? तो जिन लोगों ने इनकार किया, वही चाल में आने वाले हैं।
أَمۡ لَهُمۡ إِلَـٰهٌ غَیۡرُ ٱللَّهِۚ سُبۡحَـٰنَ ٱللَّهِ عَمَّا یُشۡرِكُونَ ﴿٤٣﴾
या उनका अल्लाह के सिवा कोई पूज्य है? पवित्र है अल्लाह उससे जो वे साझी ठहराते हैं।
وَإِن یَرَوۡاْ كِسۡفࣰا مِّنَ ٱلسَّمَاۤءِ سَاقِطࣰا یَقُولُواْ سَحَابࣱ مَّرۡكُومࣱ ﴿٤٤﴾
और यदि वे आकाश से कोई टुकड़ा गिरता हुआ देख लें, तो कह देंगे कि यह परत दर परत बादल है।[14]
فَذَرۡهُمۡ حَتَّىٰ یُلَـٰقُواْ یَوۡمَهُمُ ٱلَّذِی فِیهِ یُصۡعَقُونَ ﴿٤٥﴾
अतः आप उन्हें छोड़ दें, यहाँ तक कि वे अपने उस दिन को जा मिलें, जिसमें[15] वे बेहोश किए जाएँगे।
یَوۡمَ لَا یُغۡنِی عَنۡهُمۡ كَیۡدُهُمۡ شَیۡـࣰٔا وَلَا هُمۡ یُنصَرُونَ ﴿٤٦﴾
जिस दिन न तो उनकी चाल काम आएगी और न उनकी सहायता की जाएगी।
وَإِنَّ لِلَّذِینَ ظَلَمُواْ عَذَابࣰا دُونَ ذَ ٰلِكَ وَلَـٰكِنَّ أَكۡثَرَهُمۡ لَا یَعۡلَمُونَ ﴿٤٧﴾
तथा निश्चय उन लोगों के लिए जिन्होंने अत्याचार किया, उस (आख़िरत) से पहले भी एक यातना[16] है। परंतु उनमें से अक्सर लोग नहीं जानते।
وَٱصۡبِرۡ لِحُكۡمِ رَبِّكَ فَإِنَّكَ بِأَعۡیُنِنَاۖ وَسَبِّحۡ بِحَمۡدِ رَبِّكَ حِینَ تَقُومُ ﴿٤٨﴾
और (ऐ नबी!) आप अपने पालनहार का आदेश आने तक धैर्य रखें। निःसंदेह आप हमारी आँखों के सामने हैं। तथा जब आप उठें, तो अपने रब की प्रशंसा के साथ उसकी पवित्रता बयान करें।