مَا ضَلَّ صَاحِبُكُمۡ وَمَا غَوَىٰ ﴿٢﴾
तुम्हारा साथी न तो रास्ते से भटका है और न ही गलत रास्ते पर चला है।
عَلَّمَهُۥ شَدِیدُ ٱلۡقُوَىٰ ﴿٥﴾
उसे बहुत मज़ूबत शक्तियों वाले (फ़रिश्ते)[1] ने सिखाया है।
فَأَوۡحَىٰۤ إِلَىٰ عَبۡدِهِۦ مَاۤ أَوۡحَىٰ ﴿١٠﴾
फिर उसने अल्लाह के बंदे[2] की ओर वह़्य की, जो भी वह़्य की।
وَلَقَدۡ رَءَاهُ نَزۡلَةً أُخۡرَىٰ ﴿١٣﴾
हालाँकि, निश्चित रूप से उसने उसे एक और बार उतरते हुए भी देखा है।
عِندَ سِدۡرَةِ ٱلۡمُنتَهَىٰ ﴿١٤﴾
सिदरतुल-मुनतहा'[3] के पास।
إِذۡ یَغۡشَى ٱلسِّدۡرَةَ مَا یَغۡشَىٰ ﴿١٦﴾
जब सिदरा पर छा रहा था, जो कुछ छा रहा था।[4]
لَقَدۡ رَأَىٰ مِنۡ ءَایَـٰتِ رَبِّهِ ٱلۡكُبۡرَىٰۤ ﴿١٨﴾
निःसंदेह उसने अपने पालनहार की कुछ बहुत बड़ी निशानियाँ[5] देखीं।
وَمَنَوٰةَ ٱلثَّالِثَةَ ٱلۡأُخۡرَىٰۤ ﴿٢٠﴾
तथा तीसरी एक और (मूर्ति) मनात को?[6]
أَلَكُمُ ٱلذَّكَرُ وَلَهُ ٱلۡأُنثَىٰ ﴿٢١﴾
क्या तुम्हारे लिए पुत्र हैं और उस (अल्लाह) के लिए पुत्रियाँ?
إِنۡ هِیَ إِلَّاۤ أَسۡمَاۤءࣱ سَمَّیۡتُمُوهَاۤ أَنتُمۡ وَءَابَاۤؤُكُم مَّاۤ أَنزَلَ ٱللَّهُ بِهَا مِن سُلۡطَـٰنٍۚ إِن یَتَّبِعُونَ إِلَّا ٱلظَّنَّ وَمَا تَهۡوَى ٱلۡأَنفُسُۖ وَلَقَدۡ جَاۤءَهُم مِّن رَّبِّهِمُ ٱلۡهُدَىٰۤ ﴿٢٣﴾
ये (मूर्तियाँ) कुछ नामों के सिवा कुछ भी नहीं हैं, जो तुमने तथा तुम्हारे बाप-दादा ने रख लिए हैं। अल्लाह ने इनका कोई प्रमाण नहीं उतारा है। ये लोग केवल अटकल[7] के और उन चीज़ों के पीछे चल रहे हैं जो उनके दिल चाहते हैं। जबकि निःसंदेह उनके पास उनके पालनहार की ओर से मार्गदर्शन आ चुका है।
فَلِلَّهِ ٱلۡـَٔاخِرَةُ وَٱلۡأُولَىٰ ﴿٢٥﴾
(नहीं, ऐसा नहीं है) क्योंकि आख़िरत और दुनिया अल्लाह ही के अधिकार में है।
۞ وَكَم مِّن مَّلَكࣲ فِی ٱلسَّمَـٰوَ ٰتِ لَا تُغۡنِی شَفَـٰعَتُهُمۡ شَیۡـًٔا إِلَّا مِنۢ بَعۡدِ أَن یَأۡذَنَ ٱللَّهُ لِمَن یَشَاۤءُ وَیَرۡضَىٰۤ ﴿٢٦﴾
और आकाशों में कितने ही फ़रिश्ते हैं कि उनकी सिफ़ारिश कुछ लाभ नहीं देती, परंतु इसके पश्चात कि अल्लाह अनुमति दे जिसके लिए चाहे तथा (जिसे) पसंद करे।[8]
إِنَّ ٱلَّذِینَ لَا یُؤۡمِنُونَ بِٱلۡـَٔاخِرَةِ لَیُسَمُّونَ ٱلۡمَلَـٰۤىِٕكَةَ تَسۡمِیَةَ ٱلۡأُنثَىٰ ﴿٢٧﴾
निःसंदेह वे लोग जो आख़िरत पर ईमान नहीं रखते, निश्चय वे फ़रिश्तों के नाम औरतों के नामों की तरह रखते हैं।
وَمَا لَهُم بِهِۦ مِنۡ عِلۡمٍۖ إِن یَتَّبِعُونَ إِلَّا ٱلظَّنَّۖ وَإِنَّ ٱلظَّنَّ لَا یُغۡنِی مِنَ ٱلۡحَقِّ شَیۡـࣰٔا ﴿٢٨﴾
हालाँकि उन्हें इसके बारे में कोई ज्ञान नहीं। वे केवल अनुमान के पीछे चल रहे हैं। और निःसंदेह अनुमान सच्चाई की तुलना में किसी काम नहीं आता।
فَأَعۡرِضۡ عَن مَّن تَوَلَّىٰ عَن ذِكۡرِنَا وَلَمۡ یُرِدۡ إِلَّا ٱلۡحَیَوٰةَ ٱلدُّنۡیَا ﴿٢٩﴾
अतः आप उससे मुँह फेर लें, जिसने हमारी नसीहत से मुँह मोड़ लिया और जिसने दुनिया के जीवन के सिवा कुछ नहीं चाहा।
ذَ ٰلِكَ مَبۡلَغُهُم مِّنَ ٱلۡعِلۡمِۚ إِنَّ رَبَّكَ هُوَ أَعۡلَمُ بِمَن ضَلَّ عَن سَبِیلِهِۦ وَهُوَ أَعۡلَمُ بِمَنِ ٱهۡتَدَىٰ ﴿٣٠﴾
यही उनके ज्ञान की सीमा है। निश्चित रूप से आपका पालनहार ही उसे अधिक जानने वाला है, जो उसके मार्ग से भटक गया और वही उसे भी ज़्यादा जानने वाला है, जो सीधे मार्ग पर चला।
وَلِلَّهِ مَا فِی ٱلسَّمَـٰوَ ٰتِ وَمَا فِی ٱلۡأَرۡضِ لِیَجۡزِیَ ٱلَّذِینَ أَسَـٰۤـُٔواْ بِمَا عَمِلُواْ وَیَجۡزِیَ ٱلَّذِینَ أَحۡسَنُواْ بِٱلۡحُسۡنَى ﴿٣١﴾
तथा जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है, सब अल्लाह ही का है, ताकि वह बुराई करने वालों को उनके किए का बदला दे, और भलाई करने वालों को अच्छा बदला दे।
ٱلَّذِینَ یَجۡتَنِبُونَ كَبَـٰۤىِٕرَ ٱلۡإِثۡمِ وَٱلۡفَوَ ٰحِشَ إِلَّا ٱللَّمَمَۚ إِنَّ رَبَّكَ وَ ٰسِعُ ٱلۡمَغۡفِرَةِۚ هُوَ أَعۡلَمُ بِكُمۡ إِذۡ أَنشَأَكُم مِّنَ ٱلۡأَرۡضِ وَإِذۡ أَنتُمۡ أَجِنَّةࣱ فِی بُطُونِ أُمَّهَـٰتِكُمۡۖ فَلَا تُزَكُّوۤاْ أَنفُسَكُمۡۖ هُوَ أَعۡلَمُ بِمَنِ ٱتَّقَىٰۤ ﴿٣٢﴾
वे लोग जो बड़े गुनाहों तथा अश्लील कार्यों[9] से दूर रहते हैं, सिवाय कुछ छोटे गुनाहों के। निःसंदेह आपका पालनहार बड़ा क्षमा करने वाला है। वह तुम्हें अधिक जानने वाला है जब उसने तुम्हें धरती[10] से पैदा किया और जब तुम अपनी माँओं के पेटों में बच्चे थे। अतः अपनी पवित्रता का दावा मत करो, वह उसे ज़्यादा जानने वाला है जो वास्तव में परहेज़गार है।
أَعِندَهُۥ عِلۡمُ ٱلۡغَیۡبِ فَهُوَ یَرَىٰۤ ﴿٣٥﴾
क्या उसके पास परोक्ष का ज्ञान है? अतः वह देख रहा है।[11]
أَمۡ لَمۡ یُنَبَّأۡ بِمَا فِی صُحُفِ مُوسَىٰ ﴿٣٦﴾
या उसे उन बातों की सूचना नहीं दी गई, जो मूसा के ग्रंथों में हैं?
وَأَن لَّیۡسَ لِلۡإِنسَـٰنِ إِلَّا مَا سَعَىٰ ﴿٣٩﴾
और यह कि मनुष्य के लिए केवल वही है, जिसके लिए उसने प्रयास किया।
وَأَنَّهُۥ خَلَقَ ٱلزَّوۡجَیۡنِ ٱلذَّكَرَ وَٱلۡأُنثَىٰ ﴿٤٥﴾
और यह कि निःसंदेह उसी ने दो प्रकार : नर और मादा पैदा किए।
وَأَنَّ عَلَیۡهِ ٱلنَّشۡأَةَ ٱلۡأُخۡرَىٰ ﴿٤٧﴾
और यह कि निःसंदेह उसी के ज़िम्मे दूसरी बार[12] पैदा करना है।
وَأَنَّهُۥ هُوَ رَبُّ ٱلشِّعۡرَىٰ ﴿٤٩﴾
और यह कि निःसंदेह वही ''शे'रा'' [13] का रब है।
وَأَنَّهُۥۤ أَهۡلَكَ عَادًا ٱلۡأُولَىٰ ﴿٥٠﴾
और यह कि निःसंदेह उसी ने प्रथम 'आद' [14] को विनष्ट किया।
وَقَوۡمَ نُوحࣲ مِّن قَبۡلُۖ إِنَّهُمۡ كَانُواْ هُمۡ أَظۡلَمَ وَأَطۡغَىٰ ﴿٥٢﴾
तथा इनसे पहले नूह़ की जाति को। निःसंदेह वे बहुत ही ज़ालिम और बड़े ही सरकश थे।
وَٱلۡمُؤۡتَفِكَةَ أَهۡوَىٰ ﴿٥٣﴾
और उलट जाने वाली बस्ती[15] को उसने उठाकर धरती पर दे मारा।
فَغَشَّىٰهَا مَا غَشَّىٰ ﴿٥٤﴾
तो ढाँप दिया[16] उसे जिस चीज़ से ढाँपा।
فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكَ تَتَمَارَىٰ ﴿٥٥﴾
तो (ऐ इनसान!) तू अपने पालनहार की ने'मतों में से किस-किस में संदेह करेगा?
هَـٰذَا نَذِیرࣱ مِّنَ ٱلنُّذُرِ ٱلۡأُولَىٰۤ ﴿٥٦﴾
यह[17] पहले डराने वालों में से एक डराने वाला है।
فَٱسۡجُدُواْ لِلَّهِ وَٱعۡبُدُواْ ۩ ﴿٦٢﴾
अतः अल्लाह को सजदा करो और उसी की इबादत[18] करो।