Surah सूरा अन्-नज्म - An-Najm

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Surah सूरा अन्-नज्म - An-Najm - Aya count 62

وَٱلنَّجۡمِ إِذَا هَوَىٰ ﴿١﴾

क़सम है तारे की जब वह गिरे!


Arabic explanations of the Qur’an:

مَا ضَلَّ صَاحِبُكُمۡ وَمَا غَوَىٰ ﴿٢﴾

तुम्हारा साथी न तो रास्ते से भटका है और न ही गलत रास्ते पर चला है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَمَا یَنطِقُ عَنِ ٱلۡهَوَىٰۤ ﴿٣﴾

और न वह अपनी इच्छा से बोलता है।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنۡ هُوَ إِلَّا وَحۡیࣱ یُوحَىٰ ﴿٤﴾

वह तो केवल वह़्य है, जो उतारी जाती है।


Arabic explanations of the Qur’an:

عَلَّمَهُۥ شَدِیدُ ٱلۡقُوَىٰ ﴿٥﴾

उसे बहुत मज़ूबत शक्तियों वाले (फ़रिश्ते)[1] ने सिखाया है।

1. इससे अभिप्राय जिबरील (अलैहिस्सलाम) हैं, जो वह़्य लाते थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

ذُو مِرَّةࣲ فَٱسۡتَوَىٰ ﴿٦﴾

जो बड़ा बलशाली है। फिर वह बुलंद हुआ (अपने असली रूप में प्रकट हुआ)।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَهُوَ بِٱلۡأُفُقِ ٱلۡأَعۡلَىٰ ﴿٧﴾

जबकि वह आकाश के सबसे ऊँचे क्षितिज (पूर्वी किनारे) पर था।


Arabic explanations of the Qur’an:

ثُمَّ دَنَا فَتَدَلَّىٰ ﴿٨﴾

फिर वह निकट हुआ और उतर आया।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَكَانَ قَابَ قَوۡسَیۡنِ أَوۡ أَدۡنَىٰ ﴿٩﴾

फिर वह दो धनुषों की दूरी पर था, या उससे भी निकट।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَأَوۡحَىٰۤ إِلَىٰ عَبۡدِهِۦ مَاۤ أَوۡحَىٰ ﴿١٠﴾

फिर उसने अल्लाह के बंदे[2] की ओर वह़्य की, जो भी वह़्य की।

2. अर्थात मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की ओर। इन आयतों में नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के जिबरील (फरिश्ते) को उनके वास्तविक रूप में दो बार देखने का वर्णन है। आयशा (रज़ियल्लाहु अन्हा) ने कहा : जो कहे कि मुह़म्मद (सल्लल्लहु अलैहि व सल्लम) ने अल्लाह को देखा है, तो वह झूठा है। और जो कहे कि आप कल (भविष्य) की बात जानते थे, तो वह झूठा है। तथा जो कहे कि आप ने धर्म की कुछ बातें छिपा लीं, तो वह झूठा है। किंतु आपने जिबरील (अलैहिस्सलाम) को उनके रूप में दो बार देखा। (बुख़ारी : 4855) इब्ने मसऊद ने कहा कि आपने जिबरील को देखा जिनके छह सौ पंख थे। (बुख़ारी : 4856)


Arabic explanations of the Qur’an:

مَا كَذَبَ ٱلۡفُؤَادُ مَا رَأَىٰۤ ﴿١١﴾

दिल ने झूठ नहीं बोला, जो कुछ उसने देखा।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَفَتُمَـٰرُونَهُۥ عَلَىٰ مَا یَرَىٰ ﴿١٢﴾

फिर क्या तुम उससे उसपर झगड़ते हो, जो वह देखता है?


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَقَدۡ رَءَاهُ نَزۡلَةً أُخۡرَىٰ ﴿١٣﴾

हालाँकि, निश्चित रूप से उसने उसे एक और बार उतरते हुए भी देखा है।


Arabic explanations of the Qur’an:

عِندَ سِدۡرَةِ ٱلۡمُنتَهَىٰ ﴿١٤﴾

सिदरतुल-मुनतहा'[3] के पास।

3. 'सिदरतुल मुनतहा', यह छठे या सातवें आकाश पर बैरी का एक वृक्ष है। जिस तक धरती की चीज़ पहुँचती है। तथा ऊपर की चीज़ उतरती है। (सह़ीह़ मुस्लिम : 173)


Arabic explanations of the Qur’an:

عِندَهَا جَنَّةُ ٱلۡمَأۡوَىٰۤ ﴿١٥﴾

उसी के पास 'जन्नतुल मावा' (शाश्वत स्वर्ग) है।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِذۡ یَغۡشَى ٱلسِّدۡرَةَ مَا یَغۡشَىٰ ﴿١٦﴾

जब सिदरा पर छा रहा था, जो कुछ छा रहा था।[4]

4. ह़दीस में है कि वह सोने के पतिंगे थे। (सह़ीह़ मुस्लिम : 173)


Arabic explanations of the Qur’an:

مَا زَاغَ ٱلۡبَصَرُ وَمَا طَغَىٰ ﴿١٧﴾

न निगाह इधर-उधर हुई और न सीमा से आगे बढ़ी।


Arabic explanations of the Qur’an:

لَقَدۡ رَأَىٰ مِنۡ ءَایَـٰتِ رَبِّهِ ٱلۡكُبۡرَىٰۤ ﴿١٨﴾

निःसंदेह उसने अपने पालनहार की कुछ बहुत बड़ी निशानियाँ[5] देखीं।

5. इसमें मे'राज की रात आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के आकाशों में अल्लाह की निशानियाँ देखने का वर्णन है।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَفَرَءَیۡتُمُ ٱللَّـٰتَ وَٱلۡعُزَّىٰ ﴿١٩﴾

फिर क्या तुमने लात और उज़्ज़ा को देखा।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَمَنَوٰةَ ٱلثَّالِثَةَ ٱلۡأُخۡرَىٰۤ ﴿٢٠﴾

तथा तीसरी एक और (मूर्ति) मनात को?[6]

6. लात, उज़्ज़ा और मनात ये तीनों मक्का के मुश्रिकों की देवियों के नाम हैं। और अर्थ यह है कि क्या इनकी भी कोई वास्तविकता है?


Arabic explanations of the Qur’an:

أَلَكُمُ ٱلذَّكَرُ وَلَهُ ٱلۡأُنثَىٰ ﴿٢١﴾

क्या तुम्हारे लिए पुत्र हैं और उस (अल्लाह) के लिए पुत्रियाँ?


Arabic explanations of the Qur’an:

تِلۡكَ إِذࣰا قِسۡمَةࣱ ضِیزَىٰۤ ﴿٢٢﴾

तब तो यह बड़ा अन्यायपूर्ण बँटवारा है।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنۡ هِیَ إِلَّاۤ أَسۡمَاۤءࣱ سَمَّیۡتُمُوهَاۤ أَنتُمۡ وَءَابَاۤؤُكُم مَّاۤ أَنزَلَ ٱللَّهُ بِهَا مِن سُلۡطَـٰنٍۚ إِن یَتَّبِعُونَ إِلَّا ٱلظَّنَّ وَمَا تَهۡوَى ٱلۡأَنفُسُۖ وَلَقَدۡ جَاۤءَهُم مِّن رَّبِّهِمُ ٱلۡهُدَىٰۤ ﴿٢٣﴾

ये (मूर्तियाँ) कुछ नामों के सिवा कुछ भी नहीं हैं, जो तुमने तथा तुम्हारे बाप-दादा ने रख लिए हैं। अल्लाह ने इनका कोई प्रमाण नहीं उतारा है। ये लोग केवल अटकल[7] के और उन चीज़ों के पीछे चल रहे हैं जो उनके दिल चाहते हैं। जबकि निःसंदेह उनके पास उनके पालनहार की ओर से मार्गदर्शन आ चुका है।

7. मुश्रिक अपनी मूर्तियों को अल्लाह की पुत्रियाँ कहकर उनकी पूजा करते थे, जिसका यहाँ खंडन किया जा रहा है।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَمۡ لِلۡإِنسَـٰنِ مَا تَمَنَّىٰ ﴿٢٤﴾

क्या मनुष्य को वह मिल जाएगा, जिसकी वह कामना करे?


Arabic explanations of the Qur’an:

فَلِلَّهِ ٱلۡـَٔاخِرَةُ وَٱلۡأُولَىٰ ﴿٢٥﴾

(नहीं, ऐसा नहीं है) क्योंकि आख़िरत और दुनिया अल्लाह ही के अधिकार में है।


Arabic explanations of the Qur’an:

۞ وَكَم مِّن مَّلَكࣲ فِی ٱلسَّمَـٰوَ ٰ⁠تِ لَا تُغۡنِی شَفَـٰعَتُهُمۡ شَیۡـًٔا إِلَّا مِنۢ بَعۡدِ أَن یَأۡذَنَ ٱللَّهُ لِمَن یَشَاۤءُ وَیَرۡضَىٰۤ ﴿٢٦﴾

और आकाशों में कितने ही फ़रिश्ते हैं कि उनकी सिफ़ारिश कुछ लाभ नहीं देती, परंतु इसके पश्चात कि अल्लाह अनुमति दे जिसके लिए चाहे तथा (जिसे) पसंद करे।[8]

8. अरब के मुश्रिक यह समझते थे कि यदि हम फ़रिश्तों की पूजा करेंगे, तो वे अल्लाह से सिफ़ारिश करके हमें यातना से मुक्त करा देंगे। इसी का खंडन यहाँ किया जा रहा है।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّ ٱلَّذِینَ لَا یُؤۡمِنُونَ بِٱلۡـَٔاخِرَةِ لَیُسَمُّونَ ٱلۡمَلَـٰۤىِٕكَةَ تَسۡمِیَةَ ٱلۡأُنثَىٰ ﴿٢٧﴾

निःसंदेह वे लोग जो आख़िरत पर ईमान नहीं रखते, निश्चय वे फ़रिश्तों के नाम औरतों के नामों की तरह रखते हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَمَا لَهُم بِهِۦ مِنۡ عِلۡمٍۖ إِن یَتَّبِعُونَ إِلَّا ٱلظَّنَّۖ وَإِنَّ ٱلظَّنَّ لَا یُغۡنِی مِنَ ٱلۡحَقِّ شَیۡـࣰٔا ﴿٢٨﴾

हालाँकि उन्हें इसके बारे में कोई ज्ञान नहीं। वे केवल अनुमान के पीछे चल रहे हैं। और निःसंदेह अनुमान सच्चाई की तुलना में किसी काम नहीं आता।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَأَعۡرِضۡ عَن مَّن تَوَلَّىٰ عَن ذِكۡرِنَا وَلَمۡ یُرِدۡ إِلَّا ٱلۡحَیَوٰةَ ٱلدُّنۡیَا ﴿٢٩﴾

अतः आप उससे मुँह फेर लें, जिसने हमारी नसीहत से मुँह मोड़ लिया और जिसने दुनिया के जीवन के सिवा कुछ नहीं चाहा।


Arabic explanations of the Qur’an:

ذَ ٰ⁠لِكَ مَبۡلَغُهُم مِّنَ ٱلۡعِلۡمِۚ إِنَّ رَبَّكَ هُوَ أَعۡلَمُ بِمَن ضَلَّ عَن سَبِیلِهِۦ وَهُوَ أَعۡلَمُ بِمَنِ ٱهۡتَدَىٰ ﴿٣٠﴾

यही उनके ज्ञान की सीमा है। निश्चित रूप से आपका पालनहार ही उसे अधिक जानने वाला है, जो उसके मार्ग से भटक गया और वही उसे भी ज़्यादा जानने वाला है, जो सीधे मार्ग पर चला।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلِلَّهِ مَا فِی ٱلسَّمَـٰوَ ٰ⁠تِ وَمَا فِی ٱلۡأَرۡضِ لِیَجۡزِیَ ٱلَّذِینَ أَسَـٰۤـُٔواْ بِمَا عَمِلُواْ وَیَجۡزِیَ ٱلَّذِینَ أَحۡسَنُواْ بِٱلۡحُسۡنَى ﴿٣١﴾

तथा जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है, सब अल्लाह ही का है, ताकि वह बुराई करने वालों को उनके किए का बदला दे, और भलाई करने वालों को अच्छा बदला दे।


Arabic explanations of the Qur’an:

ٱلَّذِینَ یَجۡتَنِبُونَ كَبَـٰۤىِٕرَ ٱلۡإِثۡمِ وَٱلۡفَوَ ٰ⁠حِشَ إِلَّا ٱللَّمَمَۚ إِنَّ رَبَّكَ وَ ٰ⁠سِعُ ٱلۡمَغۡفِرَةِۚ هُوَ أَعۡلَمُ بِكُمۡ إِذۡ أَنشَأَكُم مِّنَ ٱلۡأَرۡضِ وَإِذۡ أَنتُمۡ أَجِنَّةࣱ فِی بُطُونِ أُمَّهَـٰتِكُمۡۖ فَلَا تُزَكُّوۤاْ أَنفُسَكُمۡۖ هُوَ أَعۡلَمُ بِمَنِ ٱتَّقَىٰۤ ﴿٣٢﴾

वे लोग जो बड़े गुनाहों तथा अश्लील कार्यों[9] से दूर रहते हैं, सिवाय कुछ छोटे गुनाहों के। निःसंदेह आपका पालनहार बड़ा क्षमा करने वाला है। वह तुम्हें अधिक जानने वाला है जब उसने तुम्हें धरती[10] से पैदा किया और जब तुम अपनी माँओं के पेटों में बच्चे थे। अतः अपनी पवित्रता का दावा मत करो, वह उसे ज़्यादा जानने वाला है जो वास्तव में परहेज़गार है।

9. इससे अभिप्राय अश्लीलता पर आधारित कुकर्म हैं। जैसे बाल-मैथुन, व्यभिचार, नारियों का अपने सौंदर्य का प्रदर्शन और पर्दे का त्याग, मिश्रित शिक्षा, मिश्रित सभाएँ, सौंदर्य की प्रतियोगिता आदि। जिसे आधुनिक युग में सभ्यता का नाम दिया जाता है। और मुस्लिम समाज भी इससे प्रभावित हो रहा है। ह़दीस में है कि सात विनाशकारी कर्मों से बचो : 1- अल्लाह का साझी बनाने से। 2- जादू करना। 3- अकारण जान मारना। 4- मदिरा पीना। 5- अनाथ का धन खाना। 6- युद्ध के दिन भागना। 7- तथा भोली-भाली पवित्र स्त्री को कलंक लगाना। (सह़ीह़ बुख़ारी : 2766, मुस्लिम : 89) 10. अर्थात तुम्हारे मूल आदम (अलैहिस्सलाम) को।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَفَرَءَیۡتَ ٱلَّذِی تَوَلَّىٰ ﴿٣٣﴾

फिर क्या आपने उसे देखा जिसने मुँह फेर लिया?


Arabic explanations of the Qur’an:

وَأَعۡطَىٰ قَلِیلࣰا وَأَكۡدَىٰۤ ﴿٣٤﴾

और थोड़ा-सा दिया फिर रोक लिया।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَعِندَهُۥ عِلۡمُ ٱلۡغَیۡبِ فَهُوَ یَرَىٰۤ ﴿٣٥﴾

क्या उसके पास परोक्ष का ज्ञान है? अतः वह देख रहा है।[11]

11. इस आयत में जो परंपरागत धर्म को मोक्ष का साधन समझता है उससे कहा जा रहा है कि क्या वह जानता है कि प्रलय के दिन इतने ही से सफल हो जाएगा? जबकि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) वह़्य के आधार पर जो प्रस्तुत कर रहे हैं, वही सत्य है। और अल्लाह की वह़्य ही परोक्ष के ज्ञान का साधन है।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَمۡ لَمۡ یُنَبَّأۡ بِمَا فِی صُحُفِ مُوسَىٰ ﴿٣٦﴾

या उसे उन बातों की सूचना नहीं दी गई, जो मूसा के ग्रंथों में हैं?


Arabic explanations of the Qur’an:

وَإِبۡرَ ٰ⁠هِیمَ ٱلَّذِی وَفَّىٰۤ ﴿٣٧﴾

और इबराहीम के (ग्रंथों में), जिसने (कर्तव्य) पूरा किया।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَلَّا تَزِرُ وَازِرَةࣱ وِزۡرَ أُخۡرَىٰ ﴿٣٨﴾

कि कोई बोझ उठाने वाला किसी दूसरे का बोझ नहीं उठाएगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَأَن لَّیۡسَ لِلۡإِنسَـٰنِ إِلَّا مَا سَعَىٰ ﴿٣٩﴾

और यह कि मनुष्य के लिए केवल वही है, जिसके लिए उसने प्रयास किया।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَأَنَّ سَعۡیَهُۥ سَوۡفَ یُرَىٰ ﴿٤٠﴾

और यह कि निश्चय उसका प्रयास शीघ्र ही देखा जाएगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

ثُمَّ یُجۡزَىٰهُ ٱلۡجَزَاۤءَ ٱلۡأَوۡفَىٰ ﴿٤١﴾

फिर उसे उसका पूरा प्रतिफल दिया जाएगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَأَنَّ إِلَىٰ رَبِّكَ ٱلۡمُنتَهَىٰ ﴿٤٢﴾

और यह कि निःसंदेह आपके पालनहार ही की ओर अंततः पहुँचना है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَأَنَّهُۥ هُوَ أَضۡحَكَ وَأَبۡكَىٰ ﴿٤٣﴾

तथा यह कि निःसंदह वही है, जिसने हँसाया तथा रुलाया।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَأَنَّهُۥ هُوَ أَمَاتَ وَأَحۡیَا ﴿٤٤﴾

तथा यह कि निःसंदेह वही है, जिसने मृत्यु दी और जीवन दिया।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَأَنَّهُۥ خَلَقَ ٱلزَّوۡجَیۡنِ ٱلذَّكَرَ وَٱلۡأُنثَىٰ ﴿٤٥﴾

और यह कि निःसंदेह उसी ने दो प्रकार : नर और मादा पैदा किए।


Arabic explanations of the Qur’an:

مِن نُّطۡفَةٍ إِذَا تُمۡنَىٰ ﴿٤٦﴾

एक बूँद से, जब वह टपकाई जाती है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَأَنَّ عَلَیۡهِ ٱلنَّشۡأَةَ ٱلۡأُخۡرَىٰ ﴿٤٧﴾

और यह कि निःसंदेह उसी के ज़िम्मे दूसरी बार[12] पैदा करना है।

12. अर्थात प्रलय के दिन प्रतिफल प्रदान करने के लिए।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَأَنَّهُۥ هُوَ أَغۡنَىٰ وَأَقۡنَىٰ ﴿٤٨﴾

और यह कि निःसंदेह उसी ने धनी बनाया और कोष प्रदान किया।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَأَنَّهُۥ هُوَ رَبُّ ٱلشِّعۡرَىٰ ﴿٤٩﴾

और यह कि निःसंदेह वही ''शे'रा'' [13] का रब है।

13. शे'रा एक तारे का नाम है। जिसकी पूजा कुछ अरब के लोग किया करते थे। (इब्ने कसीर) अर्थ यह है कि यह तारा पूज्य नहीं, वास्तविक पूज्य उसका स्वामी अल्लाह है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَأَنَّهُۥۤ أَهۡلَكَ عَادًا ٱلۡأُولَىٰ ﴿٥٠﴾

और यह कि निःसंदेह उसी ने प्रथम 'आद' [14] को विनष्ट किया।

14. यह हूद (अलैहिस्सलाम) की जाति थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَثَمُودَاْ فَمَاۤ أَبۡقَىٰ ﴿٥١﴾

तथा समूद को, फिर (किसी को) बाक़ी न छोड़ा।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَقَوۡمَ نُوحࣲ مِّن قَبۡلُۖ إِنَّهُمۡ كَانُواْ هُمۡ أَظۡلَمَ وَأَطۡغَىٰ ﴿٥٢﴾

तथा इनसे पहले नूह़ की जाति को। निःसंदेह वे बहुत ही ज़ालिम और बड़े ही सरकश थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلۡمُؤۡتَفِكَةَ أَهۡوَىٰ ﴿٥٣﴾

और उलट जाने वाली बस्ती[15] को उसने उठाकर धरती पर दे मारा।

15. अर्थात लूत अलैहिस्सलमा की जाति कि बस्तियों को।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَغَشَّىٰهَا مَا غَشَّىٰ ﴿٥٤﴾

तो ढाँप दिया[16] उसे जिस चीज़ से ढाँपा।

16. अर्थात पत्थरों की वर्षा करके उससे उनकी बस्ती को ढाँप दिया।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكَ تَتَمَارَىٰ ﴿٥٥﴾

तो (ऐ इनसान!) तू अपने पालनहार की ने'मतों में से किस-किस में संदेह करेगा?


Arabic explanations of the Qur’an:

هَـٰذَا نَذِیرࣱ مِّنَ ٱلنُّذُرِ ٱلۡأُولَىٰۤ ﴿٥٦﴾

यह[17] पहले डराने वालों में से एक डराने वाला है।

17. अर्थात मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) भी एक रसूल हैं प्रथम रसूलों के समान।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَزِفَتِ ٱلۡـَٔازِفَةُ ﴿٥٧﴾

निकट आने वाली निकट आ गई।


Arabic explanations of the Qur’an:

لَیۡسَ لَهَا مِن دُونِ ٱللَّهِ كَاشِفَةٌ ﴿٥٨﴾

जिसे अल्लाह के सिवा कोई हटाने वाला नहीं।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَفَمِنۡ هَـٰذَا ٱلۡحَدِیثِ تَعۡجَبُونَ ﴿٥٩﴾

तो क्या तुम इस बात पर आश्चर्य करते हो?


Arabic explanations of the Qur’an:

وَتَضۡحَكُونَ وَلَا تَبۡكُونَ ﴿٦٠﴾

तथा हँसते हो और रोते नहीं हो?


Arabic explanations of the Qur’an:

وَأَنتُمۡ سَـٰمِدُونَ ﴿٦١﴾

तथा तुम ग़ाफ़िल हो!


Arabic explanations of the Qur’an:

فَٱسۡجُدُواْ لِلَّهِ وَٱعۡبُدُواْ ۩ ﴿٦٢﴾

अतः अल्लाह को सजदा करो और उसी की इबादत[18] करो।

18. ह़दीस में है कि जब सजदे की प्रथम सूरत "नज्म" उतरी, तो नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) और जो आपके पास थे, सब ने सजदा किया, एक व्यक्ति के सिवा। उसने कुछ धूल ली, और उसपर सज्दा किया। तो मैंने इसके पश्चात् देखा कि वह काफ़िर रहते हुए मारा गया। और वह उमय्या बिन ख़लफ़ है। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4863)


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