Surah सूरा अल्-क़मर - Al-Qamar

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Surah सूरा अल्-क़मर - Al-Qamar - Aya count 55

ٱقۡتَرَبَتِ ٱلسَّاعَةُ وَٱنشَقَّ ٱلۡقَمَرُ ﴿١﴾

क़ियामत बहुत निकट आ गई[1] और चाँद फट गया।

1. आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से मक्का वासियों ने माँग की कि आप कोई चमत्कार दिखाएँ। अतः आपने चाँद को दो भाग होते उन्हें दिखा दिया। (बुख़ारी : 4867) आदरणीय अब्दुल्लाह बिन मस्ऊद कहते हैं कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के युग में चाँद दो खंड हो गया : एक खंड पर्वत के ऊपर और दूसरा उसके नीचे। और आपने कहा : तुम सभी गवाह रहो। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4864)


Arabic explanations of the Qur’an:

وَإِن یَرَوۡاْ ءَایَةࣰ یُعۡرِضُواْ وَیَقُولُواْ سِحۡرࣱ مُّسۡتَمِرࣱّ ﴿٢﴾

और यदि वे कोई निशानी देखते हैं, तो मुँह फेर लेते हैं और कहते हैं कि (यह) एक जादू है जो समाप्त हो जाने वाला है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَكَذَّبُواْ وَٱتَّبَعُوۤاْ أَهۡوَاۤءَهُمۡۚ وَكُلُّ أَمۡرࣲ مُّسۡتَقِرࣱّ ﴿٣﴾

उन्होंने झुठलाया और अपनी इच्छाओं का पालन किया और प्रत्येक कार्य का एक निश्चित समय है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَقَدۡ جَاۤءَهُم مِّنَ ٱلۡأَنۢبَاۤءِ مَا فِیهِ مُزۡدَجَرٌ ﴿٤﴾

और निःसंदेह उनके पास ऐसी सूचनाएँ आ चुकी हैं, जिनमें डाँटडपट है।


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حِكۡمَةُۢ بَـٰلِغَةࣱۖ فَمَا تُغۡنِ ٱلنُّذُرُ ﴿٥﴾

पूर्णतया हिकमत है, फिर भी डरानेवाली चीज़ें काम नहीं आतीं।


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فَتَوَلَّ عَنۡهُمۡۘ یَوۡمَ یَدۡعُ ٱلدَّاعِ إِلَىٰ شَیۡءࣲ نُّكُرٍ ﴿٦﴾

अतः आप उनसे मुँह फेर लें, जिस दिन पुकारने वाला एक अप्रिय चीज़[2] की ओर पुकारेगा।

2. अर्थात प्रलय के दिन ह़िसाब के लिए।


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خُشَّعًا أَبۡصَـٰرُهُمۡ یَخۡرُجُونَ مِنَ ٱلۡأَجۡدَاثِ كَأَنَّهُمۡ جَرَادࣱ مُّنتَشِرࣱ ﴿٧﴾

उनकी आँखें झुकी होंगी। वे कब्रों से ऐसे निकलेंगे, जैसे वे बिखरी हुई टिड्डियाँ हों।


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مُّهۡطِعِینَ إِلَى ٱلدَّاعِۖ یَقُولُ ٱلۡكَـٰفِرُونَ هَـٰذَا یَوۡمٌ عَسِرࣱ ﴿٨﴾

वे बुलाने वाले की ओर तेज़ी से भाग रहे होंगे। काफ़िर कहेंगे : यह बड़ा कठिन दिन है।


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۞ كَذَّبَتۡ قَبۡلَهُمۡ قَوۡمُ نُوحࣲ فَكَذَّبُواْ عَبۡدَنَا وَقَالُواْ مَجۡنُونࣱ وَٱزۡدُجِرَ ﴿٩﴾

इनसे पहले नूह़ की जाति ने झुठलाया। तो उन्होंने हमारे बंदे को झुठलाया और कहा कि वह पागल है और उसे झिड़क दिया गया।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَدَعَا رَبَّهُۥۤ أَنِّی مَغۡلُوبࣱ فَٱنتَصِرۡ ﴿١٠﴾

तो उसने अपने पालनहार को पुकारा कि निःसंदेह मैं विवश हूँ, अतः तू बदला ले।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَفَتَحۡنَاۤ أَبۡوَ ٰ⁠بَ ٱلسَّمَاۤءِ بِمَاۤءࣲ مُّنۡهَمِرࣲ ﴿١١﴾

तो हमने ज़ोर से बरसने वाले पानी के साथ आकाश के द्वार खोल दिए।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَفَجَّرۡنَا ٱلۡأَرۡضَ عُیُونࣰا فَٱلۡتَقَى ٱلۡمَاۤءُ عَلَىٰۤ أَمۡرࣲ قَدۡ قُدِرَ ﴿١٢﴾

तथा हमने धरती को स्रोतों के साथ फाड़ दिया, तो सारा जल एक साथ मिल गया, उस कार्य के लिए जो नियत हो चुका था।


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وَحَمَلۡنَـٰهُ عَلَىٰ ذَاتِ أَلۡوَ ٰ⁠حࣲ وَدُسُرࣲ ﴿١٣﴾

और हमने उसे तख़्तों और कीलों वाली (नाव) पर सवार कर दिया।


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تَجۡرِی بِأَعۡیُنِنَا جَزَاۤءࣰ لِّمَن كَانَ كُفِرَ ﴿١٤﴾

जो हमारी आँखों के सामने चल रही थी, उसका बदला लेने के लिए जिसका इनकार किया गया था।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَقَد تَّرَكۡنَـٰهَاۤ ءَایَةࣰ فَهَلۡ مِن مُّدَّكِرࣲ ﴿١٥﴾

और निःसंदेह हमने उसे एक निशानी बनाकर छोड़ा, तो क्या है कोई उपदेश ग्रहण करने वाला?


Arabic explanations of the Qur’an:

فَكَیۡفَ كَانَ عَذَابِی وَنُذُرِ ﴿١٦﴾

फिर कैसी थी मेरी यातना तथा मेरा डराना?


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَقَدۡ یَسَّرۡنَا ٱلۡقُرۡءَانَ لِلذِّكۡرِ فَهَلۡ مِن مُّدَّكِرࣲ ﴿١٧﴾

और निःसंदेह हमने क़ुरआन को उपदेश ग्रहण करने के लिए आसान बना दिया, तो क्या है कोई उपदेश ग्रहण करने वाला?


Arabic explanations of the Qur’an:

كَذَّبَتۡ عَادࣱ فَكَیۡفَ كَانَ عَذَابِی وَنُذُرِ ﴿١٨﴾

आद ने (भी) झुठलाया। तो कैसी थी मेरी यातना तथा मेरा डराना?


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّاۤ أَرۡسَلۡنَا عَلَیۡهِمۡ رِیحࣰا صَرۡصَرࣰا فِی یَوۡمِ نَحۡسࣲ مُّسۡتَمِرࣲّ ﴿١٩﴾

निःसंदहे हमने एक निरंतर अशुभ दिन में उनपर एक तेज़ ठंडी हवा भेज दी।


Arabic explanations of the Qur’an:

تَنزِعُ ٱلنَّاسَ كَأَنَّهُمۡ أَعۡجَازُ نَخۡلࣲ مُّنقَعِرࣲ ﴿٢٠﴾

वह लोगों को ऐसे उखाड़ फेंकती थी, जैसे वे उखड़े हुए खजूर के तने हों।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَكَیۡفَ كَانَ عَذَابِی وَنُذُرِ ﴿٢١﴾

फिर कैसी थी मेरी यातना तथा मेरा डराना?


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَقَدۡ یَسَّرۡنَا ٱلۡقُرۡءَانَ لِلذِّكۡرِ فَهَلۡ مِن مُّدَّكِرࣲ ﴿٢٢﴾

और निःसंदेह हमने क़ुरआन को उपदेश ग्रहण करने के लिए आसान बना दिया, तो क्या है कोई उपदेश ग्रहण करने वाला?


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كَذَّبَتۡ ثَمُودُ بِٱلنُّذُرِ ﴿٢٣﴾

समूद[3] ने डराने वालों को झुठलाया।

3. यह सालेह (अलैहिस्सलाम) की जाति थी। उन्होंने उनसे चमत्कार की माँग की, तो अल्लाह ने पर्वत से एक ऊँटनी निकाल दी। फिर भी वे ईमान नहीं लाए। क्योंकि उनके विचार से अल्लाह का रसूल कोई मनुष्य नहीं, फ़रिश्ता होना चाहिए था। जैसाकि मक्का के मुश्रिकों का विचार था।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَقَالُوۤاْ أَبَشَرࣰا مِّنَّا وَ ٰ⁠حِدࣰا نَّتَّبِعُهُۥۤ إِنَّاۤ إِذࣰا لَّفِی ضَلَـٰلࣲ وَسُعُرٍ ﴿٢٤﴾

तो उन्होंने कहा : क्या हम अपने ही में से एक आदमी का अनुसरण करें? निश्चय ही हम उस समय बड़ी गुमराही और बावलेपन में होंगे।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَءُلۡقِیَ ٱلذِّكۡرُ عَلَیۡهِ مِنۢ بَیۡنِنَا بَلۡ هُوَ كَذَّابٌ أَشِرࣱ ﴿٢٥﴾

क्या यह उपदेश हमारे बीच में से उसी पर उतारा गया है? बल्कि वह बड़ा झूठा है, अहंकारी है।


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سَیَعۡلَمُونَ غَدࣰا مَّنِ ٱلۡكَذَّابُ ٱلۡأَشِرُ ﴿٢٦﴾

शीघ्र ही वे कल जान लेंगे कि बहुत झूठा, अहंकारी कौन है?


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إِنَّا مُرۡسِلُواْ ٱلنَّاقَةِ فِتۡنَةࣰ لَّهُمۡ فَٱرۡتَقِبۡهُمۡ وَٱصۡطَبِرۡ ﴿٢٧﴾

निःसंदेह हम यह ऊँटनी उनकी परीक्षा के लिए भेजने वाले हैं। अतः उनकी प्रतीक्षा करो और ख़ूब धैर्य रखो।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَنَبِّئۡهُمۡ أَنَّ ٱلۡمَاۤءَ قِسۡمَةُۢ بَیۡنَهُمۡۖ كُلُّ شِرۡبࣲ مُّحۡتَضَرࣱ ﴿٢٨﴾

और उन्हें सूचित कर दो कि पानी उनके बीच बाँट दिया गया है। पीने की प्रत्येक बारी[4] पर उपस्थित हुआ जाएगा।

4. अर्थात एक दिन जल स्रोत का पानी ऊँटनी पिएगी और एक दिन तुम सब।


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فَنَادَوۡاْ صَاحِبَهُمۡ فَتَعَاطَىٰ فَعَقَرَ ﴿٢٩﴾

तो उन्होंने अपने साथी को पुकारा। सो उसने (उसे) पकड़ा और उसका वध कर दिया।


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فَكَیۡفَ كَانَ عَذَابِی وَنُذُرِ ﴿٣٠﴾

फिर कैसी थी मेरी यातना तथा मेरा डराना?


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّاۤ أَرۡسَلۡنَا عَلَیۡهِمۡ صَیۡحَةࣰ وَ ٰ⁠حِدَةࣰ فَكَانُواْ كَهَشِیمِ ٱلۡمُحۡتَظِرِ ﴿٣١﴾

हमने उनपर एक ही चिंघाड़ भेजी, तो वे बाड़ लगाने वाले की रौंदी हुई बाड़ की तरह हो गए।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَقَدۡ یَسَّرۡنَا ٱلۡقُرۡءَانَ لِلذِّكۡرِ فَهَلۡ مِن مُّدَّكِرࣲ ﴿٣٢﴾

और निःसंदेह हमने क़ुरआन को उपदेश ग्रहण करने के लिए आसान बना दिया, तो क्या है कोई उपदेश ग्रहण करने वाला?


Arabic explanations of the Qur’an:

كَذَّبَتۡ قَوۡمُ لُوطِۭ بِٱلنُّذُرِ ﴿٣٣﴾

लूत की जाति ने डराने वालों को झुठला दिया।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّاۤ أَرۡسَلۡنَا عَلَیۡهِمۡ حَاصِبًا إِلَّاۤ ءَالَ لُوطࣲۖ نَّجَّیۡنَـٰهُم بِسَحَرࣲ ﴿٣٤﴾

निःसंदेह हमने उनपर पत्थर बरसाने वाली एक हवा भेजी, सिवाय लूत के घरवालों के। उन्हें हमने भोर से कुछ पहले ही बचा लिया।


Arabic explanations of the Qur’an:

نِّعۡمَةࣰ مِّنۡ عِندِنَاۚ كَذَ ٰ⁠لِكَ نَجۡزِی مَن شَكَرَ ﴿٣٥﴾

अपनी ओर से (विशेष) अनुग्रह करते हुए। इसी प्रकार हम उसे बदला देते हैं, जो धन्यवाद करे।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَقَدۡ أَنذَرَهُم بَطۡشَتَنَا فَتَمَارَوۡاْ بِٱلنُّذُرِ ﴿٣٦﴾

और निःसंदेह उसने उन्हें हमारी पकड़ से डराया, तो उन्होंने डराने में संदेह किया।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَقَدۡ رَ ٰ⁠وَدُوهُ عَن ضَیۡفِهِۦ فَطَمَسۡنَاۤ أَعۡیُنَهُمۡ فَذُوقُواْ عَذَابِی وَنُذُرِ ﴿٣٧﴾

और निःसंदेह उन्होंने उसे उसके अतिथियों से बहकाने[5] का प्रयास किया, तो हमने उनकी आँखें मेट दीं। अतः मेरी यातना और मेरी चेतावनी का मज़ा चखो।

5. अर्थात उन्होंने लूत (अलैहिस्सलाम) से अपने दुराचार के लिए फ़रिश्तों को, जो सुंदर युवकों के रूप में आए थे, अपने सुपुर्द करने की माँग की।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَقَدۡ صَبَّحَهُم بُكۡرَةً عَذَابࣱ مُّسۡتَقِرࣱّ ﴿٣٨﴾

और निःसंदेह सुबह सवेरे ही उनपर एक न टलने वाली यातना आ पहुँची।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَذُوقُواْ عَذَابِی وَنُذُرِ ﴿٣٩﴾

अतः मेरे अज़ाब और मेरे डराने का स्वाद चखो।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَقَدۡ یَسَّرۡنَا ٱلۡقُرۡءَانَ لِلذِّكۡرِ فَهَلۡ مِن مُّدَّكِرࣲ ﴿٤٠﴾

और निःसंदेह हमने क़ुरआन को उपदेश ग्रहण करने के लिए आसान बना दिया, तो क्या है कोई उपदेश ग्रहण करने वाला?


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَقَدۡ جَاۤءَ ءَالَ فِرۡعَوۡنَ ٱلنُّذُرُ ﴿٤١﴾

तथा निःसंदेह फ़िरऔनियों के पास डराने वाले आए।


Arabic explanations of the Qur’an:

كَذَّبُواْ بِـَٔایَـٰتِنَا كُلِّهَا فَأَخَذۡنَـٰهُمۡ أَخۡذَ عَزِیزࣲ مُّقۡتَدِرٍ ﴿٤٢﴾

उन्होंने हमारी सब निशानियों को झुठला दिया, तो हमने उन्हें पकड़ लिया, जिस प्रकार सब पर प्रभुत्वशाली, सबसे शक्तिशाली पकड़ता है।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَكُفَّارُكُمۡ خَیۡرࣱ مِّنۡ أُوْلَـٰۤىِٕكُمۡ أَمۡ لَكُم بَرَاۤءَةࣱ فِی ٱلزُّبُرِ ﴿٤٣﴾

क्या तुम्हारे काफ़िर उन लोगों से बेहतर हैं, या तुम्हारे लिए (पहली) पुस्कतों में कोई मुक्ति लिखी हुई है?


Arabic explanations of the Qur’an:

أَمۡ یَقُولُونَ نَحۡنُ جَمِیعࣱ مُّنتَصِرࣱ ﴿٤٤﴾

या वे कहते हैं कि हम एक जत्था हैं, जो बदला लेकर रहने वाले हैं?


Arabic explanations of the Qur’an:

سَیُهۡزَمُ ٱلۡجَمۡعُ وَیُوَلُّونَ ٱلدُّبُرَ ﴿٤٥﴾

शीध्र ही यह समूह पराजित कर दिया जाएगा और ये लोग पीठ दिखाकर भागेंगे।[6]

6. इसमें मक्का के काफ़िरों की पराजय की भविष्यवाणी है, जो बद्र के युद्ध में पूरी हुई। ह़दीस में है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) बद्र के दिन एक ख़ेमे में अल्लाह से प्रार्थना कर रहे थे। फिर यही आयत पढ़ते हुए निकले। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4875)


Arabic explanations of the Qur’an:

بَلِ ٱلسَّاعَةُ مَوۡعِدُهُمۡ وَٱلسَّاعَةُ أَدۡهَىٰ وَأَمَرُّ ﴿٤٦﴾

बल्कि क़यामत ही उनके वादे का समय है और क़ियामत कहीं बड़ी विपत्ति और अधिक कड़वी है।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّ ٱلۡمُجۡرِمِینَ فِی ضَلَـٰلࣲ وَسُعُرࣲ ﴿٤٧﴾

निश्चय अपराधी लोग बड़ी गुमराही और यातना में हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

یَوۡمَ یُسۡحَبُونَ فِی ٱلنَّارِ عَلَىٰ وُجُوهِهِمۡ ذُوقُواْ مَسَّ سَقَرَ ﴿٤٨﴾

जिस दिन वे आग में अपने चेहरों के बल घसीटे जाएँगे। (कहा जाएगा :) जहन्नम की यातना का मज़ा चखो।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّا كُلَّ شَیۡءٍ خَلَقۡنَـٰهُ بِقَدَرࣲ ﴿٤٩﴾

निःसंदेह हमने प्रत्येक वस्तु को एक अनुमान के साथ पैदा किया है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَمَاۤ أَمۡرُنَاۤ إِلَّا وَ ٰ⁠حِدَةࣱ كَلَمۡحِۭ بِٱلۡبَصَرِ ﴿٥٠﴾

और हमारा आदेश तो केवल एक बार होता है, जैसे आँख की एक झपक।[7]

7. अर्थात प्रलय होने में देर नहीं होगी। अल्लाह का आदेश होते ही तत्क्षण प्रलय आ जाएगी।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَقَدۡ أَهۡلَكۡنَاۤ أَشۡیَاعَكُمۡ فَهَلۡ مِن مُّدَّكِرࣲ ﴿٥١﴾

और निःसंदेह हमने तुम्हारे जैसे कई समूहों को विनष्ट कर दिया, तो क्या है कोई नसीहत हासिल करने वाला?


Arabic explanations of the Qur’an:

وَكُلُّ شَیۡءࣲ فَعَلُوهُ فِی ٱلزُّبُرِ ﴿٥٢﴾

और उन्होंने जो कुछ भी किया वह किताबों (कर्मपत्रों) में दर्ज है।[8]

8. जिसे उन फ़रिश्तों ने जो दाएँ तथा बाएँ रहते हैं लिख रखा है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَكُلُّ صَغِیرࣲ وَكَبِیرࣲ مُّسۡتَطَرٌ ﴿٥٣﴾

और हर छोटी और बड़ी बात लिखी हुई है।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّ ٱلۡمُتَّقِینَ فِی جَنَّـٰتࣲ وَنَهَرࣲ ﴿٥٤﴾

निःसंदेह (अल्लाह से) डरने वाले बाग़ो और नहरों में होंगे।


Arabic explanations of the Qur’an:

فِی مَقۡعَدِ صِدۡقٍ عِندَ مَلِیكࣲ مُّقۡتَدِرِۭ ﴿٥٥﴾

सत्य की सभा में, महान बादशाह के पास, जो असीम शक्ति वाला है।


Arabic explanations of the Qur’an: