وَٱلسَّمَاۤءَ رَفَعَهَا وَوَضَعَ ٱلۡمِیزَانَ ﴿٧﴾
और उसने आकाश को ऊँचा किया और न्याय का संतुलन स्थापित किया।[1]
وَأَقِیمُواْ ٱلۡوَزۡنَ بِٱلۡقِسۡطِ وَلَا تُخۡسِرُواْ ٱلۡمِیزَانَ ﴿٩﴾
तथा न्याय के साथ तौल को सीधा रखो और माप-तौल में कमी न करो।
فِیهَا فَـٰكِهَةࣱ وَٱلنَّخۡلُ ذَاتُ ٱلۡأَكۡمَامِ ﴿١١﴾
उसमें फल हैं, तथा आवरणों वाले खजूर के वृक्ष हैं।
فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿١٣﴾
तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे?
خَلَقَ ٱلۡإِنسَـٰنَ مِن صَلۡصَـٰلࣲ كَٱلۡفَخَّارِ ﴿١٤﴾
उसने मनुष्य को ठीकरी की तरह बजने वाली मिट्टी से पैदा किया।
فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿١٦﴾
तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे?
رَبُّ ٱلۡمَشۡرِقَیۡنِ وَرَبُّ ٱلۡمَغۡرِبَیۡنِ ﴿١٧﴾
(वह) सूर्योदय[2] के दोनों स्थानों तथा सूर्यास्त के दोनों स्थानों का रब है।
فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿١٨﴾
तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे?
مَرَجَ ٱلۡبَحۡرَیۡنِ یَلۡتَقِیَانِ ﴿١٩﴾
उसने दो सागरों को मिला दिया, जो (देखने में) आपस में मिलते हैं।
فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٢١﴾
तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे?
فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٢٣﴾
तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे?
وَلَهُ ٱلۡجَوَارِ ٱلۡمُنشَـَٔاتُ فِی ٱلۡبَحۡرِ كَٱلۡأَعۡلَـٰمِ ﴿٢٤﴾
तथा उसी के अधिकार में हैं समुद्र में चलने वाले पहाड़ों जैसे जहाज़।
فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٢٥﴾
तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे?
وَیَبۡقَىٰ وَجۡهُ رَبِّكَ ذُو ٱلۡجَلَـٰلِ وَٱلۡإِكۡرَامِ ﴿٢٧﴾
तथा आपके पालनहार का चेहरा बाक़ी रहेगा, जो बड़ी महिमा और सम्मान वाला है।
فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٢٨﴾
तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे?
یَسۡـَٔلُهُۥ مَن فِی ٱلسَّمَـٰوَ ٰتِ وَٱلۡأَرۡضِۚ كُلَّ یَوۡمٍ هُوَ فِی شَأۡنࣲ ﴿٢٩﴾
उसी से माँगता है, जो कोई आकाशों तथा धरती में है। वह प्रतिदिन एक (नए) कार्य में है।[3]
فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٣٠﴾
तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे?
سَنَفۡرُغُ لَكُمۡ أَیُّهَ ٱلثَّقَلَانِ ﴿٣١﴾
हम जल्द ही तुम्हारे लिए फ़ारिग़ होंगे[4] ऐ दो भारी समूहो! (जिन्नो और इनसानो!)[5]
فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٣٢﴾
तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे?
یَـٰمَعۡشَرَ ٱلۡجِنِّ وَٱلۡإِنسِ إِنِ ٱسۡتَطَعۡتُمۡ أَن تَنفُذُواْ مِنۡ أَقۡطَارِ ٱلسَّمَـٰوَ ٰتِ وَٱلۡأَرۡضِ فَٱنفُذُواْۚ لَا تَنفُذُونَ إِلَّا بِسُلۡطَـٰنࣲ ﴿٣٣﴾
ऐ जिन्न तथा मनुष्य के समूह! यदि तुम आकाशों तथा धरती के किनारों से निकल सकते हो, तो निकल भागो, (परंतु) तुम शक्ति (प्रभुत्व) के बिना नहीं निकल सकोगे।[6]
فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٣٤﴾
तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे?
یُرۡسَلُ عَلَیۡكُمَا شُوَاظࣱ مِّن نَّارࣲ وَنُحَاسࣱ فَلَا تَنتَصِرَانِ ﴿٣٥﴾
तुम दोनों पर आग का ज्वाला तथा धुआँ छोड़ा जाएगा। फिर तुम अपने आपको बचा नहीं सकोगे।
فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٣٦﴾
तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे?
فَإِذَا ٱنشَقَّتِ ٱلسَّمَاۤءُ فَكَانَتۡ وَرۡدَةࣰ كَٱلدِّهَانِ ﴿٣٧﴾
फिर जब आकाश फट जाएगा, तो वह तेल की तरह लाल हो जाएगा।
فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٣٨﴾
तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे?
فَیَوۡمَىِٕذࣲ لَّا یُسۡـَٔلُ عَن ذَنۢبِهِۦۤ إِنسࣱ وَلَا جَاۤنࣱّ ﴿٣٩﴾
फिर उस दिन न किसी मनुष्य से उसके गुनाह के बारे में पूछा जाएगा और न किसी जिन्न से।
فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٤٠﴾
तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे?
یُعۡرَفُ ٱلۡمُجۡرِمُونَ بِسِیمَـٰهُمۡ فَیُؤۡخَذُ بِٱلنَّوَ ٰصِی وَٱلۡأَقۡدَامِ ﴿٤١﴾
अपराधियों की पहचान उनके चिह्नों से होगी, फिर माथे के बालों और पैरों से (उन्हें) पकड़ा जाएगा।
فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٤٢﴾
तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे?
هَـٰذِهِۦ جَهَنَّمُ ٱلَّتِی یُكَذِّبُ بِهَا ٱلۡمُجۡرِمُونَ ﴿٤٣﴾
यही है वह जहन्नम, जिसे अपराधी लोग झुठलाते थे।
یَطُوفُونَ بَیۡنَهَا وَبَیۡنَ حَمِیمٍ ءَانࣲ ﴿٤٤﴾
वे उसके और खौलते हुए पानी के बीच चक्कर लगा रहे होंगे।
فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٤٥﴾
तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे?
وَلِمَنۡ خَافَ مَقَامَ رَبِّهِۦ جَنَّتَانِ ﴿٤٦﴾
और जो व्यक्ति अपने पालनहार के समक्ष खड़े होने से डर गया, उसके लिए दो बाग़ हैं।
فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٤٧﴾
तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे?
فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٤٩﴾
तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे?
فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٥١﴾
तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे?
فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٥٣﴾
तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे?
مُتَّكِـِٔینَ عَلَىٰ فُرُشِۭ بَطَاۤىِٕنُهَا مِنۡ إِسۡتَبۡرَقࣲۚ وَجَنَى ٱلۡجَنَّتَیۡنِ دَانࣲ ﴿٥٤﴾
ऐसे बिस्तरों पर तकिए लगाए होंगे, जिनके स्तर मोटे रेशम के हैं और दोनों बाग़ों के फल निकट हैं।
فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٥٥﴾
तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे?
فِیهِنَّ قَـٰصِرَ ٰتُ ٱلطَّرۡفِ لَمۡ یَطۡمِثۡهُنَّ إِنسࣱ قَبۡلَهُمۡ وَلَا جَاۤنࣱّ ﴿٥٦﴾
उनमें नीची निगाहों वाली औरतें हैं, जिन्हें उनसे पहले न किसी मनुष्य ने हाथ लगाया है और न किसी जिन्न ने।
فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٥٧﴾
तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे?
فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٥٩﴾
तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे?
فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٦١﴾
तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे?
فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٦٣﴾
तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे?
فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٦٥﴾
तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे?
فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٦٧﴾
तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे?
فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٦٩﴾
तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे?
فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٧١﴾
तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे?
حُورࣱ مَّقۡصُورَ ٰتࣱ فِی ٱلۡخِیَامِ ﴿٧٢﴾
हूरें (यानी गोरे बदन, काली आँखों वाली औरतें), जो खेमों में रोकी हुई हैं।
فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٧٣﴾
तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे?
لَمۡ یَطۡمِثۡهُنَّ إِنسࣱ قَبۡلَهُمۡ وَلَا جَاۤنࣱّ ﴿٧٤﴾
उनसे पहले न तो किसी मनुष्य ने उन्हें छुआ है और न ही किसी जिन्न ने।[7]
فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٧٥﴾
तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे?
مُتَّكِـِٔینَ عَلَىٰ رَفۡرَفٍ خُضۡرࣲ وَعَبۡقَرِیٍّ حِسَانࣲ ﴿٧٦﴾
वे हरी और उत्कृष्ट एवं अति सुंदर क़ालीनों पर तकिया लगाए होंगे।
فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٧٧﴾
तो तुम दोनों अपने पालनहार की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे?