خَافِضَةࣱ رَّافِعَةٌ ﴿٣﴾
नीचे करने वाली, ऊपर उठाने वाली।[1]
فَأَصۡحَـٰبُ ٱلۡمَیۡمَنَةِ مَاۤ أَصۡحَـٰبُ ٱلۡمَیۡمَنَةِ ﴿٨﴾
तो दाहिने हाथ वाले, क्या ही अच्छे हैं दाहिने हाथ वाले![2]
وَأَصۡحَـٰبُ ٱلۡمَشۡـَٔمَةِ مَاۤ أَصۡحَـٰبُ ٱلۡمَشۡـَٔمَةِ ﴿٩﴾
और बाएँ हाथ वाले, क्या बुरे हैं बाएँ हाथ वाले!
أُوْلَـٰۤىِٕكَ ٱلۡمُقَرَّبُونَ ﴿١١﴾
यही लोग निकट किए हुए हैं।[3]
یَطُوفُ عَلَیۡهِمۡ وِلۡدَ ٰنࣱ مُّخَلَّدُونَ ﴿١٧﴾
उनके आस-पास (सेवा के लिए) ऐसे बालक फिर रहे होंगे, जो सदा (बालक) ही रहेंगे।
بِأَكۡوَابࣲ وَأَبَارِیقَ وَكَأۡسࣲ مِّن مَّعِینࣲ ﴿١٨﴾
ऐसे प्याले َऔर सुराहियाँ और छलकते जाम लेकर जो बहती शराब की होंगे।
لَّا یُصَدَّعُونَ عَنۡهَا وَلَا یُنزِفُونَ ﴿١٩﴾
वे न उससे सिरदर्द से पीड़ित होंगे और न ही उनकी बुद्धि प्रभावित होगी।
لَا یَسۡمَعُونَ فِیهَا لَغۡوࣰا وَلَا تَأۡثِیمًا ﴿٢٥﴾
वे उस में न कोई व्यर्थ बात सुनेंगे और न पाप की बात।
وَأَصۡحَـٰبُ ٱلۡیَمِینِ مَاۤ أَصۡحَـٰبُ ٱلۡیَمِینِ ﴿٢٧﴾
और दाहिने हाथ वाले, क्या ही अच्छे हैं दाहिने हाथ वाले!
وَظِلࣲّ مَّمۡدُودࣲ ﴿٣٠﴾
और ऐसी छाया में जो अच्छी तरह फैली हुई है।[4]
وَأَصۡحَـٰبُ ٱلشِّمَالِ مَاۤ أَصۡحَـٰبُ ٱلشِّمَالِ ﴿٤١﴾
और बाएँ हाथ वाले, क्या ही बुरे हैं बाएँ हाथ वाले!
إِنَّهُمۡ كَانُواْ قَبۡلَ ذَ ٰلِكَ مُتۡرَفِینَ ﴿٤٥﴾
निश्चय वे इससे पहले (दुनिया की) सुख-सुविधाओं का आनंद ले रहे थे।
وَكَانُواْ یَقُولُونَ أَىِٕذَا مِتۡنَا وَكُنَّا تُرَابࣰا وَعِظَـٰمًا أَءِنَّا لَمَبۡعُوثُونَ ﴿٤٧﴾
और वे कहा करते थे कि क्या जब हम मर जाएँगे और हम मिट्टी तथा हड्डियाँ हो जाएँगे, तो क्या सचमुच हम अवश्य उठाए जाने वाले हैं?
لَمَجۡمُوعُونَ إِلَىٰ مِیقَـٰتِ یَوۡمࣲ مَّعۡلُومࣲ ﴿٥٠﴾
एक ज्ञात दिन के निश्चित समय पर अवश्य एकत्र किए जाने वाले हैं।
ثُمَّ إِنَّكُمۡ أَیُّهَا ٱلضَّاۤلُّونَ ٱلۡمُكَذِّبُونَ ﴿٥١﴾
फिर निःसंदेह तुम ऐ गुमराहो! झुठलाने वालो!
لَـَٔاكِلُونَ مِن شَجَرࣲ مِّن زَقُّومࣲ ﴿٥٢﴾
निश्चय ही ज़क़्क़ूम (थूहड़) के वृक्ष में से खाने वाले हो।[5]
فَشَـٰرِبُونَ شُرۡبَ ٱلۡهِیمِ ﴿٥٥﴾
फिर पीने वाले हो प्यास की बीमारी वाले ऊँट[6] के समान।
نَحۡنُ خَلَقۡنَـٰكُمۡ فَلَوۡلَا تُصَدِّقُونَ ﴿٥٧﴾
हमने ही तुम्हें पैदा किया, फिर तुम (पुनः जीवित किए जाने को) क्यों सच नहीं मानते?
ءَأَنتُمۡ تَخۡلُقُونَهُۥۤ أَمۡ نَحۡنُ ٱلۡخَـٰلِقُونَ ﴿٥٩﴾
क्या तुम उसे पैदा करते हो, या हम ही पैदा करने वाले हैं?
نَحۡنُ قَدَّرۡنَا بَیۡنَكُمُ ٱلۡمَوۡتَ وَمَا نَحۡنُ بِمَسۡبُوقِینَ ﴿٦٠﴾
हम ही ने तुम्हारे बीच मृत्यु का समय निश्चित किया है और हम कदापि विवश नहीं हैं।
عَلَىٰۤ أَن نُّبَدِّلَ أَمۡثَـٰلَكُمۡ وَنُنشِئَكُمۡ فِی مَا لَا تَعۡلَمُونَ ﴿٦١﴾
कि हम तुम्हारे रूप को परिवर्तित कर दें और तुम्हें ऐसी शक्ल-सूरत में पैदा कर दें, जिसे तुम नहीं जानते।
وَلَقَدۡ عَلِمۡتُمُ ٱلنَّشۡأَةَ ٱلۡأُولَىٰ فَلَوۡلَا تَذَكَّرُونَ ﴿٦٢﴾
तथा निश्चय ही तुम पहली पैदाइश को जान चुके हो, फिर तुम नसीहत ग्रहण क्यों नहीं करते?
ءَأَنتُمۡ تَزۡرَعُونَهُۥۤ أَمۡ نَحۡنُ ٱلزَّ ٰرِعُونَ ﴿٦٤﴾
क्या तुम उसे उगाते हो, या हम ही उगाने वाले हैं?
لَوۡ نَشَاۤءُ لَجَعَلۡنَـٰهُ حُطَـٰمࣰا فَظَلۡتُمۡ تَفَكَّهُونَ ﴿٦٥﴾
यदि हम चाहें, तो अवश्य उसे चूर-चूर कर दें, फिर तुम आश्चर्य करते रह जाओ।
أَفَرَءَیۡتُمُ ٱلۡمَاۤءَ ٱلَّذِی تَشۡرَبُونَ ﴿٦٨﴾
फिर क्या तुमने उस पानी पर विचार किया, जो तुम पीते हो?
ءَأَنتُمۡ أَنزَلۡتُمُوهُ مِنَ ٱلۡمُزۡنِ أَمۡ نَحۡنُ ٱلۡمُنزِلُونَ ﴿٦٩﴾
क्या तुमने उसे बादल से उतारा है, या हम ही उतारने वाले हैं?
لَوۡ نَشَاۤءُ جَعَلۡنَـٰهُ أُجَاجࣰا فَلَوۡلَا تَشۡكُرُونَ ﴿٧٠﴾
यदि हम चाहें, तो उसे अत्यंत खारा बना दें, फिर तुम शुक्र अदा क्यों नहीं करते?
أَفَرَءَیۡتُمُ ٱلنَّارَ ٱلَّتِی تُورُونَ ﴿٧١﴾
फिर क्या तुमने उस आग पर विचार किया, जो तुम सुलगाते हो?
ءَأَنتُمۡ أَنشَأۡتُمۡ شَجَرَتَهَاۤ أَمۡ نَحۡنُ ٱلۡمُنشِـُٔونَ ﴿٧٢﴾
क्या तुमने उसके वृक्ष को पैदा किया है, या हम ही पैदा करने वाले हैं?
نَحۡنُ جَعَلۡنَـٰهَا تَذۡكِرَةࣰ وَمَتَـٰعࣰا لِّلۡمُقۡوِینَ ﴿٧٣﴾
हमने ही उसे यात्रियों के लिए एक नसीहत तथा लाभ का सामान बनाया है।
۞ فَلَاۤ أُقۡسِمُ بِمَوَ ٰقِعِ ٱلنُّجُومِ ﴿٧٥﴾
अतः नहीं! मैं सितारों के गिरने की जगहों की क़सम खाता हूँ!
وَإِنَّهُۥ لَقَسَمࣱ لَّوۡ تَعۡلَمُونَ عَظِیمٌ ﴿٧٦﴾
और निःसंदेह यह निश्चय ऐसी क़सम है कि यदि तुम जानो तो बहुत बड़ी है।
فِی كِتَـٰبࣲ مَّكۡنُونࣲ ﴿٧٨﴾
एक छिपाकर रखी हुई[7] किताब में (अंकित) है।
لَّا یَمَسُّهُۥۤ إِلَّا ٱلۡمُطَهَّرُونَ ﴿٧٩﴾
इसे कोई नहीं छूता सिवाय उनके जो बहुत पवित्र किए गए हैं।[8]
وَتَجۡعَلُونَ رِزۡقَكُمۡ أَنَّكُمۡ تُكَذِّبُونَ ﴿٨٢﴾
तथा तुम (क़ुरआन से) अपना हिस्सा यह बनाते हो कि तुम (इसे) झुठलाते हो?
وَنَحۡنُ أَقۡرَبُ إِلَیۡهِ مِنكُمۡ وَلَـٰكِن لَّا تُبۡصِرُونَ ﴿٨٥﴾
तथा हम तुमसे अधिक उसके निकट होते हैं, परंतु तुम नहीं देखते।
فَرَوۡحࣱ وَرَیۡحَانࣱ وَجَنَّتُ نَعِیمࣲ ﴿٨٩﴾
तो उसके लिए आराम और अच्छी जीविका और नेमतों से भरी जन्नत है।
فَسَلَـٰمࣱ لَّكَ مِنۡ أَصۡحَـٰبِ ٱلۡیَمِینِ ﴿٩١﴾
तो (कहा जाएगा) तेरे लिए सलामती है (कि तू) दाहिने हाथ वालों में से है।
وَأَمَّاۤ إِن كَانَ مِنَ ٱلۡمُكَذِّبِینَ ٱلضَّاۤلِّینَ ﴿٩٢﴾
और यदि वह व्यक्ति झुठलाने वाले गुमराहों में से है,