Surah सूरा अल्-ह़श्र - Al-Hashr

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Surah सूरा अल्-ह़श्र - Al-Hashr - Aya count 24

سَبَّحَ لِلَّهِ مَا فِی ٱلسَّمَـٰوَ ٰ⁠تِ وَمَا فِی ٱلۡأَرۡضِۖ وَهُوَ ٱلۡعَزِیزُ ٱلۡحَكِیمُ ﴿١﴾

अल्लाह की पवित्रता का गान किया हर उस चीज़ ने जो आकाशों में है और जो धरती में है, और वही प्रभुत्वशाली और हिकमत वाला है।


Arabic explanations of the Qur’an:

هُوَ ٱلَّذِیۤ أَخۡرَجَ ٱلَّذِینَ كَفَرُواْ مِنۡ أَهۡلِ ٱلۡكِتَـٰبِ مِن دِیَـٰرِهِمۡ لِأَوَّلِ ٱلۡحَشۡرِۚ مَا ظَنَنتُمۡ أَن یَخۡرُجُواْۖ وَظَنُّوۤاْ أَنَّهُم مَّانِعَتُهُمۡ حُصُونُهُم مِّنَ ٱللَّهِ فَأَتَىٰهُمُ ٱللَّهُ مِنۡ حَیۡثُ لَمۡ یَحۡتَسِبُواْۖ وَقَذَفَ فِی قُلُوبِهِمُ ٱلرُّعۡبَۚ یُخۡرِبُونَ بُیُوتَهُم بِأَیۡدِیهِمۡ وَأَیۡدِی ٱلۡمُؤۡمِنِینَ فَٱعۡتَبِرُواْ یَـٰۤأُوْلِی ٱلۡأَبۡصَـٰرِ ﴿٢﴾

वही है, जिसने अह्ले किताब के काफिरों को पहले ही निष्कासन के समय उनके घरों से निकाल बाहर किया। तुम्हें गुमान न था कि वे निकल जाएँगे और वे समझ रहे थे कि उनके क़िले[1] उन्हें अल्लाह से बचाने वाले हैं। लेकिन अल्लाह (का अज़ाब) उनके पास वहाँ से आया, जिसका उन्हें गुमान भी न था और उसने उनके दिलों में भय डाल दिया। वे अपने घरों को खुद अपने हाथों से तथा ईमान वालों के हाथों[2] से उजाड़ रहे थे। अतः सीख ग्रहण करो, ऐ आँखों वालो!

1. नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जब मदीना पहुँचे तो वहाँ यहूदियों के तीन क़बीले आबाद थे : बनी नज़ीर, बनी क़ुरैज़ा तथा बनी क़ैनुक़ाअ्। आपने उन सभी से संधि कर ली। परंतु वे इस्लाम के विरुद्ध षड्यंत्र रचते रहे। और एक समय जब आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) बनी नज़ीर के पास गए, तो उन्होंने ऊपर से एक पत्थर फेंककर आपको मार डालने की योजना बनाई। जिससे वह़्य द्वारा अल्लाह ने आपको सूचित कर दिया। उनके इस संधि भंग तथा षड्यंत्र के कारण आपने उनपर आक्रमण किया। वे कुछ दिन अपने दुर्गों में बंद रहे। अंततः उन्होंने प्राण क्षमा के रूप में देश निकाला को स्वीकार किया। और यह मदीना से यहूद का प्रथम देश निकाला था। यहाँ से वे ख़ैबर पहुँचे और आदरणीय उमर (रज़ियल्लाहु अन्हु) के युग में उन्हें फिर देश निकाला दिया गया। और वे वहाँ से शाम चले गए जो ह़श्र का मैदान होगा। 2. जब वे अपने घरों से जाने लगे तो घरों को तोड़-तोड़ कर जो कुछ साथ ले जा सकते थे, ले गए। और शेष सामान मुसलमानों ने निकाला।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَوۡلَاۤ أَن كَتَبَ ٱللَّهُ عَلَیۡهِمُ ٱلۡجَلَاۤءَ لَعَذَّبَهُمۡ فِی ٱلدُّنۡیَاۖ وَلَهُمۡ فِی ٱلۡـَٔاخِرَةِ عَذَابُ ٱلنَّارِ ﴿٣﴾

और यदि अल्लाह ने उनपर देश-निकाला न लिख दिया होता, तो निश्चय वह उन्हें दुनिया ही में यातना देता तथा उनके लिए आख़िरत में आग की यातना है।


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ذَ ٰ⁠لِكَ بِأَنَّهُمۡ شَاۤقُّواْ ٱللَّهَ وَرَسُولَهُۥۖ وَمَن یُشَاۤقِّ ٱللَّهَ فَإِنَّ ٱللَّهَ شَدِیدُ ٱلۡعِقَابِ ﴿٤﴾

यह इसलिए कि उन्होंने अल्लाह और उसके रसूल का विरोध किया तथा जो अल्लाह का विरोध करे, तो निःसंदेह अल्लाह बहुत कड़ी सज़ा देने वाला है।


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مَا قَطَعۡتُم مِّن لِّینَةٍ أَوۡ تَرَكۡتُمُوهَا قَاۤىِٕمَةً عَلَىٰۤ أُصُولِهَا فَبِإِذۡنِ ٱللَّهِ وَلِیُخۡزِیَ ٱلۡفَـٰسِقِینَ ﴿٥﴾

(ऐ मुसलमानो!) तुमने जो भी खजूर के पेड़ काटे[3] या उन्हें अपने तनों पर खड़ा रहने दिया, वह अल्लाह के आदेश से हुआ और ताकि अल्लाह अवज्ञाकारियों को अपमानित करे।

3. बनी नज़ीर के घेराव के समय नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के आदेशानुसार उनके खजूरों के कुछ वृक्ष जला दिए गए और काट दिए गए और कुछ छोड़ दिए गए। ताकि शत्रु की आड़ को समाप्त किया जाए। इस आयत में उसी का वर्णन किया गया है। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4884)


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وَمَاۤ أَفَاۤءَ ٱللَّهُ عَلَىٰ رَسُولِهِۦ مِنۡهُمۡ فَمَاۤ أَوۡجَفۡتُمۡ عَلَیۡهِ مِنۡ خَیۡلࣲ وَلَا رِكَابࣲ وَلَـٰكِنَّ ٱللَّهَ یُسَلِّطُ رُسُلَهُۥ عَلَىٰ مَن یَشَاۤءُۚ وَٱللَّهُ عَلَىٰ كُلِّ شَیۡءࣲ قَدِیرࣱ ﴿٦﴾

और अल्लाह ने जो धन उनसे अपने रसूल पर लौटाया, तो तुमने उसपर न कोई घोड़े दौड़ाए और न ऊँट। परन्तु अल्लाह अपने रसूल को, जिसपर चाहता है, प्रभुत्व प्रदान कर देता है और अल्लाह हर चीज़ पर सर्वशक्तिमान है।


Arabic explanations of the Qur’an:

مَّاۤ أَفَاۤءَ ٱللَّهُ عَلَىٰ رَسُولِهِۦ مِنۡ أَهۡلِ ٱلۡقُرَىٰ فَلِلَّهِ وَلِلرَّسُولِ وَلِذِی ٱلۡقُرۡبَىٰ وَٱلۡیَتَـٰمَىٰ وَٱلۡمَسَـٰكِینِ وَٱبۡنِ ٱلسَّبِیلِ كَیۡ لَا یَكُونَ دُولَةَۢ بَیۡنَ ٱلۡأَغۡنِیَاۤءِ مِنكُمۡۚ وَمَاۤ ءَاتَىٰكُمُ ٱلرَّسُولُ فَخُذُوهُ وَمَا نَهَىٰكُمۡ عَنۡهُ فَٱنتَهُواْۚ وَٱتَّقُواْ ٱللَّهَۖ إِنَّ ٱللَّهَ شَدِیدُ ٱلۡعِقَابِ ﴿٧﴾

अल्लाह ने जो कुछ भी इन बस्तियों वालों (के धन)[4] से अपने रसूल पर लौटाया, तो वह अल्लाह के लिए और रसूल के लिए और (रसूल के) रिश्तेदारों, अनाथों, निर्धनों तथा यात्री के लिए है; ताकि वह (धन) तुम्हारे धनवानों ही के बीच चक्कर लगाता न रह जाए[5], और रसूल तुम्हें जो कुछ दें, उसे ले लो और जिस चीज़ से रोक दें, उससे रुक जाओ। तथा अल्लाह से डरते रहो। निश्चय अल्लाह बहुत कड़ी यातना देने वाला है।

4. अर्थात यहूदी क़बीला बनी नज़ीर से जो धन बिना युद्ध के प्राप्त हुआ उसका नियम बताया गया है कि वह पूरा धन इस्लामी बैतुल-माल का होगा, उसे मुजाहिदों में विभाजित नहीं किया जाएगा। ह़दीस में है कि यह नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के लिए विशिष्ट था, जिससे आप अपनी पत्नियों को ख़र्च देते थे। फिर जो बच जाता, तो उसे अल्लाह की राह में शस्त्र और सवारी में लगा देते थे। (बुख़ारी : 4885) इसको 'फ़य' का माल कहते हैं। जो ग़नीमत के माल से अलग है। 5. इसमें इस्लाम की अर्थ व्यवस्था के मूल नियम का वर्णन किया गया है। पूँजीवाद व्यवस्था में धन का प्रवाह सदा धनवानों की ओर होता है। और निर्धन दरिद्रता की चक्की में पिसता रहता है। कम्युनिज़्म में धन का प्रवाह सदा शासक वर्ग की ओर होता है। जबकि इस्लाम में धन का प्रवाह निर्धन वर्ग की ओर होता है।


Arabic explanations of the Qur’an:

لِلۡفُقَرَاۤءِ ٱلۡمُهَـٰجِرِینَ ٱلَّذِینَ أُخۡرِجُواْ مِن دِیَـٰرِهِمۡ وَأَمۡوَ ٰ⁠لِهِمۡ یَبۡتَغُونَ فَضۡلࣰا مِّنَ ٱللَّهِ وَرِضۡوَ ٰ⁠نࣰا وَیَنصُرُونَ ٱللَّهَ وَرَسُولَهُۥۤۚ أُوْلَـٰۤىِٕكَ هُمُ ٱلصَّـٰدِقُونَ ﴿٨﴾

(यह धन) उन ग़रीब मुहाजिरों के लिए है, जो अपने घरों और अपने मालों से निकाल बाहर कर दिए गए। वे अल्लाह का अनुग्रह तथा प्रसन्नता चाहते हैं और अल्लाह तथा उसके रसूल की सहायता करते हैं। यही लोग सच्चे हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلَّذِینَ تَبَوَّءُو ٱلدَّارَ وَٱلۡإِیمَـٰنَ مِن قَبۡلِهِمۡ یُحِبُّونَ مَنۡ هَاجَرَ إِلَیۡهِمۡ وَلَا یَجِدُونَ فِی صُدُورِهِمۡ حَاجَةࣰ مِّمَّاۤ أُوتُواْ وَیُؤۡثِرُونَ عَلَىٰۤ أَنفُسِهِمۡ وَلَوۡ كَانَ بِهِمۡ خَصَاصَةࣱۚ وَمَن یُوقَ شُحَّ نَفۡسِهِۦ فَأُوْلَـٰۤىِٕكَ هُمُ ٱلۡمُفۡلِحُونَ ﴿٩﴾

तथा (उनके लिए) जिन्होंने[6] इनसे पहले इस घर (अर्थात् मदीना) में और ईमान में जगह बना ली है। वे अपनी ओर हिजरत करके आने वालों से प्रेम करते हैं। और वे अपने दिलों में उस चीज़ के प्रति कोई चाहत (हसद) नहीं पाते, जो मुहाजिरों को दी जाए और (उन्हें) अपने आप पर प्रधानता देते हैं, चाहे स्वयं ज़रूरतमंद[7] हों। और जो अपने मन की लालच (कृपणता) से बचा लिया गया, तो वही लोग सफल होने वाले हैं।

6. इससे अभिप्राय मदीना के निवासी अन्सार हैं। जो मुहाजिरीन के मदीना में आने से पहले ईमान लाए थे। इसका यह अर्थ नहीं है कि वे मुहाजिरीन से पहले ईमान लाए थे। 7. ह़दीस में है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के पास एक अतिथि आया और कहा : ऐ अल्लाह के रसूल! मैं भूखा हूँ। आपने अपनी पत्नियों के पास भेजा, तो वहाँ कुछ नहीं था। एक अन्सारी उसे घर ले गए। घर पहुँचे तो पत्नी ने कहा : घर में केवल बच्चों का खाना है। उन्होंने परस्पर परामर्श किया कि बच्चों को बहलाकर सुला दिया जाए। तथा पत्नी से कहा कि जब अतिथि खाने लगे, तो तुम दीप बुझा देना। उसने ऐसा ही किया। सब भूखे सो गए और अतिथि को खिला दिया। जब वह अन्सारी भोर में नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के पास पहुँचे तो आपने कहा : अमुक पुरुष (अबू तल्ह़ा) और अमुक स्त्री (उम्मे सुलैम) से अल्लाह प्रसन्न हो गया। और उसने यह आयत उतारी है। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4889)


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وَٱلَّذِینَ جَاۤءُو مِنۢ بَعۡدِهِمۡ یَقُولُونَ رَبَّنَا ٱغۡفِرۡ لَنَا وَلِإِخۡوَ ٰ⁠نِنَا ٱلَّذِینَ سَبَقُونَا بِٱلۡإِیمَـٰنِ وَلَا تَجۡعَلۡ فِی قُلُوبِنَا غِلࣰّا لِّلَّذِینَ ءَامَنُواْ رَبَّنَاۤ إِنَّكَ رَءُوفࣱ رَّحِیمٌ ﴿١٠﴾

और (उनके लिए) जो उनके पश्चात् आए, वे कहते हैं : ऐ हमारे पालनहार! हमें और हमारे उन भाइयों को क्षमा कर दे, जो हमसे पहले ईमान लाए और हमारे दिलों में उन लोगों के लिए कोई द्वेष न रख, जो ईमान लाए। ऐ हमारे पालनहार! तू अति करुणामय, अत्यंत दयावान् है।


Arabic explanations of the Qur’an:

۞ أَلَمۡ تَرَ إِلَى ٱلَّذِینَ نَافَقُواْ یَقُولُونَ لِإِخۡوَ ٰ⁠نِهِمُ ٱلَّذِینَ كَفَرُواْ مِنۡ أَهۡلِ ٱلۡكِتَـٰبِ لَىِٕنۡ أُخۡرِجۡتُمۡ لَنَخۡرُجَنَّ مَعَكُمۡ وَلَا نُطِیعُ فِیكُمۡ أَحَدًا أَبَدࣰا وَإِن قُوتِلۡتُمۡ لَنَنصُرَنَّكُمۡ وَٱللَّهُ یَشۡهَدُ إِنَّهُمۡ لَكَـٰذِبُونَ ﴿١١﴾

क्या आपने मुनाफ़िकों[8] को नहीं देखा, वे अह्ले किताब में से अपने काफ़िर भाइयों से कहते हैं : निश्चय अगर तुम्हें निकाला गया, तो हम भी अवश्य तुम्हारे साथ निकल जाएँगे और तुम्हारे बारे में कभी किसी की बात नहीं मानेंगे और यदि तुमसे युद्ध हुआ, तो हम अवश्य तुम्हारी सहायता करेंगे। और अल्लाह गवाही देता है कि निःसंदेह वे झूठे हैं।

8. इससे अभिप्राय अब्दुल्लाह बिन उबय्य मुनाफ़िक़ और उसके साथी हैं। जब नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने यहूद को उनके वचन भंग तथा षड्यंत्र के कारण दस दिन के भीतर निकल जाने की चेतावनी दी, तो उसने उनसे कहा कि तुम अड़ जाओ। मेरे बीस हज़ार शस्त्र युवक तुम्हारे साथ मिल कर युद्ध करेंगे। और यदि तुम्हें निकाला गया, तो हम भी तुम्हारे साथ निकल जाएँगे। परंतु यह सब मौखिक बातें थीं।


Arabic explanations of the Qur’an:

لَىِٕنۡ أُخۡرِجُواْ لَا یَخۡرُجُونَ مَعَهُمۡ وَلَىِٕن قُوتِلُواْ لَا یَنصُرُونَهُمۡ وَلَىِٕن نَّصَرُوهُمۡ لَیُوَلُّنَّ ٱلۡأَدۡبَـٰرَ ثُمَّ لَا یُنصَرُونَ ﴿١٢﴾

निश्चय अगर वे निकाले गए तो ये उनके साथ नहीं निकलेंगे और निश्चय अगर उनसे युद्ध किया गया तो ये उनकी सहायता नहीं करेंगे और निश्चय अगर उनकी सहायता की भी तो अवश्य पीठ फेरकर भागेंगे, फिर उनकी सहायता नहीं की जाएगी।


Arabic explanations of the Qur’an:

لَأَنتُمۡ أَشَدُّ رَهۡبَةࣰ فِی صُدُورِهِم مِّنَ ٱللَّهِۚ ذَ ٰ⁠لِكَ بِأَنَّهُمۡ قَوۡمࣱ لَّا یَفۡقَهُونَ ﴿١٣﴾

निश्चय उनके दिलों में तुम्हारा भय अल्लाह (के भय) से अधिक है। यह इसलिए कि वे ऐसे लोग हैं, जो नहीं समझते।


Arabic explanations of the Qur’an:

لَا یُقَـٰتِلُونَكُمۡ جَمِیعًا إِلَّا فِی قُرࣰى مُّحَصَّنَةٍ أَوۡ مِن وَرَاۤءِ جُدُرِۭۚ بَأۡسُهُم بَیۡنَهُمۡ شَدِیدࣱۚ تَحۡسَبُهُمۡ جَمِیعࣰا وَقُلُوبُهُمۡ شَتَّىٰۚ ذَ ٰ⁠لِكَ بِأَنَّهُمۡ قَوۡمࣱ لَّا یَعۡقِلُونَ ﴿١٤﴾

वे तुमसे एकत्रित होकर युद्ध नहीं करेंगे, परंतु क़िलेबंद बस्तियों में या दीवारों के पीछे से। उनकी आपस की लड़ाई बहुत सख़्त है। आप उन्हें एकजुट समझते हैं, जबकि उनके दिल अलग-अलग हैं। यह इसलिए कि वे ऐसे लोग हैं, जो बुद्धि नहीं रखते।


Arabic explanations of the Qur’an:

كَمَثَلِ ٱلَّذِینَ مِن قَبۡلِهِمۡ قَرِیبࣰاۖ ذَاقُواْ وَبَالَ أَمۡرِهِمۡ وَلَهُمۡ عَذَابٌ أَلِیمࣱ ﴿١٥﴾

इनकी हालत उन लोगों जैसी है, जो इनसे कुछ ही पहले गुज़रे हैं। वे अपने किए का स्वाद चख चुके[9] हैं और उनके लिए दुःखदायी यातना है।

9. इसमें संकेत बद्र में मक्का के काफ़िरों तथा क़ैनुक़ाअ क़बीले की पराजय की ओर है।


Arabic explanations of the Qur’an:

كَمَثَلِ ٱلشَّیۡطَـٰنِ إِذۡ قَالَ لِلۡإِنسَـٰنِ ٱكۡفُرۡ فَلَمَّا كَفَرَ قَالَ إِنِّی بَرِیۤءࣱ مِّنكَ إِنِّیۤ أَخَافُ ٱللَّهَ رَبَّ ٱلۡعَـٰلَمِینَ ﴿١٦﴾

शैतान की तरह, जब उसने मनुष्य से कहा कि कुफ़्र कर। फिर जब वह कुफ़्र कर चुका, तो उसने कहा : निःसंदेह मैं तुझसे बरी हूँ। मैं तो अल्लाह से डरता हूँ, जो सर्व संसार का पालनहार है।


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فَكَانَ عَـٰقِبَتَهُمَاۤ أَنَّهُمَا فِی ٱلنَّارِ خَـٰلِدَیۡنِ فِیهَاۚ وَذَ ٰ⁠لِكَ جَزَ ٰ⁠ۤؤُاْ ٱلظَّـٰلِمِینَ ﴿١٧﴾

तो दोनों का परिणाम यह हुआ कि वे हमेशा जहन्नम में रहेंगे और यही अत्याचारियों का बदला है।


Arabic explanations of the Qur’an:

یَـٰۤأَیُّهَا ٱلَّذِینَ ءَامَنُواْ ٱتَّقُواْ ٱللَّهَ وَلۡتَنظُرۡ نَفۡسࣱ مَّا قَدَّمَتۡ لِغَدࣲۖ وَٱتَّقُواْ ٱللَّهَۚ إِنَّ ٱللَّهَ خَبِیرُۢ بِمَا تَعۡمَلُونَ ﴿١٨﴾

ऐ लोगो जो ईमान लाए हो! अल्लाह से डरो और प्रत्येक व्यक्ति को देखना चाहिए कि उसने कल के लिए क्या आगे भेजा है तथा अल्लाह से डरते रहो। निश्चय अल्लाह उससे पूरी तरह अवगत है, जो तुम कर रहे हो।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَا تَكُونُواْ كَٱلَّذِینَ نَسُواْ ٱللَّهَ فَأَنسَىٰهُمۡ أَنفُسَهُمۡۚ أُوْلَـٰۤىِٕكَ هُمُ ٱلۡفَـٰسِقُونَ ﴿١٩﴾

और उन लोगों के समान न हो जाओ, जो अल्लाह को भूल गए, तो उसने उन्हें अपने आपको को भुलवा दिया। यही लोग अवज्ञाकारी हैं।


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لَا یَسۡتَوِیۤ أَصۡحَـٰبُ ٱلنَّارِ وَأَصۡحَـٰبُ ٱلۡجَنَّةِۚ أَصۡحَـٰبُ ٱلۡجَنَّةِ هُمُ ٱلۡفَاۤىِٕزُونَ ﴿٢٠﴾

जहन्नम वाले और जन्नत वाले वाले बराबर नहीं हो सकते। जन्नत वाले ही वास्तव में सफल हैं।


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لَوۡ أَنزَلۡنَا هَـٰذَا ٱلۡقُرۡءَانَ عَلَىٰ جَبَلࣲ لَّرَأَیۡتَهُۥ خَـٰشِعࣰا مُّتَصَدِّعࣰا مِّنۡ خَشۡیَةِ ٱللَّهِۚ وَتِلۡكَ ٱلۡأَمۡثَـٰلُ نَضۡرِبُهَا لِلنَّاسِ لَعَلَّهُمۡ یَتَفَكَّرُونَ ﴿٢١﴾

यदि हम इस क़ुरआन को किसी पर्वत पर अवतरित करते, तो निश्चय आप उसे देखते कि अल्लाह के भय से झुक जाता और फटकर टुकड़े-टुकड़े हो जाता। और हम इन उदाहरणों को लोगों के लिए वर्णन कर रहे हैं, ताकि वे सोच-विचार करें।


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هُوَ ٱللَّهُ ٱلَّذِی لَاۤ إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَۖ عَـٰلِمُ ٱلۡغَیۡبِ وَٱلشَّهَـٰدَةِۖ هُوَ ٱلرَّحۡمَـٰنُ ٱلرَّحِیمُ ﴿٢٢﴾

वह अल्लाह ही है, जिसके अतिरिक्त कोई सत्य पूज्य नहीं, हर परोक्ष तथा प्रत्यक्ष को जानने वाला है, वह बहुत कृपाशील, अत्यंत दयालु है।


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هُوَ ٱللَّهُ ٱلَّذِی لَاۤ إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَ ٱلۡمَلِكُ ٱلۡقُدُّوسُ ٱلسَّلَـٰمُ ٱلۡمُؤۡمِنُ ٱلۡمُهَیۡمِنُ ٱلۡعَزِیزُ ٱلۡجَبَّارُ ٱلۡمُتَكَبِّرُۚ سُبۡحَـٰنَ ٱللَّهِ عَمَّا یُشۡرِكُونَ ﴿٢٣﴾

वह अल्लाह ही है, जिसके अतिरिक्त कोई सच्चा पूज्य[10] नहीं, वह बादशाह है, अत्यंत पवित्र, हर दोष से मुक्त, पुष्टि करने वाला, निगरानी करने वाला, प्रभुत्वशाली, शक्तिशाली, बहुत बड़ाई वाला है। पवित्र है अल्लाह उससे, जो वे (उसका) साझी बनाते हैं।

10. इन आयतों में अल्लाह के शुभ नामों और गुणों का वर्णन करके बताया गया है कि वह अल्लाह कैसा है जिसने यह क़ुरआन उतारा है। इस आयत में अल्लाह के ग्यारह शुभ नामों का वर्णन है। ह़दीस में है कि अल्लाह के निन्नानवे नाम ऐसे हैं कि जो उन्हें गिनेगा तो वह स्वर्ग में जाएगा। (सह़ीह़ बुख़ारी : 7392, सह़ीह़ मुस्लिम : 2677)


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هُوَ ٱللَّهُ ٱلۡخَـٰلِقُ ٱلۡبَارِئُ ٱلۡمُصَوِّرُۖ لَهُ ٱلۡأَسۡمَاۤءُ ٱلۡحُسۡنَىٰۚ یُسَبِّحُ لَهُۥ مَا فِی ٱلسَّمَـٰوَ ٰ⁠تِ وَٱلۡأَرۡضِۖ وَهُوَ ٱلۡعَزِیزُ ٱلۡحَكِیمُ ﴿٢٤﴾

वह अल्लाह ही है, जो रचयिता, अस्तित्व प्रदान करने वाला, रूप देने वाला है। सब अच्छे नाम उसी के हैं। उसकी पवित्रता का गान हर वह चीज़ करती है जो आकाशों तथा धरती में है और वह प्रभुत्वशाली, ह़िकमत वाला है।


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