Surah सूरा अस्-सफ़्फ़ - As-Saff

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Surah सूरा अस्-सफ़्फ़ - As-Saff - Aya count 14

سَبَّحَ لِلَّهِ مَا فِی ٱلسَّمَـٰوَ ٰ⁠تِ وَمَا فِی ٱلۡأَرۡضِۖ وَهُوَ ٱلۡعَزِیزُ ٱلۡحَكِیمُ ﴿١﴾

अल्लाह के पवित्र होने का गान किया, हर उस चीज़ ने जो आकाशों और धरती में है और वही सब पर प्रभुत्वशाली, पूर्ण हिकमत वाला है।


Arabic explanations of the Qur’an:

یَـٰۤأَیُّهَا ٱلَّذِینَ ءَامَنُواْ لِمَ تَقُولُونَ مَا لَا تَفۡعَلُونَ ﴿٢﴾

ऐ ईमान वालो! तुम वह बात क्यों कहते हो जो तुम करते नहीं?


Arabic explanations of the Qur’an:

كَبُرَ مَقۡتًا عِندَ ٱللَّهِ أَن تَقُولُواْ مَا لَا تَفۡعَلُونَ ﴿٣﴾

अल्लाह को अत्यंत अप्रिय है कि तुम वह बात कहो, जो तुम करते नहीं।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّ ٱللَّهَ یُحِبُّ ٱلَّذِینَ یُقَـٰتِلُونَ فِی سَبِیلِهِۦ صَفࣰّا كَأَنَّهُم بُنۡیَـٰنࣱ مَّرۡصُوصࣱ ﴿٤﴾

निःसंदेह अल्लाह उन लोगों से प्रेम करता है, जो उसके मार्ग में पंक्तिबद्ध होकर युद्ध करते हैं, गोया वे एक सीसा पिलाई हुई इमारत हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَإِذۡ قَالَ مُوسَىٰ لِقَوۡمِهِۦ یَـٰقَوۡمِ لِمَ تُؤۡذُونَنِی وَقَد تَّعۡلَمُونَ أَنِّی رَسُولُ ٱللَّهِ إِلَیۡكُمۡۖ فَلَمَّا زَاغُوۤاْ أَزَاغَ ٱللَّهُ قُلُوبَهُمۡۚ وَٱللَّهُ لَا یَهۡدِی ٱلۡقَوۡمَ ٱلۡفَـٰسِقِینَ ﴿٥﴾

तथा याद करो जब मूसा ने अपनी जाति से कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! तुम मुझे क्यों कष्ट देते हो, जबकि निश्चय तुम जानते हो कि मैं तुम्हारी ओर अल्लाह का रसूल हूँ? फिर जब वे टेढ़े हो गए, तो अल्लाह ने उनके दिलों को टेढ़ा कर दिया और अल्लाह अवज्ञाकारी लोगों को सीधा मार्ग नहीं दिखाता।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَإِذۡ قَالَ عِیسَى ٱبۡنُ مَرۡیَمَ یَـٰبَنِیۤ إِسۡرَ ٰ⁠ۤءِیلَ إِنِّی رَسُولُ ٱللَّهِ إِلَیۡكُم مُّصَدِّقࣰا لِّمَا بَیۡنَ یَدَیَّ مِنَ ٱلتَّوۡرَىٰةِ وَمُبَشِّرَۢا بِرَسُولࣲ یَأۡتِی مِنۢ بَعۡدِی ٱسۡمُهُۥۤ أَحۡمَدُۖ فَلَمَّا جَاۤءَهُم بِٱلۡبَیِّنَـٰتِ قَالُواْ هَـٰذَا سِحۡرࣱ مُّبِینࣱ ﴿٦﴾

तथा याद करो जब मरयम के पुत्र ईसा ने कहा : ऐ इसराईल की संतान! निःसंदेह मैं तुम्हारी ओर अल्लाह का रसूल हूँ, उस तौरात की पुष्टि करने वाला हूँ, जो मुझसे पहले आई है तथा एक रसूल की शुभ सूचना देने वाला हूँ, जो मेरे बाद आएगा, जिसका नाम अहमद है। फिर जब वह उनके पास खुले प्रमाणों को लेकर आया, तो उन्होंने कहा यह खुला जादू है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَمَنۡ أَظۡلَمُ مِمَّنِ ٱفۡتَرَىٰ عَلَى ٱللَّهِ ٱلۡكَذِبَ وَهُوَ یُدۡعَىٰۤ إِلَى ٱلۡإِسۡلَـٰمِۚ وَٱللَّهُ لَا یَهۡدِی ٱلۡقَوۡمَ ٱلظَّـٰلِمِینَ ﴿٧﴾

और उससे अधिक अत्याचारी कौन है, जो अल्लाह पर झूठ गढ़े, जबकि उसे इस्लाम की ओर बुलाया जा रहा हो? और अल्लाह अत्याचारी लोगों को मार्गदर्शन नहीं देता।


Arabic explanations of the Qur’an:

یُرِیدُونَ لِیُطۡفِـُٔواْ نُورَ ٱللَّهِ بِأَفۡوَ ٰ⁠هِهِمۡ وَٱللَّهُ مُتِمُّ نُورِهِۦ وَلَوۡ كَرِهَ ٱلۡكَـٰفِرُونَ ﴿٨﴾

वे चाहते हैं कि अल्लाह के प्रकाश को अपने मुँहों से बुझा दें तथा अल्लाह अपने प्रकाश को पूरा करने वाला है, यद्यपि काफ़िरों को बुरा लगे।


Arabic explanations of the Qur’an:

هُوَ ٱلَّذِیۤ أَرۡسَلَ رَسُولَهُۥ بِٱلۡهُدَىٰ وَدِینِ ٱلۡحَقِّ لِیُظۡهِرَهُۥ عَلَى ٱلدِّینِ كُلِّهِۦ وَلَوۡ كَرِهَ ٱلۡمُشۡرِكُونَ ﴿٩﴾

वही है, जिसने अपने रसूल को मार्गदर्शन तथा सत्धर्म (इस्लाम) के साथ भेजा, ताकि वह उसे प्रत्येक धर्म पर प्रभुत्व प्रदान करे, यद्यपि मुश्रिकों को बुरा लगे।


Arabic explanations of the Qur’an:

یَـٰۤأَیُّهَا ٱلَّذِینَ ءَامَنُواْ هَلۡ أَدُلُّكُمۡ عَلَىٰ تِجَـٰرَةࣲ تُنجِیكُم مِّنۡ عَذَابٍ أَلِیمࣲ ﴿١٠﴾

ऐ ईमान वालो! क्या मैं तुम्हें ऐसा व्यापार बताऊँ, जो तुम्हें दर्दनाक यातना से बचा ले?


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تُؤۡمِنُونَ بِٱللَّهِ وَرَسُولِهِۦ وَتُجَـٰهِدُونَ فِی سَبِیلِ ٱللَّهِ بِأَمۡوَ ٰ⁠لِكُمۡ وَأَنفُسِكُمۡۚ ذَ ٰ⁠لِكُمۡ خَیۡرࣱ لَّكُمۡ إِن كُنتُمۡ تَعۡلَمُونَ ﴿١١﴾

तुम अल्लाह तथा उसके रसूल पर ईमान लाओ और अपने धनों और अपनी जानों के साथ अल्लाह के मार्ग में जिहाद करो। यह तुम्हारे लिए उत्तम है, यदि तुम जानते हो।


Arabic explanations of the Qur’an:

یَغۡفِرۡ لَكُمۡ ذُنُوبَكُمۡ وَیُدۡخِلۡكُمۡ جَنَّـٰتࣲ تَجۡرِی مِن تَحۡتِهَا ٱلۡأَنۡهَـٰرُ وَمَسَـٰكِنَ طَیِّبَةࣰ فِی جَنَّـٰتِ عَدۡنࣲۚ ذَ ٰ⁠لِكَ ٱلۡفَوۡزُ ٱلۡعَظِیمُ ﴿١٢﴾

वह तुम्हारे पापों को क्षमा कर देगा और तुम्हें ऐसी जन्नतों में दाखिल करेगा, जिनके तले नहरें बहती हैं और पवित्र आवासों में, जो हमेशा रहने की जन्नतों में हैं। यही बड़ी सफलता है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَأُخۡرَىٰ تُحِبُّونَهَاۖ نَصۡرࣱ مِّنَ ٱللَّهِ وَفَتۡحࣱ قَرِیبࣱۗ وَبَشِّرِ ٱلۡمُؤۡمِنِینَ ﴿١٣﴾

और एक अन्य वस्तु, जो तुम पसंद करते हो। अल्लाह की ओर से सहायता तथा निकट विजय। और ईमान वालों को शुभ सूचना सुना दो।


Arabic explanations of the Qur’an:

یَـٰۤأَیُّهَا ٱلَّذِینَ ءَامَنُواْ كُونُوۤاْ أَنصَارَ ٱللَّهِ كَمَا قَالَ عِیسَى ٱبۡنُ مَرۡیَمَ لِلۡحَوَارِیِّـۧنَ مَنۡ أَنصَارِیۤ إِلَى ٱللَّهِۖ قَالَ ٱلۡحَوَارِیُّونَ نَحۡنُ أَنصَارُ ٱللَّهِۖ فَـَٔامَنَت طَّاۤىِٕفَةࣱ مِّنۢ بَنِیۤ إِسۡرَ ٰ⁠ۤءِیلَ وَكَفَرَت طَّاۤىِٕفَةࣱۖ فَأَیَّدۡنَا ٱلَّذِینَ ءَامَنُواْ عَلَىٰ عَدُوِّهِمۡ فَأَصۡبَحُواْ ظَـٰهِرِینَ ﴿١٤﴾

ऐ ईमान वालो! तुम अल्लाह (के धर्म) के सहायक बन जाओ, जिस तरह मरयम के पुत्र ईसा ने ह़वारियों से कहा : अल्लाह की ओर मेरे सहायक कौन हैं? ह़वारियों ने कहा : हम अल्लाह के (धर्म के) सहायक हैं। तो बनी इसराईल में से एक समूह ईमान लाया और एक समूह ने इनकार किया। फिर हमने उन लोगों का, जो ईमान लाए थे, उनके शत्रुओं के विरुद्ध समर्थन किया, तो वे हावी हो गए।


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