نۤۚ وَٱلۡقَلَمِ وَمَا یَسۡطُرُونَ ﴿١﴾
नून। क़सम है क़लम की तथा उसकी[1] जो वे लिखते हैं।
وَإِنَّ لَكَ لَأَجۡرًا غَیۡرَ مَمۡنُونࣲ ﴿٣﴾
तथा निःसंदेह आपके लिए निश्चय ऐसा प्रतिफल है जो निर्बाध है।
إِنَّ رَبَّكَ هُوَ أَعۡلَمُ بِمَن ضَلَّ عَن سَبِیلِهِۦ وَهُوَ أَعۡلَمُ بِٱلۡمُهۡتَدِینَ ﴿٧﴾
निःसंदेह आपका पालनहार ही उसे अधिक जानता है, जो उसकी राह से भटक गया तथा वही अधिक जानता है उन्हें, जो सीधे मार्ग पर हैं।
وَدُّواْ لَوۡ تُدۡهِنُ فَیُدۡهِنُونَ ﴿٩﴾
वे चाहते हैं काश! आप नरमी करें, तो वे भी नरमी[2] करें।
وَلَا تُطِعۡ كُلَّ حَلَّافࣲ مَّهِینٍ ﴿١٠﴾
और आप किसी बहुत क़समें खाने वाले, हीन व्यक्ति की बात न मानें।[3]
إِذَا تُتۡلَىٰ عَلَیۡهِ ءَایَـٰتُنَا قَالَ أَسَـٰطِیرُ ٱلۡأَوَّلِینَ ﴿١٥﴾
जब उसके सामने हमारी आयतें पढ़ी जाती हैं, तो कहता है : यह पहले लोगों की (कल्पित) कहानियाँ हैं।
سَنَسِمُهُۥ عَلَى ٱلۡخُرۡطُومِ ﴿١٦﴾
शीघ्र ही हम उसकी थूथन[4] पर दाग़ लगाएँगे।
إِنَّا بَلَوۡنَـٰهُمۡ كَمَا بَلَوۡنَاۤ أَصۡحَـٰبَ ٱلۡجَنَّةِ إِذۡ أَقۡسَمُواْ لَیَصۡرِمُنَّهَا مُصۡبِحِینَ ﴿١٧﴾
निःसंदेह हमने उन्हें परीक्षा में डाला[5] है, जिस प्रकार बाग़ वालों को परीक्षा में डाला था, जब उन्होंने क़सम खाई कि भोर होते ही उसके फल अवश्य तोड़ लेंगे।
فَطَافَ عَلَیۡهَا طَاۤىِٕفࣱ مِّن رَّبِّكَ وَهُمۡ نَاۤىِٕمُونَ ﴿١٩﴾
तो आपके पालनहार की ओर से उस (बाग़) पर एक यातना फिर गई, जबकि वे सोए हुए थे।
أَنِ ٱغۡدُواْ عَلَىٰ حَرۡثِكُمۡ إِن كُنتُمۡ صَـٰرِمِینَ ﴿٢٢﴾
कि अपने खेत पर सवेरे ही जा पहुँचो, यदि तुम फल तोड़ने वाले हो।
أَن لَّا یَدۡخُلَنَّهَا ٱلۡیَوۡمَ عَلَیۡكُم مِّسۡكِینࣱ ﴿٢٤﴾
कि आज उस (बाग़) में तुम्हारे पास कोई निर्धन[6] हरगिज़ न आने पाए।
وَغَدَوۡاْ عَلَىٰ حَرۡدࣲ قَـٰدِرِینَ ﴿٢٥﴾
और वे सुबह-सुबह (यह सोचकर) निकले कि वे (निर्धनों को) रोकने में सक्षम हैं।
فَلَمَّا رَأَوۡهَا قَالُوۤاْ إِنَّا لَضَاۤلُّونَ ﴿٢٦﴾
फिर जब उन्होंने उसे देखा, तो कहा : निःसंदेह हम निश्चय रास्ता भूल गए हैं।
بَلۡ نَحۡنُ مَحۡرُومُونَ ﴿٢٧﴾
बल्कि हम वंचित[7] कर दिए गए हैं।
قَالَ أَوۡسَطُهُمۡ أَلَمۡ أَقُل لَّكُمۡ لَوۡلَا تُسَبِّحُونَ ﴿٢٨﴾
उनमें से बेहतर ने कहा : क्या मैंने तुमसे नहीं कहा था कि तुम (अल्लाह की) पवित्रता का वर्णन क्यों नहीं करते?
قَالُواْ سُبۡحَـٰنَ رَبِّنَاۤ إِنَّا كُنَّا ظَـٰلِمِینَ ﴿٢٩﴾
उन्होंने कहा : हमारा रब पवित्र है। निःसंदेह हम ही अत्याचारी थे।
قَالُواْ یَـٰوَیۡلَنَاۤ إِنَّا كُنَّا طَـٰغِینَ ﴿٣١﴾
उन्होंने कहा : हाय हमारा विनाश! निश्चय हम ही सीमा का उल्लंघन करने वाले थे।
عَسَىٰ رَبُّنَاۤ أَن یُبۡدِلَنَا خَیۡرࣰا مِّنۡهَاۤ إِنَّاۤ إِلَىٰ رَبِّنَا رَ ٰغِبُونَ ﴿٣٢﴾
आशा है कि हमारा पालनहार हमें बदले में इस (बाग़) से बेहतर प्रदान करेगा। निश्चय हम अपने पालनहार ही की ओर इच्छा रखने वाले हैं।
كَذَ ٰلِكَ ٱلۡعَذَابُۖ وَلَعَذَابُ ٱلۡـَٔاخِرَةِ أَكۡبَرُۚ لَوۡ كَانُواْ یَعۡلَمُونَ ﴿٣٣﴾
इसी तरह होती है यातना, और आख़िरत की यातना तो इससे भी बड़ी है। काश वे जानते होते!
إِنَّ لِلۡمُتَّقِینَ عِندَ رَبِّهِمۡ جَنَّـٰتِ ٱلنَّعِیمِ ﴿٣٤﴾
निःसंदेह डरने वालों के लिए उनके पालनहार के पास नेमत के बाग़ हैं।
أَفَنَجۡعَلُ ٱلۡمُسۡلِمِینَ كَٱلۡمُجۡرِمِینَ ﴿٣٥﴾
तो क्या हम आज्ञाकारियों[8] को अपराध करने वालों की तरह कर देंगे?
إِنَّ لَكُمۡ فِیهِ لَمَا تَخَیَّرُونَ ﴿٣٨﴾
(कि) निश्चय तुम्हारे लिए आख़िरत में वही होगा, जो तुम पसंद करोगे?
أَمۡ لَكُمۡ أَیۡمَـٰنٌ عَلَیۡنَا بَـٰلِغَةٌ إِلَىٰ یَوۡمِ ٱلۡقِیَـٰمَةِ إِنَّ لَكُمۡ لَمَا تَحۡكُمُونَ ﴿٣٩﴾
या तुम्हारे लिए हमारे ऊपर क़समें हैं, जो क़ियामत के दिन तक बाक़ी रहने वाली हैं कि तुम्हारे लिए निश्चय वही होगा, जो तुम निर्णय करोगे?
أَمۡ لَهُمۡ شُرَكَاۤءُ فَلۡیَأۡتُواْ بِشُرَكَاۤىِٕهِمۡ إِن كَانُواْ صَـٰدِقِینَ ﴿٤١﴾
क्या उनके कोई साझी हैं? फिर तो वे अपने साझियों को ले आएँ[9], यदि वे सच्चे हैं।
یَوۡمَ یُكۡشَفُ عَن سَاقࣲ وَیُدۡعَوۡنَ إِلَى ٱلسُّجُودِ فَلَا یَسۡتَطِیعُونَ ﴿٤٢﴾
जिस दिन पिंडली खोल दी जाएगी और वे सजदा करने के लिए बुलाए जाएँगे, तो वे सजदा नहीं कर सकेंगे।[10]
خَـٰشِعَةً أَبۡصَـٰرُهُمۡ تَرۡهَقُهُمۡ ذِلَّةࣱۖ وَقَدۡ كَانُواْ یُدۡعَوۡنَ إِلَى ٱلسُّجُودِ وَهُمۡ سَـٰلِمُونَ ﴿٤٣﴾
उनकी आँखें झुकी होंगी, उनपर अपमान छाया होगा। हालाँकि उन्हें (संसार में) सजदे की ओर बुलाया जाता था, जबकि वे भले-चंगे थे।
فَذَرۡنِی وَمَن یُكَذِّبُ بِهَـٰذَا ٱلۡحَدِیثِۖ سَنَسۡتَدۡرِجُهُم مِّنۡ حَیۡثُ لَا یَعۡلَمُونَ ﴿٤٤﴾
अतः आप मुझे तथा उसको छोड़ दें, जो इस वाणी (क़ुरआन) को झुठलाता है। हम उन्हें धीरे-धीरे (यातना की ओर) इस प्रकार ले जाएँगे[11] कि वे जान भी न सकेंगे।
وَأُمۡلِی لَهُمۡۚ إِنَّ كَیۡدِی مَتِینٌ ﴿٤٥﴾
और मैं उन्हें मोहलत (अवकाश) दूँगा।[12] निश्चय मेरा उपाय बड़ा मज़बूत है।
أَمۡ تَسۡـَٔلُهُمۡ أَجۡرࣰا فَهُم مِّن مَّغۡرَمࣲ مُّثۡقَلُونَ ﴿٤٦﴾
क्या आप उनसे कोई पारिश्रमिक[13] माँगते हैं कि वे तावान के बोझ से दबे जा रहे हैं?
أَمۡ عِندَهُمُ ٱلۡغَیۡبُ فَهُمۡ یَكۡتُبُونَ ﴿٤٧﴾
अथवा उनके पास परोक्ष (का ज्ञान) है, तो वे लिख[14] रहे हैं?
فَٱصۡبِرۡ لِحُكۡمِ رَبِّكَ وَلَا تَكُن كَصَاحِبِ ٱلۡحُوتِ إِذۡ نَادَىٰ وَهُوَ مَكۡظُومࣱ ﴿٤٨﴾
अतः अपने पालनहार के निर्णय तक धैर्य रखें और मछली वाले के समान[15] न हो जाएँ, जब उसने (अल्लाह को) पुकारा, इस हाल में कि वह शोक से भरा हुआ था।
لَّوۡلَاۤ أَن تَدَ ٰرَكَهُۥ نِعۡمَةࣱ مِّن رَّبِّهِۦ لَنُبِذَ بِٱلۡعَرَاۤءِ وَهُوَ مَذۡمُومࣱ ﴿٤٩﴾
और यदि उसके पालनहार की अनुकंपा ने उसे संभाल न लिया होता, तो निश्चय वह चटियल मैदान में इस दशा में फेंक दिया जाता कि वह निंदित होता।
فَٱجۡتَبَـٰهُ رَبُّهُۥ فَجَعَلَهُۥ مِنَ ٱلصَّـٰلِحِینَ ﴿٥٠﴾
फिर उसके पालनहार ने उसे चुन लिया और उसे सदाचारियों में से बना दिया।
وَإِن یَكَادُ ٱلَّذِینَ كَفَرُواْ لَیُزۡلِقُونَكَ بِأَبۡصَـٰرِهِمۡ لَمَّا سَمِعُواْ ٱلذِّكۡرَ وَیَقُولُونَ إِنَّهُۥ لَمَجۡنُونࣱ ﴿٥١﴾
और वे लोग जिन्होंने इनकार किया, निश्चय क़रीब हैं कि वे अपनी निगाहों से (घूर घूरकर) आपको अवश्य ही फिसला देंगे, जब वे क़ुरआन को सुनते हैं और कहते हैं कि यह अवश्य ही दीवाना है।