Surah सूरा अल्-मआ़रिज - Al-Ma‘ārij

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Surah सूरा अल्-मआ़रिज - Al-Ma‘ārij - Aya count 44

سَأَلَ سَاۤىِٕلُۢ بِعَذَابࣲ وَاقِعࣲ ﴿١﴾

एक माँगने वाले[1] ने वह यातना माँगी, जो घटित होने वाली है।

1. कहा जाता है नज़्र पुत्र ह़ारिस अथवा अबू जह्ल ने यह माँग की थी कि "ऐ अल्लाह! यदि यह सत्य है तेरी ओर से तो तू हमपर आकाश से पत्थर बरसा दे।" (देखिए : सूरतुल-अन्फाल, आयतः 32)


Arabic explanations of the Qur’an:

لِّلۡكَـٰفِرِینَ لَیۡسَ لَهُۥ دَافِعࣱ ﴿٢﴾

काफ़िरों पर। उसे कोई टालने वाला नहीं।


Arabic explanations of the Qur’an:

مِّنَ ٱللَّهِ ذِی ٱلۡمَعَارِجِ ﴿٣﴾

ऊँचाइयों वाले अल्लाह की ओर से।


Arabic explanations of the Qur’an:

تَعۡرُجُ ٱلۡمَلَـٰۤىِٕكَةُ وَٱلرُّوحُ إِلَیۡهِ فِی یَوۡمࣲ كَانَ مِقۡدَارُهُۥ خَمۡسِینَ أَلۡفَ سَنَةࣲ ﴿٤﴾

फ़रिश्ते और रूह[2] उसकी ओर चढ़ेंगे, एक ऐसे दिन में जिसकी मात्रा पचास हज़ार वर्ष है।

2. रूह़ से अभिप्राय फ़रिश्ता जिबरील (अलैहिस्सलाम) हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَٱصۡبِرۡ صَبۡرࣰا جَمِیلًا ﴿٥﴾

अतः (ऐ नबी!) आप अच्छे धैर्य से काम लें।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّهُمۡ یَرَوۡنَهُۥ بَعِیدࣰا ﴿٦﴾

निःसंदेह वे उसे दूर समझ रहे हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَنَرَىٰهُ قَرِیبࣰا ﴿٧﴾

और हम उसे निकट देख रहे हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

یَوۡمَ تَكُونُ ٱلسَّمَاۤءُ كَٱلۡمُهۡلِ ﴿٨﴾

जिस दिन आकाश पिघली हुई धातु के समान हो जाएगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَتَكُونُ ٱلۡجِبَالُ كَٱلۡعِهۡنِ ﴿٩﴾

और पर्वत धुने हुए ऊन के समान हो जाएँगे।[3]

3. देखिए : सूरतुल-क़ारिआ।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَا یَسۡـَٔلُ حَمِیمٌ حَمِیمࣰا ﴿١٠﴾

और कोई मित्र किसी मित्र को नहीं पूछेगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

یُبَصَّرُونَهُمۡۚ یَوَدُّ ٱلۡمُجۡرِمُ لَوۡ یَفۡتَدِی مِنۡ عَذَابِ یَوۡمِىِٕذِۭ بِبَنِیهِ ﴿١١﴾

हालाँकि वे उन्हें दिखाए जा रहे होंगे। अपराधी चाहेगा कि काश उस दिन की यातना से बचने के लिए छुड़ौती में दे दे अपने बेटों को।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَصَـٰحِبَتِهِۦ وَأَخِیهِ ﴿١٢﴾

तथा अपनी पत्नी और अपने भाई को।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَفَصِیلَتِهِ ٱلَّتِی تُـٔۡوِیهِ ﴿١٣﴾

तथा अपने परिवार (कुटुंब) को, जो उसे शरण देता था।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَمَن فِی ٱلۡأَرۡضِ جَمِیعࣰا ثُمَّ یُنجِیهِ ﴿١٤﴾

और उन सभी लोगों[4] को जो धरती में हैं। फिर अपने आपको बचा ले।

4. ह़दीस में है कि जिस नारकी को सबसे सरल यातना दी जाएगी, उससे अल्लाह कहेगा : क्या धरती का सब कुछ तुम्हें मिल जाए तो उसे इसके दंड में दे दोगे? वह कहेगा : हाँ। अल्लाह कहेगा : तुम आदम की पीठ में थे, तो मैंने तुमसे इससे सरल की माँग की थी कि मेरा किसी को साझी न बनाना, पर तुमने इनकार किया और शिर्क किया। (सह़ीह़ बुख़ारी : 6557, सह़ीह़ मुस्लिम : 2805)


Arabic explanations of the Qur’an:

كَلَّاۤۖ إِنَّهَا لَظَىٰ ﴿١٥﴾

कदापि नहीं! निःसंदेह वह (जहन्नम) भड़कने वाली आग है।


Arabic explanations of the Qur’an:

نَزَّاعَةࣰ لِّلشَّوَىٰ ﴿١٦﴾

जो खाल उधेड़ देने वाली है।


Arabic explanations of the Qur’an:

تَدۡعُواْ مَنۡ أَدۡبَرَ وَتَوَلَّىٰ ﴿١٧﴾

वह उसे पुकारेगी, जिसने पीठ फेरी[5] और मुँह मोड़ा।

5. अर्थात सत्य से।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَجَمَعَ فَأَوۡعَىٰۤ ﴿١٨﴾

तथा (धन) एकत्र किया और संभाल कर रखा।


Arabic explanations of the Qur’an:

۞ إِنَّ ٱلۡإِنسَـٰنَ خُلِقَ هَلُوعًا ﴿١٩﴾

निःसंदेह मनुष्य बहुत अधीर बनाया गया है।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِذَا مَسَّهُ ٱلشَّرُّ جَزُوعࣰا ﴿٢٠﴾

जब उसे कष्ट पहुँचता है, तो बहुत घबरा जाने वाला है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَإِذَا مَسَّهُ ٱلۡخَیۡرُ مَنُوعًا ﴿٢١﴾

और जब उसे भलाई मिलती है, तो बहुत रोकने वाला है।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِلَّا ٱلۡمُصَلِّینَ ﴿٢٢﴾

सिवाय नमाज़ियों के।


Arabic explanations of the Qur’an:

ٱلَّذِینَ هُمۡ عَلَىٰ صَلَاتِهِمۡ دَاۤىِٕمُونَ ﴿٢٣﴾

जो हमेशा अपनी नमाज़ों की पाबंदी करते हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلَّذِینَ فِیۤ أَمۡوَ ٰ⁠لِهِمۡ حَقࣱّ مَّعۡلُومࣱ ﴿٢٤﴾

और जिनके धन में एक निश्चित भाग है।


Arabic explanations of the Qur’an:

لِّلسَّاۤىِٕلِ وَٱلۡمَحۡرُومِ ﴿٢٥﴾

माँगने वाले तथा वंचित[6] के लिए।

6. अर्थात जो न माँगने के कारण वंचित रह जाता है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلَّذِینَ یُصَدِّقُونَ بِیَوۡمِ ٱلدِّینِ ﴿٢٦﴾

और जो बदले के दिन को सत्य मानते हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلَّذِینَ هُم مِّنۡ عَذَابِ رَبِّهِم مُّشۡفِقُونَ ﴿٢٧﴾

और जो अपने पालनहार की यातना से डरने वाले हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّ عَذَابَ رَبِّهِمۡ غَیۡرُ مَأۡمُونࣲ ﴿٢٨﴾

निश्चय उनके पालनहार की यातना ऐसी चीज़ है, जिससे निश्चिंत नहीं हुआ जा सकता।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلَّذِینَ هُمۡ لِفُرُوجِهِمۡ حَـٰفِظُونَ ﴿٢٩﴾

और जो अपने गुप्तांगों की रक्षा करते हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِلَّا عَلَىٰۤ أَزۡوَ ٰ⁠جِهِمۡ أَوۡ مَا مَلَكَتۡ أَیۡمَـٰنُهُمۡ فَإِنَّهُمۡ غَیۡرُ مَلُومِینَ ﴿٣٠﴾

सिवाय अपनी पत्नियों से या अपने स्वामित्व में आई दासियों[7] से, तो निश्चय वे निंदनीय नहीं हैं।

7. इस्लाम में उसी दासी से संभोग उचित है जिसे सेनापति ने ग़नीमत के दूसरे धनों के समान किसी मुजाहिद के स्वामित्व में दे दिया हो। इससे पूर्व किसी बंदी स्त्री से संभोग पाप तथा व्यभिचार है। और उससे संभोग भी उस समय वैध है जब उसे एक बार मासिक धर्म आ जाए। अथवा गर्भवती हो, तो प्रसव के पश्चात् ही संभोग किया जा सकता है। इसी प्रकार जिसके स्वामित्व में आई हो, उसके सिवा और कोई उससे संभोग नहीं कर सकता।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَمَنِ ٱبۡتَغَىٰ وَرَاۤءَ ذَ ٰ⁠لِكَ فَأُوْلَـٰۤىِٕكَ هُمُ ٱلۡعَادُونَ ﴿٣١﴾

फिर जो इसके अलावा कुछ और चाहे, तो ऐसे ही लोग सीमा का उल्लंघन करने वाले हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلَّذِینَ هُمۡ لِأَمَـٰنَـٰتِهِمۡ وَعَهۡدِهِمۡ رَ ٰ⁠عُونَ ﴿٣٢﴾

और जो अपनी अमानतों तथा अपनी प्रतिज्ञा का ध्यान रखने वाले हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلَّذِینَ هُم بِشَهَـٰدَ ٰ⁠تِهِمۡ قَاۤىِٕمُونَ ﴿٣٣﴾

और जो अपनी गवाहियों पर क़ायम रहने वाले हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلَّذِینَ هُمۡ عَلَىٰ صَلَاتِهِمۡ یُحَافِظُونَ ﴿٣٤﴾

तथा जो अपनी नमाज़ की रक्षा करते हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

أُوْلَـٰۤىِٕكَ فِی جَنَّـٰتࣲ مُّكۡرَمُونَ ﴿٣٥﴾

वही लोग जन्नतों में सम्मानित होंगे।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَمَالِ ٱلَّذِینَ كَفَرُواْ قِبَلَكَ مُهۡطِعِینَ ﴿٣٦﴾

फिर इन काफ़िरों को क्या हुआ है कि वे आपकी ओर दौड़े चले आ रहे है?


Arabic explanations of the Qur’an:

عَنِ ٱلۡیَمِینِ وَعَنِ ٱلشِّمَالِ عِزِینَ ﴿٣٧﴾

दाएँ से और बाएँ से समूह के समूह।[8]

8. अर्थात जब आप क़ुरआन सुनाते हैं, तो उसका उपहास करने के लिए समूहों में होकर आ जाते हैं। और इनका दावा यह है कि स्वर्ग में जाएँगे।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَیَطۡمَعُ كُلُّ ٱمۡرِئࣲ مِّنۡهُمۡ أَن یُدۡخَلَ جَنَّةَ نَعِیمࣲ ﴿٣٨﴾

क्या उनमें से प्रत्येक व्यक्ति यह लालच रखता है कि उसे नेमत वाली जन्नत में दाखिल किया जाएगा?


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كَلَّاۤۖ إِنَّا خَلَقۡنَـٰهُم مِّمَّا یَعۡلَمُونَ ﴿٣٩﴾

कदापि नहीं, निश्चय हमने उन्हें उस चीज़[9] से पैदा किया है, जिसे वे जानते हैं।

9. अर्थात हीन जल (वीर्य) से। फिर भी घमंड करते हैं, तथा अल्लाह और उसके रसूल को नहीं मानते।


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فَلَاۤ أُقۡسِمُ بِرَبِّ ٱلۡمَشَـٰرِقِ وَٱلۡمَغَـٰرِبِ إِنَّا لَقَـٰدِرُونَ ﴿٤٠﴾

तो मैं क़सम खाता हूँ पूर्वों (सूर्योदय के स्थानों) तथा पश्चिमों (सूर्यास्त के स्थानों) के रब की! निश्चय हम सक्षम हैं।


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عَلَىٰۤ أَن نُّبَدِّلَ خَیۡرࣰا مِّنۡهُمۡ وَمَا نَحۡنُ بِمَسۡبُوقِینَ ﴿٤١﴾

कि उनके स्थान पर उनसे उत्तम लोग ले आएँ तथा हम विवश नहीं हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَذَرۡهُمۡ یَخُوضُواْ وَیَلۡعَبُواْ حَتَّىٰ یُلَـٰقُواْ یَوۡمَهُمُ ٱلَّذِی یُوعَدُونَ ﴿٤٢﴾

अतः आप उन्हें छोड़ दें कि वे व्यर्थ की बातों में लगे रहें तथा खेलते रहें, यहाँ तक कि उनका सामना उनके उस दिन से हो जाए, जिसका उनसे वादा किया जाता है।


Arabic explanations of the Qur’an:

یَوۡمَ یَخۡرُجُونَ مِنَ ٱلۡأَجۡدَاثِ سِرَاعࣰا كَأَنَّهُمۡ إِلَىٰ نُصُبࣲ یُوفِضُونَ ﴿٤٣﴾

जिस दिन वे क़ब्रों से तेज़ी से बाहर निकलेंगे, जैसे कि वे किसी निशान की ओर[10] दौड़े जा रहे हैं।

10. या उनके थानों की ओर। क्योंकि संसार में वे सूर्योदय के समय बड़ी तीव्र गति से अपनी मूर्तियों की ओर दौड़ते थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

خَـٰشِعَةً أَبۡصَـٰرُهُمۡ تَرۡهَقُهُمۡ ذِلَّةࣱۚ ذَ ٰ⁠لِكَ ٱلۡیَوۡمُ ٱلَّذِی كَانُواْ یُوعَدُونَ ﴿٤٤﴾

उनकी निगाहें झुकी होंगी, उनपर अपमान छाया होगा। यही वह दिन है जिसका उनसे वादा किया[11] जाता था।

11. अर्थात रसूलों की ज़बानी तथा आकाशीय पुस्तकों के माध्यम से।


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