Surah सूरा अल्-मुद्दस्सिर - Al-Muddaththir

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Surah सूरा अल्-मुद्दस्सिर - Al-Muddaththir - Aya count 56

یَـٰۤأَیُّهَا ٱلۡمُدَّثِّرُ ﴿١﴾

ऐ कपड़े में लिपटने वाले![1]

1. नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर प्रथम वह़्य के पश्चात् कुछ दिनों तक वह़्य नहीं आई। फिर एक बार आप जा रहे थे कि आकाश से एक आवाज़ सुनी। ऊपर देखा, तो वही फ़रिश्ता जो आपके पास 'ह़िरा' नामी गुफ़ा में आया था आकाश तथा धरती के बीच एक कुर्सी पर विराजमान था। जिससे आप डर गए और धरती पर गिर गए। फिर घर आए और अपनी पत्नी से कहा : मुझे चादर ओढ़ा दो, मुझे चादर ओढ़ा दो। उन्होंने चादर ओढ़ा दी। और अल्लाह ने यह सूरत उतारी। फिर निरंतर वह़्य आने लगी। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4925, 4926, सह़ीह़ मुस्लिम : 161) प्रथम वह़्य से आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को नबी बनाया गया। और अब आपपर धर्म के प्रचार का भार रख दिया गया। इन आयतों में आपके माध्यम से मुसलमानों को पवित्र रहने के निर्देश दिए गए हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

قُمۡ فَأَنذِرۡ ﴿٢﴾

खड़े हो जाओ, फिर सावधान करो।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَرَبَّكَ فَكَبِّرۡ ﴿٣﴾

तथा अपने पालनहार ही की महिमा का वर्णन करो।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَثِیَابَكَ فَطَهِّرۡ ﴿٤﴾

तथा अपने कपड़े को पवित्र रखो।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلرُّجۡزَ فَٱهۡجُرۡ ﴿٥﴾

और गंदगी (बुतों) से दूर रहो।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَا تَمۡنُن تَسۡتَكۡثِرُ ﴿٦﴾

तथा उपकार न जताओ (अपनी नेकियों को) अधिक समझ कर।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلِرَبِّكَ فَٱصۡبِرۡ ﴿٧﴾

और अपने पालनहार ही के लिए धैर्य से काम लो।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَإِذَا نُقِرَ فِی ٱلنَّاقُورِ ﴿٨﴾

फिर जब सूर में फूँक[2] मारी जाएगी।

2. अर्थात प्रलय के दिन।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَذَ ٰ⁠لِكَ یَوۡمَىِٕذࣲ یَوۡمٌ عَسِیرٌ ﴿٩﴾

तो वह दिन अति भीषण दिन होगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

عَلَى ٱلۡكَـٰفِرِینَ غَیۡرُ یَسِیرࣲ ﴿١٠﴾

काफ़िरों पर आसान न होगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

ذَرۡنِی وَمَنۡ خَلَقۡتُ وَحِیدࣰا ﴿١١﴾

आप मुझे और उसे छोड़ दें, जिसे मैंने अकेला पैदा किया।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَجَعَلۡتُ لَهُۥ مَالࣰا مَّمۡدُودࣰا ﴿١٢﴾

और मैंने उसे बहुत सारा धन प्रदान किया।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَبَنِینَ شُهُودࣰا ﴿١٣﴾

और उपस्थित रहने वाले बेटे[3] दिए।

3. जो उसकी सेवा में उपस्थित रहते हैं। कहा गया है कि इससे अभिप्राय वलीद बिन मुग़ीरह है, जिसके दस पुत्र थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَمَهَّدتُّ لَهُۥ تَمۡهِیدࣰا ﴿١٤﴾

और मैंने उसे प्रत्येक प्रकार का संसाधन दिया।


Arabic explanations of the Qur’an:

ثُمَّ یَطۡمَعُ أَنۡ أَزِیدَ ﴿١٥﴾

फिर वह लोभ रखता है कि मैं उसे और अधिक दूँ।


Arabic explanations of the Qur’an:

كَلَّاۤۖ إِنَّهُۥ كَانَ لِـَٔایَـٰتِنَا عَنِیدࣰا ﴿١٦﴾

कदापि नहीं! निश्चय वह हमारी आयतों का सख़्त विरोधी है।


Arabic explanations of the Qur’an:

سَأُرۡهِقُهُۥ صَعُودًا ﴿١٧﴾

शीघ्र ही मैं उसे एक कठोर चढ़ाई[4] चढ़ाऊँगा।

4. अर्थात कड़ी यातना दूँगा। (इब्ने कसीर)


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّهُۥ فَكَّرَ وَقَدَّرَ ﴿١٨﴾

निःसंदेह उसने सोच-विचार किया और बात बनाई।[5]

5. क़ुरआन के संबंध में प्रश्न किया गया तो वह सोचने लगा कि कौन सी बात बनाए और उसके बारे में क्या कहे? (इब्ने कसीर)


Arabic explanations of the Qur’an:

فَقُتِلَ كَیۡفَ قَدَّرَ ﴿١٩﴾

तो वह मारा जाए! उसने कैसी कैसी बात बनाई?


Arabic explanations of the Qur’an:

ثُمَّ قُتِلَ كَیۡفَ قَدَّرَ ﴿٢٠﴾

फिर मारा जाए! उसने कैसी बात बनाई?


Arabic explanations of the Qur’an:

ثُمَّ نَظَرَ ﴿٢١﴾

फिर उसने देखा।


Arabic explanations of the Qur’an:

ثُمَّ عَبَسَ وَبَسَرَ ﴿٢٢﴾

फिर उसने त्योरी चढ़ाई और मुँह बनाया।


Arabic explanations of the Qur’an:

ثُمَّ أَدۡبَرَ وَٱسۡتَكۡبَرَ ﴿٢٣﴾

फिर उसने पीठ फेरी और घमंड किया।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَقَالَ إِنۡ هَـٰذَاۤ إِلَّا سِحۡرࣱ یُؤۡثَرُ ﴿٢٤﴾

फिर उसने कहा : यह तो मात्र एक जादू है, जो (पहलों से) नक़ल (उद्धृत) किया जाता है।[6]

6. अर्थात मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने यह किसी से सीख लिया है। कहा जाता है कि वलीद बिन मुग़ीरह ने अबू जह्ल से कहा था कि लोगों में क़ुरआन के जादू होने का प्रचार किया जाए।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنۡ هَـٰذَاۤ إِلَّا قَوۡلُ ٱلۡبَشَرِ ﴿٢٥﴾

यह तो मात्र मनुष्य[7] की वाणी है।

7. अर्थात अल्लाह की वाणी नहीं है।


Arabic explanations of the Qur’an:

سَأُصۡلِیهِ سَقَرَ ﴿٢٦﴾

मैं उसे शीघ्र ही 'सक़र' (जहन्नम) में झोंक दूँगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَمَاۤ أَدۡرَىٰكَ مَا سَقَرُ ﴿٢٧﴾

और आपको किस चीज़ ने अवगत कराया कि 'सक़र' (जहन्नम) क्या है?


Arabic explanations of the Qur’an:

لَا تُبۡقِی وَلَا تَذَرُ ﴿٢٨﴾

वह न शेष रखेगी और न छोड़ेगी।


Arabic explanations of the Qur’an:

لَوَّاحَةࣱ لِّلۡبَشَرِ ﴿٢٩﴾

वह खाल को झुलस देने वाली है।


Arabic explanations of the Qur’an:

عَلَیۡهَا تِسۡعَةَ عَشَرَ ﴿٣٠﴾

उसपर उन्नीस (फ़रिश्ते) नियुक्त हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَمَا جَعَلۡنَاۤ أَصۡحَـٰبَ ٱلنَّارِ إِلَّا مَلَـٰۤىِٕكَةࣰۖ وَمَا جَعَلۡنَا عِدَّتَهُمۡ إِلَّا فِتۡنَةࣰ لِّلَّذِینَ كَفَرُواْ لِیَسۡتَیۡقِنَ ٱلَّذِینَ أُوتُواْ ٱلۡكِتَـٰبَ وَیَزۡدَادَ ٱلَّذِینَ ءَامَنُوۤاْ إِیمَـٰنࣰا وَلَا یَرۡتَابَ ٱلَّذِینَ أُوتُواْ ٱلۡكِتَـٰبَ وَٱلۡمُؤۡمِنُونَ وَلِیَقُولَ ٱلَّذِینَ فِی قُلُوبِهِم مَّرَضࣱ وَٱلۡكَـٰفِرُونَ مَاذَاۤ أَرَادَ ٱللَّهُ بِهَـٰذَا مَثَلࣰاۚ كَذَ ٰ⁠لِكَ یُضِلُّ ٱللَّهُ مَن یَشَاۤءُ وَیَهۡدِی مَن یَشَاۤءُۚ وَمَا یَعۡلَمُ جُنُودَ رَبِّكَ إِلَّا هُوَۚ وَمَا هِیَ إِلَّا ذِكۡرَىٰ لِلۡبَشَرِ ﴿٣١﴾

और हमने जहन्नम के रक्षक फ़रिश्ते ही बनाए हैं और उनकी संख्या को काफ़िरों के लिए परीक्षण बनाया है। ताकि अह्ले किताब[8] विश्वास कर लें और ईमान वाले ईमान में आगे बढ़ जाएँ। और किताब वाले एवं ईमान वाले किसी संदेह में न पड़ें। और ताकि वे लोग जिनके दिलों में रोग है और वे लोग जो काफ़िर[9] हैं, यह कहें कि इस उदाहरण से अल्लाह का क्या तात्पर्य है? ऐसे ही, अल्लाह जिसे चाहता है गुमराह करता है और जिसे चाहता है सीधा मार्ग दिखाता है। और आपके पालनहार की सेनाओं को उसके सिवा कोई नहीं जानता। और यह तो केवल मनुष्य के लिए उपदेश है।

8. क्योंकि यहूदियों तथा ईसाइयों की पुस्तकों में भी नरक के अधिकारियों की यही संख्या बताई गई है। 9. जब क़ुरैश ने नरक के अधिकारियों की चर्चा सुनी, तो अबू जह्ल ने कहा : ऐ क़ुरैश के समूह! क्या तुम में से दस-दस लोग, एक-एक फ़रिश्ते के लिए काफ़ी नहीं हैं? और एक व्यक्ति ने जिसे अपने बल पर बड़ा गर्व था कहा कि 17 को मैं अकेला देख लूँगा। और तुम सब मिलकर दो को देख लेना। (इब्ने कसीर)


Arabic explanations of the Qur’an:

كَلَّا وَٱلۡقَمَرِ ﴿٣٢﴾

कदापि नहीं, क़सम है चाँद की!


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلَّیۡلِ إِذۡ أَدۡبَرَ ﴿٣٣﴾

तथा रात की, जब वह जाने लगे!


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلصُّبۡحِ إِذَاۤ أَسۡفَرَ ﴿٣٤﴾

और सुबह की, जब वह प्रकाशित हो जाए!


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّهَا لَإِحۡدَى ٱلۡكُبَرِ ﴿٣٥﴾

निःसंदेह वह (जहन्नम) निश्चय बहुत बड़ी चीज़ों[10] में से एक है।

10. अर्थात जैसे रात्रि के पश्चात दिन होता है, उसी प्रकार कर्मों का भी परिणाम सामने आना है। और दुष्कर्मों का परिणाम नरक है।


Arabic explanations of the Qur’an:

نَذِیرࣰا لِّلۡبَشَرِ ﴿٣٦﴾

मनुष्य के लिए डराने वाली है।


Arabic explanations of the Qur’an:

لِمَن شَاۤءَ مِنكُمۡ أَن یَتَقَدَّمَ أَوۡ یَتَأَخَّرَ ﴿٣٧﴾

तुम में से उसके लिए, जो आगे बढ़ना चाहे अथवा पीछे हटना चाहे।[11]

11. अर्थात आज्ञापालन द्वारा अग्रसर हो जाए, अथवा अवज्ञा करके पीछे रह जाए।


Arabic explanations of the Qur’an:

كُلُّ نَفۡسِۭ بِمَا كَسَبَتۡ رَهِینَةٌ ﴿٣٨﴾

प्रत्येक व्यक्ति उसके बदले जो उसने कमाया, गिरवी[12] रखा हुआ है।

12. यदि सत्कर्म किया, तो मुक्त हो जाएगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِلَّاۤ أَصۡحَـٰبَ ٱلۡیَمِینِ ﴿٣٩﴾

सिवाय दाहिने वालों के।


Arabic explanations of the Qur’an:

فِی جَنَّـٰتࣲ یَتَسَاۤءَلُونَ ﴿٤٠﴾

वे जन्नतों में एक-दूसरे से पूछेंगे।


Arabic explanations of the Qur’an:

عَنِ ٱلۡمُجۡرِمِینَ ﴿٤١﴾

अपराधियों के बारे में।


Arabic explanations of the Qur’an:

مَا سَلَكَكُمۡ فِی سَقَرَ ﴿٤٢﴾

तुम्हें किस चीज़ ने जहन्नम में डाला?


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالُواْ لَمۡ نَكُ مِنَ ٱلۡمُصَلِّینَ ﴿٤٣﴾

वे कहेंगे : हम नमाज़ पढ़ने वालों में से न थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَمۡ نَكُ نُطۡعِمُ ٱلۡمِسۡكِینَ ﴿٤٤﴾

और न हम निर्धन को खाना खिलाते थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَكُنَّا نَخُوضُ مَعَ ٱلۡخَاۤىِٕضِینَ ﴿٤٥﴾

और हम बेहूदा बहस करने वालों के साथ मिलकर व्यर्थ बहस किया करते थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَكُنَّا نُكَذِّبُ بِیَوۡمِ ٱلدِّینِ ﴿٤٦﴾

और हम बदले के दिन को झुठलाया करते थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

حَتَّىٰۤ أَتَىٰنَا ٱلۡیَقِینُ ﴿٤٧﴾

यहाँ तक कि मौत हमारे पास आ गई।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَمَا تَنفَعُهُمۡ شَفَـٰعَةُ ٱلشَّـٰفِعِینَ ﴿٤٨﴾

तो उन्हें सिफ़ारिश करने वालों की सिफ़ारिश लाभ नहीं देगी।[13]

13. अर्थात नबियों और फ़रिश्तों इत्यादि की। किंतु जिससे अल्लाह प्रसन्न हो और उसके लिए सिफ़ारिश की अनुमति दे।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَمَا لَهُمۡ عَنِ ٱلتَّذۡكِرَةِ مُعۡرِضِینَ ﴿٤٩﴾

तो उन्हें क्या हो गया है कि उपदेश से मुँह फेर रहे हैं?


Arabic explanations of the Qur’an:

كَأَنَّهُمۡ حُمُرࣱ مُّسۡتَنفِرَةࣱ ﴿٥٠﴾

जैसे वे सख़्त बिदकने वाले गधे हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَرَّتۡ مِن قَسۡوَرَةِۭ ﴿٥١﴾

जो शेर से भागे हैं।


Arabic explanations of the Qur’an:

بَلۡ یُرِیدُ كُلُّ ٱمۡرِئࣲ مِّنۡهُمۡ أَن یُؤۡتَىٰ صُحُفࣰا مُّنَشَّرَةࣰ ﴿٥٢﴾

बल्कि उनमें से प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उसे खुली पुस्तकें[14] दी जाएँ।

14. अर्थात वे चाहते हैं कि प्रत्येक के ऊपर वैसे ही पुस्तक उतारी जाए, जैसे मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर उतारी गई है। तब वे ईमान लाएँगे। (इब्ने कसीर)


Arabic explanations of the Qur’an:

كَلَّاۖ بَل لَّا یَخَافُونَ ٱلۡـَٔاخِرَةَ ﴿٥٣﴾

ऐसा कदापि नहीं हो सकता, बल्कि वे आख़िरत से नहीं डरते।


Arabic explanations of the Qur’an:

كَلَّاۤ إِنَّهُۥ تَذۡكِرَةࣱ ﴿٥٤﴾

हरगिज़ नहीं, निश्चय यह (क़ुरआन) एक उपदेश (याददेहानी) है।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَمَن شَاۤءَ ذَكَرَهُۥ ﴿٥٥﴾

अतः जो चाहे, उससे नसीहत प्राप्त करे।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَمَا یَذۡكُرُونَ إِلَّاۤ أَن یَشَاۤءَ ٱللَّهُۚ هُوَ أَهۡلُ ٱلتَّقۡوَىٰ وَأَهۡلُ ٱلۡمَغۡفِرَةِ ﴿٥٦﴾

और वे नसीहत प्राप्त नहीं कर सकते, परंतु यह कि अल्लाह चाहे। वही इस योग्य है कि उससे डरा जाए और वही इस योग्य है कि क्षमा करे।


Arabic explanations of the Qur’an: