Surah सूरा अल्-क़ियामह - Al-Qiyāmah

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Surah सूरा अल्-क़ियामह - Al-Qiyāmah - Aya count 40

لَاۤ أُقۡسِمُ بِیَوۡمِ ٱلۡقِیَـٰمَةِ ﴿١﴾

मैं क़सम खाता हूँ क़ियामत के दिन[1] की।

1. किसी चीज़ की क़सम खाने का अर्थ होता है, उसका निश्चित् होना। अर्थात प्रलय का होना निश्चित् है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَاۤ أُقۡسِمُ بِٱلنَّفۡسِ ٱللَّوَّامَةِ ﴿٢﴾

तथा मैं क़सम खाता हूँ निंदा[2] करने वाली अंतरात्मा की।

2. मनुष्य की अंतरात्मा की यह विशेषता है कि वह बुराई करने पर उसकी निंदा करती है।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَیَحۡسَبُ ٱلۡإِنسَـٰنُ أَلَّن نَّجۡمَعَ عِظَامَهُۥ ﴿٣﴾

क्या इनसान समझता है कि हम कभी उसकी हड्डियों को एकत्र नहीं करेंगे?


Arabic explanations of the Qur’an:

بَلَىٰ قَـٰدِرِینَ عَلَىٰۤ أَن نُّسَوِّیَ بَنَانَهُۥ ﴿٤﴾

क्यों नहीं? हम इस बता का भी सामर्थ्य रखते हैं कि उसकी उंगलियों की पोर-पोर सीधी कर दें।


Arabic explanations of the Qur’an:

بَلۡ یُرِیدُ ٱلۡإِنسَـٰنُ لِیَفۡجُرَ أَمَامَهُۥ ﴿٥﴾

बल्कि मनुष्य चाहता है कि अपने आगे भी[3] गुनाह करता रहे।

3. अर्थात वह प्रलय तथा ह़िसाब का इनकार इसलिए करता है ताकि वह पूरी आयु कुकर्म करता रहे।


Arabic explanations of the Qur’an:

یَسۡـَٔلُ أَیَّانَ یَوۡمُ ٱلۡقِیَـٰمَةِ ﴿٦﴾

वह पूछता है कि क़ियामत का दिन कब होगा?


Arabic explanations of the Qur’an:

فَإِذَا بَرِقَ ٱلۡبَصَرُ ﴿٧﴾

तो जब आँख चौंधिया जाएगी।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَخَسَفَ ٱلۡقَمَرُ ﴿٨﴾

और चाँद को ग्रहण लग जाएगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَجُمِعَ ٱلشَّمۡسُ وَٱلۡقَمَرُ ﴿٩﴾

और सूर्य और चाँद एकत्र[4] कर दिए जाएँगे।

4. अर्थात दोनों पश्चिम से अँधेरे होकर निकलेंगे।


Arabic explanations of the Qur’an:

یَقُولُ ٱلۡإِنسَـٰنُ یَوۡمَىِٕذٍ أَیۡنَ ٱلۡمَفَرُّ ﴿١٠﴾

उस दिन मनुष्य कहेगा कि भागने का स्थान कहाँ है?


Arabic explanations of the Qur’an:

كَلَّا لَا وَزَرَ ﴿١١﴾

कदापि नहीं, शरण लेने का स्थान कोई नहीं।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِلَىٰ رَبِّكَ یَوۡمَىِٕذٍ ٱلۡمُسۡتَقَرُّ ﴿١٢﴾

उस दिन तेरे पालनहार ही की ओर लौटकर जाना है।


Arabic explanations of the Qur’an:

یُنَبَّؤُاْ ٱلۡإِنسَـٰنُ یَوۡمَىِٕذِۭ بِمَا قَدَّمَ وَأَخَّرَ ﴿١٣﴾

उस दिन इनसान को बताया जाएगा जो उसने आगे भेजा और जो पीछे छोड़ा।[5]

5. अर्थात संसार में जो कर्म किया और जो करना चाहिए था, फिर भी नहीं किया।


Arabic explanations of the Qur’an:

بَلِ ٱلۡإِنسَـٰنُ عَلَىٰ نَفۡسِهِۦ بَصِیرَةࣱ ﴿١٤﴾

बल्कि इनसान स्वयं अपने विरुद्ध गवाह[6] है।

6. अर्थात वह अपने अपराधों को स्वयं भी जानता है क्योंकि पापी का मन स्वयं अपने पाप की गवाही देता है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَوۡ أَلۡقَىٰ مَعَاذِیرَهُۥ ﴿١٥﴾

अगरचे वह अपने बहाने पेश करे।


Arabic explanations of the Qur’an:

لَا تُحَرِّكۡ بِهِۦ لِسَانَكَ لِتَعۡجَلَ بِهِۦۤ ﴿١٦﴾

(ऐ नबी!) आप इसके साथ अपनी ज़ुबान न हिलाएँ[7], ताकि इसे शीघ्र याद कर लें।

7. ह़दीस में है कि आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) फ़रिश्ते जिब्रील से वह़्य पूरी होने से पहले इस भय से उसे दुहराने लगते कि कुछ भूल न जाएँ। उसी पर यह आयत उतरी। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4928, 4929) इसी विषय को सूरत ताहा तथा सूरतुल-आला में भी दुहराया गया है।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّ عَلَیۡنَا جَمۡعَهُۥ وَقُرۡءَانَهُۥ ﴿١٧﴾

निःसंदेह उसको एकत्र करना और (आपका) उसे पढ़ना हमारे ज़िम्मे है।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَإِذَا قَرَأۡنَـٰهُ فَٱتَّبِعۡ قُرۡءَانَهُۥ ﴿١٨﴾

अतः जब हम उसे पढ़ लें, तो आप उसके पठन का अनुसरण करें।


Arabic explanations of the Qur’an:

ثُمَّ إِنَّ عَلَیۡنَا بَیَانَهُۥ ﴿١٩﴾

फिर निःसंदेह उसे स्पषट करना हमारे ही ज़िम्मे है।


Arabic explanations of the Qur’an:

كَلَّا بَلۡ تُحِبُّونَ ٱلۡعَاجِلَةَ ﴿٢٠﴾

कदापि नहीं[8], बल्कि तुम शीघ्र प्राप्त होने वाली चीज़ (संसार) से प्रेम करते हो।

8. यहाँ से बात फिर काफ़िरों की ओर फिर रही है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَتَذَرُونَ ٱلۡـَٔاخِرَةَ ﴿٢١﴾

और बाद में आने वाली (आख़िरत) को छोड़ देते हो।


Arabic explanations of the Qur’an:

وُجُوهࣱ یَوۡمَىِٕذࣲ نَّاضِرَةٌ ﴿٢٢﴾

उस दिन कई चेहरे तरो-ताज़ा होंगे।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِلَىٰ رَبِّهَا نَاظِرَةࣱ ﴿٢٣﴾

अपने पालनहार की ओर देख रहे होंगे।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَوُجُوهࣱ یَوۡمَىِٕذِۭ بَاسِرَةࣱ ﴿٢٤﴾

और कई चेहरे उस दिन बिगड़े हुए होंगे।


Arabic explanations of the Qur’an:

تَظُنُّ أَن یُفۡعَلَ بِهَا فَاقِرَةࣱ ﴿٢٥﴾

उन्हें विश्वास होगा कि उनके साथ कमड़ तोड़ देने वाली सख्ती की जाएगी।


Arabic explanations of the Qur’an:

كَلَّاۤ إِذَا بَلَغَتِ ٱلتَّرَاقِیَ ﴿٢٦﴾

कदापि नहीं[9], जब प्राण हँसलियों तक पहुँच जाएगा।

9. अर्थात यह विचार सह़ीह़ नहीं कि मौत के पश्चात् सड़-गल जाएँगे और दोबारा जीवित नहीं किए जाएँगे। क्योंकि आत्मा रह जाती है, जो मौत के साथ ही अपने पालनहार की ओर चली जाती है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَقِیلَ مَنۡۜ رَاقࣲ ﴿٢٧﴾

और कहा जाएगा : कौन है झाड़-फूँक करने वाला?


Arabic explanations of the Qur’an:

وَظَنَّ أَنَّهُ ٱلۡفِرَاقُ ﴿٢٨﴾

और उसे विश्वास हो जाएगा कि यह (संसार से) जुदाई का समय है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلۡتَفَّتِ ٱلسَّاقُ بِٱلسَّاقِ ﴿٢٩﴾

और पिंडली, पिंडली[10] के साथ लिपट जाएगी।

10. अर्थात मौत का समय आ जाएगा जो निरंतर दुःख का समय होगा। (इब्ने कसीर)


Arabic explanations of the Qur’an:

إِلَىٰ رَبِّكَ یَوۡمَىِٕذٍ ٱلۡمَسَاقُ ﴿٣٠﴾

उस दिन तेरे पालनहार ही की ओर जाना है।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَلَا صَدَّقَ وَلَا صَلَّىٰ ﴿٣١﴾

तो न उसने (सत्य को) माना और न नमाज़ पढ़ी।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَـٰكِن كَذَّبَ وَتَوَلَّىٰ ﴿٣٢﴾

लेकिन उसने झुठलाया तथा मुँह फेरा।


Arabic explanations of the Qur’an:

ثُمَّ ذَهَبَ إِلَىٰۤ أَهۡلِهِۦ یَتَمَطَّىٰۤ ﴿٣٣﴾

फिर अकड़ता हुआ अपने परिजनों की ओर गया।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَوۡلَىٰ لَكَ فَأَوۡلَىٰ ﴿٣٤﴾

तेरे लिए विनाश है, फिर तेरे लिए बर्बादी है।


Arabic explanations of the Qur’an:

ثُمَّ أَوۡلَىٰ لَكَ فَأَوۡلَىٰۤ ﴿٣٥﴾

फिर तेरे लिए विनाश है, फिर तेरे लिए बर्बादी है।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَیَحۡسَبُ ٱلۡإِنسَـٰنُ أَن یُتۡرَكَ سُدًى ﴿٣٦﴾

क्या इनसान समझता है कि उसे यूँ ही बेकार छोड़ दिया जायेगा?[11]

11. अर्थात न उसे किसी बात का आदेश दिया जाएगा और न रोका जाएगा और न उससे कर्मों का ह़िसाब लिया जाएगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَلَمۡ یَكُ نُطۡفَةࣰ مِّن مَّنِیࣲّ یُمۡنَىٰ ﴿٣٧﴾

क्या वह वीर्य की एक बूंद नहीं था, जो (गर्भाशय में) गिराई जाती है?


Arabic explanations of the Qur’an:

ثُمَّ كَانَ عَلَقَةࣰ فَخَلَقَ فَسَوَّىٰ ﴿٣٨﴾

फिर वह जमे हुए रक्त का टुकड़ा हुआ, फिर अल्लाह ने पैदा किया और दुरुस्त बनाया।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَجَعَلَ مِنۡهُ ٱلزَّوۡجَیۡنِ ٱلذَّكَرَ وَٱلۡأُنثَىٰۤ ﴿٣٩﴾

फिर उसने उससे दो प्रकार : नर और मादा बनाए।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَلَیۡسَ ذَ ٰ⁠لِكَ بِقَـٰدِرٍ عَلَىٰۤ أَن یُحۡـِۧیَ ٱلۡمَوۡتَىٰ ﴿٤٠﴾

क्या वह इसमें समर्थ नहीं कि मुर्दों को जीवित कर दे?


Arabic explanations of the Qur’an: