Surah सूरा अन्-नाज़िआ़त - An-Nāzi‘āt

Listen

Hinid

Surah सूरा अन्-नाज़िआ़त - An-Nāzi‘āt - Aya count 46

وَٱلنَّـٰزِعَـٰتِ غَرۡقࣰا ﴿١﴾

क़सम है उन फ़रिश्तों की, जो डूबकर सख़्ती से (प्राण) खींचने वाले हैं!


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلنَّـٰشِطَـٰتِ نَشۡطࣰا ﴿٢﴾

और क़सम है उन फ़रिश्तों की, जो आसानी से (प्राण) निकालने वाले हैं!


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلسَّـٰبِحَـٰتِ سَبۡحࣰا ﴿٣﴾

और क़सम है उन फ़रिश्तों की, जो तेज़ी से तैरने वाले हैं!


Arabic explanations of the Qur’an:

فَٱلسَّـٰبِقَـٰتِ سَبۡقࣰا ﴿٤﴾

फिर क़सम है उन फ़रिश्तों की, जो दौड़कर आगे बढ़ने वाले हैं!


Arabic explanations of the Qur’an:

فَٱلۡمُدَبِّرَ ٰ⁠تِ أَمۡرࣰا ﴿٥﴾

फिर क़सम है उन फ़रिश्तों की, जो आदेश को क्रियान्वित करने वाले हैं![1]

1. (1-5) यहाँ से बताया गया है कि प्रलय का आरंभ भारी भूकंप से होगा और दूसरे ही क्षण सब जीवित होकर धरती के ऊपर होंगे।


Arabic explanations of the Qur’an:

یَوۡمَ تَرۡجُفُ ٱلرَّاجِفَةُ ﴿٦﴾

जिस दिन काँपने वाली (अर्थात् धरती) काँप उठेगी।


Arabic explanations of the Qur’an:

تَتۡبَعُهَا ٱلرَّادِفَةُ ﴿٧﴾

उसके पीछे आएगी पीछे आने वाली।


Arabic explanations of the Qur’an:

قُلُوبࣱ یَوۡمَىِٕذࣲ وَاجِفَةٌ ﴿٨﴾

उस दिन कई दिल धड़कने वाले होंगे।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَبۡصَـٰرُهَا خَـٰشِعَةࣱ ﴿٩﴾

उनकी आँखें झुकी हुई होंगी।


Arabic explanations of the Qur’an:

یَقُولُونَ أَءِنَّا لَمَرۡدُودُونَ فِی ٱلۡحَافِرَةِ ﴿١٠﴾

वे कहते हैं : क्या हम निश्चय पहली स्थिति में लौटाए जाने वाले हैं?


Arabic explanations of the Qur’an:

أَءِذَا كُنَّا عِظَـٰمࣰا نَّخِرَةࣰ ﴿١١﴾

क्या जब हम सड़ी-गली हड्डियाँ हो जाएँगे?


Arabic explanations of the Qur’an:

قَالُواْ تِلۡكَ إِذࣰا كَرَّةٌ خَاسِرَةࣱ ﴿١٢﴾

उन्होंने कहा : यह तो उस समय घाटे वाला लौटना होगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَإِنَّمَا هِیَ زَجۡرَةࣱ وَ ٰ⁠حِدَةࣱ ﴿١٣﴾

वह तो केवल एक डाँट होगी।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَإِذَا هُم بِٱلسَّاهِرَةِ ﴿١٤﴾

फिर एकाएक वे (जीवित होकर) धरती के ऊपर होंगे।


Arabic explanations of the Qur’an:

هَلۡ أَتَىٰكَ حَدِیثُ مُوسَىٰۤ ﴿١٥﴾

(ऐ नबी!) क्या आपके पास मूसा की बात पहुँची है?[2]

2. (6-15) इन आयतों में प्रलय दिवस का चित्र पेश किया गया है। और काफ़िरों की स्थिति बताई गई है कि वे उस दिन किस प्रकार अपने आपको एक खुले मैदान में पाएँगे।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِذۡ نَادَىٰهُ رَبُّهُۥ بِٱلۡوَادِ ٱلۡمُقَدَّسِ طُوًى ﴿١٦﴾

जब उसके पालनहार ने उसे पवित्र घाटी 'तुवा' में पुकारा।


Arabic explanations of the Qur’an:

ٱذۡهَبۡ إِلَىٰ فِرۡعَوۡنَ إِنَّهُۥ طَغَىٰ ﴿١٧﴾

फ़िरऔन के पास जाओ, निश्चय वह हद से बढ़ गया है।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَقُلۡ هَل لَّكَ إِلَىٰۤ أَن تَزَكَّىٰ ﴿١٨﴾

फिर उससे कहो : क्या तुझे इस बात की इच्छा है कि तू पवित्र हो जाए?


Arabic explanations of the Qur’an:

وَأَهۡدِیَكَ إِلَىٰ رَبِّكَ فَتَخۡشَىٰ ﴿١٩﴾

और मैं तेरे पालनहार की ओर तेरा मार्गदर्शन करूँ, तो तू डर जाए?


Arabic explanations of the Qur’an:

فَأَرَىٰهُ ٱلۡـَٔایَةَ ٱلۡكُبۡرَىٰ ﴿٢٠﴾

फिर उसे सबसे बड़ी निशानी (चमत्कार) दिखाई।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَكَذَّبَ وَعَصَىٰ ﴿٢١﴾

तो उसने झुठला दिया और अवज्ञा की।


Arabic explanations of the Qur’an:

ثُمَّ أَدۡبَرَ یَسۡعَىٰ ﴿٢٢﴾

फिर वह पलटा (मूसा अलैहिस्सलाम के विरोध का) प्रयास करते हुए।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَحَشَرَ فَنَادَىٰ ﴿٢٣﴾

फिर उसने (लोगों को) एकत्रित किया। फिर पुकारा।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَقَالَ أَنَا۠ رَبُّكُمُ ٱلۡأَعۡلَىٰ ﴿٢٤﴾

तो उसने कहा : मैं तुम्हारा सबसे ऊँचा पालनहार हूँ।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَأَخَذَهُ ٱللَّهُ نَكَالَ ٱلۡـَٔاخِرَةِ وَٱلۡأُولَىٰۤ ﴿٢٥﴾

तो अल्लाह ने उसे आख़िरत और दुनिया की यातना में पकड़ लिया।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّ فِی ذَ ٰ⁠لِكَ لَعِبۡرَةࣰ لِّمَن یَخۡشَىٰۤ ﴿٢٦﴾

निःसंदेह इसमें उस व्यक्ति के लिए शिक्षा है, जो डरता है।


Arabic explanations of the Qur’an:

ءَأَنتُمۡ أَشَدُّ خَلۡقًا أَمِ ٱلسَّمَاۤءُۚ بَنَىٰهَا ﴿٢٧﴾

क्या तुम्हें पैदा करना अधिक कठिन है या आकाश को, जिसे उसने बनाया।[3]

3. (16-27) यहाँ से प्रलय के होने और पुनः जीवित करने के तर्क आकाश तथा धरती की रचना से दिए जा रहे हैं कि जिस शक्ति ने यह सब बनाया और तुम्हारे जीवन रक्षा की व्यवस्था की है, प्रलय करना और फिर सब को जीवित करना उसके लिए असंभव कैसे हो सकता है? तुम स्वयं विचार करके निर्णय करो।


Arabic explanations of the Qur’an:

رَفَعَ سَمۡكَهَا فَسَوَّىٰهَا ﴿٢٨﴾

उसकी छत को ऊँचा किया, फिर उसे बराबर किया।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَأَغۡطَشَ لَیۡلَهَا وَأَخۡرَجَ ضُحَىٰهَا ﴿٢٩﴾

और उसकी रात को अंधेरा कर दिया तथा उसके दिन के प्रकाश को प्रकट कर दिया।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلۡأَرۡضَ بَعۡدَ ذَ ٰ⁠لِكَ دَحَىٰهَاۤ ﴿٣٠﴾

और उसके बाद धरती को बिछाया।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَخۡرَجَ مِنۡهَا مَاۤءَهَا وَمَرۡعَىٰهَا ﴿٣١﴾

उससे उसका पानी और उसका चारा निकाला।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلۡجِبَالَ أَرۡسَىٰهَا ﴿٣٢﴾

और पर्वतों को गाड़ दिया।


Arabic explanations of the Qur’an:

مَتَـٰعࣰا لَّكُمۡ وَلِأَنۡعَـٰمِكُمۡ ﴿٣٣﴾

तुम्हारे तथा तुम्हारे पशुओं के लाभ के लिए।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَإِذَا جَاۤءَتِ ٱلطَّاۤمَّةُ ٱلۡكُبۡرَىٰ ﴿٣٤﴾

फिर जब बड़ी आपदा (क़ियामत) आ जाएगी।[4]

4. (28-34) 'बड़ी आपदा' प्रलय को कहा गया है जो उसकी घोर स्थिति का चित्रण है।


Arabic explanations of the Qur’an:

یَوۡمَ یَتَذَكَّرُ ٱلۡإِنسَـٰنُ مَا سَعَىٰ ﴿٣٥﴾

जिस दिन इनसान अपने किए को याद करेगा।[5]

5. (35) यह प्रलय का तीसरा चरण होगा जबकि वह सामने होगी। उस दिन प्रत्येक व्यक्ति को अपने सांसारिक कर्म याद आएँगे और कर्मानुसार जिसने सत्य धर्म की शिक्षा का पालन किया होगा उसे स्वर्ग का सुख मिलेगा और जिसने सत्य धर्म और नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को नकारा और मनमानी धर्म और कर्म किया होगा वह नरक का स्थायी दुःख भोगेगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَبُرِّزَتِ ٱلۡجَحِیمُ لِمَن یَرَىٰ ﴿٣٦﴾

और देखने वाले के लिए जहन्नम सामने कर दी जाएगी।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَأَمَّا مَن طَغَىٰ ﴿٣٧﴾

तो जो व्यक्ति हद से बढ़ गया।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَءَاثَرَ ٱلۡحَیَوٰةَ ٱلدُّنۡیَا ﴿٣٨﴾

और उसने सांसारिक जीवन को वरीयता दी।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَإِنَّ ٱلۡجَحِیمَ هِیَ ٱلۡمَأۡوَىٰ ﴿٣٩﴾

तो निःसंदेह जहन्नम ही उसका ठिकाना है।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَأَمَّا مَنۡ خَافَ مَقَامَ رَبِّهِۦ وَنَهَى ٱلنَّفۡسَ عَنِ ٱلۡهَوَىٰ ﴿٤٠﴾

लेकिन जो अपने पालनहार के समक्ष खड़ा होने से डर गया तथा अपने मन को बुरी इच्छा से रोक लिया।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَإِنَّ ٱلۡجَنَّةَ هِیَ ٱلۡمَأۡوَىٰ ﴿٤١﴾

तो निःसंदेह जन्नत ही उसका ठिकाना है।


Arabic explanations of the Qur’an:

یَسۡـَٔلُونَكَ عَنِ ٱلسَّاعَةِ أَیَّانَ مُرۡسَىٰهَا ﴿٤٢﴾

वे आपसे क़ियामत के बारे में पूछते हैं कि वह कब घटित होगी?[6]

6. (42) काफ़िरों का यह प्रश्न समय जानने के लिए नहीं, बल्कि हँसी उड़ाने के लिए था।


Arabic explanations of the Qur’an:

فِیمَ أَنتَ مِن ذِكۡرَىٰهَاۤ ﴿٤٣﴾

आपका उसके उल्लेख करने से क्या संबंध है?


Arabic explanations of the Qur’an:

إِلَىٰ رَبِّكَ مُنتَهَىٰهَاۤ ﴿٤٤﴾

उस (के ज्ञान) की अंतिमता तुम्हारे पालनहार ही की ओर है।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّمَاۤ أَنتَ مُنذِرُ مَن یَخۡشَىٰهَا ﴿٤٥﴾

आप तो केवल उसे डराने वाले हैं, जो उससे डरता है।[7]

7. (45) इस आयत में कहा गया है कि (ऐ नबी!) सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम आप का दायित्व मात्र उस दिन से सावधान करना है। धर्म बलपूर्वक मनवाने के लिए नहीं। जो नहीं मानेगा, उसे स्वयं उस दिन समझ में आ जाएगा कि उसने क्षण भर के सांसारिक जीवन के स्वार्थ के लिए अपना स्थायी सुख खो दिया। और उस समय पछतावे का कुछ लाभ नहीं होगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

كَأَنَّهُمۡ یَوۡمَ یَرَوۡنَهَا لَمۡ یَلۡبَثُوۤاْ إِلَّا عَشِیَّةً أَوۡ ضُحَىٰهَا ﴿٤٦﴾

जिस दिन वे उसे देखेंगे, तो (ऐसा लगेगा) मानो वे (दुनिया में) केवल एक शाम या उसकी सुबह ही ठहरे हैं।


Arabic explanations of the Qur’an: