1. (1-6) इनमें प्रलय के प्रथम चरण में ब्रह्मांड में जो उथल-पुथल होगी, उसको दिखाया गया है कि आकाश, धरती और पर्वत, सागर तथा जीव जंतुओं की क्या दशा होगी। और माया मोह में पड़ा इनसान इसी संसार में अपने प्रियवर धन से कैसा बेपरवाह हो जाएगा। वन पशु भी भय के मारे एकत्र हो जाएँगे। सागरों के जल-प्लावन से धरती पर जल ही जल दिखाई देगा।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَإِذَا ٱلنُّفُوسُ زُوِّجَتۡ ﴿٧﴾
और जब प्राण मिला दिए जाएँगे।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَإِذَا ٱلۡمَوۡءُۥدَةُ سُىِٕلَتۡ ﴿٨﴾
और जब जीवित गाड़ी गई लड़की से पूछा जाएगा।
Arabic explanations of the Qur’an:
بِأَیِّ ذَنۢبࣲ قُتِلَتۡ ﴿٩﴾
कि वह किस अपराध के कारण मारी गई?
Arabic explanations of the Qur’an:
وَإِذَا ٱلصُّحُفُ نُشِرَتۡ ﴿١٠﴾
तथा जब कर्मपत्र (आमाल नामे) फैला दिए जाएँगे।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَإِذَا ٱلسَّمَاۤءُ كُشِطَتۡ ﴿١١﴾
और जब आकाश उधेड़ दिया जाएगा।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَإِذَا ٱلۡجَحِیمُ سُعِّرَتۡ ﴿١٢﴾
और जब जहन्नम दहकाई जाएगी।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَإِذَا ٱلۡجَنَّةُ أُزۡلِفَتۡ ﴿١٣﴾
और जब जन्नत क़रीब लाई जाएगी।
Arabic explanations of the Qur’an:
عَلِمَتۡ نَفۡسࣱ مَّاۤ أَحۡضَرَتۡ ﴿١٤﴾
तो प्रत्येक प्राणी जान लेगा कि वह क्या लेकर आया है।[2]
2. (7-14) इन आयतों में प्रलय के दूसरे चरण की दशा को दर्शाया गया है कि इनसानों की आस्था और कर्मों के अनुसार श्रेणियाँ बनेंगी। नृशंसितों (मज़लूमों) के साथ न्याय किया जाएगा। कर्म-पत्र खोल दिए जाएँगे। नरक भड़काई जाएगी। स्वर्ग सामने कर दिया जाएगा। और उस समय सभी को वास्तविकता का ज्ञान हो जाएगा। इस्लाम के उदय के समय अरब में कुछ लोग पुत्रियों को जन्म लेते ही जीवित गाड़ दिया करते थे। इस्लाम ने नारियों को जीवन प्रदान किया। और उन्हें जीवित गाड़ देने को घोर अपराध घोषित किया। आयत संख्या 8 में उन्हीं नृशंस अपराधियों को धिक्कारा गया है।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَلَاۤ أُقۡسِمُ بِٱلۡخُنَّسِ ﴿١٥﴾
मैं क़सम खाता हूँ पीछे हटने वाले सितारों की।
Arabic explanations of the Qur’an:
ٱلۡجَوَارِ ٱلۡكُنَّسِ ﴿١٦﴾
चलने वाले, छिप जाने वाले तारों की।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَٱلَّیۡلِ إِذَا عَسۡعَسَ ﴿١٧﴾
और रात की (क़सम), जब वह आती और जाती है।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَٱلصُّبۡحِ إِذَا تَنَفَّسَ ﴿١٨﴾
तथा सुबह की, जब वह रौशन होने लगे।
Arabic explanations of the Qur’an:
إِنَّهُۥ لَقَوۡلُ رَسُولࣲ كَرِیمࣲ ﴿١٩﴾
निःसंदेह यह (क़ुरआन) एक आदरणीय संदेशवाहक की लाई हुई वाणी है।
Arabic explanations of the Qur’an:
ذِی قُوَّةٍ عِندَ ذِی ٱلۡعَرۡشِ مَكِینࣲ ﴿٢٠﴾
जो शक्तिशाली है, अर्श (सिंहासन) वाले के पास उच्च पद वाला है।
Arabic explanations of the Qur’an:
مُّطَاعࣲ ثَمَّ أَمِینࣲ ﴿٢١﴾
उसकी वहाँ (आसमानों में) बात मानी जाती है और बड़ा विश्वसनीय है।[3]
3. (15-21) तारों की व्यवस्था गति तथा अँधेरे के पश्चात् नियमित रूप से उजाला की शपथ इस बात की गवाही है कि क़ुरआन ज्योतिष की बकवास नहीं। बल्कि यह ईश-वाणी है। जिसको एक शक्तिशाली तथा सम्मान वाला फ़रिश्ता लेकर मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास आया। और अमानतदारी से इसे पहुँचाया।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَمَا صَاحِبُكُم بِمَجۡنُونࣲ ﴿٢٢﴾
और तुम्हारा साथी कोई दीवाना नहीं हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَلَقَدۡ رَءَاهُ بِٱلۡأُفُقِ ٱلۡمُبِینِ ﴿٢٣﴾
और निश्चय उन्होंने उस (जिबरील) को स्पष्ट क्षितिज पर देखा है।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَمَا هُوَ عَلَى ٱلۡغَیۡبِ بِضَنِینࣲ ﴿٢٤﴾
और वह परोक्ष (ग़ैब) की बातें बताने में कृपण नहीं हैं।[4]
4. (22-24) इनमें यह चेतावनी दी गई है कि महा ईशदूत (मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जो सुना रहे हैं, और जो फ़रिश्ता वह़्य (प्रकाशना) लाता है, उन्होंने उसे देखा है। वह परोक्ष की बातें प्रस्तुत कर रहे हैं, कोई ज्योतिष की बात नहीं, जो धिक्कारे शौतान ज्योतिषियों को दिया करते हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَمَا هُوَ بِقَوۡلِ شَیۡطَـٰنࣲ رَّجِیمࣲ ﴿٢٥﴾
और यह (क़ुरआन) किसी धिक्कारे हुए शैतान की वाणी नहीं है।
तथा तुम कुछ नहीं चाह सकते, सिवाय इसके कि सर्व संसार का पालनहार अल्लाह चाहे।[5]
5. (27-29) इन साक्ष्यों के पश्चात सावधान किया गया है कि क़ुरआन मात्र याद-दहानी है। इस विश्व में इसके सत्य होने के सभी लक्षण सबके सामने हैं। इनका अध्ययन करके स्वयं सत्य की राह अपना लो, अन्यथा अपना ही बिगाड़ोगे।