Surah सूरा अल्-फ़ज्र - Al-Fajr

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Surah सूरा अल्-फ़ज्र - Al-Fajr - Aya count 30

وَٱلۡفَجۡرِ ﴿١﴾

क़सम है फ़ज्र (उषाकाल) की!


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَیَالٍ عَشۡرࣲ ﴿٢﴾

तथा दस रातों की!


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلشَّفۡعِ وَٱلۡوَتۡرِ ﴿٣﴾

और सम (जोड़े) और विषम (अकेले) की!


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱلَّیۡلِ إِذَا یَسۡرِ ﴿٤﴾

और रात की, जब वह चलती है!


Arabic explanations of the Qur’an:

هَلۡ فِی ذَ ٰ⁠لِكَ قَسَمࣱ لِّذِی حِجۡرٍ ﴿٥﴾

निश्चय इसमें बुद्धिमान के लिए बड़ी क़सम है?[1]

1. (1-5) इन आयतों में सबसे पहले चार चीजों की क़सम खाई गई है, जिन्हें परलोक में कर्मों के फल के सबूत के रूप में प्रस्तुत किया गया है। जिस का अर्थ यह है कि कर्मों का फल सत्य है। जिस व्यवस्था से यह दिन-रात चल रहा है उससे सिद्ध होता है कि अल्लाह ही इसे चला रहा है। "दस रात्रियों" से अभिप्राय "ज़ुल ह़िज्जा" मास की प्रारंभिक दस रातें हैं। सह़ीह़ ह़दीसों में इनकी बड़ी प्रधानता बताई गई है।


Arabic explanations of the Qur’an:

أَلَمۡ تَرَ كَیۡفَ فَعَلَ رَبُّكَ بِعَادٍ ﴿٦﴾

क्या तुमने नहीं देखा कि तुम्हारे पालनहार ने "आद" के साथ किस तरह किया?


Arabic explanations of the Qur’an:

إِرَمَ ذَاتِ ٱلۡعِمَادِ ﴿٧﴾

(वे आद) जो स्तंभों वाले 'इरम' (गोत्र के लोग) थे।


Arabic explanations of the Qur’an:

ٱلَّتِی لَمۡ یُخۡلَقۡ مِثۡلُهَا فِی ٱلۡبِلَـٰدِ ﴿٨﴾

जिनके समान (दुनिया के) शहरों में कोई पैदा नहीं किया गया।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَثَمُودَ ٱلَّذِینَ جَابُواْ ٱلصَّخۡرَ بِٱلۡوَادِ ﴿٩﴾

तथा 'समूद' के साथ (किस तरह किया) जिन्होंने वादी में चट्टानों को तराशा।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَفِرۡعَوۡنَ ذِی ٱلۡأَوۡتَادِ ﴿١٠﴾

और मेखों वाले फ़िरऔन के साथ (किस तरह किया)।


Arabic explanations of the Qur’an:

ٱلَّذِینَ طَغَوۡاْ فِی ٱلۡبِلَـٰدِ ﴿١١﴾

वे लोग, जो नगरों में हद से बढ़ गए।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَأَكۡثَرُواْ فِیهَا ٱلۡفَسَادَ ﴿١٢﴾

और उनमें बहुत अधिक उपद्रव फैलाया।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَصَبَّ عَلَیۡهِمۡ رَبُّكَ سَوۡطَ عَذَابٍ ﴿١٣﴾

तो तेरे पालनहार ने उनपर यातना का कोड़ा बरसाया।


Arabic explanations of the Qur’an:

إِنَّ رَبَّكَ لَبِٱلۡمِرۡصَادِ ﴿١٤﴾

निःसंदेह तेरा पालनहार निश्चय घात में है।[2]

2. (6-14) इन आयतों में उन जातियों की चर्चा की गई है, जिन्होंने माया मोह में पड़कर परलोक और प्रतिफल का इनकार किया, और अपने नैतिक पतन के कारण धरती में उग्रवाद किया। "आद, इरम" से अभिप्रेत वह पुरानी जाति है जिसे क़ुरआन तथा अरब में "आदे ऊला" (प्रथम आद) कहा गया है। यह वह प्राचीन जाति है जिसके पास हूद (अलैहिस्सलाम) को भेजा गया। और इनको "आदे इरम" इस लिए कहा गया है कि यह शामी वंशक्रम की उस शाखा से संबंधित थे जो इरम बिन शाम बिन नूह़ से चली आती थी। आयत संख्या 11 में इसका संकेत है कि उग्रवाद का उद्गम भौतिकवाद एवं सत्य विश्वास का इनकार है, जिसे वर्तमान युग में भी प्रत्यक्ष रूप में देखा जा सकता है।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَأَمَّا ٱلۡإِنسَـٰنُ إِذَا مَا ٱبۡتَلَىٰهُ رَبُّهُۥ فَأَكۡرَمَهُۥ وَنَعَّمَهُۥ فَیَقُولُ رَبِّیۤ أَكۡرَمَنِ ﴿١٥﴾

लेकिन मनुष्य (का हाल यह है कि) जब उसका पालनहार उसका परीक्षण करे, फिर उसे सम्मानित करे और नेमत प्रदान करे, तो कहता है कि मेरे पालनहार ने मुझे सम्मानित किया।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَأَمَّاۤ إِذَا مَا ٱبۡتَلَىٰهُ فَقَدَرَ عَلَیۡهِ رِزۡقَهُۥ فَیَقُولُ رَبِّیۤ أَهَـٰنَنِ ﴿١٦﴾

लेकिन जब वह उसका परीक्षण करे, फिर उसपर उसकी रोज़ी तंग कर दे, तो कहता कि मेरे पालनहार ने मुझे अपमानित किया।


Arabic explanations of the Qur’an:

كَلَّاۖ بَل لَّا تُكۡرِمُونَ ٱلۡیَتِیمَ ﴿١٧﴾

हरगिज़ ऐसा नहीं, बल्कि तुम अनाथ का सम्मान नहीं करते।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَا تَحَـٰۤضُّونَ عَلَىٰ طَعَامِ ٱلۡمِسۡكِینِ ﴿١٨﴾

तथा तुम एक-दूसरे को ग़रीब को खाना खिलाने के लिए प्रोत्साहित नहीं करते हो।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَتَأۡكُلُونَ ٱلتُّرَاثَ أَكۡلࣰا لَّمࣰّا ﴿١٩﴾

और तुम मीरास का सारा धन समेटकर खा जाते हो।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَتُحِبُّونَ ٱلۡمَالَ حُبࣰّا جَمࣰّا ﴿٢٠﴾

और तुम धन से बहुत अधिक प्रेम करते हो।[3]

3. (15-20) इन आयतों में समाज की साधारण नैतिक स्थिति का सर्वेक्षण किया गया है, और भौतिकवादी विचार की आलोचना की गई है, जो मात्र सांसारिक धन और मान मर्यादा को सम्मान तथा अपमान का पैमाना समझता है और यह भूल गया है कि न धनी होना कोई पुरस्कार है और न निर्धन होना कोई दंड है। अल्लाह दोनों स्थितियों में मानवजाति की परीक्षा ले रहा है। फिर यह बात किसी के बस में हो तो दूसरे का धन भी हड़प कर जाए, क्या ऐसा करना कुकर्म नहीं जिसका ह़िसाब लिया जाना चाहिए?


Arabic explanations of the Qur’an:

كَلَّاۤۖ إِذَا دُكَّتِ ٱلۡأَرۡضُ دَكࣰّا دَكࣰّا ﴿٢١﴾

हरगिज़ नहीं! जब धरती कूट-कूटकर चूर्ण-विचूर्ण कर दी जाएगी।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَجَاۤءَ رَبُّكَ وَٱلۡمَلَكُ صَفࣰّا صَفࣰّا ﴿٢٢﴾

और तेरा पालनहार आएगा और फ़रिश्ते जो पंक्तियों में होंगे।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَجِاْیۤءَ یَوۡمَىِٕذِۭ بِجَهَنَّمَۚ یَوۡمَىِٕذࣲ یَتَذَكَّرُ ٱلۡإِنسَـٰنُ وَأَنَّىٰ لَهُ ٱلذِّكۡرَىٰ ﴿٢٣﴾

और उस दिन नरक लाई जाएगी। उस दिन इनसान याद करेगा। लेकिन उस दिन याद करना उसे कहाँ से लाभ देगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

یَقُولُ یَـٰلَیۡتَنِی قَدَّمۡتُ لِحَیَاتِی ﴿٢٤﴾

वह कहेगा : ऐ काश! मैंने अपने (इस) जीवन के लिए कुछ आगे भेजा होता।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَیَوۡمَىِٕذࣲ لَّا یُعَذِّبُ عَذَابَهُۥۤ أَحَدࣱ ﴿٢٥﴾

चुनाँचे उस दिन उस (अल्लाह) के दंड जैसा दंड कोई नहीं देगा।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَلَا یُوثِقُ وَثَاقَهُۥۤ أَحَدࣱ ﴿٢٦﴾

और न उसके बाँधने जैसा कोई बाँधेगा।[4]

4. (21-26) इन आयतों मे बताया गया है कि धन पूजने और उससे परलोक न बनाने का दुष्परिणाम नरक की घोर यातना के रूप में सामने आएगा, तब भौतिकवादी कुकर्मियों की समझ में आएगा कि क़ुरआन को न मानकर बड़ी भूल हुई और हाथ मलेंगे।


Arabic explanations of the Qur’an:

یَـٰۤأَیَّتُهَا ٱلنَّفۡسُ ٱلۡمُطۡمَىِٕنَّةُ ﴿٢٧﴾

ऐ संतुष्ट आत्मा!


Arabic explanations of the Qur’an:

ٱرۡجِعِیۤ إِلَىٰ رَبِّكِ رَاضِیَةࣰ مَّرۡضِیَّةࣰ ﴿٢٨﴾

अपने पालनहार की ओर लौट चल, इस हाल में कि तू उससे प्रसन्न है, उसके निकट पसंदीदा है।


Arabic explanations of the Qur’an:

فَٱدۡخُلِی فِی عِبَـٰدِی ﴿٢٩﴾

अतः तू मेरे बंदों में प्रवेश कर जा।


Arabic explanations of the Qur’an:

وَٱدۡخُلِی جَنَّتِی ﴿٣٠﴾

और मेरी जन्नत में प्रवेश कर जा।[5]

5. (27-30) इन आयतों में उनके सुख और सफलता का वर्णन किया गया है, जो क़ुरआन की शिक्षा का अनुपालन करते हुए आत्मा की शांति के साथ जीवन व्यतीत कर रहे हैं।


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